जानिए कब है इस साल का सबसे लंबा और लाल चंद्र ग्रहण

11 1578655880
lunar eclipse
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 08:18 PM
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मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद

साल 2021 में कुल 4 ग्रहण हैं, जिनमें से 2 सूर्य ग्रहण हैं और 2 चंद्र ग्रहण हैं। इनमें से 1 सूर्य ग्रहण और 1 चंद्र ग्रहण (lunar eclipse) लग चुका है। साल का आखिरी ग्रहण (lunar eclipse) जो कि सूर्य ग्रहण है, वो 4 दिसंबर 2021 को लगेगा।

दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण (lunar eclipse) 19 नवंबर 2021 को लगेगा। इस ग्रहण को भारत समेत अमेरिका, उत्तरी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और पूर्वी एशिया के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा। चंद्र ग्रहण का समय, भारतीय समयानुसार 19 नवंबर को चंद्रग्रहण सुबह 11 बजकर 34 मिनट में लगेगा और शाम को 5 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का योग बन रहा हैै। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व होता है।

ग्रहण का समय भारत में यह ग्रहण केवल पूर्वी क्षेत्र, असम व अरुणाचल में ही बहुत कम समय दिखाई देगा। शेष भारत में जब यह ग्रहण दिखाई ही नहीं देगा तो सूतक भी नहीं होगा, अतः इस दिन सामान्य दिनचर्या में ही रहें। यह सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण- 3 घंटे 28 मिनट व 23 सेकेंड रहेगा और चांद सुर्ख लाल दिखाई देगा।

ग्रहण आरंभ- 12ः48 ग्रहण मध्य- 14ः33 ग्रहण समाप्तः16ः17

देश दुनिया पर क्या होगा असर? लोक भविष्य की बात करें तो जहां भी यह ग्रहण दिखाई देगा, वहां के समुद्र में ज्वार भाटा, सुनामी, अधिक वर्षा, बर्फबारी से नुकसान हो सकता है। ज्योतिष के अनुसार इन भागों में भूकंप आने, ज्वालामुखी फटने, अन्य कई प्राकृतिक आपदाएं आने की आशंका रहेगी। भारत के पूर्वी सीमावर्ती राज्यों में, शत्रु देशों के आक्रमण या घुसपैठ होने से शांति भंग हो सकती है। हिमालय के साथ लगते राज्यों में भूकंप जैसी आपदा से इंकार नहीं किया जा सकता, अतः पहले ही सावधान रहना होगा।

यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। ये ग्रहण भारत समेत अमेरिका, उत्तरी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत महासागर के कुछ क्षेत्रों में दिखाई देगा। पंचांग के अनुसार ये चंद्र ग्रहण कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा है। धार्मिक दृष्टि से चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व माना जाता है। चंद्र ग्रहण को ज्योतिष शास्त्र में एक प्रमुख घटना के तौर पर देखा जाता है। मान्यता है कि जब भी ग्रहण की स्थिति का निर्माण होता है तो इसका देश-दुनिया पर तो प्रभाव पड़ता है ही साथ ही साथ सभी राशियों पर भी इसका असर देखा जाता है। चंद्र ग्रहण को ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ घटना के रूप में नहीं देखा जाता है। मान्यताओं अनुसार ग्रहण के दौरान किसी भी तरह के शुभ काम नहीं किये जाते। ग्रहण के समय चंद्रमा पीड़ित हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन और माता का कारक माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार पाप ग्रह राहु और केतु जब चंद्रमा पर हमला करते हैं तब चंद्र ग्रहण की स्थिति का निर्माण होता है।

चंद्र ग्रहण को लेकर क्या कहता है विज्ञान विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण की स्थिति तब बनती है जब पूर्णिमा की तिथि को सूर्य और चंद्रमा की मध्य पृथ्वी आ जाती है। इसके चलते उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ने लगती है, जिससे चंद्रमा का छाया वाले भाग पर अंधेरा छा जाता है। इस स्थिति में जब चांद को देखते हैं तो वह भाग काला दिखाई पड़ता है। इस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहते हैं।

चंद्र ग्रहण में ध्यान रखने योग्य बातें मान्यता है कि ग्रहण के दौरान यात्रा आदि करने से बचना चाहिए, विवाद और कलह से दूर रहना चाहिए, इसके साथ ही गर्भवती महिला और बच्चों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। धार्मिक दृष्टि से चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यताओं अनुसार ग्रहण के दौरान किसी भी तरह के शुभ काम नहीं किये जाते।

चंद्र राशि के अनुसार 19 नवंबर 2021 का ग्रहण वृषभ राशि और कृतिका नक्षत्र में लगेगा। वृषभ राशि के स्वामी ग्रह शुक्र है जबकि कृतिका नक्षत्र सूर्य देव का है। इसलिए इस ग्रहण का सबसे अधिक प्रभाव सूर्य ग्रह और शुक्र ग्रह से संबंधित लोगों पर ही पड़ेगा। ग्रहण के दौरान सूर्य देव वृश्चिक राशि में रहेंगे और शुक्र धनु राशि में रहेंगे। ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। क्योंकि ज्योतिष अनुसार उसी ग्रहण का सूतक काल मान्य होता है जो चंद्र ग्रहण खुली आंखों से दृष्टिगोचर हो सके। उपच्छाया चंद्र ग्रहण सामान्य तौर पर नहीं देखे जा सकते इसलिए इनका सूतक नहीं माना जाता।

जब भी कोई खगोलीय घटना होती है तो वह किसी के लिए अशुभ तो किसी के लिए शुभ साबित होती है। साल का आखिरी चंद्र ग्रहण तुला राशि, कुंभ राशि और मीन राशि वालों के लिए शुभ साबित होगा। इन राशि के लोगों को कार्यों में सफलता हासिल होगी। करियर में तरक्की मिलने के संकेत है। इस दौरान नए अवसर प्राप्त होंगे। यदि नौकरी बदलना चाहते हैं तो अच्छे ऑफर प्राप्त हो सकते हैं। व्यापार करने वाले लोगों को भी लाभ मिलेगा।

ये ग्रहण वृषभ राशि में लगने जा रहा है तो स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा सिंह, वृश्चिक और मेष राशि वालों को भी स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहना होगा। इन राशि के लोगों को आर्थिक हानि होने की भी आशंका है। इस अवधि में धन का निवेश न करें।

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जानिए कब है इस साल का सबसे लंबा और लाल चंद्र ग्रहण

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मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद

साल 2021 में कुल 4 ग्रहण हैं, जिनमें से 2 सूर्य ग्रहण हैं और 2 चंद्र ग्रहण हैं। इनमें से 1 सूर्य ग्रहण और 1 चंद्र ग्रहण (lunar eclipse) लग चुका है। साल का आखिरी ग्रहण (lunar eclipse) जो कि सूर्य ग्रहण है, वो 4 दिसंबर 2021 को लगेगा।

दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण (lunar eclipse) 19 नवंबर 2021 को लगेगा। इस ग्रहण को भारत समेत अमेरिका, उत्तरी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और पूर्वी एशिया के कुछ हिस्सों में देखा जा सकेगा। चंद्र ग्रहण का समय, भारतीय समयानुसार 19 नवंबर को चंद्रग्रहण सुबह 11 बजकर 34 मिनट में लगेगा और शाम को 5 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। इस बार कार्तिक पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का योग बन रहा हैै। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व होता है।

ग्रहण का समय भारत में यह ग्रहण केवल पूर्वी क्षेत्र, असम व अरुणाचल में ही बहुत कम समय दिखाई देगा। शेष भारत में जब यह ग्रहण दिखाई ही नहीं देगा तो सूतक भी नहीं होगा, अतः इस दिन सामान्य दिनचर्या में ही रहें। यह सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण- 3 घंटे 28 मिनट व 23 सेकेंड रहेगा और चांद सुर्ख लाल दिखाई देगा।

ग्रहण आरंभ- 12ः48 ग्रहण मध्य- 14ः33 ग्रहण समाप्तः16ः17

देश दुनिया पर क्या होगा असर? लोक भविष्य की बात करें तो जहां भी यह ग्रहण दिखाई देगा, वहां के समुद्र में ज्वार भाटा, सुनामी, अधिक वर्षा, बर्फबारी से नुकसान हो सकता है। ज्योतिष के अनुसार इन भागों में भूकंप आने, ज्वालामुखी फटने, अन्य कई प्राकृतिक आपदाएं आने की आशंका रहेगी। भारत के पूर्वी सीमावर्ती राज्यों में, शत्रु देशों के आक्रमण या घुसपैठ होने से शांति भंग हो सकती है। हिमालय के साथ लगते राज्यों में भूकंप जैसी आपदा से इंकार नहीं किया जा सकता, अतः पहले ही सावधान रहना होगा।

यह उपच्छाया चंद्र ग्रहण होगा। ये ग्रहण भारत समेत अमेरिका, उत्तरी यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, पूर्वी एशिया और प्रशांत महासागर के कुछ क्षेत्रों में दिखाई देगा। पंचांग के अनुसार ये चंद्र ग्रहण कार्तिक शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा है। धार्मिक दृष्टि से चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व माना जाता है। चंद्र ग्रहण को ज्योतिष शास्त्र में एक प्रमुख घटना के तौर पर देखा जाता है। मान्यता है कि जब भी ग्रहण की स्थिति का निर्माण होता है तो इसका देश-दुनिया पर तो प्रभाव पड़ता है ही साथ ही साथ सभी राशियों पर भी इसका असर देखा जाता है। चंद्र ग्रहण को ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुभ घटना के रूप में नहीं देखा जाता है। मान्यताओं अनुसार ग्रहण के दौरान किसी भी तरह के शुभ काम नहीं किये जाते। ग्रहण के समय चंद्रमा पीड़ित हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र में चंद्रमा को मन और माता का कारक माना गया है। पौराणिक कथाओं के अनुसार पाप ग्रह राहु और केतु जब चंद्रमा पर हमला करते हैं तब चंद्र ग्रहण की स्थिति का निर्माण होता है।

चंद्र ग्रहण को लेकर क्या कहता है विज्ञान विज्ञान के अनुसार चंद्र ग्रहण की स्थिति तब बनती है जब पूर्णिमा की तिथि को सूर्य और चंद्रमा की मध्य पृथ्वी आ जाती है। इसके चलते उसकी छाया चंद्रमा पर पड़ने लगती है, जिससे चंद्रमा का छाया वाले भाग पर अंधेरा छा जाता है। इस स्थिति में जब चांद को देखते हैं तो वह भाग काला दिखाई पड़ता है। इस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहते हैं।

चंद्र ग्रहण में ध्यान रखने योग्य बातें मान्यता है कि ग्रहण के दौरान यात्रा आदि करने से बचना चाहिए, विवाद और कलह से दूर रहना चाहिए, इसके साथ ही गर्भवती महिला और बच्चों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। धार्मिक दृष्टि से चंद्र ग्रहण का विशेष महत्व माना जाता है। मान्यताओं अनुसार ग्रहण के दौरान किसी भी तरह के शुभ काम नहीं किये जाते।

चंद्र राशि के अनुसार 19 नवंबर 2021 का ग्रहण वृषभ राशि और कृतिका नक्षत्र में लगेगा। वृषभ राशि के स्वामी ग्रह शुक्र है जबकि कृतिका नक्षत्र सूर्य देव का है। इसलिए इस ग्रहण का सबसे अधिक प्रभाव सूर्य ग्रह और शुक्र ग्रह से संबंधित लोगों पर ही पड़ेगा। ग्रहण के दौरान सूर्य देव वृश्चिक राशि में रहेंगे और शुक्र धनु राशि में रहेंगे। ये उपच्छाया चंद्र ग्रहण होने के कारण इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। क्योंकि ज्योतिष अनुसार उसी ग्रहण का सूतक काल मान्य होता है जो चंद्र ग्रहण खुली आंखों से दृष्टिगोचर हो सके। उपच्छाया चंद्र ग्रहण सामान्य तौर पर नहीं देखे जा सकते इसलिए इनका सूतक नहीं माना जाता।

जब भी कोई खगोलीय घटना होती है तो वह किसी के लिए अशुभ तो किसी के लिए शुभ साबित होती है। साल का आखिरी चंद्र ग्रहण तुला राशि, कुंभ राशि और मीन राशि वालों के लिए शुभ साबित होगा। इन राशि के लोगों को कार्यों में सफलता हासिल होगी। करियर में तरक्की मिलने के संकेत है। इस दौरान नए अवसर प्राप्त होंगे। यदि नौकरी बदलना चाहते हैं तो अच्छे ऑफर प्राप्त हो सकते हैं। व्यापार करने वाले लोगों को भी लाभ मिलेगा।

ये ग्रहण वृषभ राशि में लगने जा रहा है तो स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। इसके अलावा सिंह, वृश्चिक और मेष राशि वालों को भी स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहना होगा। इन राशि के लोगों को आर्थिक हानि होने की भी आशंका है। इस अवधि में धन का निवेश न करें।

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कब है तुलसी विवाह और देव प्रबोधनी एकादशी जानिए शुभ मुहूर्त

Tulsi vivah 2021 e1700715704150
Tulsi Vivah
locationभारत
userचेतना मंच
calendar12 Nov 2021 06:51 AM
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तुलसी विवाह (Tulsi vivah 2021) पर्व कार्तिक मास शुक्लपक्ष एकादशी को मनाया जाता है। इस बार देव प्रबोधिनी एकादशी 15 नवंबर 2021 को मनाई जाएगी। इसे देव प्रबोधिनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी भी कहा जाता है। हिंदू धर्म में मान्‍यता है कि हर साल इस दिन माता तुलसी जी और भगवान विष्‍णु के शीलाग्राम अवतार के साथ विवाह होता है।

मान्‍यता है कि कार्तिक मास के दौरान पूजा-पाठ करने का विशेष फल मिलता है और यही वजह है कि धर्म कर्म के काम के लिए इस माह का विशेष महत्व है। देवउठनी एकादशी के दिन माता तुलसी के साथ भगवान विष्‍णु के शीलाग्राम अवतार का विवाह होता है।

तुलसी विवाह शुभ मुहूर्त 2021 इस साल तुलसी विवाह की तिथि 15 नवंबर 2021 यानी कि सोमवार को है। द्वादशी तिथि आरंभ 15 नवंबर 2021 यानी सोमवार सुबह 06 बजकर 39 मिनट से शुरू होगा, जबकि द्वादशी तिथि 16 नवंबर 2021 मंगलवार सुबह 08 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी। इस बीच शुभ समय/लग्न कर सकते हैं। एकादशी तिथि समापन 15 नवंबर को सुबह 06 बजकर 39 मिनट पर होगा और द्वादशी आरंभ होगी। इस बीच शुभ समय/लग्न देख कर विवाह संपन्न कर सकते हैं।

शुरु हो जाएंगे मांगलिक कार्य हिंदू धर्म में कार्तिक का महीना विशेष महत्व का है। इस महीने में अगर पूजा पाठ किया जाए तो इसका फल आसानी से मिलता है और जीवन में सुख शांति आती है। इसी महीने शुक्‍ल पक्ष को देवउठनी एकादशी भी है। मान्‍यता है कि चतुर्मास के आरंभ होने पर भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और दुनिया का कार्यभार भगवान शिव के कंधे पर होता है। जबकि भगवान विष्‍णु कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी के दिन चार माह के आराम के बाद जागते हैं। यही वजह है कि इस दिन को देवउठनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन से सभी शुभ और मांगलिक कार्य प्रारंभ किए जाते हैं।

पं. रामपाल भट्ट, भीलवाड़ा