Pollution : नोएडा। अभी सर्दी का ढंग से आगाज भी नहीं हुआ है और दिवाली भी पांच दिन दूर है। लेकिन, नोएडा और ग्रेटर नोएडा में प्रदूषण ने खतरे का अलार्म बजा दिया है। मौके की नजाकत को देखते हुए प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसर इससे निबटने की तैयारी में जुट गए हैं। बुधवार को नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक 446 और ग्रेटर नोएडा का 292 दर्ज किया गया है। यह बहुत खराब यानि रेड जोन की श्रेणी में आता है। यह प्रदूषण बुजुर्ग और बच्चों के लिए हानिकारक साबित हो रही है। इससे आखों में जलन और सांस लेने में दिक्कतें आ रही हैं।
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नोएडा के आसमान पर धुंध या कहें स्मॉग की चादर फैली हुई है। इसने पूरे शहर को अपनी आगोश में ले लिया है। आसमान पर धूल के गुबार छाए हुए हैं। प्रदूषण पर नियंत्रण करने के लिए जिला प्रशासन और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इससे निपटने के लिए एक्शन मोड में है। हवा में उड़ती धूल और धुआं शहर की हवा को दूषित करने के साथ-साथ पीएम (पार्टिकुलेट मैटर) 10 की मात्रा बढ़ा रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, प्राधिकरण को धूल की सफाई के दौरान पानी का छिड़काव करने की एडवाइजरी जारी कर चुका है।
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों का कहना है कि अभी ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (ग्रैप) की पाबंदियां लागू नहीं की गई हैं। यह मौसम के आधार पर लागू किया जाता है। अनुमान है कि जल्द ही ग्रैप लागू कर दिया जाए। ग्रैप लागू होने के बाद प्रतिदिन प्रमुख सड़कों पर पानी का छिड़काव, खुले में आग लगाने पर पाबंदी, सड़कों की सफाई का काम प्रतिदिन होगा। साथ ही वायु प्रदूषण के मानकों के उल्लंघन पर कम से कम 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। इसके लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और प्राधिकरण ने टीमें बना ली हैं। निर्माण स्थलों पर स्मॉग गन लगाने की भी तैयारी कर ली गई है।
लगातार बढ़ता प्रदूषण बीमार लोगों के लिए सबसे अधिक परेशानी का सबब बन सकता है। फेफड़े, दिल, और अस्थमा के मरीजों को सबसे अधिक समस्या हो सकती है। उड़ती धूल का प्रदूषण घर के बाहर खेलते बच्चों को भी प्रभावित कर सकता है। नाक में पीएम-10 के कण आसानी से प्रवेश कर फेफड़ों में अंदर तक चले जाते हैं, जिससे फेफड़ों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इससे ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, डिप्रेशन, बेचौनी जैसी परेशानियां बढ़ सकती हैं।