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Gautam Buddha University: जीबीयू में चल रहा है गोलमाल

Gautambudh University

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Greater Noida: ग्रेटर नोएडा । गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय (जीबीयू) (GBU) में बड़े पदों पर अवैध ढंग से नियुक्ति का सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है। आरोप है कि कुल सचिव (रजिस्ट्रार) जैसे महत्वपूर्ण पद पर अवैध ढंग से नियुक्त हुआ एक अधिकारी सवा साल से विश्वविद्यालय का संचालन कर रहा है। इस आश्य का एक पत्र जन कल्याण समिति के अध्यक्ष आर.पी. सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखा है। यहां यह तथ्य विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि प्रदेश का मुख्यमंत्री ही गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय का कुलाधिपति (चांसलर) होता है। पत्र में बेहद गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस पत्र में कहा गया है कि दिसंबर-2020 से गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय में रजिस्ट्रार के पद पर एक ऐसा व्यक्ति तैनात है जिसकी नियुक्ति पूरी तरह से अवैध है। मजेदार बात यह है कि रजिस्ट्रार की पात्रता तय करने के लिए बनाई गई समिति ने पात्रता के जो नियम बनाए थे वे सारे नियम अवैध ढंग से तैनात होने वाले सब रजिस्ट्रार ने स्वयं ही बनाए थे।

पत्र में साफ-साफ लिखा गया है कि वर्तमान में कुलसचिव (रजिस्ट्रार) के पद पर तैनात विश्वास त्रिपाठी को तत्कालीन कुलपति प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा का खुला आशीर्वाद प्राप्त था। उस आशीर्वाद के बदले श्री त्रिपाठी द्वारा श्री शर्मा को अनेक ढंगों से उपकृत करने के तमाम किस्से विश्वविद्यालय में प्रचलित हैं। पत्र में कहा गया है कि कुलसचिव की पात्रता तय करने के लिए विश्वविद्यालय की एक समिति का गठन 17 सितंबर 2020 को हुआ था। इस समिति के सदस्य के तौर पर विश्वास त्रिपाठी (रजिस्ट्रार) ने स्वयं ही सारे नियम बनाए थे।
पत्र में खुलासा किया गया है कि रजिस्ट्रार के पद पर नियुक्ति के लिए 15 अक्टूबर 2020 को विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। मजेदार बात यह है कि प्रबंधन बोर्ड से विज्ञापन प्रकाशन व रजिस्ट्रार की पात्रता का अनुमोदन 2 नवंबर 2020 को यानि विज्ञापन छपने के 17 दिन बाद हुआ था। पत्र में रजिस्ट्रार के लिए आने वाले आवेदनों की स्कू्रटनी के लिए गठित समिति के अवैध ढंग से गठन/सवा वर्ष से रजिस्ट्रार के पद पर तैनात विश्वास त्रिपाठी की इस पद के लिए पात्रता आदि के मुददे को भी विस्तार से बताया गया है।

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पत्र में कहा गया है कि रजिस्ट्रार के पद के लिए कम से कम 15 वर्षों तक असिस्टेंट प्रोफेसर अथवा 8 वर्षों तक एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर अनुभव होना लाजमी है। जबकि श्री त्रिपाठी इन दोनों ही मानकों पर ही खरे नहीं उतरते हैं। श्री त्रिपाठी तो अपने कुछ आकाओं की कृपा से इसी विश्वविद्यालय में संविदा (कांट्रेक्ट) पर तैनात रहे थे। यानि खुल्लम-खुल्ला कायदे कानूनों की धज्जियां उड़ाकर अपने एक चहेते को रजिस्ट्रार जैसे पद पर आसीन कराने की पूरी कहानी का जिक्र इस पत्र में किया गया है।

पत्र में इस पूरे प्रकरण की त्वरित जांच कराकर सख्त से सख्त कार्यवाही करने की मांग की गयी है। पत्र में कहा गया है कि गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय प्रदेश के सबसे शानदार विश्वविद्यालय के रूप में स्थापित हुआ था किन्तु यहां फैले भ्रष्टाचार एवं भाई-भतीजावाद के कारण यह विश्वविद्यालय एक विशालकाय खंडहर के रूप में परिवर्तित होता जा रहा है।

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