EWS certificate : दिल्ली की बीजेपी सरकार ने आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के सर्टिफिकेट जारी करने पर रोक लगाने का फैसला लिया है, जिस पर आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता सौरभ भारद्वाज ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि अगर किसी प्रक्रिया में समस्या है, तो उसे ठीक किया जाना चाहिए, न कि उसे पूरी तरह से बंद कर दिया जाना चाहिए। इस फैसले पर सवाल उठाते हुए उन्होंने बीजेपी की कार्यशैली पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं।
ईडब्लयूएस सर्टिफिकेट (EWS certificate) पर रोक का सरकार का फैसला
ईडब्लयूएस सर्टिफिकेट (EWS certificate) आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को शिक्षा और नौकरी में 10% आरक्षण देने के लिए जारी किया जाता है। दिल्ली सरकार ने इस सर्टिफिकेट को जारी करने पर रोक लगाई है, जिससे उन लोगों को मुश्किल हो रही है, जो इसका इस्तेमाल शिक्षा और चिकित्सा के लिए कर रहे थे। इस फैसले पर आम आदमी पार्टी ने बीजेपी सरकार को निशाने पर लिया है, और कहा है कि यह फैसला गरीबों के अधिकारों का हनन है। EWS certificate :
आम आदमी पार्टी का आरोप
AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में बीजेपी सरकार को ऐसे लोगों के हाथ में दे दिया गया है, जिन्हें प्रशासन और सरकार चलाने का कोई अनुभव नहीं है। उन्होंने बताया कि 10% आरक्षण के लिए ईडब्लयूएस सर्टिफिकेट (EWS certificate) बेहद महत्वपूर्ण है, लेकिन अब इस सर्टिफिकेट के बिना गरीब लोगों को अपने अधिकारों से वंचित कर दिया जा रहा है।
ईडब्लयूएस सर्टिफिकेट (EWS certificate) की प्रक्रिया में सुधार की आवश्यकता
सौरभ भारद्वाज ने इस फैसले पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यदि ईडब्लयूएस सर्टिफिकेट (EWS certificate) जारी करने में कोई खामी पाई गई है, तो उस प्रक्रिया को सुधारा जाना चाहिए, न कि इसे पूरी तरह से बंद कर दिया जाए। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर कुछ SDM और DM ने गलत सर्टिफिकेट जारी किए हैं, तो सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की?
बीजेपी का असली मकसद
सौरभ भारद्वाज ने आरोप लगाया कि बीजेपी का असली मकसद निजी स्कूलों और अस्पतालों को फायदा पहुंचाना है। उनका कहना है कि ईडब्लयूएस सर्टिफिकेट (EWS certificate) को बंद करने से केवल निजी संस्थाओं को लाभ होगा, जबकि गरीबों के अधिकारों की अनदेखी की जा रही है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि अगर अधिकारियों की गलती थी, तो उन पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई?
इस प्रकार, आम आदमी पार्टी ने दिल्ली सरकार के इस फैसले को गरीब विरोधी और असंवेदनशील करार दिया है, और उम्मीद जताई है कि सरकार इस निर्णय को फिर से विचार करेगी।
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