UP Violence सहारनपुर में दो उपद्रवियों के घर पर चला बुलडोजर, 56 गिरफ्तार, लगेगी रासुका

UP Violence सहारनपुर में दो उपद्रवियों के घर पर चला बुलडोजर, 56 गिरफ्तार, लगेगी रासुका
locationभारत
userचेतना मंच
calendar11 Jun 2022 10:57 PM
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UP Violence : उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद उपद्रव कर पत्थरबाजी करने के आरोपियों को लेकर पुलिस प्रशासन सख्त नजर आ रहा है। 54 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और अब इन सभी के खिलाफ रासुका की कार्रवाई किए जाने की तैयारी की जा रही है। वहीं दो आरोपियों के घरों पर पुलिस प्रशासन ने बुलडोजर की कार्रवाई की है।

UP Violence

आपको बता दें कि 10 जून को जुमे की नमाज के बाद भारी भीड़ सड़कों पर उतर आई थी। जामा मस्जिद के बाहर जहां जमकर प्रदर्शन किया गया था, वहीं नमाजियों में शामिल कुछ उपद्रवियों ने पत्थरबाजी की घटना को भी अंजाम दिया था। उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर पुलिस सख्त नजर आ रही है। शनिवार को दो आरोपियों मोहल्ला खाताखेड़ी निवासी रईस और मोहल्ला हबीबगढ़ निवासी मुजम्मिल के घरों पर बुल्डोजर की कार्रवाई की गई। शनिवार की दोपहर पुलिस और प्रशासन की टीम दो उपद्रवियों के घरों पर बुल्डोजर लेकर पहुंची और इनके घर पर अवैध निर्माण को गिराया गया।

[caption id="attachment_26542" align="alignnone" width="873"]UP Violence UP Violence[/caption]

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आकाश तोमर ने बताया कि शुक्रवार को हुई हिंसा के 56 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। बाकी लोगों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी है। एसएसपी आकाश तोमर ने बताया की जिले में कानून व्यवस्था से खिलवाड़ नहीं होने दिया जाएगा। जिले में शांतिपूर्ण माहौल है। उन्होंने बताया कि अन्य आरोपियों को चिहिन्त कर गिरफ्तार किये जाने के प्रयास किए जा रहे हैं और इस बाबत पुलिस की कई टीमों को लगाया गया है। एसएसपी आकाश तोमर ने जानकारी देते हुए बताया की गिरफ्तार हुए आरोपियों पर रासुका (N.S.A) की कार्रवाई की जाएगी।

इसके अलावा उपद्रव करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग को लेकर भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल डीएम से मिला। भाजपा नेताओं का कहना था कि एक सोची-समझी योजना के तहत उपद्रवियों ने व्यापारियों में दहशत पैदा करने का काम किया है।

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अखिलेश यादव ने वापस मांग लिया अपना दिया हुआ गिफ्ट

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar11 Jun 2022 09:14 PM
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Lucknow: लखनऊ। 'मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास रखा है वो लौटा दो।' 1987  में आई फिल्म इजाजत में गाए गए इस गीत के बोल इस समय उत्तर प्रदेश के राजनीतिक गलियारे में खूब गूंज रहे हैं और गूंजे भी क्यों नहीं। आखिर मामला है ही बड़ा रोचक। समाजवादी पार्टी तथा महान दल के बीच विधानसभा चुनाव से पूर्व हुए सियासी निकाह में अब खटास आ चुकी है। सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव(SP Supremo Akhilesh Yadav)  ने महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य (Mahan Dal President Keshav Dev Maurya) को गिफ्ट में ऑटोमेटिक फार्चूनर कार भेंट की थी। लेकिन  राज्यसभा और विधान परिषद चुनाव में हिस्सेदारी ना मिलने से नाराज महान दल के प्रमुख केशव देव मौर्य ने बुधवार को सपा से गठबंधन तोडऩे का एलान किया है। जैसे ही केशव देव मौर्य ने गठबंधन तोडऩे का ऐलान किया। अखिलेश यादव ने बीती दिवाली में उन्हें गिफ्ट में दी फॉर्च्यूनर गाड़ी वापस मांग ली। पिछले साल दीपावली के दिन ऑटोमेटिक फॉर्च्यूनर मिलने के बाद केशव देव मौर्य की पत्नी और उनके बेटे बहू ने कार की पूजा की थी। केशव देव मौर्य ने बताया बीते कि 7 महीने पहले की बात है जब हमारा समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन हुआ था। तब अखिलेश यादव ने दीपावली पर गठबंधन का गिफ्ट घर पहुंचाया था। फॉर्च्यूनर गाड़ी समाजवादी पार्टी के नाम से रजिस्टर्ड है हम ने मना किया तो कहा गया, ये गठबंधन का गिफ्ट है आप अब इसी से चलेंगे। फिलहाल केशव देव मौर्य को गाड़ी वापस देने की मायूसी भी है। उन्होंने कहा कि हम कार्यकर्ताओं के धन से गाडिय़ां खरीदने पर आए तो सैकड़ों गाडिय़ां खरीद सकते हैं। श्री मौर्य ने कहा कि हमको केवल 2 विधानसभा सीट दी गई जबकि हमने 13 विधानसभा सीटें मांगी थी। फिर भी हम चुनाव तक शांत थे कि अखिलेश यादव की सरकार बनेगी। केशव देव मौर्य ने कहा जब 8 विधानसभा वाले को राज्यसभा भेजा जा सकता है। तो हमारे गठबंधन में हमें विधान परिषद सदस्य क्यों नहीं बनाया गया। लगातार उपेक्षा के चलते हमने सपा से गठबंधन तोडऩे का ऐलान किया है।
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Uttar Pradesh: पुलिस और प्रशासन के लिए आने वाले दिन चुनौती भरे!

Saharanpur 1
Uttar Pradesh
locationभारत
userचेतना मंच
calendar11 Jun 2022 07:39 PM
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Uttar Pradesh भाजपा की प्रवक्ता रहीं नूपुर शर्मा की विवादित टिप्पणी के बाद यूपी में माहौल लगातार गर्म हो रहा है। कानपुर से भड़की हिंसा अब दूसरे शहरों का रुख कर रही है। शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद यूपी के प्रयागराज, सहारनपुर और मुरादाबाद में हिंसा भड़की तो वहीं झारखंड की राजधानी रांची में भी जमकर बवाल हुआ। रांची में तो दो लोगों की मौत भी हो गई। पिछले दिनों कानुपर और इसके बाद प्रयाराज में हुए बवाल की तस्वीरें बताती हैं कि दोनों जगहों पर उपद्रवियों का तरीका एक जैसा ही रहा। यूपी के खुफिया विभाग ने आशंका जताई है कि आने वाले दिनों में यूपी के अन्य शहरों में भी उपद्रवी अपनी हरकतों को अंजाम दे सकते हैं। इसलिए पुलिस और प्रशासन के लिए आने वाले दिन चुनौती भरे होने की संभावना है।

Uttar Pradesh

कानपुर और फिर प्रयागराज में हिंसा के लिए जुमे की नमाज के बाद ही समय चुना गया। इस दिन मस्जिदों में नमाज अदा करने के लिए लोग भारी संख्या में जुटते हैं। ऐसे में उपद्रव की साजिश रचने वालों को भीड़ जुटाकर अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए अनावश्यक मशक्कत नहीं करनी पड़ी। फिर, एक-दूसरे को उकसा कर उन्हें हिंसा में शामिल कर लिया गया।

कानपुर और प्रयागराज में पुलिस और स्थानीय इंटेलिजेंस भले ही दावा करे कि उनकी ओर से सतर्कता बरती गई थी। मगर, हकीकत में पुलिस और स्थानीय इंटेलिजेंस से बड़ी चूक हुई। उपद्रवियों ने पहले से ही ईंट-पत्थर, बम और पेट्रोल बम इकट्‌ठा कर रखे थे। इसकी भनक पुलिस और इंटेलिजेंस को माहौल बिगड़ने के पहले नहीं लग पाई।

कानपुर में 3 जून को हिंसा की शुरुआत नई सड़क से हुई थी। वहीं, 10 जून को प्रयागराज में हिंसा की शुरुआत अटाला से हुई। दोनों ही शहरों के यह स्थान ऐसे हैं, जहां भारी भीड़ उमड़ने के बाद भी पर्याप्त संख्या में फोर्स नहीं तैनात की गई थी। नतीजतन, उपद्रवियों को हिंसा के लिए पर्याप्त समय और अवसर मिला और पुलिस काफी मशक्कत के बाद माहौल को सामान्य करने में सफल हुई।

कानपुर और प्रयागराज में जुमे के दिन हुई हिंसा में 15 से 17 साल के लड़के पथराव करने के दौरान सबसे आगे दिखे। यह सुनियोजित साजिश का एक अहम पहलू माना जा रहा है। हिंसा की साजिश रचने वालों को पूरा विश्वास था कि बच्चों को आगे देख पुलिस के रुख में नरमी आएगी और उन्हें उपद्रव की आग को फैलाने के लिए पर्याप्त अवसर मिलेगा।

कानपुर और प्रयागराज में हुई हिंसा में यह बात सामने आई है कि इसकी साजिश में शामिल रहे लोगों का नाता सीएए-एनआरसी प्रदर्शन से भी रहा है। भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा को लेकर देशव्यापी विरोध के बीच ऐसे लोगों की गतिविधियों की मॉनिटरिंग नहीं की गई। नतीजतन, वही लोग भोले-भाले लोगों को हिंसा में शामिल होने के लिए उकसाने में सफल रहे।

कानपुर और फिर प्रयागराज में हिंसा से पहले वॉट्सऐप जैसे सोशल मीडिया के अहम प्लेटफार्म का सहारा लिया गया। उसके सहारे धर्म विशेष के लोगों को फर्जी मैसेज भेज कर उनकी धार्मिक भावनाओं को भड़काया गया। यह मैसेज खासतौर से उन्हीं लोगों को भेजे गए जो सोशल मीडिया की हर खबर पर आसानी से आंख बंद कर भरोसा कर लेते हैं और उसके बारे में अन्य लोगों को भी बताते हैं।

कानपुर में हिंसा से पहले राज्य सरकार के आला अफसरों ने चेताया था कि हर छोटी-बड़ी घटना पर नजर रखी जाए। माहौल को भांपते रहें और तैयारी मुकम्मल रखें। इसके बावजूद स्थानीय पुलिस-प्रशासनिक स्तर से लापरवाही हुई और उसका नतीजा उपद्रव के तौर पर देखने को मिला। कानपुर हिंसा के बाद एक बार फिर राज्य सरकार की ओर से सभी जिलों को अलर्ट किया गया था, लेकिन कानपुर की गलती प्रयागराज में भी दोहराई गई और शहर में बवाल हो गया। अलर्ट को गंभीरता से नहीं लिया गया।

>> Violence in UP प्रयागराज, सहारनपुर और मुरादाबाद में बवाल, पत्थरबाजी