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ड्रोन के माध्यम से फसलों पर किया जा सकता है छिड़काव, तकनीक भी जरूरी

Greater Noida

Greater Noida- ग्रेटर नोएडा के लॉयड इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के इंजीनियरिंग के साथ अन्य विभाग के छात्रों ने ड्रोन के माध्यम से खेतों में दवा के छिड़काव करने का एक मॉडल बनाया है। ड्रोन के माध्यम से होने वाले छिड़काव के दौरान ड्रॉपलेट्स (बूंदे) बहुत महीन तकरीबन मिस्ट (ओस की बूंद) जैसे गिरेगी। लिहाजा पानी में घुलनशील फर्टिलाइजर की तुलना में पानी भी प्रति एकड़ एक चौथाई (25 लीटर) ही लगता है। इस मॉडल को उत्तर प्रदेश कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा किसानों की आय में अभिवृद्धि हेतु अभिनव प्रौद्योगिकियों” के विषय पर संस्थान के निदेशक डॉ राजीव अग्रवाल और मनीष सरस्वत हिस्सा लेंगे। जिसमें वे कृषि में ड्रोन के उपयोग के विषय के बारे में जानकारी देंगे। 16 नवंबर को होने वाले कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और विशिष्ट अतिथि के रूप में कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही भी मौजूद रहेंगे।

लॉयड इंस्टिट्यूट ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के निदेशक डॉ राजीव अग्रवाल ने कहा कि संस्थान कई विभागों के छात्र-छात्राओं को मिलाकर ड्रोन से निगरानी के साथ ही एक फसल में इसकी मदद के लिए योगदान के लिए एक प्रयास किया है। 21वीं सदी तकनीकी सदी है और बिना तकनीकी की सहायता लिए हम किसी भी क्षेत्र में आर्थिक उन्नति नहीं कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि संस्थान के छात्रों ने ड्रोन तैयार किया है, जिसमें फसलों में दवा छिडकाव के लिए भी कई चीजों लैस किया है। ड्रोन से फसलों में भी छिड़काव संभव है,जिनमें आकार बड़ा होने के नाते सामान्य तरीके से छिड़काव में दिक्कत आती है। साथ ही इन फसलों में छिड़काव करने वाला भी रसायन के दुष्प्रभाव से अ सुरक्षित होता है। मसलन गन्ना, अरहर आदि।

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उनका कहना है कि ड्रोन से नैनो यूरिया का छिड़काव बुआई के 30-40 दिन बाद जब खेत फसल से पूरी तरह करते हैं। ड्रोन से जो छिड़काव होता है उसके ड्रॉपलेट्स (बूंदे) बहुत महीन तकरीबन मिस्ट (ओस की बूंद) जैसी होती हैं। लिहाजा पानी में घुलनशील फर्टिलाइजर की तुलना में पानी भी प्रति एकड़ एक चौथाई (25 लीटर) ही लगता है। खड़ी फसल पर छिड़काव होने के नाते इसका असर जमीन तक नहीं पहुंचता लिहाजा यूरिया की लिंचिंग (रिसाव) से जल, जमीन को होने वाली क्षति भी नहीं होती। नैनो यूरिया के साथ पानी में घुलनशील कितने तरह के उर्वरक हैं उनको भी फसल की जरूरत के अनुसार मिलाया जा सकता है। उनका कहना है कि इसके लिए परिषद के द्वारा प्रोजेक्ट को चुना गया है। 16 नवंबर को होने वाले कार्यक्रम में प्रदेश सरकार के द्वारा मॉडल को चयनित किया है। साथ ही किसानों की आय कैसे बढ़ाई जाए ,किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त कैसे किया जाए। इसमें ड्रोन जैसे तकनीक का इस्तेमाल कैसे प्रभावी होगा, इसको लेकर चर्चा की जाएगी।

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