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विश्व स्वास्थ्य संगठन: देर तक नौकरी और एयर पॉल्यूशन से बढ़ रहा खतरा

वर्कप्लेस पर एयर पॉल्यूशन, शोर और देर तक काम करने जैसे रिस्क फैक्टर कर्मचारियों की जान मुश्किल में डाल रहे हैं। जॉब के दौरान होने वाली बीमारियां और इंजरी मौत का कारण बनती जा रही है। साल 2016 में इसके कारण दुनियाभर में 20 लाख लोगों ने दम तोड़ दिया है।

वर्कप्लेस पर अलग-अलग दिक्कतों से परेशान होने वाले कर्मचारियों पर पहली बार विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंटरनेशनल लेबर ऑर्गेनाइजेशन द्वारा जॉइंट रिपोर्ट जारी हुई है।

रिपोर्ट के अनुसार, 2000 से 2016 के बीच हुए काम के दौरान कर्मचारियों को होने वाली बीमारियों और इंजरीज की मॉनिटरिंग हो रही है। रिपोर्ट में मालूम हुआ है कि सबसे ज्यादा कर्मचारियों की मौत सांस और हृदय रोगों से होती है।

देर तक काम करने से होती है अधिक मौत

रिपोर्ट में मिली जानकारी के मुताबिक, 7.50 लाख लोगों की मौत अधिक समय तक काम करने से हुई है। वहीं 4.50 लाख मौतें वर्कप्लेस पर एयर पॉल्यूशन की समस्या के कारण हुई है।

विश्व में अधिक 81 फीसदी तक मौतों की वजह नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज बताई गई है। नॉन-कम्युनिकेबल डिजीज यानी वो बीमारियां हैं जो एक से दूसरे इंसान में संक्रमण के जरिए नहीं फैैल पाती हैं।

कर्मचारियों की सेहत पर पड़ रहा प्रभाव

विश्व स्वास्थ्य संगठन के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस अधानोम गैब्रिएसस ने बताया कि, यह चौंकाने वाली स्थिति है कि नौकरी में ज्यादा समय देने से इंसान की जान का खतरा बढ़ रहा है। हमारी रिपोर्ट सभी देशों को यह समझने में सहायता करेगी कि कर्मचारियों की सेहत और सुरक्षा के इंतजाम में सुधार की आवश्यकता है।

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