अर्थराइटिस बीमारी से जुड़े कुछ अफवाहों से रहें सावधान, जानें World Arthritis Day 2023 की थीम

World Arthritis Day 2023 Theme: वर्ल्ड अर्थराइटिस डे 2023 की थीम
प्रतिवर्ष वर्ल्ड अर्थराइटिस डे मनाने के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है इस साल के लिए जो थीम निर्धारित की गई है वो है -" Living With an RMD at All Stages of Life" जिसका शाब्दिक अर्थ है "जीवन के सभी चरणों में RMD के साथ रहना।"अर्थराइटिस से जुड़े मिथक -
हर बीमारी की तरह अर्थराइटिस के संदर्भ में भी कई ऐसे मिथक हैं जो पूरी तरह से सच नहीं हैं। आज वर्ल्ड अर्थराइटिस डे (World Arthritis Day) के मौके पर इन मिथकों के बारे में जानना अत्यंत आवश्यक है। 1. यह बुढ़ापे की बीमारी है - अर्थराइटिस को लेकर सबसे बड़ा मिथक यह है कि यह बीमारी बुढ़ापे में होती है। आज के बदले हुए परवेश, भाग दौड़ भरी जिंदगी और गलत खान पान की वजह से ये बीमारी अब युवाओं में भी नजर आने लगी है। खासतौर पर 30 साल की उम्र के बाद इसका खतरा बढ़ने लगता है। 2. जोड़ो में हुआ दर्द तो समझो अर्थराइटिस - जोड़ों में होने वाला हर दर्द अर्थराइटिस से जुड़ा हुआ है यह सच नहीं है। इसके कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। अतः डॉक्टर की सलाह के उपरांत ही कोई उपचार करे। 3. अर्थराइटिस के मरीजों को नहीं करनी चाहिए एक्सरसाइज - सामान्यतः डॉक्टर गठिया के मरीजों को न करने की सलाह देते हैं। परंतु डॉक्टर की देखरेख में आर्थराइटिस के मरीज भी कुछ सामान्य से व्यायाम कर सकते हैं। 4. एक बार अर्थराइटिस हो जाने पर ये ताउम्र चलती है - अर्थराइटिस को लेकर एक अफवाह यह भी है कि एक बार यह बीमारी लग जाने पर यह कभी खत्म नहीं हो जाती जबकि यह सच नहीं है। ऐसी दवाई उपलब्ध है, जो इस बीमारी के लक्षणों को काफी हद तक कम कर देती है। इसके साथ ही अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर भी अर्थराइटिस को कम किया जा सकता है।International sign language day 2023: अंतराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस 2023 की थीम है ये , जानें इस दिन का इतिहास
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World Arthritis Day 2023 Theme: वर्ल्ड अर्थराइटिस डे 2023 की थीम
प्रतिवर्ष वर्ल्ड अर्थराइटिस डे मनाने के लिए एक थीम निर्धारित की जाती है इस साल के लिए जो थीम निर्धारित की गई है वो है -" Living With an RMD at All Stages of Life" जिसका शाब्दिक अर्थ है "जीवन के सभी चरणों में RMD के साथ रहना।"अर्थराइटिस से जुड़े मिथक -
हर बीमारी की तरह अर्थराइटिस के संदर्भ में भी कई ऐसे मिथक हैं जो पूरी तरह से सच नहीं हैं। आज वर्ल्ड अर्थराइटिस डे (World Arthritis Day) के मौके पर इन मिथकों के बारे में जानना अत्यंत आवश्यक है। 1. यह बुढ़ापे की बीमारी है - अर्थराइटिस को लेकर सबसे बड़ा मिथक यह है कि यह बीमारी बुढ़ापे में होती है। आज के बदले हुए परवेश, भाग दौड़ भरी जिंदगी और गलत खान पान की वजह से ये बीमारी अब युवाओं में भी नजर आने लगी है। खासतौर पर 30 साल की उम्र के बाद इसका खतरा बढ़ने लगता है। 2. जोड़ो में हुआ दर्द तो समझो अर्थराइटिस - जोड़ों में होने वाला हर दर्द अर्थराइटिस से जुड़ा हुआ है यह सच नहीं है। इसके कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। अतः डॉक्टर की सलाह के उपरांत ही कोई उपचार करे। 3. अर्थराइटिस के मरीजों को नहीं करनी चाहिए एक्सरसाइज - सामान्यतः डॉक्टर गठिया के मरीजों को न करने की सलाह देते हैं। परंतु डॉक्टर की देखरेख में आर्थराइटिस के मरीज भी कुछ सामान्य से व्यायाम कर सकते हैं। 4. एक बार अर्थराइटिस हो जाने पर ये ताउम्र चलती है - अर्थराइटिस को लेकर एक अफवाह यह भी है कि एक बार यह बीमारी लग जाने पर यह कभी खत्म नहीं हो जाती जबकि यह सच नहीं है। ऐसी दवाई उपलब्ध है, जो इस बीमारी के लक्षणों को काफी हद तक कम कर देती है। इसके साथ ही अपनी जीवनशैली में कुछ बदलाव लाकर भी अर्थराइटिस को कम किया जा सकता है।International sign language day 2023: अंतराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस 2023 की थीम है ये , जानें इस दिन का इतिहास
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