Rani Laxmi Bai Jyanti: राष्ट्र के लिए लक्ष्मीबाई के महत्वपूर्ण योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता: मोदी

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PM Modi (File Photo)
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calendar01 Dec 2025 03:37 PM
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Rani Laxmi Bai: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंग्रेजों की सेना के खिलाफ भीषण लड़ाई लड़ने वाली झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को शनिवार को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि उनके साहस एवं राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता।

Rani Laxmi Bai Jyanti Today

मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘रानी लक्ष्मीबाई को उनकी जयंती पर याद कर रहा हूं। हमारे देश के लिए उनके साहस और महत्वपूर्ण योगदान को कभी नहीं भुलाया जा सकता। वह औपनिवेशिक शासन के अपने दृढ़ विरोध के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।’’ मोदी ने लक्ष्मीबाई की जयंती मनाने के लिए पिछले साल इसी दिन किए झांसी के अपने दौरे की तस्वीरें भी साझा कीं। लक्ष्मीबाई औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारत के 1857 स्वतंत्रता संग्राम की एक महत्वपूर्ण शख्सियत हैं जिन्होंने झांसी पर कब्जा करने का प्रयास कर रही ब्रिटिश सेना से बहादुरी से लड़ते हुए अपने प्राण का बलिदान कर दिया था।

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Rani Laxmi Bai- आज रानी लक्ष्मीबाई की 187वीं जयंती, जाने इस वीरांगना के बारे में

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History of Today
locationभारत
userचेतना मंच
calendar19 Nov 2022 01:22 PM
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Rani Laxmi Bai- भारत के बच्चे बच्चे का बचपन यही कविता गाते हुए बीतता है, 'खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी।' आज उसी झांसी वाली रानी का जन्मदिन है। वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई आज ही के दिन 1835 में जन्मी थीं। रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर 1835 में बनारस के भदैनी में हुआ था। रानी लक्ष्मीबाई जैसा साहस और हिम्मत सच में दोबारा किसी में देखने को नहीं मिला। अंग्रेजी सेना से संग्राम में उनका जो अहम योगदान रहा है वो हमेशा अमर रहेगा। रानी लक्ष्मीबाई बचपन से ही प्रतिभाशाली थीं। लक्ष्मीबाई की माता का नाम भागीरथी बाई था। वो महज 4 साल की थीं जब उनकी माता का देहांत हो गया था। उनके पिता मोरोपंत तांबे बिठूर जिले के जो पेशवा थे उनके यहां पर काम किया करते थे। बचपन में रानी लक्ष्मीबाई को मनुबाई के नाम से जाना जाता था। उन्हें मणिकर्णिका के नाम से भी जाना जाता था और इसीलिए प्यार से लक्ष्मीबाई को 'मनु' (Rani Laxmi Bai childhood name was Manu) कहकर बुलाया जाता था। बहुत छोटी उम्र में ही लक्ष्मीबाई ने शस्त्रों को हाथ में उठा लिया था। तलवारबाजी एवं घुड़सवारी में रानी लक्ष्मीबाई का मुकाबला कोई नहीं कर सकता था। रानी लक्ष्मीबाई 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम की वीरांगना थीं एवं झांसी राज्य की रानी थीं। रानी लक्ष्मीबाई ने जब अंग्रेजों की सेना से संग्राम किया था तब उनकी उम्र महज 23 साल थी। वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई ने रणभूमि में वीरगति भले ही प्राप्त की लेकिन अंग्रेजों को अपने राज्य पर कब्जा नहीं करने दिया। ऐसा बताया जाता है कि रानी लक्ष्मीबाई (Rani Laxmi Bai) रणक्षेत्र में सिर पर तलवार के वार होने से शहीद हुई थीं। लेकिन उनके जैसी साहसी वीरांगना न कभी हुई थी और न कभी होगी। उनका नाम अमर है।
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Indira Gandhi- भारत की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री बनी गूंगी गुड़िया से Iron Lady

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calendar29 Nov 2025 06:09 PM
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Birthday Special- भारत की राजनीति में इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) का नाम अमर है। इन्हें राजनीति में सबसे ऊपर याद किया जाता है। इनका व्यक्तित्व एवं इनका कृतत्व हमेशा चर्चा में रहा और आगे भी रहेगा। इंदिरा गांधी भारत की पहली और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रहीं हैं। देश की प्रधानमंत्री रहते हुए उन्होंने बहुत सारे अहम निर्णय लिए और देश की राजनीति में उन्होंने अहम योगदान दिया। इंदिरा गांधी को मोरारजी देसाई 'गूंगी गुड़िया' कहकर संबोधित करते थे, मगर ये गूंगी गुड़िया 'Iron lady' के तौर पर सामने आई और देश को नई ऊंचाइयां प्रदान की। इंदिरा गांधी का जन्म आज ही के दिन 1917 में हुआ था। 19 नवंबर 1917 में जवाहरलाल नेहरू और कमला नेहरू के घर में आज ही के दिन इंदिरा गांधी ने जन्म लिया था। घर में लक्ष्मी के आने से इंदिरा के दादा ने अपनी पोती का नाम इंदिरा गांधी रखा था। इसके बाद इंदिरा के सलोने रूप को देखते हुए उनके पिता ने उनके नाम में प्रियदर्शिनी (Indira Gandhi name was Priyadarshini also) भी जोड़ दिया था। इंदिरा गांधी के हौसले इतने मजबूत थे कि उन्होंने देश की बागडोर अपने हाथों में ली और देश की प्रधानमंत्री बनीं। यही नहीं इंदिरा एक बार नहीं बल्कि तीन बार देश की प्रधानमंत्री रहीं। प्रधानमंत्री रहते हुए जहां एक ओर इंदिरा ने देश को काफी आगे पहुंचाया तो वहीं दूसरी ओर उनके कई फैसले ऐसे भी रहे हैं जिनकी वजह से उनका काफी विरोध हुआ और उन्हें सियासत में अपनी सत्ता भी गंवानी पड़ी। इंदिरा गांधी सरकार में ही देश में आपातकाल लगाया गया था, ये आपातकाल आज भी उन कारणों में गिना जाता है जिसकी वजह से इंदिरा की सत्ता डगमगा गई थी। हालांकि आपातकाल का नतीजा चाहे जो रहा हो लेकिन इंदिरा का साहस कभी कमज़ोर नहीं पड़ा। उनके साहस की वजह से हर कोई उनका सम्मान करता था और उनके साहस को सलाम करता था। इंदिरा गांधी (Indira Gandhi as prime minister of India) 1966 से लेकर 1977 तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। इसके बाद उनकी हत्या होने तक 1984 तक भी वो भारत की कमान अपने हाथों में लिए हुई थीं। उनकी शख्शियत ऐसी प्रभावशाली थी कि उन्हें जाना ही टफ डिसीजन के लिए जाता था। यही कारण है कि उन्हें 'Iron lady' के नाम से भी जाना जाता है। यही नहीं इंदिरा गांधी पूर्वी पाकिस्तान की आज़ादी के लिए पाकिस्तान से भी भिड़ गईं थीं। इस युद्ध में भारत विजयी रहा था और इसका नतीजा यह हुआ था कि बांग्लादेश एक अलग स्वतंत्र देश बन गया। इंदिरा के साहस के एक से बढ़कर एक किस्से हैं। हर देश को ऐसी ही Iron lady की ज़रूरत है।
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