CBSE Board :

अगले साल यानि कि वर्ष-2026 से भारत के 10वीं कक्षा के छात्र वर्ष में दो बार बोर्ड की परीक्षा दे सकेंगे। भारत के सबसे प्रसिद्ध शिक्षा बोर्ड के रूप में स्थापित केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) ने यह फैसला कर लिया है। एक साल में बोर्ड की दो परीक्षाएं कराने के फैसले को CBSE का क्रांतिकारी कदम कहा जाना चाहिए। एक साल में दो बार बोर्ड की परीक्षा के विषय में हर कोई यही कहेगा कि यह छात्रों के हित में लिया गया शानदार फैसला है।
स्वागत योग्य फैसला है CBSE बोर्ड का
केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा वर्ष 2026 से दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाएं वर्ष में दो बार कराने संबंधी मसौदा नियमों को मंजूरी देना एक दूरदर्शी व सकारात्मक पहल तो है ही, विद्यार्थियों पर परीक्षा के दबाव को कम करने और उनके सीखने की प्रक्रिया को अधिक लचीला बनाने की दृष्टि से भी स्वागतयोग्य है। वर्तमान में एक ही वार्षिक परीक्षा विद्यार्थियों के पूरे अकादमिक वर्ष के प्रदर्शन का निर्धारण कर देती है, जिससे छात्रों पर अत्यधिक मानसिक तनाव पड़ता है और जिसकी वजह से वे अपनी वास्तविक क्षमता के अनुसार प्रदर्शन नहीं कर पाते। अब दो बोर्ड परीक्षाओं की पद्धति उन्हें दूसरा अवसर देगी, जिससे वे, अगर चाहें तो, अपनी गलतियों को दुरुस्त कर बेहतर परिणाम पा सकेंगे। यह ध्यान देने योग्य है कि दो बोर्ड परीक्षाएं वैकल्पिक हैं, बाध्यकारी नहीं। साथ ही, अगर दूसरे प्रयास में अंकों में सुधार नहीं होता है, तो दोनों में से सर्वश्रेष्ठ अंक ही बरकरार रखे जाएंगे।
रटने की बजाय ज्ञान पर हो सकेगा जोर
मौजूदा परीक्षा प्रणाली में अधिकतर छात्र वर्ष भर क्रमबद्ध ढंग से पढऩे के बजाय अंतिम समय में रटने पर अधिक निर्भर रहते हैं। चूंकि, शिक्षा का मुख्य उद्देश्य केवल परीक्षा में अंक प्राप्त करना ही नहीं, ज्ञान और समझ का विकास करना भी होता है, दो परीक्षाओं का विकल्प उन्हें समय के बेहतर प्रबंधन और तैयारी को संतुलित बनाने में मदद दे सकता है। हालांकि, यह सुनिश्चित किया जाना भी उतना ही जरूरी है कि दो बार बोर्ड परीक्षाएं कराने से शिक्षकों पर मूल्यांकन का जो अतिरिक्त दबाव पड़ेगा और पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए कम समय मिलेगा, उससे शिक्षण की गुणवत्ता पर असर न पड़े। नई शिक्षा प्रणाली दरअसल उन अंतरराष्ट्रीय शिक्षा प्रणालियों की दिशा में एक कदम है, जहां छात्रों को कई अवसर दिए जाते हैं। जाहिर है कि सीबीएसई, जो देश का सबसे बड़ा राष्ट्रीय स्कूल बोर्ड है, के सामने नई प्रणाली के कार्यान्वयन संबंधी मुश्किलें होंगी, क्योंकि उसे अगला शैक्षणिक सत्र शुरू होने से पहले ही दोनों परीक्षाओं को आयोजित करने, पेपरों का मूल्यांकन पूरा करने और नतीजों की घोषणा करने संबंधी प्रशासनिक चुनौतियों का सामना करना होगा। लेकिन इस बदलाव का लाभ यह होगा कि यह छात्रों को परीक्षा के प्रति अधिक आत्मविश्वासी बनाएगा। फिलहाल मसौदा नीति पर हितधारकों से प्रतिक्रियाएं मंगाई गई हैं, जिसके बाद ही इस नीति को अंतिम रूप दिया जाएगा। लेकिन इसमें संदेह नहीं कि शिक्षा के क्षेत्र में अच्छी मंशा के साथ लाया गया यह बहुप्रतीक्षित सुधार सुव्यवस्थित ढंग से लागू होने पर देश के शैक्षिक तंत्र को अधिक समावेशी और प्रगतिशील बनाएगा, लेकिन यह अपने असल उद्देश्य में सफल तभी होगा, जब सरकार, स्कूल और शिक्षक मिलकर काम करें।
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