Delhi News : राजधानी दिल्ली में सोमवार को दो प्रमुख इलाकों अशोक विहार और वजीरपुर में अवैध अतिक्रमण के खिलाफ बड़ी प्रशासनिक कार्रवाई देखने को मिली। भारी पुलिस बल और अर्धसैनिक बल की मौजूदगी में सरकारी जमीन पर बने 200 से अधिक मकानों को ढहाने का अभियान चलाया गया। इस कार्रवाई से प्रभावित स्थानीय लोग जहां बेघर होने की पीड़ा झेल रहे हैं, वहीं प्रशासन इसे कानून-व्यवस्था और सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक कदम बता रहा है।
अशोक विहार में जेलर वाला बाग बना कार्रवाई का केंद्र
उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के अशोक विहार स्थित जेलर वाला बाग क्षेत्र में सोमवार सुबह विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की टीम जेसीबी और अन्य खुदाई मशीनों के साथ पहुंची। करीब 250 पुलिसकर्मियों की तैनाती के बीच यहां अतिक्रमण कर बनाए गए सैकड़ों मकानों को गिराया गया। डीसीपी (उत्तर-पश्चिम) भीष्म सिंह ने बताया, यह पूरी कार्रवाई पूर्व नियोजित है और सुरक्षा व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए की जा रही है।
वजीरपुर में रेलवे जमीन पर अतिक्रमण हटाया गया
इसी तरह उत्तरी दिल्ली के वजीरपुर इलाके में रेलवे लाइन के पास बसे अवैध ढांचों को हटाने का अभियान भी तेजी से चलाया गया। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के मुताबिक, यह कार्रवाई रेलवे संपत्ति को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी थी। मौके पर अर्धसैनिक बल की दो कंपनियां भी तैनात की गई हैं ताकि किसी भी विरोध प्रदर्शन या तनाव की स्थिति से निपटा जा सके।
राजनीतिक प्रतिक्रिया: मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का बयान
इस महीने इस इलाके में यह दूसरी बड़ी ध्वस्तीकरण कार्रवाई है। इससे पहले 2 जून को भी इसी तरह का अभियान चला था। उस समय दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने साफ शब्दों में कहा था, अगर रेलवे लाइन पर अतिक्रमण कर लिया जाए और कोई बड़ा हादसा हो जाए, तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा? प्रशासन का यह कदम सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी है।
कई इलाकों में पहले भी चल चुके हैं ऐसे अभियान
गौरतलब है कि बीते कुछ हफ्तों में दक्षिण-पूर्व दिल्ली के भूमिहीन कैंप और मद्रासी कैंप जैसे इलाकों में भी ऐसे ही बुलडोजर एक्शन देखे गए हैं। प्रशासन की ओर से बार-बार यह दोहराया गया है कि यह कार्रवाई सिर्फ अतिक्रमण हटाने तक सीमित है और इसका उद्देश्य अवैध कब्जे पर रोक लगाना है। हालांकि, इस कार्रवाई ने कई परिवारों को एक झटके में बेघर कर दिया है। कुछ स्थानीय निवासियों ने आरोप लगाया है कि उन्हें पर्याप्त समय और वैकल्पिक व्यवस्था नहीं दी गई। इस बीच, सामाजिक संगठनों ने भी पुनर्वास की मांग तेज कर दी है। Delhi News