UP Election Results रविवार को होगी योगी-मोदी की मुलाकात, कब होगा शपथ ग्रहण

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UP Election Results रविवार को होगी योगी-मोदी की मुलाकात, कब होगा शपथ ग्रहण
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calendar01 Dec 2025 02:58 PM
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UP Election Results 2022 : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव (UP Election) संपन्न होने के बाद भाजपा को मिली 273 सीटों के बाद अब प्रदेश में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने जा रही है। जिसके बाद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ रविवार यानि 13 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगे। इस दौरान वह पार्टी अध्यक्ष जय प्रकाश नड्डा एवं केंद्रीय मंत्री अमित शाह के अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से भी मुलाकात करेंगे।

UP Election Results 2022

पार्टी सूत्रों के अनुसार संभावना जताई जा रही है कि इस दौरान भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल एवं प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी नई दिल्ली पहुंच रहे हैं। मंत्रिमंडल गठन को लेकर चर्चा होगी। लखनउ में योगी आदित्यनाथ से मिलने वालों का सिलसिला लगातार जारी है। भाजपा के पार्टी कार्यालय पर प्रदेश में सरकार गठन को लेकर भी चर्चाएं होती रही।

अब संभावना इस बात की है कि योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा अन्य नेताओं से मिलकर प्रदेश में मंत्रिमंडल गठन को लेकर चर्चा करेंगे। प्रदेश में विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद योगी आदित्यनाथ और मोदी की यह पहली मुलाकात होगी।

उधर शुक्रवार शाम मुख्य निर्वाचन अधिकारी अजय कुमार शुक्ला ने उत्तर प्रदेश की नई विधान सभा के गठन की अधिसूचना तथा सभी 403 नवनिर्वाचित सदस्यों की लिस्ट पेश की। नई विधान सभा के गठन की अधिसूचना जारी होने के उपरान्त लागू आदर्श आचार संहिता का प्रावधान समाप्त हो जाता है। ज्ञातव्य है कि नवनिर्वाचित विधान सभा सदस्यों की सूची प्राप्त होने के बाद संविधान के अंतर्गत राज्यपाल नई सरकार के गठन की प्रक्रिया प्रारम्भ करते हैं।

इस अवसर पर राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव महेश कुमार गुप्ता, भारत निर्वाचन आयोग के सचिव अजय कुमार, अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी माला श्रीवास्तव व चन्द्रशेखर, विशेष कार्याधिकारी निर्वाचन अधिकारी रमेश राय, संयुक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी रत्नेश सिंह सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे। अब जल्द ही राजयपाल आनंदीबेन पटेल सबसे बड़े दल के तौर पर भाजपा को बुलाने का काम करेंगी। इसके बाद उत्तर प्रदेश में नई सरकार का गठन किया जायेगा।

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UP Election Result: PM मोदी और BJP अध्यक्ष से मिलेंगे योगी आदित्यनाथ, होली के बाद हो सकता है शपथग्रहण

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userचेतना मंच
calendar12 Mar 2022 05:53 PM
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UP Election Result: उत्तर प्रदेश विधानसभा 2022 में मिले भारी बहुमत के बाद उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कल दिल्ली आएंगे। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक योगी आदित्यनाथ प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे. पी. नड्डा से मुलाकात करेंगे। >> यह भी पढ़े:-  UP Elections Result: बुंदेलखंड की इन सीटों पर NOTA से भी कम वोट मिल पाए कांग्रेस को बता दू कि, उत्तर प्रदेश में नई सरकार का शपथग्रहण होली के बाद हो सकता है. उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी गठबंधन को 273 सीटे मिली हैं। इसके बाद से ही, नई सरकार बनने की कवायद शुरू हो चुकी है। रविवार को दिल्ली जाने से पहले योगी आदित्यनाथ ने बीते दिन सभी कैबिनेट मंत्रियों को अपने आवास पर बुलाया था। यूपी 2022 की विधानसभा चुनाव जीतने के बाद यह पहली बैठक रही। जानकारी के मुताबिक बैठक में यूपी मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक, मंत्री अनिल राजभर और मंत्री लालजी टंडन बैठक में हिस्सा लेने पहुंचे थे। >> यह भी पढ़े:- UP Election Result केशव से लेकर सुरेश तक.. UP में BJP की प्रचंड लहर के बाद भी हार गए ये 11 मंत्री वहीं बैठक के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज भवन पहुंचे जहां उन्होंने म. गांधी की मूर्ति पर फूल अर्पण करने के बाद राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को अपना त्यागपत्र सौंप दिया। जिसके साथ ही नई सरकार बनाने की प्रक्रिया भी प्रारम्भ हो गई है। इस बार भारतीय जनता पार्टी की सरकार की सत्ता में वापसी के कई मायने निकाले जा रहे है। कई मिथक टूटे है तो, कई मुद्दे गायब नजर आए है। जिस लखीमपुर खीरी जिले में तिकुनिया हिंसा हुई थी, वहां पर भारतीय जनता पार्टी ने क्लीन स्वीप मारते हुए सभी 8 सीटो पर जीत दर्ज की है।
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यूपी चुनाव परिणामों ने तोड़े भारतीय राजनीति से जुड़े ये 5 मिथक!

UP Election 2022 2
UP Election 2022
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userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:24 AM
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यूपी के बारे में यह आम धारणा है कि जिस भी राजनीतिक दल ने जातियों के गणित को साध लिया उसका चुनाव जीतना तय है। लगभग तीन दशक तक यूपी की राजनीति के केंद्र में रहने वाली समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) और बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) का इतिहास भी इस बात की गवाही देता है। यहां तक कि 2017 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की प्रचंड जीत के लिए अमित शाह (Amit Shah) की सोशल इंजीनियरिंग की रणनीति को ही सबसे बड़ा कारण बताया गया। माना गया कि अमित शाह ने सपा और बसपा के परंपरागत वोट बैंक (अन्य पिछड़ी जातियों और दलितों) में सेंध लगाने के लिए यह दांव खेला जो पूरी तरह सफल रहा।

हालांकि, इसके उलट 2019 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने क्रमश: मायावती (Mayawati) और कांग्रेस (Congress) से हाथ मिलाया और नतीजे बिल्कुल विपरीत रहे। सवाल उठना स्वाभाविक है कि ऐसा क्यों हुआ?

पिछले कुछ चुनाव परिणामों से यह स्पष्ट है कि जातीय समीकरण का बीजेपी (BJP) के पक्ष या विपक्ष में होने के बावजूद उसे विरोधियों से ज्यादा सीटें मिलती हैं। कम से कम उत्तर प्रदेश के पिछले कुछ चुनाव परिणामों (UP Election Result) से यही जाहिर होता है। चाहे, 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव हो या 2017 और 2022 का विधानसभा चुनाव।

यूपी में धुर विरोधी दलों (सपा-बसपा) के आपस में हाथ मिलाने और जातीय समीकरण को साधने के बावजूद बीजेपी का लगातार बढ़ता वोट प्रतिशत भारतीय राजनीति में आ रहे कुछ बदलावों की ओर संकेत करता है।

पहला मिथक: जोखिम भरे फैसले लेने से बचते थे नेता

प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इस दौरान उन्होंने अपने विकास कार्यों को राष्ट्रीय स्तर पर जमकर प्रचारित किया। अपनी इसी छवि की बदौलत नरेंद्र मोदी 2014 के लोकसभा चुनाव में पीएम पद के उम्मीदवार बने। लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी (Narendra Modi) ने गुजरात मॉडल का जमकर बखान किया। प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने योजना आयोग का नाम बदलने, आम बजट और रेल बजट को अलग-अलग पेश करने की परंपरा को खत्म करने से लेकर नोट बंदी जैसे कई जोखिम भरे फैसले लिए।

उज्जवला योजना और गांव-गांव में टॉयलेट जैसी योजनाओं को जमीन पर लागू करवाने की अपनी क्षमता के कारण 2019 के लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार ज्यादा सीटों के साथ दोबारा सरकार बनाने में सफल हुई। दूसरे कार्यकाल में धारा 370 की समाप्ति, कृषि कानून, नागरिकता संशोधन कानून, तीन तलाक पर कानून और अयोध्या में राम मंदिर निर्माण जैसे कामों ने मोदी की लोकप्रियता को शिखर पर पहुंचा दिया। इस दौरान पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) और दिल्ली में अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) के अलावा कोई दूसरा नेता राष्ट्रीय स्तर पर अपनी छाप छोड़ने में सफल नहीं हो सका। नतीजतन, नरेंद्र मोदी की लार्जर देन लाइफ छवि बन गई और आम मतदाताओं के बीच वह एक विश्वसनीय ब्रांड बन गए। देश का कोई भी दूसरा नेता लोकप्रियता के मामले में नरेंद्र मोदी के आसपास भी नहीं टिकता। राष्ट्रीय राजनीति में इंदिरा गांधी के बाद इस तरह का कद मोदी ने ही हासिल किया है। मोदी का यह करिश्मा जातिगत राजनीति करने वाले दलों के लिए सबसे घातक साबित हुआ है।

दूसरा मिथक: चुनाव में माहौल बनाने भर से मिलती है जीत

भारतीय राजनीति में आमतौर पर यह धारणा बन गई थी कि नेता तो चुनाव के समय ही नजर आते हैं। नरेंद्र मोदी और अमित शाह की जोड़ी ने इस संस्कृति को ही बदल दिया। प्रधानमंत्री होने के बावजूद नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) लगातार अपने संसदीय क्षेत्र (वाराणसी) का दौरे करते रहते हैं और जनता से सीधे संवाद करते हैं। रेडियो पर मन की बात, खुद झाड़ू लगाकर स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत, योग दिवस पर सार्वजनिक तौर पर योग करना, सैनिकों के साथ दिवाली मनाना जैसी चीजें करके वह लगातार जनता से जुड़े रहने और संवाद करने का प्रयास करते हैं। वह आम जनता से जुड़ने और संवाद करने का कोई भी मौका चुकते नहीं। यूपी चुनाव नजदीक आने के साथ ही प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) से लेकर अखिलेश यादव तक ने खूब जनसभाएं और रोड शो किए लेकिन, इस आलोचना से नहीं बच पाए कि आम दिनों में इनमें से कोई भी नेता नजर नहीं आता। साफ है कि मोदी और अमित शाह (Amit Shah) ने राजनीति को फुल टाइम प्रोफेशन बना दिया है। कभी-कभी सड़क पर उतरने और ट्विटर पर राजनीति करने वाले नेताओं के लिए मोदी को टक्कर देना बेहद मुश्किल है।

तीसरा मिथक: जाति या धर्म के नाम पर मिलते हैं वोट

भारतीय जनता पार्टी (BJP) और नरेंद्र मोदी ने जाति और धर्म से अलग अपना एक ऐसा वोट बैंक तैयार किया है जो सरकारी योजनाओं का सीधा लाभ उठा रहा है। किसान सम्मान निधि, हर घर में जल, गरीबों को आवास, मुद्रा लोन और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना जैसी योजनाओं का लाभ पाने वाला यह वर्ग हर जाति और धर्म से जुड़ा हुआ है। इसे ही आज लाभार्थी वर्ग कहा जा रहा है जिसने यूपी की राजनीति में जातिगत राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों को भारी नुकसान पहुंचाया है।

चौथा मिथक: पुरुषों से प्रभावित होती हैं महिला वोटर

मोदी और अमित शाह (Amit Shah) ने महिलाओं को अपने पक्ष में करने के लिए विशेष प्रयास किया है। 2014 में चुनाव जीतने के बाद मोदी सरकार ने उज्जवला योजना और हर घर शौचालय की योजना की न सिर्फ घोषणा की बल्कि, जमीनी स्तर पर उसे लागू करके दिखाया भी। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में हर घर नल से जल योजना पर सबसे ज्यादा जोर है ताकि, पीने के पानी के लिए महिलाओं को होने वाली परेशानी से उन्हें निजात दिलाई जा सके। इसी तरह यूपी में कानून व्यवस्था के सुधरते हालात को योगी सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है क्योंकि, इससे महिलाओं को सीधे राहत मिली है।

पांचवां मिथक: धर्म को छुपाने या दिखाने से मिलता है वोट

मोदी और योगी ने धर्म के नाम पर राजनीति करने के बजाए, धार्मिक पहचान को गर्व के साथ जाहिर करने को आम चलन बना दिया है। बनारस से लोकसभा चुनाव लड़ने की घोषणा के साथ ही नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने स्पष्ट कर दिया था कि वह अपनी धार्मिक पहचान को छुपाने या धर्मनिरपेक्षता का दिखावा करने वाली राजनीति में भरोसा नहीं करते। हालांकि, विरोधी उन पर ध्रुवीकरण की राजनीति करने का आरोप लगाते हैं लेकिन, आम मतदाता को मोदी (Modi) और योगी (Yogi) का यह अंदाज पसंद आता है। यहां तक कि विरोध करने वाले अन्य दलों के नेता भी अब तिकल लगाने और मंदिरों में पूजा अर्चना करने और उसका सार्वजनिक प्रदर्शन करने से चूकते नहीं हैं। यूपी में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) तो यह दावा भी करते हैं कि उनकी सरकार बनने के बाद यूपी में एक भी सांप्रदायिक दंगा नहीं हुआ है।

भारतीय जनता पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ब्रांड के तौर पर स्थापित किया है। बीजेपी ने राजनीति को 24/7 पेशा बना दिया है और जाति-धर्म से अलग एक विशेष 'लाभार्थी वर्ग' तैयार किया है, जो सिर्फ बीजेपी को वोट देता हैै। इसके अलावा, महिलाओं को केंद्र में रखकर योजनाएं बनाने और धार्मिक पहचान को छुपाने के बजाए उस पर गर्व करने की राजनीति ने बीजेपी को अन्य दलों को बिलकुल अलग खड़ा कर दिया है। 2017 में भगवाधारी योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का सीएम बनना चौंकाने वाली खबर थी। हालांकि, स्पष्ट बहुमत के साथ योगी का दोबारा सत्ता में आना यह बताता है कि सरकार का प्रदर्शन या रिपोर्ट कार्ड ही सफलता की गारंटी है। जातियों का समीकरण साधने और मंदिर में मत्था टेकने भर से किसी भी दल या नेता को वोट नहीं मिलने वाला।

- संजीव श्रीवास्तव