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Exclusive : परमवीर चक्र विजेता कैप्टन सलारिया ने दे दी थी अपने प्राणों की आहुति

अंजना भागी
Exclusive : नई दिल्ली। भारतीय सेना में अपने प्राणों की आहुति देकर देश के सम्मान की रक्षा करना हमारे सैनिकों का गहना है। ऐसे ही एक शूरवीर कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया  (Captain Gurbachan Singh Salaria) का जन्म 29 नवंबर 1935 को पंजाब (Punjab) में हुआ था। वे भारतीय सेना में एक शानदार अफसर थे। देश में मरणोपरांत उन्हें परमवीर चक्र (Paramveer Chakra) से सम्मानित (Honoredv) किया गया है।

दिसंबर 1961 में कांगो में संयुक्त राष्ट्र के ऑपरेशन के तहत कांगो गणराज्य में तैनात भारतीय सैनिकों में सलारिया भी शामिल थे। 5 दिसंबर को सलारिया की बटालियन को दो बख्तरबंद कारों पर सवार पृथकतावादी राज्य कातांगा के 150 सशस्त्र पृथकतावादियों द्वारा एलिज़ाबेविले हवाई अड्डे के मार्ग के अवरुद्धीकरण को हटाने का कार्य सौंपा गया। उनकी रॉकेट लांचर टीम ने कातांगा की बख्तरबंद कारों पर हमला किया और उन्हें नष्ट कर दिया।

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इस अप्रत्याशित कदम ने सशस्त्र पृथकतावादियों को भ्रमित कर दिया, और सलारिया ने महसूस किया कि इससे पहले कि वे पुनर्गठित हो जाएं। इसलिए विरोधियों पर हमला करना इस समय सबसे अच्छा होगा। हालांकि उनकी सेना की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी फिर भी उन्होंने पृथकतावादियों यानि अपने विरोधियों पर हमला करवा दिया। इस हमले में 40 लोगों को उनकी टुकड़ी ने हमले में मार गिराया।

हमले के दौरान सलारिया के गले में दो गोली लगी और वे शहीद हो गए। इस हमले के दौरान बाकी बचे पृथकतावादी अपने घायल और मरे हुए साथियों को छोड़ कर भाग खड़े हुए और इस प्रकार मार्ग का अवरुद्धीकरण साफ़ हो गया। अपने कर्तव्य और साहस के लिए कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया को भारत सरकार द्वारा वर्ष 1962 में मरणोपरांत परम वीर चक्र (Paramveer Chakra) से सम्मानित किया गया। आज उनके जन्मदिन के अवसर पर चेतना मंच परिवार उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करता है।

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