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सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, बुलडोजर एक्शन पर नहीं चलेगी मनमानी

Supreme Court

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Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण आदेश में बुलडोजर एक्शन पर सख्त टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि किसी आरोपी या दोषी के घर को मनमाने तरीके से गिराना संविधान और कानून का उल्लंघन है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बिना निष्पक्ष सुनवाई और उचित प्रक्रिया के किसी भी व्यक्ति को दोषी ठहराना और उसका घर ध्वस्त करना अस्वीकार्य है। अदालत ने इसे संविधान और नागरिक अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए अधिकारियों को चेतावनी दी कि वे अपनी शक्ति का दुरुपयोग न करें। अदालत ने अपने फैसले की शुरुआत में कहा, “हर व्यक्ति का सपना होता है कि उसका अपना घर हो, और यह सपना हर किसी के दिल में बसा होता है।”

न्यायिक हस्तक्षेप और निष्पक्ष सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि किसी भी व्यक्ति का घर इसलिए नहीं गिराया जा सकता क्योंकि उस पर अपराध का आरोप है। अदालत ने कहा कि यह केवल संपत्ति नहीं है, बल्कि एक परिवार की सुरक्षा और सामूहिक उम्मीद का प्रतीक है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि बिना निष्पक्ष सुनवाई के किसी को दोषी ठहराना और उसकी संपत्ति ध्वस्त करना संविधान की भावना के खिलाफ है।

नियमों का पालन आवश्यक

अदालत ने दो टूक शब्दों में कहा कि यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी व्यक्ति के घर को केवल तभी ध्वस्त किया जाए, जब वह अवैध रूप से सार्वजनिक स्थान पर हो, जैसे सड़क, रेलवे ट्रैक या जल निकाय पर। इसके अतिरिक्त, केवल उन्हीं संरचनाओं को गिराया जा सकता है, जो स्पष्ट रूप से अवैध हों और जिनका कोई वैकल्पिक समाधान न हो। अदालत ने कहा कि स्थानीय अधिकारियों को यह साबित करना होगा कि कोई अन्य उपाय नहीं है और केवल पूरी संरचना ही ध्वस्त की जा सकती है।

सुनवाई और नोटिस के बिना घर गिराना असंवैधानिक

सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों को आदेश दिया कि अगर कोई घर गिराने का आदेश पारित किया जाता है, तो उस पर अपील करने के लिए पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही, घर के मालिक को रजिस्टर्ड डाक द्वारा नोटिस भेजना और उस नोटिस को घर पर चिपकाना अनिवार्य होगा। अदालत ने कहा कि नोटिस प्राप्त होने के 15 दिन बाद घर के मालिक को अपना पक्ष रखने का अवसर दिया जाना चाहिए।

वैकल्पिक आवास की व्यवस्था जरूरी

अदालत ने विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के मामले में चिंता जताई और कहा कि उन्हें रातोंरात सड़कों पर फेंकना दुखद और अमानवीय है। कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि अगर घर गिराने का आदेश पारित किया जाता है, तो वैकल्पिक आवास की व्यवस्था की जाए और किसी भी तरह की अनहोनी से बचने के लिए सुरक्षा उपाय किए जाएं।

निष्पक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही

कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों को हर मामले में पारदर्शिता बनाए रखनी चाहिए। यदि किसी अवैध संरचना को गिराया जाता है, तो इसकी पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी और इसे सार्वजनिक पोर्टल पर प्रकाशित किया जाएगा। इसके अलावा, यदि कोई अधिकारी अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करता है, तो उस पर अवमानना की कार्रवाई की जाएगी और वह मुआवजे के रूप में जिम्मेदार होगा।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश

अदालत ने स्पष्ट किया कि इन आदेशों का पालन करना अनिवार्य है, और इनका उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसके साथ ही, सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे निष्पक्षता, पारदर्शिता और नागरिक अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित करें। कोर्ट ने यह भी कहा कि कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट को इस प्रक्रिया की निगरानी करनी चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि हर कार्रवाई कानूनी दायरे में हो।

डिजिटल पोर्टल और रिकॉर्डिंग सिस्टम

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि एक डिजिटल पोर्टल तीन महीने के भीतर स्थापित किया जाए, जिस पर सभी नोटिस और कार्रवाई की जानकारी उपलब्ध हो। अधिकारियों को यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी कार्रवाई की पूरी रिकॉर्डिंग की जाए और उसे सार्वजनिक किया जाए, ताकि पूरी प्रक्रिया पारदर्शी रहे। Supreme Court

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