Site icon चेतना मंच

Noida Politics : जानें, UP Elections से पहले अचानक कैसे बदले नोएडा के राजनीतिक समीकरण…

RP Raghuvanshi Editor Chetna Manch Newspaper
आर. पी रघुवंशी, संपादक (चेतना मंच)

नोएडा. उत्‍तर प्रदेश (UP Assembly Election 2022) के चुनावी जंग का मैदान सज चुका है. अब प्रतीक्षा इस मैदान पर उतरने वाले प्रत्याशी नुमा योद्धाओं की है. नोएडा विधानसभा सीट (Noida Assembly seat) की बात करें तो पिछले 15 दिनों से इस सीट पर नित नए समीकरण बन रहे हैं. कौन-कौन खिलाड़ी मैदान में उतरेंगे यह तो अगले कुछ दिनों में स्पष्ट होगा, किंतु अब तक एक तरफा लग रहा मुकाबला अब काफी रोचक होता हुआ नजर आ रहा है .

सब जानते हैं कि मात्र 2 महीने बाद उत्‍तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (Uttar Pradesh Assembly Election 2022) होने हैं. उत्तर प्रदेश का प्रवेश द्वार माने जाने वाले नोएडा विधानसभा क्षेत्र को भाजपा (BJP) का मजबूत गढ़ माना जाता है. अब तक लग रहा था कि नोएडा सीट पर भाजपा के वर्तमान विधायक व आगामी स्वाभाविक प्रत्याशी पंकज सिंह (Pankaj Singh) का यहां कोई मुकाबला ही नहीं है. तमाम विश्लेषक दावा कर रहे थे कि नोएडा का मुकाबला एकतरफा है. जैसा कि हमेशा कहा जाता है कि राजनीति में कब क्या हो जाए कुछ नहीं कहा जा सकता. कुछ ऐसा ही नोएडा सीट (Noida Assembly seat) पर होता हुआ नजर आने लगा है. पिछले 10-15 दिनों में जो हुआ है, उससे यहां का चुनाव बेहद दिलचस्प होने की भरपूर संभावना पैदा हो गई है.

पढ़ें : Noida Politics: UP Elections से पहले BSP को एक और झटका, गजराज नागर ने छोड़ी पार्टी

दरअसल, भारतीय लोकतंत्र (Indian Democracy) की कड़वी हकीकत यह है कि यहां चुनाव मुद्दों पर नहीं, बल्कि जातीय समीकरणों पर हारे व जीते जाते हैं. इस हकीकत पर गौर करें तो नोएडा क्षेत्र में कांग्रेस (Congress) पार्टी के दिग्गज नेता कृपाराम शर्मा (Kriparam Shrama) के बसपा (BSP) में शामिल होते ही नोएडा सीट पर चुनावी वातावरण में बदलाव नजर आने लगा था. उसके तुरंत बाद नोएडा की सबसे बड़ी संस्था फोनरवा (FONRWA) के अध्यक्ष योगेंद्र शर्मा (Yogendra Sharma) ने समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का दामन थाम कर मानो राजनीतिक धमाका ही कर दिया. कांग्रेस नेता पंखुड़ी पाठक (Pankhuri Pathak) व आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) पहले से चुनावी जोड़-तोड़ में लगे ही थे.

राजनीतिक विश्लेषकों का साफ मत है कि नोएडा विधानसभा सीट पर ब्राह्मण मतदाता (Brahmin Voters) सबसे अधिक है. अभी तक ब्राह्मण समाज का एकतरफा समर्थन भारतीय जनता पार्टी (BJP) के साथ था. ऐसे में बसपा, सपा व कांग्रेस से ब्राह्मण नेताओं की दावेदारी ने सभी को चौंका दिया है. माना जा रहा है कि बसपा से पंडित कृपाराम शर्मा का चुनाव लड़ना तय हो गया है. समाजवादी पार्टी के सूत्र भी दावा कर रहे हैं कि पिछले 5 वर्षों से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे पार्टी के पूर्व प्रत्याशी सुनील चौधरी के स्थान पर उनकी पार्टी के नवागंतुक योगेंद्र शर्मा पर दांव लगाया जा सकता है. यह अलग बात है कि सपा के रणनीतिकार वैश्य समाज के चेहरे की भी तलाश में लग गए हैं.

पढ़ें : जानिए क्या है अखिलेश यादव की नई योजना

‌इन रणनीतिकारों का मत है कि कृपाराम शर्मा के लड़ने से ब्राह्मण प्रत्याशी उतारने का दाव उल्टा भी पड़ सकता है. ऐसे में या तो पार्टी को कोई मजबूत वैश्य समाज का चेहरा मिल जाए या फिर नोएडा अथवा गौतमबुद्ध नगर जनपद (Gautam Buddha Nagar District) ही नहीं पश्चिमी यूपी (Western UP) की पूरी राजनीति को देखते हुए गुर्जर समाज के चेहरे पर ही दांव लगाया जाए. ऐसे में वे रणनीतिकार चकरघिन्नी बने हुए हैं, जो योगेंद्र शर्मा को सपा का मास्टर स्ट्रोक समझ रहे थे. अब यह देखना बेहद दिलचस्प होगा कि अब तक नोएडा की सीट को सी कैटेगरी यानी सबसे मुश्किल सीट मानकर चल रही समाजवादी पार्टी का इस सीट पर अगला दांव क्या होगा? कौन-कौन प्रत्याशी होंगे, यह तो आने वाले कुछ दिनों में स्पष्ट हो जाएगा, लेकिन यह परम सत्य है कि अचानक नोएडा के राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं.

छलांग पर सवाल!
अब तक पूरी तरह है गैर राजनीतिक संस्था रही फोनरवा के अध्यक्ष योगेंद्र शर्मा (FONRWA President Yogendra Sharma) ने 1 सप्ताह पूर्व अचानक समाजवादी पार्टी में शामिल होकर बड़ा राजनीतिक धमाका किया ‘था’. यहां ‘था’ शब्द बड़ा महत्वपूर्ण है. विश्लेषकों का मत था कि शर्मा लखनऊ में सपा की सदस्यता लेकर जैसे ही नोएडा लौटेंगे तो यहां उनका भव्य स्वागत समारोह होगा. वे अपने समर्थकों को एकजुट करके कोई बड़ा आयोजन करेंगे या फिर समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) उनके स्वागत सत्कार में कुछ ऐसा आयोजन करेगी, जिससे क्षेत्र की हवा बदलने का संकेत मिले. किंतु विश्लेषकों का यह आकलन फेल साबित हुआ है. राजनीतिक पार्टी में शामिल होने की घोषणा करके योगेंद्र शर्मा ने क्षेत्र में जो ऊंची छलांग लगाई थी, कम से कम शहर में सार्वजनिक तौर पर तो वह छलांग कहीं नजर नहीं आई . इस बीच कुछ सामाजिक संगठनों व आरडब्लूए आदि ने उनके विरोध में स्वर जरूर मुखर कर लिए हैं. अब यह देखना बेहद महत्वपूर्ण होगा कि सामाजिक कार्यकर्ता से राजनेता बनने चले योगेंद्र शर्मा का अगला कदम क्या होगा?

Exit mobile version