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तबले की थाप से दिल जीतने वाले Zakir Hussain ने दुनिया को कहा अलविदा, दौड़ी शौक की लहर

Zakir Hussain

Zakir Hussain

Zakir Hussain : तबले की थाप से दुनियाभर का दिल जीतने वाले मशहूर तबला वादक जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) ने अब हमेशा-हमेशा के लिए दुनिया को अलविदा कह दिया है। जाकिर हुसैन के निधन की खबर से बॉलीवुड जगत से लेकर खेल जगत तक को गहरा झटका लगा है। जानकारी के मुताबिक जाकिर हुसैन का इलाज सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में चल रहा था। जहां इलाज के दौरान उनका निधन हो गया।

दुनिया को जाकिर हुसैन का अलविदा

जानकारी के अनुसार, मशहूर तबला वादक और 5 बार ग्रैमी अवार्ड के विजेता उस्ताद जाकिर हुसैन (Zakir Hussain) का निधन सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में हुआ। जाकिर हुसैन के निधन की खबर उनके परिवार की ओर से दी गई थी। बता दें कि जाकिर हुसैन 73 साल के थे। इससे पहले 15 दिसंबर की रात को फैमिली ने मौत की खबरों का खंडन किया था। उनकी बहन खुर्शीद ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से कहा था कि, उनकी सांसें चल रही हैं लेकिन हालत नाजुक है। उनकी सेहत के लिए दुआ करें। परिवार ने कहा, ‘वह अपने पीछे एक असाधारण विरासत छोड़ गए हैं, जिसे विश्व भर के असंख्य संगीत प्रेमी संजोकर रखेंगे, जिसका प्रभाव आने वाली पीढ़ियों तक रहेगा।’

सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि देने वाले पोस्ट की बाढ़

Zakir Hussain की निधन की खबर से बॉलीवुड जगत से लेकर खेल जगत तक में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। ऐसे में कई हस्तियों ने एक्स पर उनके साथ बिताए खूबसूरत लम्हों को पोस्ट करते हुए दुख जताया है। खेल जगत के अलावा नेताओं ने भी दुख जताते हुए एक्स पर पोस्ट किया है। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने पोस्ट किया, ‘महान तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन जी के निधन की खबर बेहद दुखद है। उनका निधन संगीत जगत के लिए बहुत बड़ी क्षति है। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और फैंस के साथ हैं। उस्ताद जाकिर हुसैन जी अपनी कला की ऐसी विरासत छोड़ गए हैं, जो हमेशा हमारी यादों में जिंदा रहेगी।’

इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस की वजह से हुआ निधन

खबरों की मानें तो Zakir Hussain का निधन इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस (IPF) की वजह से हुआ। बात करें अगर IPF की तो IPF एक गंभीर और क्रोनिक बीमारी है जो फेफड़ों के ऊतकों को प्रभावित करती है। IPF में फेफड़ों की दीवारें मोटी हो जाती हैं जिससे हवा की थैलियों (एल्वियोली) में ऑक्सीजन का आदान-प्रदान मुश्किल हो जाता है। स्वस्थ फेफड़ों में, ऑक्सीजन आसानी से एल्वियोली की दीवारों से होकर खून में प्रवेश करती है। लेकिन IPF में ये मोटी दीवारें ऑक्सीजन को रक्त में जाने से रोकती हैं, जिससे शरीर के अन्य अंगों, खासकर मस्तिष्क, को जरूरी ऑक्सीजन नहीं मिल पाती है। इस कारण से सांस लेने में कठिनाई होती है, और स्थिति समय के साथ और गंभीर हो सकती है।

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