Handicap Day: विकलांग दिवस पर विशेष
3 दिसंबर को यानी आज के दिन दुनियाभर में विश्व दिव्यांग दिवस (World Disability Day) मनाया जाता है। इस दिन…
Sonia Khanna | December 3, 2021 1:10 AM
3 दिसंबर को यानी आज के दिन दुनियाभर में विश्व दिव्यांग दिवस (World Disability Day) मनाया जाता है। इस दिन को मुख्य रूप से दिव्यागों के प्रति लोगों के व्यवहार में बदलाव लाने और उन्हें उनके अधिकारों के प्रति जागरुक करने के लिए मनाया जाता है। 1992 के बाद से ही दुनियाभर में विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जा रहा है। आईये जानते हैं दिव्यांग दिवस के बारे में और इसके कानून के बारे में ।
कब और कैसे बना हैंडीकैप शब्द
बताते चलें कि हैंडीकैप शब्द की 15वीं-16वीं शताब्दी में इंग्लैंड में पुराना योद्धाओं की वजह से किंग Henry VII के दौर में चलन में आया, क्योंकि योद्धा, युद्ध के बाद शारीरिक अक्षमता की वजह से रोज़मर्रा की ज़रुरतें पूरी नहीं कर पा रहे थे। इसलिए वे गलियों में भीख मांगने के मकसद से हाथ में कैप लेकर चलते थे। जिसे किंग हेनरी ने लीगल करार कर दिया था।
Handicap शब्द का डेवलपमेंट
1653 में ये शब्द एक खेल को बयां करता था।
1754 से इसे घोड़ों की रेस में इस्तेमाल किया गया।
1833 में भी स्पोर्टिंग वर्ल्ड में इस्तेमाल किया गया।
1915 में पहली बार हैंडीकैप का इस्तेमाल शारीरिक रूप से अपंग बच्चों के लिए किया गया।
1950 से हैंडीकैप टर्म को व्यस्क और दिमागी रूप से अक्षम लोगों के लिए भी इस्तेमाल किया गयागया।
1980 के दशक में अमेरिका की डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी ने विकलांगो के लिए Handicapped की जगह Differently Abled शब्द के इस्तेमाल पर जोर दिया. ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी में शब्द disabled 20वीं शताब्दी के आखिर में आया।
नरेंद्र मोदी ने विकलांग से दिव्यांग नाम दिया
दिसंबर 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ में विकलांग को दिव्यांग नाम दिया। प्रधानमंत्री के सुझाव के बाद हिंदी भाषा में विकलांग की जगह ‘दिव्यांग’ चलन में है।
भारत में कितने है दिव्यांग
2001 की जनगणना के मुताबिक, भारत में लगभग 21 मिलियन (2.1 करोड़) से ज्यादा दिव्यांग थे। जिसमें से 12.6 मिलियन पुरुष व 9.3 मिलियन महिलाएं थी। उस समय ये तादाद देश की कुल आबादी की 2.1 फीसद बताई गई थी।
दिव्यांगता और कानून
भारत का सविधान अपने सभी नागरिको के लिए समानता ,स्वतंत्रता ,न्याय एवं गरिमा सुनिश्चित करता है | हाल के वर्षो में विकलांगो के प्रति समाज का नजरिया तेजी से बदला है | यह माना जाता है कि यदि दिव्यांग व्यक्तियों को समान अवसर तथा प्रभावी पुनर्वास की सुविधा मिले तो वे बेहतर गुणवत्तापूर्ण जीवन व्यतीत कर सकते है |
दिव्यांग व्यक्ति (समान अवसर ,अधिकार सुरक्षा और पूर्ण भागीदारी) अधिनियम 1995 , जो ऐसे लोगो को शिक्षा ,रोजगार , अवरोधमुक्त वातावरण का निर्माण ,सामजिक सुरक्षा इत्यादि प्रदान करना है |
स्वलीनता (Austism) , प्रमस्तिस्क पक्षाघात (cerebral palsy) ,मानसिक मंदबुद्धि एवं बहुविकलांगता के लिए राष्ट्रीय कल्याण अधिनियम 1999 के चारो वर्गो के कानूनी सुरक्षा तथा उनके स्वतंत्र जीवन हेतु सहज रूप से सम्भवत वातावरण निर्माण का प्रावधान है |
भारतीय पुनर्वास अधिनियम 1992 पुनर्वास सेवाओ के लिए मानव बल विकास का प्रयास करना है |
विश्व दिव्यांग दिवस मनाने की है जरूरत
अधिकतर लोग यह नहीं जानते हैं कि उनके आस-पड़ोस में कितने दिव्यांग लोग हैं। समाज में उन्हें उनके अधिकार मिल रहे हैं या नहीं। अच्छी सेहत और आत्म सम्मान पाने के लिए उन्हें समाज में मौजूद अन्य लोगों की मदद की जरूरत है लेकिन आमतौर पर लोग ऐसा नहीं करते। इसलिए दिव्यांगजनों की वास्तविक स्थिति के बारे में सामान्य लोगों को बताने और जागरुक करने के लिए विश्व दिव्यांग दिवस मनाया जाता है।