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चुनाव नजदीक आते ही आ धमका जादूगर

लेखक: अजय औदीच्य

जादूगर से बाजीगर बना मेरा दोस्त चुनावी मौसम आते ही ठीक वैसे ही मैदान में आ धमका, जैसे बारिश में टर्र-टर्र करने मेंढक आ जाते हैं। महीनों बाद उसका फोन आ गया, वरना मैं तो उसे भूल ही गया था।

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अब आखिर दोस्त है.. झेलना तो पड़ेगा ही। मैंने पूछा, कैसे याद कर लिया? उसने तपाक से जवाब दिया कि यार.. हाल तो पूछ लेता.. एकदम सवाल दाग दिया.. जैसे पराए लोग करते हैं। मैं बोला.. अपनों से फॉरमेलिटी कैसी? अब कोरोना की तीसरी लहर आने से पहले तू जिंदा है, तो ठीक ही होगा। उसका सवाल था कि तीसरी लहर में क्या मुझे मारने का प्लान है? मैंने कहा.. मैं मारने वाला कौन हुआ? अब जब तू सीधे सरकार का आदमी है तो तुझे भला कौन मारेगा? मैंने पूछा कि काम की बात कर.. फोन करने के पीछे कोई खास वजह? उसने उल्टा सवाल दाग दिया.. पूछने लगा कि आजकल लोग मोदी जी के पीछे क्यों पड़े हैं। मैं बोला… मुझे क्या पता..दो करोड़ सालाना रोजगार और हर खाते में 15 लाख की तरह फिर फेंक दिया होगा कोई ज़ुमला! जादूगर दोस्त शुरू हो गया। बोला.. यार, जब देश की जनता को झूठ इतना रास आता है कि झूठ की बिना पर ही दो-दो बार सरकार बना सकती है तो कोई भला सच क्यूं बोलने लगे? फिर झूठ अच्छा लगे तो बोलें क्यूं ना भला? 15 अगस्त को अपने भाषण में मोदी जी ने विकास योजनाओं के लिये सौ लाख करोड़ रुपए खर्च करने की घोषणा कर क्या बुरा कर दिया? पाकिस्तान और चीन को डराने के लिये ऐसा किया होगा। मैं बोला.. अरे, सरकार का बजट तो बढ़ा लिया होता… बजट तो 35 लाख करोड़ का ही है। अगर सौ लाख करोड़ खर्च करने हैं तो सिर्फ छह लाख करोड़ रुपए के लिये रेल, जहाज समेत तकरीबन सारे सरकारी प्रतिष्ठान क्यों बेच रहे हैं? जादूगर दोस्त बोला.. हां यार, बात तो पते की बोल रहा है.. चूक हो गई यहां तो।

गलती महसूस होते देख मुझे भी मौका मिल गया कुछ कहने का। मैंने कहा… तू ही बता यार, जब कबीरदास, गुरु नानक और बाबा गोरखनाथ को साथ बिठाकर गपशप कराई जाएगी और बंगलादेश की आजादी के लिये अनशन करने का दावा होगा तो पकड़े तो जाएंगे ही। आखिर क्या जरूरत है इतना फेंकने की कि लोग फेंकू ही कहने लगें? लोगों की जिम्मेदारी है कि वे प्रधानमंत्री का सम्मान करें। लेकिन एक बात तो है कि जब हर रोज सैकड़ों लोग कोरोना से अब भी मर रहे हैं तो देशभर में होर्डिंग लगाकर खुद को ही धन्यवाद देने की क्या जरूरत है? मन की बात में ही अपनी पीठ ठोंक लेते। भगवान न करे कि कोरोना की तीसरी लहर आए, नहीं तो ये होर्डिंग्स और फजीहत कराएंगे। जादूगर दोस्त बोला.. अच्छा किया कि तूने बता दिया। मैं अभी संबित पात्रा से कहूंगा कि इस फजीहत का कोई तोड़ निकाले।

चैनल वालों को भी कहता हूं कि वे भी खोपड़ी खोलें और मोदी जी की सारी नाकामियां नेहरू जी की ओर फेंकने का अभियान चलाएं। मैं बोला.. हां, जल्दी दौड़, वरना चुनाव में नुकसान पक्का होगा। सरकार चली गई तो किसान छाती चौड़ी करेंगे और 24 की भी आधारशिला रख दी जाएगी। जादूगर दोस्त फुसफुसाया.. 24 में तो कुछ नहीं होने दूंगा। मैंने धीरे से पूछा.. क्या करोगे 24 में? दोस्त बोला .. पागल ईवीएम है ना। मैंने फोन काट दिया।

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