Saturday, 20 April 2024

Shraddha Walkar Murder Case : पूनावाला से नार्को जांच के बाद पूछताछ का सत्र पूरा हुआ

  Shraddha Walkar Murder Case : श्रद्धा वालकर हत्याकांड के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला की ‘‘नार्को’’ जांच पूछताछ का सत्र…

Shraddha Walkar Murder Case : पूनावाला से नार्को जांच के बाद पूछताछ का सत्र पूरा हुआ

 

Shraddha Walkar Murder Case : श्रद्धा वालकर हत्याकांड के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला की ‘‘नार्को’’ जांच पूछताछ का सत्र शुक्रवार को दो घंटे के अंदर पूरा हो गया। फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) की चार सदस्यीय टीम और जांच अधिकारी पूनावाला से ‘‘नार्को’’ जांच के बाद पूछताछ के लिए नयी दिल्ली की तिहाड़ जेल पहुंचे थे।

Shraddha Walkar Murder Case :

सेंट्रल जेल नंबर चार में पूर्वाह्न 10 बजे से पूछताछ शुरू होने और दोपहर तीन बजे तक पूरी होने की उम्मीद थी, लेकिन इसमें देरी हुई। टीम पूर्वाह्न करीब साढ़े 11 बजे जेल पहुंची और करीब 1 घंटे 40 मिनट तक सत्र चला। अधिकारियों ने कहा कि उसे ले जाने से संबंधित जोखिमों को देखते हुए एक अदालत के आदेश के अनुसार यह व्यवस्था की गई थी।

पूनावाला की ‘नार्को’ विश्लेषण जांच करीब दो घंटे तक रोहिणी के अस्पताल में हुई थी, जो सफल रही।एफएसएल के सूत्रों ने इससे पहले बताया कि ‘नार्को’ जांच और पॉलीग्राफी जांच के दौरान आरोपी द्वारा दिए गए जवाब का विश्लेषण किया जाएगा और उसे भी उसके जवाबों की जानकारी दी जाएगी। गौरतबल है कि 28 वर्षीय पूनावाला पर ‘लिव इन रिलेशन’ में रह रही वालकर की हत्या करने, उसके शव के 35 टुकड़े कर उन्हें तीन सप्ताह तक दक्षिणी दिल्ली के महरौली स्थित आवास में 300 लीटर के फ्रिज में रखने एवं शव के हिस्सों को कई दिनों में शहर के विभिन्न हिस्सों में ठिकाने लगाने का आरोप है।

Shraddha Walkar Murder Case :

‘नार्को’ जांच में सोडियम पेंटोथल, स्कोपोलामाइन और सोडियम एमिटल जैसी दवा दी जाती है, जो व्यक्ति को एनेस्थीसिया के असर के विभिन्न चरणों तक लेकर जाती है। सम्मोहन (हिप्नोटिक) चरण में व्यक्ति पूरी तरह से होश हवास में नहीं रहता और उसके ऐसी जानकारियां देने की अधिक संभावना रहती है, जो वह आमतौर पर होश में रहते हुए नहीं बताता है।

जांच एजेंसियां इस जांच का इस्तेमाल तब करती हैं, जब अन्य सबूतों से मामले की साफ तस्वीर नहीं मिल पाती है। दिल्ली पुलिस ने पहले कहा था कि उसने पूनावाला की ‘नार्को’ जांच की मांग की है, क्योंकि पूछताछ के दौरान उसके जवाब ‘‘भ्रामक’’ रहे। उच्चतम न्यायालय का आदेश है कि ‘नार्को’ जांच, ब्रेन मैपिंग और पॉलिग्राफी जांच संबंधित व्यक्ति से मंजूरी लिए बिना नहीं की जा सकती हैं। साथ ही इस जांच के दौरान दिए गए बयान अदालत में प्रारंभिक सबूत के तौर पर स्वीकार्य नहीं हैं। केवल कुछ परिस्थितियों में ही ये स्वीकार्य हैं, जब पीठ को मामले के तथ्य और प्रकृति इसके अनुरूप लगे।

पूनावाला को 12 नवंबर को गिरफ्तार किया गया और पांच दिनों के लिए पुलिस हिरासत में भेजा गया। इस अवधि को 17 नवंबर को और पांच दिन के लिए बढ़़ाया गया। अदालत ने 26 नवंबर को उसे 13 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया।

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