Hindi Kavita – स्त्रियाँ

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar14 Sep 2023 12:05 PM
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Hindi Kavita – जीर्ण शीर्ण अट्टालिकाओं की भित्तियों पर अजंता-एलोरा की गुफाओं में उकेरी सुन्दर नक्काशी में नजर आती है स्त्रियों की विभिन्न भाव भंगिमाएँ स्मित बिखेरती मुद्राएँ सतरंगों में लिपटी पेंटिंग्स, सुर्ख रंगों में चमकते नयन अधखुले अधरों से बहता मधुर रस! खुले स्याह केश! मन को वीरान टापू पर लिए जाते हैं लेकिन इन बदरंग भित्तियों के गर्भ में लुप्त भीगी पलकों के कोर पर ठहरी अश्क की बूँदें अदृश्य ही रह जाती है! नयनाभिराम चित्रों के सतरंगी रंगों में छुपा श्र्वेत-श्याम रंग कहाँ नजर आता है! चकाचोंध में जहान की हजारों दर्शक रूपेण चक्षु प्रकाश ही देखना चाहती हैं अंधकार नहीं! सुनो! प्राचीन और आधुनिक स्त्रियों! तुम सिर्फ़ सजावट का सामान हो! विज्ञापनों का आधार हो! सौंदर्य का बाज़ार हो! सुनो स्त्रियों अधरों को सिल लो मजबूत इक धागे से केवल मुस्कुराओ, खिलखिलाओ! क्योंकि तुम्हारी ये उन्मुक्त हँसी सबको सुकून जो देती है...

अनन्या गौड़

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Hindi kahani : संसार की रीत-लघु कथा

Kahani
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locationभारत
userचेतना मंच
calendar13 Sep 2023 12:10 PM
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Hindi kahani : एक बार की बात है। एक शहर में एक बहुत ही मशहूर चित्रकार रहता था। एक दिन उस चित्रकार ने एक बहुत खूबसूरत तस्वीर बनाई और उसे शहर के बीच चौराहे पर लगा दिया और नीचे लिखा कि जिसको जहाँ भी इस तस्वीर में कोई कमी नजर आये तो वो वहाँ निशान लगा दे।

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जब शाम को चित्रकार वापस वहां गया और तस्वीर देखी। वो स्तब्ध रह गया क्योंकि उसकी पूरी तस्वीर निशानों से ख़राब हो चुकी थी।

उसे यह सब देखकर बहुत दुख हुआ।

उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि अब वो क्या करे। वह दुःखी बैठा हुआ था।

तभी चित्रकार का एक दोस्त वहाँ से गुजरा।

उसके दोस्त ने पूछा, दोस्त क्या हुआ, इतना दुखी क्यो बैठे हो।

तब चित्रकार ने सारी घटना दोस्त को बता दी।

तब दोस्त ने कहा, ”एक काम करो कल एक ओर तस्वीर बनाना और उस पर लिखना कि जिसको भी इस तस्वीर मे जहाँ कहीं भी कोई कमी दिखे, उसे सही कर दे।”

अगले दिन चित्रकार ने ऐसा ही किया।

उस शाम को जब उसने अपनी तस्वीर देखी तो उसने देखा कि तस्वीर पर किसी ने कुछ नहीं किया, तस्वीर वैसी की वैसी ही थी।

अब चित्रकार संसार की रीति समझ चुका था। वह जान गया कि “कमी निकालना, निंदा करना, दुसरों की बुराई करना आसान हैं लेकिन उन कमियों को दूर करना अत्यधिक कठिन होता हैं।”

शिक्षा : दोस्तों हमें अपनी एनर्जी को दूसरों की बुराई करने में या उनमे कमियां निकालने में बर्बाद नहीं करना चाहिए। अपनी एनर्जी को रचनात्मक कार्यो में लगाये।

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Hindi Kavita – आए हैं जिस मक़ाम से

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:36 AM
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Hindi Kavita – आए हैं जिस मक़ाम से उसका पता न पूछ दास्तां-सफ़र पूछ मगर रास्ता न पूछ। गर हो सके तो देख ये पाँवों के छाले सहरा कहाँ था और कहाँ ज़लज़ला न पूछ। वहाँसे चले हैं जबसे निरंतर नशे में है ले जाए किस दयार में हमको नशा न पूछ। वाक़िफ़ नहीं है इश्क़ की पेचीदगी से तू है ये शुरू कहाँ से कहाँ पे सिरा न पूछ। मौसम गए सुकून गया ज़िन्दगी गई दीवानगी की आग में क्या-क्या गया न पूछ। किसकी तलाश कैसी हम्द कैसी बन्दगी है धूप में कि छाँव में मेरा ख़ुदा न पूछ। जब वो नज़र के बीच जले है चराग़-सा ख़्वाहिश न कोई पूछ कोई इल्तिजा न पूछ।

इन्दु श्रीवास्तव

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