Friday, 19 April 2024

Bollywood News: हरियाणवी फिल्मों के सुपर हीरो की कहानी

  अरविंद प्रसाद नोएडा/गाजियाबाद। पाठक शायद यकीन ना करें किन्तु यह बिल्कुल सच्ची घटना है। मात्र 8 वर्ष की उम्र…

Bollywood News: हरियाणवी फिल्मों के सुपर हीरो की कहानी

 

अरविंद प्रसाद
नोएडा/गाजियाबाद। पाठक शायद यकीन ना करें किन्तु यह बिल्कुल सच्ची घटना है। मात्र 8 वर्ष की उम्र में एक बच्चे ने फिल्मी हीरो बनने का सपना देखा और आज वह बच्चा देश ही नहीं दुनिया में करोड़ों दर्शकों का पसंदीदा कलाकार बन गया है।

7 अक्टूबर 1973 को गाजियाबाद जनपद के एक छोटे से गांव बेहटा हाजीपुर में पैदा हुआ एक बच्चा आज हरियाणवी सिनेमा (देहाती फिल्मों) का बेताज बादशाह बना हुआ है। यह कलाकार जब मात्र 8-9 वर्ष का था तो इसने भारतीय सिनेमा के ही-मैन नाम से प्रसिद्ध अभिनेता धर्मेन्द्र की फिल्म मॉं देखी थी। उस फिल्म में धर्मेन्द्र की अदाकारी देखकर बच्चे के मन में एक सपना कौंध गया कि उसे भी बड़ा होकर ऐसा ही कलाकार बनना है। वह बच्चा थोड़ा बड़ा हुआ। अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद आज का यह नामी-गिरामी कलाकार मायानगरी मुंबई चला गया। वहां फिल्मों में काम की तलाश में धक्के तो खूब खाए किन्तु अडिय़ल स्वभाव के कारण काम मांगने किसी के दफ्तार में कभी नहीं गया। कुछ दिन मुंबई में भटकने के बाद इस युवक ने नोएडा के एएएफटी नामक संस्थान में लेखन व निर्देशन के क्षेत्र में दाखिला लिया। उस संस्थान से फिल्मों की बारीकियां सीखकर भी कहीं कोई काम नहीं मिला। इस बीच अपने कुछ मित्रों के सहयोग से उस युवक ने एक हरियाणवी फिल्म बनाई। फिल्म का नाम था बावली दुर्भाग्य से फिल्म पूरी तरह से फ्लाप हो गयी।

 

अधिकतर पाठक अब तक समझ गए होंगे कि हम यहां किस कलाकार की बात कर रहे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं हरियाणवी फिल्मों (देहाती सिनेमा) के सुपर स्टार कहे जाने वाले उत्तर कुमार की। उत्तर कुमार को धाकड़ छोरा के नाम से भी जाना जाता है। उनके चाहने वाले उन्हें देशी फिल्मों का अमिताभ बच्चन भी कहते हैं। जिस फिल्म में उत्तर कुमार अभिनय करते हैं उन फिल्मों की दर्शक संख्या अकेले यू-टयूब पर 5 से 6 करोड़ तक होती है। आज फिल्मी दुनिया में कोई दूसरा ऐसा कलाकार नजर नहीं आता कि जिसकी फिल्में इतनी बड़ी तादात में दर्शक देखते हों।

बचपन से हीरो बनने का सपना देखने वाले आज के सुपर हीरो उत्तर कुमार चेतना मंच के कार्यालय में पधारे तो सवाल-जवाब का लम्बा सिलसिला चला। जब हमने उनसे पूछा कि वे फिल्मी दुनिया में आज इस मुकाम तक कैसे पहुंचे तो उन्होंने साफ कहा कि मैं आज जो भी हूं वह केवल अपने दर्शकों की बदौलत हूं। मुझे दर्शक व्यापक प्यार करते हैं। बावली फिल्म फ्लाप होने के बाद क्या हुआ? इस सवाल के जवाब में उन्होंने बताया कि यह वर्ष 2004 के आसपास की बात है। दिल्ली व एनसीआर में काले बंदर का आतंक फैला हुआ था। मैं उसी आतंक पर फिल्म की कहानी लिख रहा था। फिर एक दिन दोस्तों में गप-शप हो रही थी। सभी मित्र अपने-अपने कॉलेज के किस्से सुना रहे थे। मेरा कोई किस्सा नहीं था। मैंने एक मित्र का किस्सा सुनाया जो सभी मित्रों को बहुत पसंद आया। दोस्तों की राय पर उसी किस्से पर आधारित एक कहानी लिखी जिसका नाम रखा गया धाकड़ छोरा उस कहानी पर फिल्म बनाई। वह फिल्म रातोंरात सुपरहिट हो गयी। फिर क्या था यह सिलसिला चल पड़ा। वे अब तक 60 से भी अधिक फिल्में बना चुके हैं। हाल ही में यूटयूब पर आई उनकी फिल्म रामपाल हवलदार खूब वाहवाही बटोर रही है। आने वाले दिनों में कुछ और आकर्षक फिल्में दर्शकों को देखने को मिलेंगी।

पांच करोड

बातचीत में उत्तर कुमार बताते हैं कि फिल्म धाकड़ छोरा के निर्माण पर मात्र साढ़े चार लाख रूपए खर्च हुए थे। उस फिल्म ने चंद दिनों में ही पांच करोड़ रूपए कमा लिए थे। आज भी उस फिल्म से कमाई हो रही है। हरियाणवी फिल्म (देहाती सिनेमा) जगत में वह फिल्म मील का पत्थर साबित हुई है।

पूरे परिवार की फिल्म

हरियाणवी फिल्मों के सुपर स्टार उत्तर कुमार बताते हैं कि उनकी फिल्मों का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि उन्हें पूरा परिवार एक साथ बैठकर पूरे आनंद के साथ देख सकता है। हर आयु वर्ग के दर्शकों के लिए फिल्म में कुछ ना कुछ अवश्य होता है। प्रत्येक फिल्म में उनका प्रयास कोई ना कोई सामाजिक संदेश देने का अवश्य रहता है। उनका मत है कि फिल्में समाज का दर्पण बन चुकी है। वे यह भी बताते हैं कि आज हरियाणवी फिल्म उद्योग बॉलीवुड को ना केवल कड़ी टक्कर दे रहा है बल्कि कई मामलों में उनसे आगे निकल गया है। एक-एक फिल्म को 5 से 6 करोड़ दर्शक देख रहे हैं जो अपने आप में बड़ा रिकार्ड है।

 

 

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