Friday, 14 March 2025

UPSC की परीक्षा पास करके IAS बने युवाओं को भी लपेट रही है जातीयता

अशोक मधुप, वरिष्ठ  पत्रकार UPSC Toppers : हाल ही में संघ लोकसेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट आया।…

UPSC की परीक्षा पास करके IAS बने युवाओं को भी लपेट रही है जातीयता

अशोक मधुप, वरिष्ठ  पत्रकार

UPSC Toppers : हाल ही में संघ लोकसेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा का रिजल्ट आया। भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय विदेश सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और केंद्रीय सेवा समूह ‘ए’ और समूह ‘बी’ में नियुक्ति के लिए कुल 933 उम्मीदवारों की अनुशंसा की गई है। अनुशंसित 933 उम्मीदवारों में से 345 सामान्य, 99 ईडब्ल्यूएस, 263 ओबीसी के हैं। 154 एससी, 72 एसटी के हैं। 178 उम्मीदवारों को वेटिंग लिस्ट में रखा गया है। परीक्षा में इशिता किशोर ने एयर एक रैंक हासिल की है। उसके बाद गरिमा लोहिया, उमा हरथी एन और स्मृति मिश्रा रहीं। इस बार खास बात यह है कि लड़कियों ने परीक्षा में दबदबा कायम किया है।

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रिजल्ट आते के साथ ही जाति और धर्म के लंबरदारों ने विजयी होने पर अपनी जाति और धर्म के युवाओं को  खोजकर उन्हें बधाई देना शुरू  कर दिया। कोई विजयी को ब्राह्मण बता रहा है कोई जाट। कोई चयनित को ठाकुर बताकर बधाई दे रहा है तो कोई  सैनी बताकर। प्रदेश के और जनपद के चयनित युवाओं को भी बधाई  दी जा रही है। कोई गांव के लोगों को अपने गांव का बताकर बधाई दे रहा है, तो कोई जिले का बताकर। कहीं अपनी जाति वे विजयी आईएएस को समाज की ओर से सम्मानित करने की बात की जा रही है तो कहीं गांव और जनपद की ओर से। कोई ब्राह्मण समाज की और से बिरादरी के चयनित को सम्मानित  करने की बात कर रहा है तो कोई जाट युवाओं का जाट बिरादरी की ओर से सम्मानित करने के दावे कर रहा है। इन चयनित युवाओं में सब अपनी−अपनी बिरादरी के युवा खोजने में लगे हैं।

देश के विकास की गाथा लिखने निकले इन युवाओं को जाति और धर्म में बांटा जा रहा है। यह इन लोगों का जाने− अनजाने किया जा रहा बहुत गलत कार्य  है। ये समाज को जाति, वर्ग और धर्म में बांटने के षड़यंत्र का एक भाग है। इससे बचने और दूर रहने की जरूरत है।

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संघ लोकसेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा के चयनित युवा देश के विकास की गाथा लिखने के लिए आए हैं। सिविल सेवा में वे सभी मेरिट से चुने गए। इनका कार्य देशवासियों  को  समान रूप से सामाजिक योजनाओं का लाभ दिलाना, बिना भेदभाव के लिए न्याय करना है। नागरिकों के लिए न्याय कर समान रूप से सामाजिक सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी भी इन्हीं पर आती है। गरीबों को आगे लाकर उन्हें विकास की धारा में शामिल कराने का दायित्व भी इनका ही बनता है। कोई कितना भी सम्मानित कर ले, बधाई दे ले, ये पद पर आकर वहीं करेंगे जो इन्हें आदेश होंगे। जो कानून कहेगा, जो सराकर की गाईड लाइन बताएगी। ऐसे में इन्हें जाति, वर्ग और धर्म में बांटना गलत है।

ऐसा ही पिछले कुछ समय से देश के शहीद और क्रांतिकारियों के साथ हो रहा है। महात्मा गांधी को बनिया, लाल बहादुर शास्त्री को कायस्थ, कांतिकारी चंद्रशेखर आजाद को ब्राह्मण बताया जा रहा है तो महाराणा  प्रताप को राजपूत। महापुरूष समाज के होते हैं, जाति और धर्म के नहीं। इन्हें जातियों और धर्म में बांटना  समाज के विखंडन की प्रक्रिया का हिस्सा है। ऐसे में इसे रोकिए, समाज का जोड़ने आगे बढ़ाने के लिए आगे आईए। बांटने के लिए नहीं। UPSC

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