पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से आम आदमी को हुए हैं 2 फायदे!

Prices of petrol and diesel
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calendar17 Oct 2021 04:44 PM
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आपका चौंकना बिलकुल सही है क्योंकि, पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ रही कीमतों से सरकार को फायदा होना तो समझ में आता है, लेकिन आम आदमी को इससे क्या फायदा हो सकता है?

बहुत से लोग मानते हैं कि बढ़ती महंगाई से इस सरकार का कोई लेना-देना नहीं, क्योंकि चुनाव के वक्त हिंदू-मुस्लिम करके उन्हें वोट तो मिल ही जाने हैं।

तो क्या ये बात सही है कि सरकार जानबूझकर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ा रही है? कुछ हद तक ये आरोप सच हैं, क्योंकि ईंधन पर सब्सिडी को खत्म किया जा रहा है। लेकिन, जनता को नाराज करने वाले इस फैसले से सरकार को क्या फायदा होगा?

वाहन बाजार पर हुआ गहरा असर मोदी सरकार आने के बाद 2014 से ही डीजल और पेट्रोल की कीमतें न सिर्फ बढ़ रही हैं, बल्कि दोनों के बीच कीमत का अंतर भी लगातार कम हो रहा है।

इसका सीधा असर देश के वाहन बाजार पर पड़ा है। 2012-13 में देश में बिकने वाले कुल वाहनों में 58% डीजल वाहन होते थे। यानी, अगर 100 गाड़ियां बिकती थीं तो उसमें से 58 डीजल वाली गाड़ियां होती थीं और 42 पेट्रोल से चलने वाले वाहन।

पिछले सात सालों में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी के चलते इस अनुपात में भारी अंतर आया है। 2020-21 में भारत में बिकने वाले कुल वाहनों में डीजल वाहनों की हिस्सेदारी 17% रह गई है। वहीं, पेट्रोल से चलने वाले वाहनों की हिस्सेदारी 2012-13 के 42% से बढ़कर 2020-21 में 83% हो गई है।

क्यों बढ़ी डीजल की मांग असल में 2014 से पहले सरकारें डीजल पर भारी सब्सिडी देती थीं जबकि, पेट्रोल पर कोई सब्सिडी नहीं थी। इस वजह से डीजल और पेट्रोल की कीमत में लगभग 60 फीसदी का अंतर होता था। फिलहाल, पेट्रोल-डीजल के दाम में महज 11 फिसदी का ही अंतर रह गया है, क्योंकि सरकार ने डीलज पर सब्सिडी को खत्म कर दिया है।

डीजल पर सब्सिडी देने के पीछे पुरानी सरकारों का तर्क था कि इसका इस्तेमाल गरीब, किसान, ट्रक, ऑटो, टैंपो चलाने वाले लोग करते हैं जबकि, पेट्रोल का इस्तेमाल अमीर लोग करते हैं। हालांकि, पेट्रोल पंप से डीजल कोई भी खरीद सकता था। चाहे वह ट्रैक्टर से आया किसान हो या मर्सिडीज से आया बिजनेसमैन

अमीर करने लगे गरीबों के ईंधन का इस्तेमाल नतीजा यह हुआ कि भारत में वाहन बेचने वाली सभी कंपनियों ने अपने एसयूवी यानी महंगी कारों में डीजल इंजन लगाने शुरू कर दिए, क्योंकि भारतीय बाजारों में इनकी भारी मांग थी। मर्सीडीज जैसे महंगे ब्रांड ने भी भारतीय बाजार के लिए डीजल इंजन वाले मॉडल बनाने शुरू कर दिए। यानी, गरीबों के ईंधन नाम पर बिक रहे डीजल का इस्तेमाल अमीरों की महंगी कारों में होने लगा।

इसके अलावा गुरुग्राम, नोएडा जैसे नवविकसित शहरों के आलीशान-बहुमंजिला कार्पोरेट ऑफिसों के बाहर लगे बड़े-बड़े जनरेटर में भी डीजल का धड़ल्ले से इस्तेमाल होता रहा। बहुत से ऑफिसों में तो चौबीस घंटे चलने वाले इन जनरेटर के भरोसे ही बिजली की सप्लाई होने लगी। यानी, डीलज पर मिलने वाली सब्सिडी का फायदा बड़े-बड़े कार्पारेट हाउस और महंगी कारों के मालिक कर रहे थे।

आम आदमी को हुआ दोतरफा नुकसान वाहनों और जनरेटरों में डीजल की बढ़ती खपत ने एक ओर पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचाया दूसरी ओर, गरीबों के ईंधन नाम पर सरकारी खजाने में भी चपत लगती रही।

डीजल सब्सिडी के नाम पर कई दशकों तक कर दाताओं के पैसे का इस्तेमाल वे लोग करते रहे जो इसके बिलकुल हकदार नहीं थे।

सात साल में बदली वाहन बाजार की तस्वीर पेट्रोल-डीजल के दामों में खत्म हो रहे अंतर ने भारतीय वाहन बाजार की तस्वीर बदल दिया है। डीजल की बढ़ती कीमत की वजह से डीजल वाले वाहनों की मांग में भारी गिरावाट आई है। 2011-12 में वाहनों की कुल बिक्री में डीजल से चलने वाहन की हिस्सेदारी 58% थी। जबकि, 2020-21 में यह घटकर 17% हो गई है। यानी, 100 में से 17 लोग ही डीजल से चलने वाले वाहन खरीद रहे हैं।

इससे न सिर्फ प्रदूषण में कमी आई है, बल्कि वाहन निर्माता कंपनियों ने भी डीजल वाली कारों के बजाए सीएनजी और बैटरी संचालित कारों के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया है।

क्या डीजल का महंगा होना अच्छा है इसमें कोई दो राय नहीं कि आज भी खेती और ट्रकों में ज्यादातर डीजल का ही इस्तेमाल होता है। डीजल की बढ़ती कीमतों से इस तबके को परेशानी हुई है।

ऐसे में सरकार को कोई ऐसा तरीका निकालना होगा जिससे किसानों और जरूरतमंद लोगों को डीजल की बढ़ती कीमतों से हो रही परेशानी से बचाया जा सके।

- संजीव श्रीवास्तव

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जानिए कब है करवा चौथ व्रत, शुभ मुहूर्त, पूजा की विधि और महत्व

Karwa chauth 2021
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calendar01 Dec 2025 03:06 PM
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त्योहारी सीजन में दशहरा का पर्व संपन्न हो चुका है। 19 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा भी संपन्न हो जाएगी। इस माह के त्योहारी सीजन में अब महिलाओं के लिए सबसे महत्वपूर्ण और उनका खास पर्व करवा चौथ (Karwa Chauth 2021)  आने वाला है। इस साल करवा चौथ (Karwa Chauth) का पर्व 24 अक्टूबर 2021 को है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। इस वर्ष करवा चौथ पर ऐसा शुभ संयोग बन रहा है जो व्रत करने वाली महिलाओं की हर मनोकामना पूरी करेगा।

बन रहा है शुभ संयोग इस साल करवा चौथ रविवार के दिन पड़ रहा है। मान्यता के अनुसार, ऐसा होना बहुत शुभ होता है। रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है, जो कि सेहत और लंबी उम्र देते हैं। रविवार को करवा चौथ होने से सूर्य देव महिलाओं की मनोकामना पूरी करते हुए उन्‍हें और उनके पति को लंबी आयु का आशीर्वाद देते हैं। लिहाजा इस साल महिलाओं को करवा चौथ के दिन सूर्य देव से भी अपने पति की लंबी और सेहतमंद जिंदगी का आशीर्वाद मांगना चाहिए।

शुभ मुहूर्त करवा चौथ का चंद्रमा रोहिणी नक्षत्र में उदित होगा। चंद्र रात को 08:11 पर निकलेगा, वहीं करवा चौथ की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 24 अक्टूबर 2021 को शाम 6:55 बजे से लेकर रात 8:51 बजे तक रहेगा। करवा चौथ का व्रत रख रही महिलाओं को शुभ मुहूर्त में ही पूजा करना चाहिए।

कैसे करें पूजन चांद निकलने से कम से कम एक घंटा पहले ही पूजा शुरू कर दें। मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्‍थापना करके करवा रख लें। वहीं पूजा की थाली में दीपक, रोली, सिंदूर आदि रख लें। पूजा करने के बाद करवा चौथ व्रत की कथा सुनें। चांद निकलने पर उसे अर्ध्‍य दें। पति का चेहरा छलनी से देखें और उनके हाथ से पानी पीकर व्रत खोलें।

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योग और आयुर्वेद की ये 6 टिप्स बढ़ाएंगे आपके शरीर की ताकत

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योग और आयुर्वेद की ये 6 टिप्स बढ़ाएंगे आपके शरीर की ताकत
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userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 10:46 AM
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वर्तमान समय में देश का कोई ही घर ऐसा होगा, जहां कोई व्यक्ति बीमार न हो। बीमारियों से बचने के लिए हम अनेकों उपाय करते हैं, लेकिन यदि आप योग और आयुर्वेद (yoga and ayurveda) पर भरोसा करते हैं तो यहां आपके लिए 6 ऐसे टिप्स दिए जा रहे हैं, जिनको करने से न केवल आपका शरीर (body) मजबूत होगा, बल्कि की आपकी सेहत भी जवां बनी रहेगी।

आयुर्वेद के अनुसार भोजन का पचना जरूरी है। समय पर पच गया तो समझो की इम्यून सिस्टम भी सही होने लगेगा। तो आंतों को पचाने में ज्यादा मेहनत ना करना पड़े इसलिए दांतों का भरपूर उपयोग करें। एक ग्रास को कम से कम 32 बार चबाएं फिर ही निगलें। यह भी कर सकते हैं कि छोटे छोटे ग्रास लें और उसे तब तक चबाएं जब तक की वह मीठा ना लगने लगे। 32 दांत होते हैं इसलिए कम से कम 32 बार। 32 बार चबाने से भोजन पूरी तरह से टूट कर लार में घुल जाता है जो आसानी से पच जाता है।

आयुर्वेद कहता है कि यदि भोजन के डेढ़ घंटे बाद आप पानी पीएंगे तो हमेशा निरोगी बने रहेंगे। भोजन के दौरान या उसके तुरंत बाद पानी पीने के कई नुकसान होते हैं। अत: उचित मात्रा में और उचित समय पर पानी पीना चाहिए। उचित अर्थात सम्यक। पानी का काम भोजन को पचाना होता है। यदि आपने कम पानी पीया है तो यह उचित नहीं है और ज्यादा पीया है तो भी उचित नहीं है सम्यक अर्थात ठीक ठीक मात्रा में पानी पीएं। आपके शरीर को जब प्यास लगे तभी पानी पीएं और उतना ही पीएं जितनी की प्यास है। यदि आपके शरीर के तापमान के अनुसार आप 4 डिग्री कम या ज्यादा पानी पीते हैं तो यह एक आदर्श स्थिति है। पानी घुंट घुंट पीएं। एक साथ बहुत ज्यादा पानी नहीं पीएं।

आयुर्वेद के अनुसार सबसे पहले मीठा, फिर नमकीन, अंत में कड़वा खाना चाहिए, नहीं तो एक जैसे ही भोजन करें। सबसे पहले रसदार, बीच में गरिष्ठ, अंत में द्रव्य पदार्थ ग्रहण करें। हालांकि कुछ विद्वान मानते हैं कि खाने के पहले तीखा इसलिए खाते हैं क्योंकि इससे आपका पाचन तंत्र सक्रिय हो जाए। आयुर्वेद के अनुसार शुरुआत में तीखा भोजन करने के बाद पेट में पाचन तत्व तथा अम्ल सक्रिय हो जाते हैं। जिससे पाचन तंत्र तेज जाता है। मीठी चीजों में कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है जो पाचन प्रक्रिया को धीमी कर देता है इसलिए खाना खाने के बाद मीठा खाने से पाचन प्रक्रिया दुरुस्त रहती है। भोजन के बाद इसीलि कहते भी हैं कि अब कुछ मीठा हो जाए। यह मीठा पानी की प्यास बुझा देता है।

आयुर्वेद के अनुसार खाने के बाद मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है जिससे पेट में जलन या एसिडिटी नहीं होती है। मीठे में आपको सफेद शक्कर नहीं खाना चाहिए यह नुकसानदायक है। इससे तैयार चीजों का भी सेवन नहीं करना चाहिए। इससे मोटापे और अन्य स्वास्थ्य जटिलताओं का खतरा हो सकता है। इसके बजाय आपको आर्गेनिक गुड़ खाना चाहिए या इससे बनी चीजों का ही सेवन करना चाहिए। आप चाहें तो ब्राउन शुगर या नारियल की शुगर का उपयोग कर सकते हैं।

थोड़ा खाने वाले को आरोग्य, आयु, बल, सुख, सुंदर संतान और सौंदर्य प्राप्त होता है। अर्थात भोजन भरपेट ना खाएं कम से कम एक रोटी की भूख बाकी रखें। ज्यादा भोजन करने के नुकसान भी है। भोजन चिड़ियों की तरह करें। भोजन के पश्चात दिन में टहलना एवं रात में सौ कदम टहलकर बाईं करवट लेटने अथवा वज्रासन में बैठने से भोजन का पाचन अच्छा होता है। भोजन के एक घंटे पश्चात मीठा दूध एवं फल खाने से भोजन का पाचन अच्छा होता है।

भोजन के मेल को समझे, जैसे दूध के साथ नमक, दही, छाछ, खट्टी चीजें, इमली, खरबूज, नारियल, मूली या उसके पत्ते, तुरई, बेल, कुलथी, बैंगन, कटहल, घट्टेफल और सत्तू हानिकारक होते हैं। चावल के साथ सिरका हानिप्रद होता है। बहुत कम लोग जानते हैं कि पालक के साथ पनीर और दूध के साथ चाय लेना भी हानिकारक होता है। इसी तरह कई तरह के बेमेल भोजन हम करते रहते हैं जिससे अनजाने में ही नुकसान होता रहता है और हमारा इम्यून सिस्टम भी कमजोर हो जाता है। इसलिए एक बार आप बेमेल भोजन के बारे में अच्छे से जान लीजिये।

जिस तरह पानी का कार्य भोजन को पचाना और वजन को घटाना होता है उसी तरह वायु का काम भी भोजन को पचाकर बाहर निकालना होता है। यदि आप उचित रूप से श्‍वास लेकर बाहर छोड़ नहीं रहे हैं तो भोजन को पचने में देर लगेगी। यदि आप उचित रूप से श्वास नहीं ले पा रहे हैं तो प्राणायाम का अभ्यास करें। अनुलोम विलोम करने से भोजन जल्दी से पचता है।