Thursday, 12 June 2025

दिल्ली ने सुनी प्रसिद्ध शायरों की कभी ना भूलने वाली शायरी

Delhi News : दिल्ली के साहित्य प्रेमियों, कविता के कद्रदानों तथा शायरी के शौकीन लोगों के लिए रविवार की दोपहर बहुत…

दिल्ली ने सुनी प्रसिद्ध शायरों की कभी ना भूलने वाली शायरी

Delhi News : दिल्ली के साहित्य प्रेमियों, कविता के कद्रदानों तथा शायरी के शौकीन लोगों के लिए रविवार की दोपहर बहुत खास थी। रविवार की दोपहर में दिल्ली के लोगों ने प्रसिद्ध शायरों के मुख से कभी ना भूलने वाली शायरी को सुना। दिल्ली वालों ने जिस अद्भुत तथा कभी ना भूलने वाली शायरी को सुना उसकी एक झलक आप इस समाचार के आखिरी भाग में पढ़ सकते हैं।

देश की राजधानी दिल्ली में रविवार की दोपहर को एक खास आयोजन हुआ।

दरअसल दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रतिष्ठित राजधानी कॉलेज में हिन्दी अकादमी दिल्ली और उर्दू अकादमी के सहयोग से अंजुमन फ़रोग़ ए उर्दू दिल्ली द्वारा पद्मश्री बेकल उत्साही की जयंती पर भव्य कवि सम्मेलन और मुशायरे का आयोजन किया। इस अवसर पर सभी कवियों / शायरों और वक्ताओं ने बेकल उत्साही जी को याद किया, और अपने संस्मरण साझा किए। बेकल उत्साही साहब की बेटियां डॉ सोफिया और आरिफ़ा उत्साही सहित अनेक परिजन और चाहने वाले उपस्थित रहे। आरिफ़ा उत्साही ने अपने पिताश्री बेकल उत्साही जी की याद में किए गए इस समारोह के आयोजन पर आयोजक संस्थाओं का आभार व्यक्त करते हुए बहुत ही मार्मिक वक्तव्य दिया। वरिष्ठ शायर दीक्षित दनकौरी की अध्यक्षता में, मोईन शादाब के शानदार मंच संचालन में सभी आमंत्रित शायरों और कवियों ने काव्य पाठ करके हॉल में उपस्थित सभी काव्य प्रेमी श्रोताओं को रसिक्त कर दिया। काव्य पाठ करने वालों में अरविंद असर, अलका शरर, जावेद क़मर, शाहिद अंजुम, डॉ.चेतन आनंद, मोइन शादाब, संतोष सिंह, गार्गी कौशिक, शशि पांडेय, मोनिका शर्मा ने और रविन्द्र रफ़ीक ने शानदार काव्यपाठ किया। मुख्य अतिथि के रूप में शशि गर्ग सीए उपस्थित रहे। राजधानी कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर दर्शन पांडेय ने सभी आमंत्रित कवियों, अतिथियों और कार्यक्रम में पधारे सभी आगंतुकों का स्वागत किया। अनिल मीत, हशमत भारद्वाज, डॉ खुर्रम ‘नूर’ साहब, पूनम मल्होत्रा, कार्यक्रम समन्वयक प्रोफेसर जसवीर त्यागी, प्रोफेसर सुमन, प्रोफेसर जितेंद्र कुमार सहित अनेक साहित्य प्रेमी श्रोता और विद्यार्थी उपस्थित थे।

आप भी पढ़ें कभी ना भूलने वाली शायरी

दिल्ली में हुए कवि सम्मेलन तथा मुशायरे में मौजूद कवियों ने अपने काव्यपाठ से  सबको मंत्रमुग्ध कर दिया – यहां हम आपको दिल्ली में हुए इस आयोजन में पढ़ी गई बेहतरीन शायरी से रूबरू करा रहे हैं।

 

बहुत हम याद आएंगे, किसी दिन देख लेना,

चले उस पार जाएंगे, किसी दिन देख लेना।

ज़माना तो पुकारेगा हमें आवाज़ देकर,

पलट कर हम न आएंगे, किसी दिन देख लेना।

-दीक्षित दनकौरी

 

ज़ुबाँ से बोलेगा या फिर नज़र से बोलेगा,

मेरा वजूद तो मेरे हुनर से बोलेगा।

क़लम क़लम है क़लम की ज़ुबाँ नहीं होती,

क़लम का दर्द तुम्हारी ख़बर से बोलेगा।

– चेतन आनंद

 

चुप न रहती तो और क्या करती,

हक नहीं था के फ़ैसला करती।

मेरा मुझमें न कुछ बचा बाकी,

और कितनी बता वफ़ा करती।

– गार्गी कौशिक

 

 ज़माने की हक़ीक़त हमसे पहचानी नहीं जाती,

सयाने हैं बहुत लेकिन ये नादानी नहीं जाती।

जहाँ को देखकर दिल को तो पत्थर कर लिया हमने,

मगर पत्थर से तासीरे-सुलेमानी नहीं जाती।

– मोनिका “मासूम”

 

दर्द ईजाद कर रहा हूँ मैं

हाँ ! तुझे याद कर रहा हूँ मैं

उसका वादा है आज आने का

वक़्त बर्बाद कर रहा हूँ मैं

-संतोष सिंह

 

 मुझको अश्क़ों के समुन्दर से भिगोने लायक़

कोई कांधा तो मिले फूट के रोने लायक़

मुझको हर वक़्त लगी रहती है तेरी चिंता

एक तू ही तो मेरे पास है खोने लायक़

 

-अरविन्द असर

शाख़  से  गिरते   हुए  पत्तों  से  सीखा  हमने,

मुख़्तसर  ज़िंदगी  चुपचाप  बिता   ली  जाए।

अलका ‘शरर’

 

वो शाखे – गुल है तो तलवार करके देखते हैं,

अब उससे इश्क़ का इज़हार करके देखते हैं।

– जावेद क़मर

 

 हमारे आंसुओ की किस कदर तौहीन  की उसने,

किसी के सामने रोकर बहुत पछता रहे हैं हम।

– मोईन शादाब

 

अब इस्लामाबाद में भी महफ़ूज़ नहीं,

अच्छे खासे रामनगर में रहते थे।

-शाहिद अंजुम

 

मेरे प्रेम में वो बांसुरी की तान हो गया

मैं उसकी हो गई वह मेरी जान हो गया

मुझ पे करके खर्च परेशान खूब वो हुआ

बनाकर भिखारी हो पाकिस्तान वो गया

– शशि पाण्डेय

इस अवसर पर कवियों ने श्रोताओं की जमकर वाहवाही बटोरी। Delhi News :

 

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