National Civil Services Day- ब्रिटिश शासन में हुई शुरुआत, आज है देश की सबसे बड़ी परीक्षा

लंदन में आयोजित किया गया पहला सिविल सर्विसेज एग्जाम-
जब अंग्रेजों का भारत पर कब्जा था, आज से करीब 170- 75 साल पहले, तब जितने भी ऊंचे पद होते थे उन पर तो सिर्फ गोरों का राज़ होता था। भारतीयों को ऐसे में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। इसीलिए भारतीयों ने इसका विरोध करना शुरू किया दिया। इसके बाद अंग्रेजों ने भारतीयों को सिविल सर्विसेज एग्जाम देने की अनुमति दे दी, मगर अंग्रेज थे बड़े चालाक। उन्होंने अनुमति भले ही दे दी थी लेकिन भारतीयों को एग्जाम में शामिल होने से रोकने के लिए उन्होंने पेपर को इंग्लिश में तैयार किया। ऐसे में भारतीय इस एग्जाम को क्रैक करने में सफल हो ही नहीं पा रहे थे। उस समय इस एग्जाम का आयोजन लंदन में किया गया था। इसके बाद अगले 50 सालों तक भारतीयों ने विरोध जारी रखा और मांग रखी कि इस एग्जाम का आयोजन भारत में किया जाए। उनकी ये मांग 1922 में जाकर पूरी हुई। 1922 में पहली बार भारत में सिविल सर्विसेज एग्जाम का आयोजन किया गया था और भारत के इलाहाबाद शहर में इस एग्जाम को आयोजित किया गया। इसके बाद 1935 में संघीय लोक सेवा आयोग को गठित किया गया, जिसे आज संघ लोक सेवा आयोग के नाम से जाना जाता है। इसके गठन के बाद इस एग्जाम को दिल्ली में आयोजित किया जाने लगा।सिविल सर्विसेज एग्जाम के अंग्रेज हैं जनक-
भारत में इसकी शुरुआत अंग्रेजों के द्वारा ही की गई थी। लार्ड कॉर्नवालिस को ही भारत में सिविल सर्विसेज एग्जाम का जनक माना जाता है। कॉर्नवालिस एक ब्रिटिश सैनिक और राजनेता थे। इन्होंने 1786 में भारत के गवर्नर जनरल के रूप में कार्यभार संभाला था। 1947 के बाद से इसे इंडियन सिविल सर्विसेज के नाम से जाना जाने लगा, इसके पहले इसे इम्पीरियल सिविल सर्विस (ICS) के नाम से जाना जाता था। भारत के पहले सिविल सर्विसेज ऑफिसर रवींद्रनाथ टैगोर के भाई, सत्येंद्रनाथ टैगोर थे।पहले की गाइडलाइंस थीं काफी अलग-
आज की गाइडलाइंस और उस समय की एग्जाम की गाइडलाइंस में काफी अंतर है। उस समय अभ्यर्थी का भारत में 7 साल पहले से रहना अनिवार्य था। साथ ही अभ्यर्थी को जिस जिले में काम करना होता था, उसे उस जिले की भाषा में एग्जाम देना होता था। अगर बात करें आयु की तो इस एग्जाम में बैठने के लिए अभ्यर्थी की आयु 18 से 23 वर्ष के बीच होनी जरूरी थी। इसमें एक एग्जाम घुड़सवारी का भी होता था, जिसे अनिवार्य रूप से हर एक अभ्यर्थी को देना होता था। सिविल सर्विसेज एग्जाम को देने के लिए अभ्यर्थियों को लंदन जाना होता था।National Civil Services Day :सिविल सर्विसेज डे के लिए 21 अप्रैल के दिन ही क्यों चुना गया-
जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि देशभर में 21 अप्रैल को सिविल सर्विसेज डे (National Civil Services Day) मनाया जाता है। इसके लिए 21 अप्रैल का ही दिन इसलिए चुना गया था क्योंकि वर्ष 1947 में दिल्ली के मेटकाफ हाउस में एक कार्यक्रम के दौरान सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इसी दिन सिविल सर्विसेज ऑफिसर्स को सम्बोधित किया था। बस इसीलिए हर साल 21 अप्रैल का दिन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।World Liver Day 2023: जानें वर्ल्ड लीवर डे के लिए इस वर्ष की थीम
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लंदन में आयोजित किया गया पहला सिविल सर्विसेज एग्जाम-
जब अंग्रेजों का भारत पर कब्जा था, आज से करीब 170- 75 साल पहले, तब जितने भी ऊंचे पद होते थे उन पर तो सिर्फ गोरों का राज़ होता था। भारतीयों को ऐसे में बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था। इसीलिए भारतीयों ने इसका विरोध करना शुरू किया दिया। इसके बाद अंग्रेजों ने भारतीयों को सिविल सर्विसेज एग्जाम देने की अनुमति दे दी, मगर अंग्रेज थे बड़े चालाक। उन्होंने अनुमति भले ही दे दी थी लेकिन भारतीयों को एग्जाम में शामिल होने से रोकने के लिए उन्होंने पेपर को इंग्लिश में तैयार किया। ऐसे में भारतीय इस एग्जाम को क्रैक करने में सफल हो ही नहीं पा रहे थे। उस समय इस एग्जाम का आयोजन लंदन में किया गया था। इसके बाद अगले 50 सालों तक भारतीयों ने विरोध जारी रखा और मांग रखी कि इस एग्जाम का आयोजन भारत में किया जाए। उनकी ये मांग 1922 में जाकर पूरी हुई। 1922 में पहली बार भारत में सिविल सर्विसेज एग्जाम का आयोजन किया गया था और भारत के इलाहाबाद शहर में इस एग्जाम को आयोजित किया गया। इसके बाद 1935 में संघीय लोक सेवा आयोग को गठित किया गया, जिसे आज संघ लोक सेवा आयोग के नाम से जाना जाता है। इसके गठन के बाद इस एग्जाम को दिल्ली में आयोजित किया जाने लगा।सिविल सर्विसेज एग्जाम के अंग्रेज हैं जनक-
भारत में इसकी शुरुआत अंग्रेजों के द्वारा ही की गई थी। लार्ड कॉर्नवालिस को ही भारत में सिविल सर्विसेज एग्जाम का जनक माना जाता है। कॉर्नवालिस एक ब्रिटिश सैनिक और राजनेता थे। इन्होंने 1786 में भारत के गवर्नर जनरल के रूप में कार्यभार संभाला था। 1947 के बाद से इसे इंडियन सिविल सर्विसेज के नाम से जाना जाने लगा, इसके पहले इसे इम्पीरियल सिविल सर्विस (ICS) के नाम से जाना जाता था। भारत के पहले सिविल सर्विसेज ऑफिसर रवींद्रनाथ टैगोर के भाई, सत्येंद्रनाथ टैगोर थे।पहले की गाइडलाइंस थीं काफी अलग-
आज की गाइडलाइंस और उस समय की एग्जाम की गाइडलाइंस में काफी अंतर है। उस समय अभ्यर्थी का भारत में 7 साल पहले से रहना अनिवार्य था। साथ ही अभ्यर्थी को जिस जिले में काम करना होता था, उसे उस जिले की भाषा में एग्जाम देना होता था। अगर बात करें आयु की तो इस एग्जाम में बैठने के लिए अभ्यर्थी की आयु 18 से 23 वर्ष के बीच होनी जरूरी थी। इसमें एक एग्जाम घुड़सवारी का भी होता था, जिसे अनिवार्य रूप से हर एक अभ्यर्थी को देना होता था। सिविल सर्विसेज एग्जाम को देने के लिए अभ्यर्थियों को लंदन जाना होता था।National Civil Services Day :सिविल सर्विसेज डे के लिए 21 अप्रैल के दिन ही क्यों चुना गया-
जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि देशभर में 21 अप्रैल को सिविल सर्विसेज डे (National Civil Services Day) मनाया जाता है। इसके लिए 21 अप्रैल का ही दिन इसलिए चुना गया था क्योंकि वर्ष 1947 में दिल्ली के मेटकाफ हाउस में एक कार्यक्रम के दौरान सरदार वल्लभ भाई पटेल ने इसी दिन सिविल सर्विसेज ऑफिसर्स को सम्बोधित किया था। बस इसीलिए हर साल 21 अप्रैल का दिन काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।World Liver Day 2023: जानें वर्ल्ड लीवर डे के लिए इस वर्ष की थीम
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