गाज़ियाबाद में प्रदूषित हवा बनी घातक,बच्चे और बुजुर्ग पहुँच रहे अस्पताल
गाजियाबाद और आसपास के क्षेत्र में प्रदूषण और मौसम में अचानक आए बदलाव से बच्चों में खांसी जुकाम, गले की बीमारियां और वायरल बुखार में अचानक से वृद्धि आई है

प्रदूषण से प्रीमेच्योर जन्म की समस्या भी बढ़ रही है
डॉ बी पी त्यागी ने बताया कि प्रदूषण गर्भवती महिलाओं के लिए भी काफी बड़ा खतरा बन रहा है और इससे प्रीमेच्योर बच्चे पैदा होने की समस्या बढ़ गई है, क्योंकि माँ की गर्भनाल के जरिए जहरीले टॉक्सिंन बच्चों के अंदर चले जाते हैं और यह तमाम तरह की समस्या पैदा कर देते है, प्रदूषण से बच्चे 9 माह की बजाय सात या साढ़े सात महीने में प्रीमेच्योर भी पैदा हो रहे हैं।प्रदूषण का जहर हार्ट अटैक का कारण
डॉ बी पी त्यागी ने कहा कि प्रदूषण का यह जहर हार्ट अटैक तक का कारण बन सकता है। दरअसल वह हार्ट अटैक नहीं होता बल्कि प्रदूषण के कारण कुछ मेटल टॉक्सिन हमारे फेफड़ों में चले जाते हैं जिससे दिल की गति रुक जाती है और लोग उसे हार्ट अटैक का नाम दे देते हैं। आतिशबाजी और प्रदूषण के समय जो लोग खुली सड़कों पर रेहडी पटरी वाले या अन्य सड़कों पर सोते हैं या अधिक समय बाहर बिताने वालों के लिए प्रदूषण जहर का काम करता है।मौसम के इस बदलाव में बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा कैसे करें सावधानियां
डॉ पी पी त्यागी ने बताया, प्रदूषण के जहर को फेफड़े में जाने से रोकने के लिए हमें मास्क पहनना चाहिए और अगर हो सके तो हमें सुबह और शाम बाहर जाने से बचना चाहिए क्योंकि सुबह और शाम के समय प्रदूषण का लेवल और बढ़ जाता है। इसके अलावा हमें खुद को डिहाइड्रेट रखने के लिए पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए।
डॉक्टर त्यागी ने स्वच्छ हवा खुली सांस के लिए सरकार को भी जिम्मेदार बताया है और कहा है कि सरकार का दायित्व बनता है कि कि वह प्रदूषण की समस्या को कंट्रोल करने के लिए पर्याप्त कदम उठाएं और उन्होंने इस बारे में दिल्ली का उदाहरण देते हुए भी कहा कि दिल्ली आज का सबसे अधिक प्रदूषित शहर है ऐसी जगह तो खास तौर से ऑक्सीजन के चेंबर बनाए जाने चाहिए जहां लोग पहले ऑक्सीजन लेकर तब अपने काम पर जा सके। दूसरी तरफ जैसा की सरकार ने प्लान बनाया था आर्टिफिशियल बारिश के जरिए भी प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा सकता है।
प्रदूषण की जहरीली हवा से बचने के लिए क्या करें
प्रदूषित हवा से बचने के लिए घर के दरवाजे खिड़कियां ऐसे मौसम में बंद रखें। प्रदूषण की जहरीली हवा से बचने का सबसे अच्छा उपाय खुद को इस जहरीली हवा से बचाना ही है। बहुत ज्यादा मजबूरी अगर निकालने की आती है तो हम मास्क पहने अगर हो सके तो उसे कुछ देर बाद हल्का सा गीला भी कर ले इससे जहरीली हवा अंदर कम प्रवे कर पाएगी। मौसम में बदलाव और वायु प्रदूषण लोगों की सेहत पर सीधा असर डाल रहा है। इसके चलते खांसी, जुकाम, सांस लेने में परेशानी, गले में दर्द के मरीजों की संख्या में एकाएक बढ़ोतरी हो गई है। जिला एमएमजी अस्पताल में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसी के साथ बच्चों की संख्या में भी इजाफा देखने को मिला है। वायु प्रदूषण की वजह से बच्चे बीमार पड़ रहे है।एमजी जिला अस्पताल गाजियाबाद में बाल मरीजों की संख्या में इजाफा
गाजियाबाद एमएमजी अस्पताल के डॉक्टर और प्रशासन के मुताबिक मौसम में आए बदलाव और प्रदूषित हवा से अस्पताल में अचानक से मरीज बच्चों की संख्या बढ़ी है। इसमें अधिकांश मरीज जुकाम,खांसी बुखार गले की बीमारियां वायरल आदि के आ रहे हैं और उनकी संख्या ओपीडी में 100 से 150 के बीच तक पहुँच गई है । गाजियाबाद अस्पताल के डॉक्टर मनोज चतुर्वेदी के मुताबिक इतना घबराने की जरूरत नहीं है बच्चों को दवाई देकर और उन्हें सावधानियां बरतने के प्रिस्क्रिप्शन के साथ घर भेज दिया गया है। लेकिन इसके बावजूद इस मौसम में बच्चों के प्रति सावधानी रखने की आवश्यकता है। मीना कौशिकदिल्ली में फर्जी अस्पताल : जिंदगी को मौत बनाने वाले खिलाड़ी
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प्रदूषण से प्रीमेच्योर जन्म की समस्या भी बढ़ रही है
डॉ बी पी त्यागी ने बताया कि प्रदूषण गर्भवती महिलाओं के लिए भी काफी बड़ा खतरा बन रहा है और इससे प्रीमेच्योर बच्चे पैदा होने की समस्या बढ़ गई है, क्योंकि माँ की गर्भनाल के जरिए जहरीले टॉक्सिंन बच्चों के अंदर चले जाते हैं और यह तमाम तरह की समस्या पैदा कर देते है, प्रदूषण से बच्चे 9 माह की बजाय सात या साढ़े सात महीने में प्रीमेच्योर भी पैदा हो रहे हैं।प्रदूषण का जहर हार्ट अटैक का कारण
डॉ बी पी त्यागी ने कहा कि प्रदूषण का यह जहर हार्ट अटैक तक का कारण बन सकता है। दरअसल वह हार्ट अटैक नहीं होता बल्कि प्रदूषण के कारण कुछ मेटल टॉक्सिन हमारे फेफड़ों में चले जाते हैं जिससे दिल की गति रुक जाती है और लोग उसे हार्ट अटैक का नाम दे देते हैं। आतिशबाजी और प्रदूषण के समय जो लोग खुली सड़कों पर रेहडी पटरी वाले या अन्य सड़कों पर सोते हैं या अधिक समय बाहर बिताने वालों के लिए प्रदूषण जहर का काम करता है।मौसम के इस बदलाव में बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा कैसे करें सावधानियां
डॉ पी पी त्यागी ने बताया, प्रदूषण के जहर को फेफड़े में जाने से रोकने के लिए हमें मास्क पहनना चाहिए और अगर हो सके तो हमें सुबह और शाम बाहर जाने से बचना चाहिए क्योंकि सुबह और शाम के समय प्रदूषण का लेवल और बढ़ जाता है। इसके अलावा हमें खुद को डिहाइड्रेट रखने के लिए पानी पर्याप्त मात्रा में पीना चाहिए।
डॉक्टर त्यागी ने स्वच्छ हवा खुली सांस के लिए सरकार को भी जिम्मेदार बताया है और कहा है कि सरकार का दायित्व बनता है कि कि वह प्रदूषण की समस्या को कंट्रोल करने के लिए पर्याप्त कदम उठाएं और उन्होंने इस बारे में दिल्ली का उदाहरण देते हुए भी कहा कि दिल्ली आज का सबसे अधिक प्रदूषित शहर है ऐसी जगह तो खास तौर से ऑक्सीजन के चेंबर बनाए जाने चाहिए जहां लोग पहले ऑक्सीजन लेकर तब अपने काम पर जा सके। दूसरी तरफ जैसा की सरकार ने प्लान बनाया था आर्टिफिशियल बारिश के जरिए भी प्रदूषण की समस्या को नियंत्रित करने का प्रयास किया जा सकता है।
प्रदूषण की जहरीली हवा से बचने के लिए क्या करें
प्रदूषित हवा से बचने के लिए घर के दरवाजे खिड़कियां ऐसे मौसम में बंद रखें। प्रदूषण की जहरीली हवा से बचने का सबसे अच्छा उपाय खुद को इस जहरीली हवा से बचाना ही है। बहुत ज्यादा मजबूरी अगर निकालने की आती है तो हम मास्क पहने अगर हो सके तो उसे कुछ देर बाद हल्का सा गीला भी कर ले इससे जहरीली हवा अंदर कम प्रवे कर पाएगी। मौसम में बदलाव और वायु प्रदूषण लोगों की सेहत पर सीधा असर डाल रहा है। इसके चलते खांसी, जुकाम, सांस लेने में परेशानी, गले में दर्द के मरीजों की संख्या में एकाएक बढ़ोतरी हो गई है। जिला एमएमजी अस्पताल में मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसी के साथ बच्चों की संख्या में भी इजाफा देखने को मिला है। वायु प्रदूषण की वजह से बच्चे बीमार पड़ रहे है।एमजी जिला अस्पताल गाजियाबाद में बाल मरीजों की संख्या में इजाफा
गाजियाबाद एमएमजी अस्पताल के डॉक्टर और प्रशासन के मुताबिक मौसम में आए बदलाव और प्रदूषित हवा से अस्पताल में अचानक से मरीज बच्चों की संख्या बढ़ी है। इसमें अधिकांश मरीज जुकाम,खांसी बुखार गले की बीमारियां वायरल आदि के आ रहे हैं और उनकी संख्या ओपीडी में 100 से 150 के बीच तक पहुँच गई है । गाजियाबाद अस्पताल के डॉक्टर मनोज चतुर्वेदी के मुताबिक इतना घबराने की जरूरत नहीं है बच्चों को दवाई देकर और उन्हें सावधानियां बरतने के प्रिस्क्रिप्शन के साथ घर भेज दिया गया है। लेकिन इसके बावजूद इस मौसम में बच्चों के प्रति सावधानी रखने की आवश्यकता है। मीना कौशिकदिल्ली में फर्जी अस्पताल : जिंदगी को मौत बनाने वाले खिलाड़ी
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