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calendar26 Sep 2025 11:10 AM
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आज का युग सूचना का युग है। एक ऐसा समय जिसे हम सूचना क्रांति भी कह सकते हैं। इस दौर में हर नागरिक विश्व भर की खबरों से तुरंत अपडेट रहना चाहता है। पहले लोग बड़े समाचार पत्रों जैसे वाशिंगटन पोस्ट पर निर्भर रहते थे, लेकिन अब ऐसा करने की जरूरत नहीं रही। चेतना मंच के जरिए आप एक ही स्थान पर सभी ग्लोबल समाचार पढ़ सकते हैं—वो भी शुद्ध हिंदी में और वास्तविक समय में। यहां आपको विश्व की हर बड़ी घटना, राजनीतिक हलचल, आर्थिक रुझान और सामाजिक अपडेट लगातार मिलते रहेंगे। चेतना मंच आपके लिए ग्लोबल समाचारों को लगातार अपडेट करता है, ताकि आप हमेशा जानकारी में सबसे आगे रहें।    International News

1. भारत ने आतंकवाद के दोहरे मानदंडों पर किया जोरदार प्रहार

भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गुरुवार को जी-20 देशों की विदेश मंत्रियों की बैठक में आतंकवाद के प्रति दोहरे मानदंड अपनाने वाले राष्ट्रों की आलोचना की। हालांकि, उन्होंने किसी देश का नाम सीधे तौर पर नहीं लिया। यह बैठक संयुक्त राष्ट्र महासभा के 80वें सत्र के अवसर पर दक्षिण अफ्रीका द्वारा आयोजित की गई थी।  International News

आतंकवाद को विकास की राह में सबसे बड़ा खतरा बताया

जयशंकर ने कहा, "राजनीतिक और आर्थिक रूप से अस्थिर अंतरराष्ट्रीय माहौल में जी-20 देशों की जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है कि वे वैश्विक स्थिरता को मजबूत करें और सकारात्मक दिशा दें।" उन्होंने स्पष्ट किया कि आतंकवाद न केवल वैश्विक सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह विकास को भी बाधित करता है।

विदेश मंत्री ने कहा कि जो देश आतंकवादियों के खिलाफ निर्णायक कदम उठाते हैं, वे पूरी अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सेवा करते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया को आतंकवाद के प्रति न तो सहिष्णुता दिखानी चाहिए और न ही किसी प्रकार का समर्थन।  International News

ग्लोबल वर्कफोर्स की जरूरत और राष्ट्रीय जनसांख्यिकी

जयशंकर ने ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के एक कार्यक्रम में भी भाषण दिया। उन्होंने कहा कि बदलती वैश्विक परिस्थितियों में ग्लोबल वर्कफोर्स की मांग बढ़ रही है। कई देशों में राष्ट्रीय जनसांख्यिकी के कारण यह मांग पूरी नहीं हो पाती। विदेश मंत्री ने यह टिप्पणी व्यापार, टैरिफ चुनौतियों और अमेरिका में एच-1बी वीज़ा शुल्क बढ़ने जैसे मसलों के बीच की। उन्होंने कहा कि पिछले तीन-चार वर्षों में दुनिया आपूर्ति श्रृंखला और उत्पादन के स्रोतों को लेकर चिंतित रही है। अब वैश्विक बाजार तक पहुँच की अनिश्चितताओं से बचना भी आवश्यक है।  International News

बाजार अनिश्चितता और वैश्विक रणनीति पर जोर

जयशंकर ने कहा कि वर्तमान समय में देशों को केवल उत्पादन नहीं बल्कि बाजार तक सुरक्षित पहुँच सुनिश्चित करने पर भी ध्यान देना होगा। वैश्विक सहयोग और स्थिरता ही आतंकवाद और आर्थिक अनिश्चितताओं से निपटने का सबसे मजबूत हथियार है।

2. डेमोक्रेट्स बनाम ट्रंप: शटडाउन पर टकराव तय

अमेरिकी सरकार के संभावित शटडाउन के बीच डेमोक्रेटिक पार्टी ने अपने रुख को और सख्त करने का निर्णय किया है। संकेत मिल रहे हैं कि इस बार डेमोक्रेट्स राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सामने न सिर्फ़ रुकेंगे नहीं, बल्कि दो-दो हाथ करने को भी तैयार हैं। पार्टी पदाधिकारियों का मानना है कि सबसे बड़ा अपराध लड़ाई में हारना नहीं, बल्कि लड़ने से इनकार करना होगा। एनबीसी न्यूज के अनुसार, इंडिविजिबल की सह-कार्यकारी निदेशक लीह ग्रीनबर्ग ने कहा कि डेमोक्रेट्स को अब स्थिति की गंभीरता और संभावित नुकसान का एहसास हो गया है। उनका कहना है कि पार्टी अपने संसाधनों और ताकत का पूरा इस्तेमाल कर जवाबी कार्रवाई के लिए तैयार है। इंडिविजिबल अमेरिका में प्रगतिशील स्तर पर काम करने वाला एक बड़ा समूह है जिसकी हजारों शाखाएं हैं।  International News

शूमर का सख्त रुख: "अब कोई समझौता आसान नहीं"

सीनेट के अल्पसंख्यक नेता चक शूमर ने कहा कि इस बार स्थिति मार्च के मुकाबले पूरी तरह अलग है। ट्रंप प्रशासन की नीतियों के खिलाफ वे फिलिबस्टर के जरिए विरोध करेंगे। माना जा रहा है कि बुधवार आधी रात 12:01 बजे संघीय एजेंसियों का खजाना खाली हो जाएगा। डेमोक्रेटिक समर्थक नेताओं पर दबाव डाल रहे हैं कि वे ट्रंप से अमेरिकी स्वास्थ्य बीमा प्रणाली को बचाने के लिए सब्सिडी बढ़ाने जैसे मुद्दों पर रियायत हासिल करें। कुछ का मानना है कि अगर आवश्यक समझौता नहीं होता तो शटडाउन की स्थिति आने दी जाए।  International News

ट्रंप का कड़ा रुख: बातचीत से इंकार

राष्ट्रपति ट्रंप ने डेमोक्रेटिक नेताओं से सीधे बातचीत करने से इनकार कर दिया है। उनके बजट निदेशक रस वॉट ने धमकी दी है कि अगर डेमोक्रेट्स नवंबर तक रिपब्लिकन प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करते, तो हजारों संघीय कर्मचारियों की नौकरियां प्रभावित होंगी। इस आक्रामक रुख ने डेमोक्रेटिक सांसदों को रणनीतिक संकट में डाल दिया है।

डेमोक्रेटिक नेताओं की चुनौती

शूमर और हाउस माइनॉरिटी लीडर हकीम जेफ्रीज के लिए शटडाउन गतिरोध को सुलझाना कठिन दिख रहा है। वे सीमित शक्ति के बावजूद रिपब्लिकन को कुछ नीतिगत लक्ष्यों पर पीछे हटने के लिए मजबूर कर सकते हैं, लेकिन यह संभवता कम ही दिखता है। डेमोक्रेटिक मतदाता चाहते हैं कि पार्टी ट्रंप के प्रति अधिक टकरावपूर्ण और कम समझौतावादी रवैया अपनाए। जेफ्रीज ने कहा कि अमेरिकी स्वास्थ्य सेवा की सुरक्षा से संबंधित कोई भी समझौता ठोस और कानून के दायरे में होना चाहिए।  International News

आर्थिक और कानूनी जटिलताएं

विशेषज्ञ मानते हैं कि डेमोक्रेट्स इसलिए समझौता करने से कतराते हैं क्योंकि राष्ट्रपति के पास कांग्रेस के फैसले को दरकिनार करने और अपने पसंदीदा कार्यक्रमों पर खर्च रोकने का अधिकार है। यह दृष्टिकोण 1974 के इंपाउंडमेंट कंट्रोल एक्ट के विपरीत है और सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है। डेमोक्रेट-कनेक्टिकट सीनेटर क्रिस मर्फी ने पार्टी से आह्वान किया है कि ट्रंप के खिलाफ रणनीति में बदलाव लाया जाए।

रणनीतिक दृष्टिकोण: जनता चाहती है कड़ा रुख

डेमोक्रेटिक रणनीतिकार रेबेका किर्स्ज़नर काट्ज ने कहा कि आम डेमोक्रेट वाशिंगटन के बजट संघर्ष को लेकर उत्साहित नहीं हैं, लेकिन वे ट्रंप के खिलाफ जवाबी कार्रवाई देखना चाहते हैं। नेब्रास्का की डेमोक्रेटिक पार्टी अध्यक्ष जेन क्लीब ने भी यही विचार साझा किया। विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति 2018-2019 के ट्रंप शटडाउन की याद दिलाती है, जो अमेरिका-मेक्सिको सीमा पर दीवार के लिए फंड की मांग को लेकर हुआ था और इसे अमेरिकी इतिहास का सबसे लंबा शटडाउन माना गया।  International News

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3. अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य घोषणापत्र को ठुकराया

अमेरिका ने गुरुवार को संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रस्तुत पुरानी बीमारियों और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले राजनीतिक घोषणापत्र को अस्वीकार कर दिया। स्वास्थ्य एवं मानव सेवा सचिव रॉबर्ट एफ. कैनेडी जूनियर ने कहा कि प्रशासन इस घोषणापत्र की भाषा और दिशा से असहमत है।

कैनेडी ने कहा, “राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पुरानी बीमारियों की महामारी को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, लेकिन यह घोषणापत्र मूल स्वास्थ्य चुनौतियों को नजरअंदाज करता है और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका से परे जाने का प्रयास करता है।” उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन के बार-बार उल्लेख पर भी सवाल उठाया और कहा कि तब तक संगठन को विश्वसनीयता का दावा करने का कोई हक नहीं है, जब तक इसमें “आमूल-चूल सुधार” नहीं किए जाते।    International News

अमेरिका की प्राथमिकता: देश को फिर से स्वस्थ बनाना

द हिल अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप प्रशासन ने जनवरी में अपने कार्यकाल की शुरुआत में ही विश्व स्वास्थ्य संगठन से अमेरिका को अलग करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। कैनेडी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से “अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों” के खतरे से निपटने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। कैनेडी ने कहा, “हमारा लक्ष्य अमेरिका को फिर से स्वस्थ बनाना है। राष्ट्रपति ट्रंप वैश्विक स्तर पर अति-प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों और इससे जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के खिलाफ प्रयासों का नेतृत्व करना चाहते हैं। हम अकेले इस महामारी से नहीं निपट सकते, लेकिन संयुक्त राष्ट्र का दृष्टिकोण सही दिशा में नहीं है।”

संयुक्त राष्ट्र की गैर-बाध्यकारी घोषणापत्र: सीमित लक्ष्य

संयुक्त राष्ट्र के इस घोषणापत्र में 2030 तक दीर्घकालिक बीमारियों को कम करने के लिए कुछ मामूली लक्ष्य रखे गए हैं। इनमें तंबाकू का सेवन करने वाले 15 करोड़ लोगों की संख्या में कमी, उच्च रक्तचाप नियंत्रित करने वाले लोगों की संख्या में 15 करोड़ की वृद्धि और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल तक 15 करोड़ लोगों की पहुँच शामिल है। कैनेडी ने इसे विवादास्पद बताया और कहा, “यह घोषणापत्र कर नीतियों से लेकर दमनकारी प्रबंधन तक कई विवादास्पद प्रावधानों से भरा है। हम ऐसी भाषा को स्वीकार नहीं कर सकते जो विनाशकारी लैंगिक विचारधारा को बढ़ावा देती हो या गर्भपात के संवैधानिक और अंतरराष्ट्रीय अधिकारों के दावों को मान्यता देती हो।    International News

4. बलोचिस्तान में सुरक्षा बलों पर हमला: खारान और सोराब में बढ़ा तनाव

बलोचिस्तान के खारान शहर के केंद्र में पाकिस्तान सुरक्षा बलों के केंद्रीय शिविर पर गुरुवार को बड़ा हमला हुआ। बलोचिस्तान लिबरेशन फ्रंट (बीएलएफ) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है। फ्रंट के प्रवक्ता मेजर घोरम बलोच ने बताया कि उनके लड़ाकों ने आधुनिक हथियारों और ग्रेनेड लांचरों का इस्तेमाल करते हुए सुरक्षा बलों पर अचानक हमला किया। प्रवक्ता ने दावा किया कि इस हमले में सुरक्षा बलों को भारी नुकसान पहुंचा है।      International News

सोराब में हथियार और वाहन छीने गए

सोराब क्षेत्र में अज्ञात बंदूकधारियों ने संघीय सुरक्षा कर्मचारियों पर हमला कर उन्हें बंधक बनाया और उनके हथियार व सरकारी वाहन छीन लिए। स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, सोराब तारिकी डैम इलाके में हथियारबंद समूह ने इलाके पर कब्जा जमाया और पास के लेवी और कस्टम चेक पोस्टों से हथियार, रसद और अन्य सरकारी उपकरण लूटे। इस घटना की जिम्मेदारी अभी तक किसी ने नहीं ली है।

जुबैर बलोच को सुपुर्द-ए-खाक

पूर्व बलोच छात्र नेता, राजनीतिक कार्यकर्ता और वकील जुबैर बलोच की पाकिस्तान सेना के छापे में मौत हो गई थी। गुरुवार को उनके पैतृक गांव मस्तुंग में जनाजे की नमाज अदा की गई और उन्हें सुपुर्द-ए-खाक किया गया। इस अवसर पर बलोच छात्र संगठन, प्रगतिशील राजनीतिक दलों के नेता, नागरिक समाज के प्रतिनिधि, लेखक और बुद्धिजीवी मौजूद रहे। बलोचिस्तान के राजनीतिक, सामाजिक और मानवाधिकार संगठनों ने जुबैर बलोच की हत्या की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि राज्य बलोचिस्तान में आवाजों को दबाने की कोशिश कर रहा है। बलोचिस्तान बार काउंसिल ने विरोध स्वरूप पांच दिन तक अदालतों का बहिष्कार करने की घोषणा की है। बलोच छात्र संगठन ने अपने पूर्व अध्यक्ष को "शहीद-ए-दागर" का खिताब दिया है।    International News

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इन दिनों हवा में बतियाने लगे हैं Donald Trump! फिर ले लिया बड़ा फैसला

इन दिनों हवा में बतियाने लगे हैं Donald Trump! फिर ले लिया बड़ा फैसला
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calendar30 Nov 2025 12:13 AM
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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति और 2024 के रिपब्लिकन प्रेसीडेंशियल कैंडिडेट डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर से दुनिया को चौंकाते हुए नए टैरिफ बम का ऐलान किया है। उन्होंने फार्मा, फर्नीचर, किचन कैबिनेट और भारी ट्रकों के आयात पर भारी टैक्स लगाने की घोषणा की है। ये टैरिफ 1 अक्टूबर से लागू होंगे और इसका असर न सिर्फ अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा बल्कि दुनियाभर के एक्सपोर्टर्स खासकर भारत, चीन और यूरोपियन देशों पर भी दिखाई देगा। Trump Tariff

फार्मा सेक्टर सबसे बड़ी चपेट में

ट्रंप ने घोषणा की है कि दवाओं के आयात पर 100% तक का टैरिफ लगाया जाएगा। अमेरिका ने 2024 में लगभग 233 अरब डॉलर की दवाएं और औषधीय उत्पाद आयात किए थे। अब इन पर अतिरिक्त शुल्क लगने से हेल्थकेयर खर्च में तेज उछाल आने की आशंका जताई जा रही है। इस कदम से न केवल मेडिकेयर और मेडिकेड जैसी सरकारी योजनाएं प्रभावित होंगी बल्कि आम अमेरिकी नागरिकों के लिए दवाइयां खरीदना और भी महंगा हो सकता है।

फर्नीचर और कैबिनेट पर भी टैक्स का वार

फर्नीचर पर 30% टैरिफ, किचन कैबिनेट और बाथरूम वैनिटी पर 50% टैरिफ। ट्रंप ने आरोप लगाया कि विदेशी कंपनियां अमेरिकी बाजार को सस्ते फर्नीचर से पाट रही हैं जिससे घरेलू उद्योग को नुकसान हो रहा है। लेकिन एक्सपर्ट्स का मानना है कि इससे घर बनाने की लागत और अधिक बढ़ेगी ऐसे वक्त में जब अमेरिका पहले से ही आवास संकट और महंगे ब्याज दरों से जूझ रहा है।

हैवी ट्रकों पर 25% टैक्स

ट्रंप ने भारी ट्रकों और उनके पुर्जों पर 25% का टैरिफ लगाने का फैसला किया है। उनका कहना है कि यह कदम पीटरबिल्ट, केनवर्थ, फ्रेटलाइनर, मैक ट्रक्स जैसी अमेरिकी कंपनियों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए जरूरी है। हालांकि इससे ट्रकिंग इंडस्ट्री में लागत बढ़ने की आशंका है जो पहले ही महंगे फ्यूल और सप्लाई चेन लागत से जूझ रही है।

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महंगाई और जॉब लॉस पहले से ही बढ़े हुए

अमेरिका में महंगाई पहले से ही बढ़ी हुई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में पिछले 12 महीनों में 2.9% की बढ़ोतरी हुई है, जो अप्रैल की 2.3% वार्षिक दर से अधिक है यानी जब ट्रंप ने पहली बार इंपोर्ट टैक्स का बड़ा सेट लागू किया था। लेबर डिपार्टमेंट के अनुसार, अप्रैल से अब तक मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 42,000 नौकरियों की कटौती, कंस्ट्रक्शन सेक्टर में 8,000 जॉब्स कम हुई हैं। इसके बावजूद ट्रंप का दावा है कि अमेरिका में कोई महंगाई नहीं है और हमें अविश्वसनीय सफलता मिल रही है।

डॉमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा या राजनीतिक रणनीति?

ट्रंप का कहना है कि इन टैरिफ का उद्देश्य अमेरिकी कंपनियों को डोमेस्टिक मैन्युफैक्चरिंग के लिए प्रेरित करना है। उनके अनुसार, जो विदेशी कंपनियां अमेरिका में प्लांट लगाएंगी, उन्हें इन टैरिफ से छूट मिलेगी। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह रणनीति अमेरिकी उपभोक्ताओं पर कीमतों का बोझ डाल सकती है और चुनाव से पहले राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल हो रही है। Trump Tariff
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कर्फ्यू के साए में लेह, इंटरनेट पर ब्रेक, 50 गिरफ्तार, जानें ताजा अपडेट

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calendar25 Sep 2025 11:14 AM
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लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची में शामिल किए जाने की मांग को लेकर लंबे समय से चल रहा आंदोलन बुधवार को अचानक हिंसा में तब्दील हो गया। शांतिपूर्ण आंदोलन ने जब उग्र रूप लिया तो हालात बेकाबू हो गए। लेह की सड़कों पर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच भिड़ंत में अब तक चार लोगों की जान चली गई जबकि 80 से अधिक लोग घायल हुए हैं जिनमें 40 सुरक्षाकर्मी भी शामिल हैं। स्थिति बिगड़ती देख प्रशासन ने लेह और करगिल में कर्फ्यू लागू कर दिया है। इंटरनेट की स्पीड को धीमा कर दिया गया है ताकि अफवाहें और भड़काऊ सामग्री फैलने से रोकी जा सके। पुलिस और सीआरपीएफ के जवान शहर की सड़कों पर तैनात हैं और माहौल अभी भी तनावपूर्ण लेकिन नियंत्रण में बताया जा रहा है। Ladakh 

हिंसा कैसे भड़की?

बुधवार दोपहर को प्रदर्शन उग्र हो गया जब भीड़ ने लेह में एक राजनीतिक दल के कार्यालय और सरकारी इमारतों में आग लगा दी। पुलिस वाहनों को फूंक दिया गया और सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी की गई। हालात को संभालने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया और भीड़ को तितर-बितर करने के प्रयास किए। पुलिस ने 50 लोगों को गिरफ्तार किया है और अन्य उपद्रवियों की पहचान की जा रही है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।

प्रशासन ने सोनम वांगचुक को बताया जिम्मेदार

प्रशासन ने इस हिंसा के लिए जाने-माने पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है। गृह मंत्रालय के अनुसार, वांगचुक के भड़काऊ भाषणों ने युवाओं को उकसाया और हिंसा के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अरब स्प्रिंग और नेपाल के आंदोलनों का हवाला देते हुए भीड़ को भड़काया। बताया गया कि जैसे ही हालात हिंसक हुए, वांगचुक ने बिना किसी जिम्मेदारी के अपनी भूख हड़ताल तोड़ दी और एंबुलेंस के जरिए अपने गांव लौट गए।

केंद्र का दावा- हम लद्दाख के हितों के लिए प्रतिबद्ध

गृह मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि लद्दाख के लोगों को संवैधानिक सुरक्षा देने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। अब तक कई बड़े फैसले लिए जा चुके हैं जिनमें  अनुसूचित जनजातियों का आरक्षण 45% से बढ़ाकर 84% करना, महिलाओं को एक-तिहाई आरक्षण देना, भोटी और पुर्गी भाषाओं को आधिकारिक भाषा का दर्जा, 1,800 से अधिक सरकारी पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू शामिल हैं। हालांकि सरकार का कहना है कि कुछ राजनीतिक शक्तियां उच्चाधिकार प्राप्त समिति (HPC) के जरिए चल रही बातचीत को विफल करने की कोशिश कर रही हैं।

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केंद्र पर हमलावर विपक्ष

इस घटना के बाद वामपंथी दलों ने केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला है। CPI(M) और CPI(ML) ने कहा कि जनता की जायज मांगों की अनदेखी और संवैधानिक अधिकारों की कटौती ने हालात को इस मोड़ पर ला खड़ा किया। कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस ने केंद्र से संवेदनशीलता और संवाद के जरिए हल निकालने की मांग की है, जबकि बीजेपी ने हिंसा को पूर्व नियोजित साजिश बताया है। जानकारों का मानना है कि यह 1989 के बाद लद्दाख में सबसे गंभीर हिंसक घटना है। प्रशासन ने दावा किया है कि बुधवार शाम 4 बजे तक हालात पर नियंत्रण पा लिया गया लेकिन क्षेत्र में तनाव अभी भी कायम है। लेह और करगिल में बीएनएसएस की धारा 163 लागू कर दी गई है और संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त बलों की तैनाती की गई है।

लोगों से शांति बनाए रखने की अपील

प्रशासन की ओर से लगातार शांति बनाए रखने की अपील की जा रही है। स्थानीय लोगों से अनुरोध किया गया है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और प्रशासन का सहयोग करें। फिलहाल लेह में कर्फ्यू लागू है, इंटरनेट की गति कम कर दी गई है और स्थिति पर नजर रखने के लिए राज्य और केंद्रीय एजेंसियां अलर्ट पर हैं। Ladakh