Surajkund Mela 2024 : भारतीय हैंडलूम और टूरिज्म की परंपरा को बढ़ावा देने के लिए दिल्ली से सटे फरीदाबाद में हरियाणा पर्यटन द्वारा आयोजित वार्षिक मेला सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला शुक्रवार यानी 2 फरवरी को शुरू हुआ। इस कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने फीता काटकर किया। 37वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले में गुजरात थीम राज्य है। जो क्षेत्र के विभिन्न कला रूपों और हस्तशिल्प के माध्यम से अपनी अनूठी संस्कृति और समृद्ध विरासत का प्रदर्शन कर रहा है।
Surajkund Mela 2024
37वें अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले का शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उद्घाटन किया। मेले में पहुंची राष्ट्रपति ने कहा कि आज सूरजकुंड मेला अनेक देशों के हस्तशिल्पियों का महाकुंभ बन गया है। यह हमारी सांस्कृतिक विविधता और परंपरा के साथ-साथ नवीनता का उत्सव है, जो कला और शिल्प सीमाओं को तोड़कर समझ के पुल बनाता हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया उद्घाटन
सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले के उद्घाटन के मौके पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय और मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और पर्यटन मंत्री कुंवरपाल मौजूद रहे। मेले के 16 दिनों के दौरान 20 करोड़ रुपये से ज्यादा का व्यापार होने की उम्मीद है, जो शिल्पकारों और हथकरघा व्यापारियों के लिए आर्थिक दृष्टि से एक बहुत बड़ा मंच साबित होगा। इस दौरान राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मेला परिसर में हरियाणा के अपना घर पवेलियन का दौरा किया और हरियाणवी संस्कृति की झलक बिखेर रहे शिल्पकारों से रूबरू हुईं। उन्होंने कलाकृतियों के बारे में भी जानकारी ली। साथ ही मेले के थीम स्टेट गुजरात राज्य के स्टॉलों का अवलोकन करते हुए शिल्पकारों से भी संवाद किया। उन्होंने कहा कि तंजानिया इस वर्ष के मेले का भागीदार देश है। पिछले वर्ष अक्तूबर में तंजानिया की राष्ट्रपति सामिया सुलुहू हसन से चर्चा के दौरान दोनों देशों की सांस्कृतिक आदान-प्रदान को और अधिक विस्तारित करने के महत्व पर सहमति बनी थी।
पहले दिन ही दिखी भीड़
आपको बता दे कि हरियाणा हरियाणा पर्यटन द्वारा आयोजित सूरजकुंड मेले में बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। सूरजकुंड मेले में पहुंचे लोगों ने लगभग 50 देशों के हस्तशिल्प और हथकरघा उत्पादों के बारे में जानकारी लेने के बाद खरीदें है। मेले पहले दिन ही लोगों की भीड़ देखने को मिली है।
क्या है सूरजकुंड मेले का महत्व?
सूरजकुंड का अर्थ है ‘सूर्य की झील’, इसका अत्यधिक ऐतिहासिक महत्व है। मेले का नाम सूरजकुंड झील के नाम पर पड़ा, जो 10वीं शताब्दी में तोमर वंश के राजा सूरज पाल द्वारा निर्मित एक प्राचीन जलाशय था। हरियाणा सरकार ने हरियाणा राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेला की शुरुआत की, जो हर साल फरवरी के महीने में लगता है। यह आयोजन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह से दर्शकों को आकर्षित करता है।
सूरजकुंड मेले में जाने का समय
सूरजकुंड मेले में एंट्री करने का समय सुबह 10 बजे से शाम सात बजे तक निर्धारित किया गया है। अगर आप मेला घूमना चाहते हैं तो 18 फरवरी तक सुबह 10 बजे से शाम सात बजे के बीच मेले में एंट्री कर सकते हैं। इसके बाद एंट्री बंद हो जाएगी।
कहां से मिलेगा टिकट
सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले के टिकट प्रमुख ऑनलाइन बुकिंग प्लेटफार्मों और आयोजन स्थल पर आसानी से उपलब्ध हैं। टिकट के लिए लोगों को परेशान होने की जरुरत नहीं है। सूरजकंड मेले के टिकट मेला गेट पर भी आसानी से मिल जाएगा।
इतनी है टिकट की कीमत
कार्य दिवस के दौरान यानी सोमवार से शुक्रवार तक, सूरजकुंड अंतर्राष्ट्रीय शिल्प मेले की टिकट की कीमत ₹120 है। सप्ताहांत यानी शनिवार और रविवार को टिकट की कीमत ₹180 है। इसके अलावा स्कूल और कॉलेज के छात्र सप्ताह के दिनों में प्रवेश टिकटों पर 50% छूट का लाभ उठा सकते हैं। बशर्ते वे टिकट खरीदते समय एक वैध आईडी कार्ड पेश करें। आपको बता दें कि सूरजकंड मेले में वरिष्ठ नागरिक, दिव्यांग व्यक्ति और सैनिक भी प्रवेश टिकटों पर 50% छूट का लाभ उठाने के पात्र हैं।
खरीद सकेंगे 50 देशों के उत्पाद
हरियाणा सरकार के पर्यटन विभाग के प्रधान सचिव एमडी सिन्हा ने कहा कि हस्तशिल्प, हथकरघा और भारत की सांस्कृतिक विरासत की समृद्धि और विविधता को प्रदर्शित करने के लिए 1987 में पहली बार सूरजकुंड शिल्प मेले का आयोजन किया गया था। उन्होंने कहा कि केंद्रीय पर्यटन, कपड़ा, संस्कृति, विदेश मंत्रालय और हरियाणा सरकार के सहयोग से सूरजकुंड मेला प्राधिकरण और हरियाणा पर्यटन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित यह उत्सव देश में गौरव और प्रमुखता का स्थान ले चुका है। सिन्हा ने कहा कि इस वर्ष लगभग 50 देश इस सूरजकुंड मेले में हिस्सा ले रहे है। Surajkund Mela 2024
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