Post Office- मात्र 417 रुपए में करोड़पति बनने का सुनहरा मौका !

PicsArt 12 13 11.10.56
Post Office Public Provident Fund (PC- ABP news)
locationभारत
userसुप्रिया श्रीवास्तव
calendar13 Dec 2021 04:49 PM
bookmark
Post Office- पोस्ट ऑफिस की पब्लिक प्रोविडेंट फंड पॉलिसी (Post Office Public Provident Fund) लोगो को लोगों को करोड़पति बनने का सुनहरा मौका दे रही है। इसके लिए कुछ आसान से नियमों का पालन करना पड़ेगा, जिसके फलस्वरूप मात्र ₹417 के निवेश में करोड़पति बनने का मौका मिलेगा।

पोस्ट ऑफिस पब्लिक प्रोविडेंट फंड पॉलिसी (Post Office Public Provident Fund)विस्तार में -

पोस्ट ऑफिस में पब्लिक प्रोविडेंट फंड पॉलिसी खोलने वाले उपभोक्ताओं के लिए बहुत ही बेहतरीन स्कीम दी जा रही है। इसके तहत 15 साल के मेच्योरिटी पीरियड का एक अकाउंट खोला जाएगा। इस अकाउंट में रोजाना ₹417 निवेश करने होंगे। इस अकाउंट में जमा की गई राशि पर 7.1 प्रतिशत का ब्याज मिलता है। इसके साथ ही हर साल जमा हुई पूरी राशि पर कंपाउंड इंटरेस्ट भी दिया जाता है।

15 साल में जमा हुई राशि एवं ब्याज -

15 साल के मैच्योर पीरियड वाले इस अकाउंट में प्रतिदिन ₹417 के हिसाब से सालाना 1.5 लाख की राशि जमा होगी। इसके मुताबिक 15 साल की कुल जमा राशि 22.50 लाख रुपए होगी। सालाना 7.1% ब्याज व कंपाउंड इंटरेस्ट को जोड़कर मेच्योरिटी पीरियड पर उपभोक्ता को कुल 40.68 लाख रुपए मिलेंगे।

5-5 साल के एक्सटेंड पर मिलेगा करोड़पति बनने का मौका-

पोस्ट ऑफिस की पब्लिक प्रोविडेंट फंड (Post Office Public Provident Fund) योजना के तहत करोड़पति बनने के लिए 15 साल की मैच्योरिटी पीरियड के बाद इसे 5-5 साल के लिए एक्सटेंड कराना होगा। इसके अनुसार यह पॉलिसी 25 साल की हो जाएगी। जिसमें सालाना 1.5 लाख के निवेश के अनुसार कुल जमा राशि 37.50 लाख रुपए की हो जाएगी। पॉलिसी के मैच्योर होने पर 7.1% ब्याज को जोड़ कर उपभोक्ता को 65.58 लाख रुपए मिलेंगे। अकाउंट खोलने के लिए Eligibility और आवश्यक Documents- पोस्ट ऑफिस में पब्लिक प्रोविडेंट फंड अकाउंट (Post Office Public Provident Fund) नौकरीपेशा, व्यवसाई अथवा सेवानिवृत कोई भी व्यक्ति खोल सकता है। 18 साल से कम उम्र वाले बच्चों के लिए उनके अभिभावक भी यह अकाउंट खोल सकते हैं।

आवश्यक दस्तावेज -

पोस्ट ऑफिस में पब्लिक प्रोविडेंट फंड अकाउंट (Post Office Public Provident Fund) खोलने के लिए व्यक्ति के पास निम्नलिखित दस्तावेज होना आवश्यक है - 1. पहचान पत्र - (आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस) 2. पैन कार्ड (PAN Card) 3. पासपोर्ट साइज में तस्वीरें

Read This Also-

Job Update- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में नौकरी पाने का सुनहरा मौका, जल्द करें आवेदन  
अगली खबर पढ़ें

Orphan Children In India: भारत में 3 करोड़ से ज्यादा अनाथ बच्चे, 'गोद' लेने वाले बहुत कम

Orphange
देश में अनाथ बच्‍चों की संख्‍या अधिक.
locationभारत
userचेतना मंच
calendar13 Dec 2021 04:46 PM
bookmark

विनय संकोची

भारत में अनाथ और माता पिता के द्वारा गरीबी व अन्य कारणों के चलते बेसहारा छोड़ दिए गए बच्चों की संख्या (Orphan Children In India) तीन करोड़ से ज्यादा है। जबकि नि:संतान दंपत्तियों की संख्या अनाथ बच्चों से कहीं ज्यादा है। फिर भी अनाथों को गोद लेने वालों की संख्या अपेक्षाकृत काफी कम है। अनाथों (Orphan Children) में उन बच्चों की संख्या ज्यादा है, जिनके निर्धन मां-बाप ने उनके पालन-पोषण का बोझ नहीं उठा पाने के चलते उन्हें बेसहारा छोड़ दिया। ऐसे बच्चे कई बार ट्रैफिकिंग और यौन शोषण का शिकार होते हैं। आश्चर्य होता है कि इतनी भारी-भरकम संख्या में अनाथ बच्चे होने के बावजूद बच्चे गोद लिए जाने की दर अपने देश में बहुत कम है। इसका सबसे बड़ा कारण बच्चों को गोद लिए जाने की प्रक्रिया का बेहद जटिल होना है कोरोना की महामारी के बाद तो बच्चों को गोद लेना और अधिक मुश्किल हो गया है।

अनाथ बच्चों (Orphan Children In India) को बाल-श्रम में धकेल दिए जाने की आशंका सबसे अधिक रहती है। इसके अतिरिक्त उनके गलत हाथों में पड़ कर अपराधी बन जाने की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। अनाथ आश्रमों में कथित दुराचार के समाचार भी गाहे-बगाहे आते ही रहते हैं। ऐसी भी घटनाएं यदा-कदा सुनने में आती रहती हैं कि गोद लिए बच्चे को घर में नौकर बना कर रख दिया गया। अनाथ बच्चों की तस्करी के मामले भी प्रकाश में आते रहते हैं। सिक्के का दूसरा पहलू यह भी है कि तमाम लोग गोद लिए बच्चों को जी जान से ज्यादा चाहते हैं और उनका अपने से भी ज्यादा ध्यान रखते हैं, उन पर हृदय की गहराइयों से प्रेम और स्नेह लुटाते हैं। लेकिन इसी सबके बीच गोद लेकर बच्चों को बेच देने की घटनाएं भी कभी-कभार सुनने में आती रहती हैं।

बच्चों को गोद लेने में धन का लेन-देन कानूनन अपराध की श्रेणी में ही आता है। सच तो यही है कि बच्चों को गोद लेने में पैसे के लेन-देन का किसी तरह का कोई प्रावधान ही नहीं है। बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया जटिल अवश्य है और यह शायद इसलिए कि जरूरतमंद ही बच्चे को गोद लें और बच्चे गलत हाथों में ना पड़े।

ये हैं नियम

संभावित मां-बाप को अनाथ बच्चा गोद दिए जाने के नियमों में सबसे पहला है कि वह शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से तथा आर्थिक दृष्टि से सक्षम हों। इसी के साथ यह प्रमाणित होना भी अनिवार्य है कि संभावित मां-बाप किसी जानलेवा बीमारी से ग्रस्त नहीं हैं।

बच्चा गोद लेने वालों के लिए कुछ अनिवार्य शर्तें और भी हैं जैसे - अगर संभावित अभिभावक विवाहित हैं, तो उन दोनों की आपसी सहमति होना जरूरी है। संभावित मां-बाप अगर दो साल से ज्यादा वक्त से शादीशुदा हैं, तभी वह बच्चा गोद ले सकते हैं। बच्चा गोद लेने के लिए मां-बाप की उम्र एक महत्वपूर्ण पहलू है। इसके तहत कम उम्र के बच्चे को गोद लेने के लिए मां-बाप की औसत आयु भी कम होनी चाहिए। संभावित माता-पिता और गोद लिए बच्चे के बीच कम से कम 25 वर्ष का अंतर होना आवश्यक है।

एक सिंगल महिला किसी भी लिंग के बच्चे को गोद ले सकती है लेकिन एक सिंगल पुरुष सिर्फ लड़के को ही गोद ले सकता है। जिन लोगों के पहले से ही तीन या इससे अधिक बच्चे हैं, वे लोग बच्चा गोद लेने के लिए योग्य नहीं है। परंतु विशेष परिस्थिति में वे भी बच्चा गोद ले सकते हैं। यदि इच्छुक व्यक्ति का कोई बच्चा पहले से ही है और उसकी उम्र पांच साल से ज्यादा है, तो उसकी सहमति भी अनिवार्य है अनाथ बच्चों को निसंतान दंपत्ति गोद लेकर उनका जीवन संवार सकते हैं।

अगली खबर पढ़ें

Omicron: ओमिक्रॉन को लेकर आईसीएमआर ने दी यह सलाह, जरूर मानें

Corona Vaccine
omicron को लेकर डॉक्‍टरों ने दी सलाह.
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:00 PM
bookmark

नईदिल्ली। कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) को लेकर पूरी दुनिया में दहशत का माहौल है। कई देशों में वैक्सीन के बूस्टर डोज में भी दिए जा रहे हैं। लेकिन इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की सलाह है कि जल्दबाजी में बूस्टर डोज लगाने का फैसला नहीं किया जाना है।

आईसीएमआर (ICMR) के संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख डॉ. समीरन पांडा ने कहाकि अभी ज्यादा से ज्यादा लोगों का पूर्ण टीकाकरण ही प्राथमिकता होनी चाहिए। ओमिक्रॉन (Omicron) से डरने की नहीं बल्कि सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने कहाकि भारत ही नहीं पूरी दुनिया में देखा जा रहा है कि यह वेरिएंट घातक नहीं है। यह हल्का संक्रमण ही पैदा कर रहा है। इसलिए वैक्सीन के तीसरे डोज की शुरुआत जैसा कोई जल्दबाजी वाला फैसला नहीं लेना चाहिए और न हीं कोविशील्ड के दो डोज के बीच के समयांतराल को ही कम किया जाना चाहिए। उन्होंने कहाकि कम इम्युनिटी वाले लोगों के लिए कोरोना वैक्सीन की तीसरी डोज देने पर विचार किया जा सकता है।

देश में अभी बुस्टर डोज की जरूरत को लेकर डेटा इकठ्ठा किया जा रहा है। आईसीएमआर का तकनीकी समूह इस पर अध्ययन करके जल्द ही कोई घोषणा कर सकता है। उन्होंने कहाकि इस समय लोगों के व्यापक हित में पहले वयस्कों सहित सभी को वैक्सीन की दो डोज देने पर ही फोकस होना चाहिए। बतादें कि बुस्टर डोज का भारत बायोटेक के चेयरमैन कृष्ण एला ने समर्थक किया है,जबकि सीरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने कहाकि अभी इसकी जरूरत नहीं है,पता नहीं लोग क्यों समय से पहले ही बयान दे देते हैं। इससे भय और दहशत का माहौल बनता है।