अर्थराइटिस बीमारी से जुड़े कुछ अफवाहों से रहें सावधान, जानें World Arthritis Day 2023 की थीम

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calendar12 Oct 2023 02:26 PM
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World Arthritis Day 2023- आज वर्ल्ड अर्थराइटिस डे है। प्रतिवर्ष 12 अक्टूबर का दिन विश्व भर में वर्ल्ड अर्थराइटिस डे के रूप में मनाया जाता है। अर्थराइटिस, जिसे सामान्य भाषा में गठिया के नाम से भी जाना जाता है, एक ऐसी बीमारी है जिसमें जोड़ो में सूजन आ जाने की वजह से दर्द बढ़ जाता है। इसका सबसे अधिक प्रभाव घुटने और कूल्हे की हड्डियों में देखने को मिलता है। यह बीमारी मोटापा, गलत खानपान की वजह से हो सकती है। आज की बदलती हुई जीवन शैली में अर्थराइटिस की बीमारी सिर्फ बुजुर्गों तक ही नहीं सीमित रह गई है, बल्कि युवाओं में भी इसका प्रभाव देखने को मिलने लगा है। अर्थराइटिस की बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने, अलग अलग एक्टिविटी के माध्यम से लोगों को इस बीमारी के बारे में जानकारी देने, और इसके उपचार के बारे में लोगो को अवगत कराने के लिए प्रतिवर्ष 12 अक्टूबर के दिन वर्ल्ड अर्थराइटिस डे (World Arthritis Day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 1996 में अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा की गई थी।

World Arthritis Day 2023 Theme: वर्ल्ड अर्थराइटिस डे 2023 की थीम

प्रतिवर्ष वर्ल्ड अर्थराइटिस डे मनाने के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है इस साल के लिए जो थीम निर्धारित की गई है वो है -" Living With an RMD at All Stages of Life" जिसका शाब्दिक अर्थ है "जीवन के सभी चरणों में RMD के साथ रहना।"

अर्थराइटिस से जुड़े मिथक -

हर बीमारी की तरह अर्थराइटिस के संदर्भ में भी कई ऐसे मिथक हैं जो पूरी तरह से सच नहीं हैं। आज वर्ल्ड अर्थराइटिस डे (World Arthritis Day) के मौके पर इन मिथकों के बारे में जानना अत्यंत आवश्यक है। 1. यह बुढ़ापे की बीमारी है - अर्थराइटिस को लेकर सबसे बड़ा मिथक यह है कि यह बीमारी बुढ़ापे में होती है। आज के बदले हुए परवेश, भाग दौड़ भरी जिंदगी और गलत खान पान की वजह से ये बीमारी अब युवाओं में भी नजर आने लगी है। खासतौर पर 30 साल की उम्र के बाद इसका खतरा बढ़ने लगता है। 2. जोड़ो में हुआ दर्द तो समझो अर्थराइटिस - जोड़ों में होने वाला हर दर्द अर्थराइटिस से जुड़ा हुआ है यह सच नहीं है। इसके कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। अतः डॉक्टर की सलाह के उपरांत ही कोई उपचार करे। 3. अर्थराइटिस के मरीजों को नहीं करनी चाहिए एक्सरसाइज - सामान्यतः डॉक्टर गठिया के मरीजों को न करने की सलाह देते हैं। परंतु डॉक्टर की देखरेख में आर्थराइटिस के मरीज भी कुछ सामान्य से व्यायाम कर सकते हैं। 4. एक बार अर्थराइटिस हो जाने पर ये ताउम्र चलती है -  अर्थराइटिस को लेकर एक अफवाह यह भी है कि एक बार यह बीमारी लग जाने पर यह कभी खत्म नहीं हो जाती जबकि यह सच नहीं है। ऐसी दवाई उपलब्ध है, जो इस बीमारी के लक्षणों को काफी हद तक कम कर देती है। इसके साथ ही अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर भी अर्थराइटिस को कम किया जा सकता है।

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आतंकी लतीफ की हत्या : पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड शाहिद लतीफ मारा गया, पाकिस्तान में गोली मारकर हत्या

Shahid Latif
आतंकी लतीफ की हत्या
locationभारत
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calendar12 Oct 2023 01:58 AM
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आतंकी लतीफ की हत्या : कहते हैं बुराई का अंजाम बुरा होता है, इसलिए बुराई से बचना चाहिए। लेकिन कुछ लोग अपनी हरकतों से बाज नहीं आते। वो लगातार लोगों का बुरा करने में लगे में लगे रहते हैं, लेकिन अंत में इन्हें इसका अंजाम भुगतना ही पड़ता है। ऐसा ही कुछ हुआ है, पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड और मोस्ट वांटेड आतंकी शाहिद लतीफ के साथ भी। उसकी पाकिस्तान में गोली मारकर हत्या कर दी गई है।

आतंकी लतीफ की हत्या : मोस्ट वांटेड आतंकी को गोली मारकर दी गई मौत 

पठानकोट हमले के मास्टरमाइंड शाहिद लतीफ को अज्ञात हमलावरों ने गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया है। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के सियालकोट शहर की एक मस्जिद में उसकी हत्या की गई। मोस्ट वांटेड आतंकी लतीफ की हत्या आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद के लिए एक बहुत बड़ा झटका है, क्योंकि आतंकियों की तैनाती से लेकर हमले की प्लानिंग तक में लतीफ की अहम भूमिका रहती थी।

पठानकोट हमले का मास्टरमाइंड था शाहिद लतीफ

भारत में 2016 में पठानकोट के एयरबेस पर एक आतंकी हमला हुआ था। यह हमला पाक के आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद ने किया था। इस हमले में भारतीय सेना के 7 जवान शहीद हो गए थे। इस हमले में फायरिंग के दौरान चार हमलावर आतंकी भी मारे गए थे। आतंकी लतीफ की हत्या बाद में एनआईए जांच में इस बात का भी खुलासा हुआ था कि पठानकोट आतंकी हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी और इस हमले का मास्टरमाइंड शाहिद लतीफ ही था। आतंकवादी समूह जैश-ए-मोहम्मद ने इस हमले को अंजाम देने के लिए चार फिदायीनों को ट्रेन किया था।

पाकिस्तान में मौलवी बनकर रह रहा था शाहिद लतीफ

शाहिद लतीफ पाकिस्तान के गुजरांवाला के अमीनाबाद कस्बे का रहने वाला था। लतीफ इस समय सियालकोट की नूत मस्जिद में मौलवी के रूप में काम कर रहा था। लतीफ को जैश के लॉन्चिंग कमांडर के तौर पर जाना जाता है।

आतंकी लतीफ की हत्या

लतीफ के जम्मू-कश्मीर के कई आतंकियों से कनेक्शन थे। शाहिद लतीफ को 1994 में आतंकी आरोप में भारत में गिरफ्तार किया गया था। लतीफ भारतीय जेल में करीब 16 सालों तक बंद रहा था। भारत में सजा पूरी होने के बाद 2010 में उसे पाकिस्तान भेज दिया गया था।

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इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे: 'बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ' मुहिम से नहीं चलेगा काम, सबको आना होगा आगे

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calendar11 Oct 2023 03:42 PM
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International Girls Child Day- प्रति वर्ष पूरे विश्व में 11 अक्टूबर के दिन को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे) के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे का उद्देश्य यह है कि समाज में लड़कियों को लड़कों के समान अधिकार दिलाना, व दुनिया को यह एहसास दिलाना है कि लड़कियां किसी भी मामले में लड़कों से कम नहीं है। साल 2012 में पहली बार 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girls Child Day) मनाया गया इस साल इस दिन को मनाने के लिए जो थीम रखी गई थी वह थी ‘बाल विवाह की समाप्ति’। साल 2012 के बाद से प्रतिवर्ष 11 अक्टूबर को यह दिन पूरे विश्व में धूमधाम से मनाया जाता है।

इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे का इतिहास

इसकी सबसे पहले शुरुआत एक गैर सरकारी संगठन के द्वारा की गई थी। इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुरुआत ‘Plan international’ प्रोजेक्ट के तौर पर की गई थी। दरअसल इस गैर सरकारी संगठन ने एक अभियान की शुरुआत की थी। इस अभियान का नाम ‘क्योंकि मैं लड़की हूँ’ था। फिर इस अभियान को इंटरनेशनल स्तर पर पहुंचाने के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया गया। इसके बाद 55वें आम सभा में कनाडा सरकार द्वारा इस प्रस्ताव को रखा गया था। फिर 2011 में संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रस्ताव को पारित किया और उसके बाद हर साल 11 अक्टूबर को इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड के तौर पर मनाया जाने लगा।

इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे का महत्व -

सतत विकास के लक्ष्यों में एक लक्ष्य लैंगिक समानता और महिला सशक्तिकरण का भी है। इसी दृष्टि से सतत विकास के लक्ष्यों को 2030 तक पूरा करने के लिए इंटरनेशनल गर्ल चाइल्ड डे एक परफेक्ट स्टेप है। इसके तहत महिलाओं से जुड़े मुद्दों के बारे में जानने का प्रयत्न किया जाता है और उन्हें सशक्त बनाने की कोशिश की जाती है।

International Girls Child Day 2023 Theme: अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस 2023 की थीम :

प्रतिवर्ष अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है। साल 2023 के लिए जो थीम निर्धारित की गई है वो है - " Our Time is Now- Our Rights, Our Future",  जिसका अर्थ है- 'अब हमारा समय है. हमारा अधिकार ही हमारा भविष्य है'.

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मुहिम से नहीं चलेगा काम, पूरे समाज को होना होगा बेटियो को लेकर जागरूक

आज के विशेष दिन को पूरे विश्व भर में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस (International Girls Child Day) के रूप में बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। आज पूरे देश में महिला उत्थान के लिए सरकारी संस्थान, निजी सस्थान , जन समुदाय , सामाजिक कार्यकर्ता बढ़ चढ़कर योगदान कर रहे हैं, जो कि सभी के लिए सुखद अनुभव है। सरकार के द्वारा कई ऐसे मुहिम चलाए जा रहे हैं जिनमें बेटियों को आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ सरकार द्वारा चलाई गई यह मुहिम कहीं ना कहीं कारगर साबित हुई है। समाज आज बेटियों को लेकर जागरूक हो रहा है। लेकिन फिर भी आज भी हमारे समाज और देश में महिलाओं की स्थिति में बहुत सुधार की आवश्यकता है। यह किसी एक व्यक्ति के सोचने की बात भी है बल्कि हर किसी को जागरूक होने की आवश्यकता है। आज भी अशिक्षा की वजह से जन्म से पहले ही बच्चियों को मार दिया जाता है। बलात्कार जैसी निंदनीय कार्य की घटना प्रत्येक दिन हो रही हैं। जिसके लिए कोई कठोर कानून नही बनाया गया है। समाज में फैली बुराइयों और कुरीतियों की वजह से उनसे शिक्षा का अधिकार छीन लिया जा रहा है। दहेज प्रथा को खत्म करने के लिए कई कानून बनाए गए हैं लेकिन आज भी कई लड़कियां दहेज की आग में जल रही है। शायद यही वजह है कि आज भी हम यह नहीं कह सकते कि समाज में लड़कियों की स्थिति बहुत अच्छी है। इसमें कहीं ना कहीं सुधार लाने की आवश्यकता है और यह सुधार सिर्फ सरकार द्वारा नहीं लाया जा सकता है बल्कि प्रत्येक व्यक्ति को इसमें योगदान देने की आवश्यकता है। महिलाओं को भी घर से बाहर निकल कर देश की तरक्की में योगदान का हक समाज को देना होगा। महिलाओं में पुरुषों से कम प्रतिभा नहीं है, उनको भी अपनी प्रतिभा और कौशल दिखाने का पूरा अवसर देना होगा । केवल सरकार की ही जिम्मेदारी नहीं है कि वो महिला उत्थान के लिए कार्य करे, ये पूरे समाज, समूचे देश की जिम्मेदारी है की बेटियों को अपना कौशल दिखाने का अवसर दे और उनकी एवं देश की तरक्की में सहयोग करें। आखिर में हम सिर्फ इतना ही कहना चाहेंगे कि सिर्फ 'अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस ' मना लेना अथवा 'राष्ट्रीय बालिका दिवस' मना लेना ही इन समस्याओं का हल नहीं है। इन समस्याओं से निपटने के लिए कहीं ना कहीं पूरे समाज को जागरूक होने की आवश्यकता है।

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