Saturday, 15 March 2025

मेरे राम : शूर्पनखा की नाक नहीं काटी थी भगवान राम ने

Shurpnakha : भगवान राम, श्रीराम, सियावर राम, दशरथ के पुत्र राम, अयोध्यापति राम, राक्षसों के संहारक राम, हनुमान के सखा…

मेरे राम : शूर्पनखा की नाक नहीं काटी थी भगवान राम ने

Shurpnakha : भगवान राम, श्रीराम, सियावर राम, दशरथ के पुत्र राम, अयोध्यापति राम, राक्षसों के संहारक राम, हनुमान के सखा राम। राम के ना जाने कितने नाम हैं। इसीलिए भगवान श्रीराम की व्याख्या हर कोई अपने-अपने ढंग से करता है। इतना ही नहीं भगवान राम के जीवन पर लिखी गई रामायण के प्रसंगों की व्याख्या भी हर किसी की अलग हो सकती है। इसी कारण हर किसी के अपने राम हो सकते हैं। मेेरे भी अपने राम हैं। मैं पूरे दावे के साथ डंके की चोट पर कहता हूं कि मेरे राम ने रावण की बहन शूर्पनखा की नाक नहीं काटी थी।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

आर.पी. रघुवंशी 

क्या है शूर्पनखा का प्रचलित चरित्र

पहले उसकी बात कर लेते हैं जो रावण की बहन शूर्पनखा का प्रचलित चरित्र है। प्रचलित चरित्र की कहानियों में शूर्पनखा की भगवान श्रीराम ने नाक काट ली थी। कहानियों के मुताबिक ज्यादातर लोग शूर्पनखा को केवल रावण की बहन के तौर पर जानते हैं जिसके अपमान का बदला लेने के लिए रावण ने माता सीता का हरण किया था और जिसके परिणामस्वरूप उसका भगवान् राम के हाथों वध हुआ। लेकिन शूर्पनखा की भूमिका इससे कहीं अधिक है। शूर्पनखा, ऋषि विश्रवा और कैकसी की बेटी थी। सूप जैसी नाख़ून होने के कारण उसका नाम शूर्पणखा पड़ा। उसके अन्य नाम मीनाक्षी, दीक्षा और चंद्रनखा भी हैं। सुन्दर आँखें होने के कारण उसे मीनाक्षी भी कहा जता था। शूर्पनखा आसुरी विद्या में माहिर थी और कोई भी रूप धारण कर सकती थी।

शूर्पनखा का विवाह कालका के बेटे दानवराज विद्युविह्वा के साथ हुआ था। मान्यता यह है कि शूर्पनखा का पति दानवराज विद्युविह्वा विष्णु भक्त था। रावण को जब यह पता चला, तो क्रोध में उसने दानवराज विद्युविह्वा को भी मार डाला। अपने पति की मृत्यु से शूर्पनखा तिलमिला उठी थी। उसने रावण को श्राप दिया था कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश हो जाएगा। रावण ने शूर्पनखा के पति को मारने के बाद अपनी बहन को अपने भाई खर के पास भेज दिया था। खर दंडकारण्य में रहता था। इसी दंडकारण्य में श्रीराम वनवास काट रहे थे। जब शूर्पनखा ने प्रभु राम को देखा, तो उनपर मोहित हो गयी और श्रीराम से विवाह की इच्छा जताई। राम ने खुद को विवाहित बता दिया, तो वो लक्ष्मण के पास गयी। लक्ष्मण ने न केवल उसके प्रस्ताव को ठुकरा दिया बल्कि शूर्पनखा की नाक भी काट दी। उसके बाद ही शूर्पनखा रावण के पास गयी और उन्हें माता सीता की सुन्दरता का बखान कर उनके अपहरण के लिए उकसाया।

 भगवान राम के त्यागने पर माता सीता से मिली थी शूर्पनखा

भगवान राम के द्वारा शूर्पनखा शूर्पनखा की नाक काटने के अलावा एक कहानी यह भी सुनाई जाती है कि जब भगवान श्री राम ने एक धोबी द्वारा माता सीता के चरित्र पर आरोप लगाने के बाद माता सीता को त्याग दिया था और जब माता सीता ऋषि वाल्मिकी के आश्रम में रहने लगी थीं, तो इस दौरान शूर्पणखा को माता सीता के वनवास का पता चला था और वह उनसे मिलने आई थी। शूर्पनखा ने इस मुलाक़ात में माता सीता को भड़काने का प्रयास किया। उसने माता सीता को कहा कि ‘जो अपमान तुम्हारे पति और देवर ने मेरा किया था, तुम्हें उसी की सजा मिल रही है। शूर्पनखा से कुछ कहने के बजाय, सीता मुस्कुराईं और उसे कुछ ताजे जामुन दिए। सीता ने शूर्पणखा से कहा कि ये जामुन मंदोदरी के बगीचे के जामुनों के समान मीठे हैं।

सीता को अपने उपहास से विचलित न होते देख शूर्पणखा असमंजस में पड़ गई थी। इस पर माता सीता ने कहा कि शूर्पनखा को चेताया कि उसके इस प्रतिशोध की आग में रावण पहले ही नष्ट हो चुका है। सीता ने शूर्पणखा से कहा कि उसे बिना शर्त प्यार करना सीखना चाहिए। शूर्पणखा क्रोधित हो गई और अपने अपमान के लिए न्याय की मांग की। इसपर माता सीता ने चेताया कि उसके जिद का पहले ही क्या परिणाम हो चुका है और अब वो यही हरकत फिर से ना करे। सीता ने उसे अतीत को भूलकर आगे बढ़ने की सलाह दी। माता सीता की इस बात से शूर्पणखा को बड़ी आत्म-ग्लानि हुई। रामायण में सूर्पनखा के अंत का उल्लेख नहीं मिलता है लेकिन पौराणिक कथाओं से कुछ जवाब अवश्य मिलते हैं। कहते हैं कि रावण की मौत के बाद शूर्पणखा, विभीषण के साथ लंका में ही रह गई थी। कुछ कहानियों के अनुसार, वह तपस्या करने चली गयी थी। कुछ सालों के बाद शूर्पणखा और उसकी सौतेली बहन कुंबिनी समुद्र के किनारे मृत अवस्था में पाई गई थी।

मेरा दावा है कि मर्यादा पुरूषोत्तम राम ने नहीं काटी थी शूर्पनखा की नाक

मेरे राम को मैं जितना जानता हूं दूसरा कोई नहीं जानता है। इसी जानकारी के आधार पर मैं दावे के साथ कहता हूं कि मेरे राम ने रावण की बहन शूर्पनखा की नाक नहीं काटी थी। दरअसल मानवीय सभ्यता में मानव की नाक को ईज्जत का प्रतीक माना जाता है। जब किसी मानव की सार्वजनिक रूप से बेइज्जती होती है तो यही कहा जाता है कि इसकी तो नाक कट गई। नाक कटने का यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है कि सचमुच किसी हथियार के द्वारा नाक काट ली जाए। किसी मानव यानि स्त्री अथवा पुरूष किसी की भी सार्वजनिक बेइज्जती होने पर उसे नाक काटना कहा जाता है। यही हुआ था रावण की बहन शूर्पनखा के साथ भी। दरअसल वनवास के दौरान भगवान राम जिस दंडकारण्य वन में रह रहे थे। उस क्षेत्र पर शूर्पनखा के भाई खर का आधिपत्य था। अपने भाई के प्रभाव वाले क्षेत्र में भगवान राम के द्वारा शूर्पनखा की घोर बेइज्जती की गई। इसी बेइज्जती को रूपक के रूप में नाक काटने के तौर पर लिखा गया है। रामायण में नाक काटने की घटना दरअसल उपमा के रूप में वर्णित है। भगवान राम ने किसी हथियार से शूर्पनखा की नाक नहीं काटी थी बल्कि उसके घटिया तथा गलत व्यवहार के कारण उसे बेइज्जत किया था। यही हैं मेरे राम।

उत्तर प्रदेश में बनेगी दो साइंस सिटी, गांवों में खुलेंगे पुस्तकालय

ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें। 

देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुक  पर लाइक करें या  ट्विटर  पर फॉलो करें। 

Related Post