Pune : रिश्तेदार ने महिला व उसके दो मासूमों को क्यों मारा, जानिये दिल दहला देने वाली कहानी

Pune
Why the relative killed the woman and her two innocents, know the heart-wrenching story
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 12:44 PM
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पुणे (महाराष्ट्र)। अपनी एक रिश्तेदार के अवैध संबंधों से नाराज एक व्यक्ति ने महिला और उसके चार व छह साल के दो बच्चों की गला दबाकर हत्या कर दी। इतना ही नहीं सबूत मिटाने की गरज से उसने घर के सामने ही शवों को आग लगा दी। घटना पुणे के कोंढवा इलाके में हुई। पुलिस ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

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एफआईआर दर्ज कर पुलिस ने आरोपी को पकड़ा

एक अधिकारी ने बताया कि आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया है। उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 302 (हत्या) और 201 (अपराध के सबूत मिटाने) के तहत मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बताया कि महिला के अन्य पुरुषों के साथ अवैध संबंधों को लेकर आरोपी और उसके बीच बुधवार को झगड़ा हुआ था।

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घर के सामने ही शवों को लगा दी आग

कोंढवा थाने के एक अधिकारी ने बताया कि इसी दौरान आरोपी ने गुस्से में आकर महिला और उसके दो बच्चों की गला दबाकर हत्या कर दी। उन्होंने बताया कि बुधवार रात करीब नौ बजे कोंढवा के पिसोली इलाके में महिला के घर के सामने शवों को आग लगा दी। अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच जारी है। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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अब और अधिक आक्रामक होगी ED और CBI

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ED and CBI
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 08:56 AM
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ED and CBI / अशोक मधुप

ED and CBI : सुप्रीम कोर्ट के प्रवर्तन निदेशालय (ED) और  केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के दुरुपयोग से जुड़ी कांग्रेस के नेतृत्व में 14 विपक्षी दलों की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। इसके बाद अब यह तय हो गया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) और  केंद्रीय जांच ब्यूरो की जांच में और ज्यादा तेजी आएगी। ये दोनों संगठन और अन्य केंद्रीय जांच एजेंसी अपनी  कार्रवाई  और तेज करेंगी।

सुप्रीम कोर्ट के प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) के दुरुपयोग से जुड़ी कांग्रेस के नेतृत्व में 14 विपक्षी दलों की याचिका पर सुनवाई से इनकार के बाद विपक्षी दलों ने अपनी याचिका वापस ले ली। याचिका में विपक्षी नेताओं के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों के मनमाने उपयोग का आरोप लगाया गया था। याचिका में गिरफ्तारी, रिमांड और जमानत जैसे मामलों को नियंत्रित करने वाले दिशा-निर्देशों का नया सेट जारी करने की मांग की गई थी।

ED and CBI

विपक्षी दलों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने तर्क दिया कि 2013-14 से 2021-22 तक सीबीआई और ईडी के मामलों में 600 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ईडी की ओर से 121 राजनीतिक नेताओं की जांच की गई है। जिनमें से 95 प्रतिशत नेता विपक्षी दलों से हैं। सीबीआई की 124 जांचों में से 95 प्रतिशत से अधिक विपक्षी दलों से हैं। सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राजनीतिक विरोध की वैधता पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा है।

सुप्रीम कोर्ट ने सिंघवी से पूछा कि क्या हम इन आंकड़ों की वजह से कह सकते हैं कि कोई जांच या कोई मुकदमा नहीं होना चाहिए ? क्या नेताओं को इससे अलग रखा जा सकता है ? सर्वोच्च कोर्ट का कहना है कि अंततः एक राजनीतिक नेता मूल रूप से एक नागरिक होता है और नागरिकों के रूप में हम सभी एक ही कानून के अधीन हैं। इस पर सिंघवी ने कहा कि पक्षकार नहीं चाहते कि याचिका से भारत में कोई लंबित मामला प्रभावित हो और वे मौजूदा जांच में हस्तक्षेप करने के लिए भी नहीं कह रहे हैं।

इन दलों ने दाखिल की थी याचिका

प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि किसी मामले के तथ्यों से संबंध के बिना सामान्य दिशानिर्देश देना खतरनाक होगा। याचिका पर विचार करने में शीर्ष अदालत की अनिच्छा को भांपते हुए राजनीतिक दलों की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एएम सिंघवी ने याचिका वापस लेने की अनुमति मांगी। पीठ ने आदेश दिया कि अधिवक्ता इस स्तर पर याचिका वापस लेने की अनुमति चाहते हैं। याचिका तदनुसार वापस ली गई, मानते हुए खारिज की जाती है। ये याचिका कांग्रेस, द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम (द्रमुक), राष्ट्रीय जनता दल (राजद), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), आम आदमी पार्टी (आप), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), शिवसेना (यूबीटी), झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो), जनता दल यूनाइटेड (जदयू), मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), समाजवादी पार्टी (सपा) और जम्मू कश्मीर नेशनल कान्फ्रेंस की ओर से  दायर की गई थी।

इस याचिका को दायर करने वाले दलों ने यह नहीं सोचा कि पुलिस समेत सभी सरकारी जांच एजेंसी जांच करती हैं। केस कोर्ट में सबूतों के आधार पर तय होता है। यदि सबूत नही होंगे तो केस खुद ही खारिज हो  जाएगा।

एक दो मामले में न्यायालय इस तरह की टिप्पणी कर भी चुका है। दूसरे राजनीतिक दबाव में भी कोई एजेंसी किसी गलत व्यक्ति को आरोपी नहीं बनाएगी। क्योंकि न्यायालय में  आरोप साबित न करने पर छिछालेदारी उसी की होगी।

अब तक 513 लोगों को किया जा चुका है गिरफ्तार

विपक्षीदलों के आरोप पर प्रवर्तन निदेशालय ने विपक्षी पार्टियों की ओर से लगाए जा रहे ‘टारगेट कर कार्रवाई’ के आरोपों के बीच एक नया डेटा जारी किया है। प्रवर्तन निदेशालय ने बुधवार को अपने डेटा में दावा किया है कि मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर उसकी ओर से दर्ज मामले में जिनकी सुनवाई पूरी हो चुकी है उसमें सजा की दर वास्तव में 96 प्रतिशत है। प्रवर्तन निदेशालय के अनुसार, एजेंसी की ओर से 31 जनवरी तक 513 लोगों को गिरफ्तार की है। 1.15 लाख करोड़ रुपये से अधिक की सपत्ति कुर्क की है। ईडी के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2023 तक ट्रायल पूरा हो चुके 25 मामलों में 24 मामलों में आरोप सही साबित पाए गए हैं। इनमें 45 अभियुक्तों को सजा हुई है। एक तरफ ईडी 96 फीसदी मामलों में दोष सिद्धि का दावा कर रही है तो दूसरी ओर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआए) 94 फीसदी और सीबीआई 68 फीसदी मामलों में सजा का दावा करती है।

ये आंकड़े ये बताने के लिए काफी है कि कार्रवाई की जद में आए सभी आरोपी दूध के धुले नही हैं। उनमें से अधिकांश भ्रष्टाचार में  लिप्त रहे हैं। वह सब अपने पर कार्रवाई और गिरफ्तारी के डर से एकत्र हुए हैं। एक बात और कोर्ट ने उनकी अपील खारिज करने के बाद शोर मचाने के अलावा अब कोई विकल्प नहीं बचा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछली बार लाल किले से घोषणा कर चुके हैं कि भ्रष्टाचार के मामलों में तेजी होगी।  नो टोलरेंस की नीति अपनाई जाएगी। सर्वोच्च न्यायालय के इस मामले को खारिज करने से एक दिन पूर्व  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीबीआई के डायमंड जुबली समारोह को संबोधित करते हुए उसे फ्री हैंड दे दिया।प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि मौजूदा सरकार में भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि देश और इसके नागरिकों की इच्छा है कि किसी भी भ्रष्ट व्यक्ति को बख्शा नहीं जाना चाहिए। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में सीबीआई के कामकाज की खूब तारीफ की। उन्होंने कहा, 'साल 2014 के बाद हमारा पहला दायित्व, व्यवस्था में भरोसे को फिर कायम करने का रहा। इसलिए हमने काले धन को लेकर, बेनामी संपत्ति को लेकर मिशन मोड पर एक्शन शुरु किया। जहां भ्रष्टाचार होता है, वहां युवाओं को उचित अवसर नहीं मिलते। वहां सिर्फ एक विशेष इकोसिस्टम ही फलता-फूलता है। भ्रष्टाचार प्रतिभा का सबसे बड़ा दुश्मन होता है और यहीं से भाई-भतीजावाद, परिवारवाद को बल मिलता है। जब भाई-भतीजावाद और परिवारवाद बढ़ता है, तो समाज का, राष्ट्र का सामर्थ्य कम होता है। जब राष्ट्र का सामर्थ्य कम होता है तो विकास प्रभावित होता है। उन्होंने कहा, 'मुख्य रूप से सीबीआई की जिम्मेदारी भ्रष्टाचार से देश को मुक्त करने की है। भ्रष्टाचार कोई सामान्य अपराध नहीं होता। भ्रष्टाचार, गरीब से उसका हक छीनता है, अनेक अपराधों को जन्म देता है। भ्रष्टाचार, लोकतंत्र और न्याय के रास्ते में सबसे बड़ा रोडा होता है।' प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, 'आज देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए राजनीतिक इच्छा शक्ति में कोई कमी नहीं है। आपको कहीं भी हिचकने, कहीं रूकने की जरूरत नहीं है।

आज विपक्ष अपने साथ के नेताओं पर कार्रवाई होने पर आरोप ही लगाता है। इसके अलावा उसके पास कहने को कुछ नही हैं। हाल ही में मानहानि के एक मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को न्यायालय ने दो साल की सजा की। सजा न्यायालय ने की किंतु सभी दल एकसुर में दोष केंद्र सरकार और भाजपा को दे रहे हैं। कांग्रेस तो इस मामले को लेकर आंदोलन भी शुरू कर चुकी है। विपक्ष दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के विरूद्ध कार्रवाई होने पर एकत्र होना शुरू हुआ। उसका सदा एक ही आरोप रहता है कि दुश्मनी के तहत छापे मारे जा रहे हैं। प्रश्न यह है कि यदि ये छापे दुश्मनी के तहत हैं तो मनीष सिसोदिया 27 फरवरी से अब तक  जेल में क्यों हैं। सबूत के अभाव में ट्रायल कोर्ट ने क्यों नही उन्हें छोड़ दिया। न्यायालय उनके विरूद्ध क्यों रिमांड पर रिमांड दिए जा रहा है ॽ पश्चिमी बंगाल में वहां के हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कर रही है। इस मामले में पश्चिमी बंगाल की ममता सरकार के शिक्षा मंत्री जेल में हैं। सारी कार्रवाई कोर्ट के आदेश पर की जा रही है। उसके बावजूद आरोप केंद्र सरकार पर ही आ रहा है, क्योंकि विपक्ष के पास इसके अलावा कहने को कुछ नही है। सर्वोच्च न्यायालय के विपक्ष का केस खारिज करने बाद और प्रधानमंत्री का सीबीआई को फ्री हैंड देने से विपक्ष को केंद्रीय एजेंसियों की ओर तेज कार्रवाई के लिए तैयार रहना चाहिए।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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Data Leak : सावधान! कहीं आप भी तो नहीं हो रहे डाटा लीक के शिकार

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Keep your devices safe from data leak crimes.
locationभारत
userचेतना मंच
calendar06 Apr 2023 03:49 PM
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Data Leak की खबरें अक्सर हम सभी सुनते रहते हैं लेकिन इस बार डाटा की चोरी से जुड़ा हुआ जो मामला सामने आया है उसने सभी को हैरानी में डाल दिया है। साइबराबाद पुलिस ने एक ऐसे साइबर क्रिमिनल गैंग का भंडाफोड़ किया है जो 67 करोड़ यूजर्स के डाटा को डार्क वेब पर बेचने की तैयारी में थे। आखिर इतने बड़े पैमाने पर लोगों का डाटा लीक हुआ कैसे? किन तरीकों से डाटा को चुराया जाता है और इस साइबर क्राइम की बढ़ती हुई घटनाओं के कारण आप कैसे अपने डाटा की सुरक्षा कर सकते हैं? ऐसे कई सवाल आपके मन में उठ रहे होंगे, तो चलिए जानते हैं Data Leak की पूरी कहानी...  

किन यूजर्स का डाटा हुआ लीक?

जिन 67 करोड़ लोगों के डाटा को चोरी किया गया वे 24 राज्यों और 8 मेट्रो शहर से संबंधित थे और इनमें से ज्यादातर डाटा स्टूडेंट्स का था जो ऐड टेक कंपनी से चुराया गया था। सबसे ज्यादा हैरान करने वाली बात तो यह है कि इनमें ऐसी कंपनियों का डाटा शामिल है जिन्हें आप और हम रोजमर्रा की जिंदगी में प्रयोग करते हैं। इनमें Bayju, Vedantu, Instagram, Amazon, Netflix, YouTube, Paytm, PhonePay, Zomato, Policybazaar, UPSTOX, Bookmyshow, Polycibaazar और कैब कंपनियों का डाटा शामिल है।

क्या हैं Data Leak करने के तरीके?

डाटा लीक से जुड़ी जानकारी प्राप्त करने से पहले आपका यह जान लेना जरुरी है कि हर एक कंपनी का अपना एक स्ट्रांग सिक्योर सर्वर होता है जो अपने यूजर्स के डाटा को सुरक्षित रखने का काम करता है। लेकिन भारत में ऐसी कई कम्पनियाँ हैं जिनमें स्ट्रांग और सिक्योर सर्वर की सुविधा मौजूद नहीं थी और साइबर क्रिमिनल्स ने इन्हीं जगहों से भारी मात्रा में डाटा चुराया। साइबर क्रिमिनल्स इन सेंसिटिव डाटा को चुरा कर डार्क वेब में इनकी खरीद फरोख्त के लिए बोली लगाते हैं और काफी अच्छे रेट पर इन्हें बेच देते हैं। आपके डाटा का मिसयूज कई तरह से हो सकता है जैसे आपकी डेट ऑफ़ बर्थ, नाम, पासवर्ड, मोबाइल नंबर, यूज़रनेम, लोकेशन, ऐड्रेस, अकाउंट नंबर, यूज़र के बर्ताव से लेकर उनकी कार्यविधि और कूकीज़ डेटा तक शामिल होते हैं। इन डाटा के बदले में आपको धमकाया जा सकता है और आपसे पैसे मांगे जा सकते हैं।

मेट्रो स्टेशन से Data Leak

तेज़ी से आगे बढ़ती हुई इस दुनिया में आज मेट्रो ट्रेंस और मेट्रो स्टेशन की कितनी ज्यादा अहमियत है, इससे कोई भी अनभिज्ञ नहीं होगा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस मेट्रो में आप रोजाना सफऱ करते हैं वो आपके डाटा लीक का एक अड्डा बन चुका है। मेट्रो स्टेशन के आस पास मौजूद मोबाइल या डिवाइस चार्जिंग पॉइंट्स आपके डाटा को कुछ ही मिनटों में कॉपी कर लेते हैं और फिर उसका मिसयूज करते हैं। ऐसे में आपको यह सुझाव दिया जाता है कि अनजान जगहों पर अपने मोबइाल या डिवाइस को चार्जिंग में लगाने से बचें।

Data Leak से बचाव

यूजर्स को अपने मोबाइल से ऐसी एप्लीकेशन हटा देनी चाहिये जिनका वे रेग्युलर प्रयोग नहीं करते हैं। इसके अलावा अपने मोबाइल में प्रयोग किये जाने वाले सोशल मीडिया एप्लीकेशन के पासवर्ड को समय समय पर बदलते रहे, लम्बे समय तक एक ही पासवर्ड न डाल कर रखें। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सेंसिटिव और प्राइवेट बातें करने से बचें। हो सकता है कि आपकी इस बातचीत पर किसी की नज़र हो!

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