COVID-19 : कोविड रोधी टीके की चौथी खुराक की अभी जरूरत नहीं : विशेषज्ञ

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locationभारत
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calendar30 Nov 2025 06:06 PM
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COVID-19 : नयी दिल्ली। कई देश अपने नागरिकों को कोविड रोधी टीके की तीसरी और यहां तक कि चौथी एहतियाती (बूस्टर) खुराक दे रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में अभी चौथी खुराक की जरूरत नहीं है।

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उल्लेखनीय है कि कोविड के खिलाफ दोनों टीके लगवा टीकाकरण पूरा करवा चुके कई लोगों ने भी अब तक एक भी एहतियाती खुराक नहीं ली है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लिए एक ढांचागत और व्यवस्थित प्रतिक्रिया की जरूरत है।

चीन में वृद्धि के बाद कोविड एक बार फिर रडार पर है और लोग भारत में संक्रमण की एक और लहर की आशंका को लेकर चिंतित है। ऐसे में क्या सरकार को दो टीकों की सुरक्षा में वृद्धि के लिये दूसरी एहतियाती खुराक की अनुमति देनी चाहिए इस पर कुछ वैज्ञानिक जमीनी स्तर पर हालात परखने का आह्वान करते हैं।

उन्होंने कहा कि कोविड रोधी टीके की चौथी खुराक इस समय अनुचित है क्योंकि देश में अधिकांश लोगों को अभी तक तीसरी खुराक नहीं मिली है और वर्तमान में उपयोग किए जा रहे टीकों को दूसरी एहतियाती खुराक के तौर पर दिए जाने की उपयोगिता पर कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। इसके अलावा, भारत में बड़ी संख्या में लोग वायरस के संपर्क में आ चुके हैं और उन्हें टीका भी लगाया गया है, ऐसे में स्थिति काफी अलग है।

भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), पुणे में शिक्षण कार्य से जुड़े सत्यजीत रथ ने कहा, “यह उम्मीद करने का कोई कारण नहीं है कि चीनी स्थिति भारत के लिये कुछ भविष्यवाणी करेगी। चीन में हालात विशेष रूप से देश द्वारा लगभग तीन वर्षों से अपनायी जा रही शून्य-कोविड नीतियों की वजह से है।”

चीन में पिछले कुछ सप्ताह में प्रतिदिन हजारों मामले सामने आ रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि बुधवार को, भारत ने 0.14 प्रतिशत की दैनिक संक्रमण दर और 0.18 प्रतिशत की साप्ताहिक संक्रमण दर के साथ कोरोना वायरस संक्रमण के 188 नए मामले दर्ज किए।

रथ ने कहा, “टीकाकरण के अलावा व्यापक वास्तविक संक्रमण के साथ भारतीय स्थिति काफी अलग है। और कोविड वायरस आखिरकार फैल रहा है और इसलिए केवल चीन में ही नहीं, बल्कि दुनिया भर के समुदायों में उत्परिवर्तित हो रहा है, इसलिए हर जगह नए स्वरूप (वेरिएंट) उभर रहे हैं।”

आईआईएसईआर पुणे से ही प्रतिरक्षा विज्ञानी विनीता बल ने कहा, “करीब एक साल पहले ही भारत में ओमीक्रॉन लहर आई थी। अगर इस संक्रमण की वजह से पर्याप्त ओमीक्रोन प्रतिरक्षा नहीं बनी तो भारत में फिलहाल उपलब्ध कोई भी टीका और सुरक्षा प्रदान नहीं करेगा।”

अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देश पूरी तरह से टीकाकृत व्यक्तियों को तीसरी और चौथी बूस्टर खुराक के साथ-साथ प्रतिरक्षा में अक्षम लोगों को अतिरिक्त खुराक दे रहे हैं।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जे.ए. जयलाल ने मंगलवार को कहा कि आईएमए ने एक बैठक में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया से स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मियों को चौथी खुराक दिए जाने पर विचार करने का आग्रह किया।

यह बैठक चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड जैसे देशों में बढ़ते मामलों की पृष्ठभूमि में हुई थी।

हालांकि बल चौथी खुराक दिए जाने के विचार से इत्तेफाक नहीं रखतीं और उनका मानना है कि कई कारणों से फिलहाल इसकी आवश्यकता नहीं है।

आईआईएसईआर, पुणे से जुड़ीं बल ने बताया, “18 वर्ष से अधिक आयु के अधिकांश भारतीयों को पहली खुराक मिल चुकी है, लेकिन बहुत बड़ी संख्या में लोगों को दूसरी या तीसरी खुराक नहीं मिली है। इसलिए अगर डॉक्टर अतिरिक्त बूस्टर खुराक की मांग कर रहे हैं, तो यह वास्तविकता की जांच के बिना घबराहट की प्रतिक्रिया है।”

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, लगभग 22.35 करोड़ एहतियाती खुराक दी गई है, जो तीसरी खुराक के लिए पात्र कुल जनसंख्या का 27 प्रतिशत है। बड़ी आबादी को अब भी एहतियाती खुराक दी जानी बाकी है।

बल का कहना है कि दैनिक मामलों की निगरानी की जानी चाहिए। शुरू में हवाईअड्डे पर लैंड करने वाले यात्रियों की रैंडम जांच की जानी चाहिए और अगर मामले बढ़ते हैं तो उनकी नियमित जांच होनी चाहिए।

रथ ने बल के विचारों से सहमति जताते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि अधिकारियों ने सभी को तीसरी “एहतियाती” खुराक देने के लिए कोई बड़ा प्रयास नहीं किया है।

रथ के विचार में, गंभीर कोविड बीमारी की किसी भी बड़ी राष्ट्रव्यापी 'लहर' का संकेत देने के लिए अभी तक कोई सबूत नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार और समाज दोनों यह पहचानने में विफल रहे हैं कि महामारी अब भी जारी है और दीर्घकालिक व्यवस्थित सार्वजनिक स्वास्थ्य-उन्मुख और सुगठित प्रतिक्रिया की आवश्यकता है।

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Covid-19 : कोरोना से सभी को सतर्क रहने की जरूरत : नीतीश

Nitish kumar
Everyone needs to be alert from Corona: Nitish
locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Dec 2022 08:25 PM
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Covid-19 पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बुधवार को कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण को लेकर सभी को सतर्क रहना है। किसी को अगर परेशानी होती है तो उसके इलाज के लिए अस्पतालों में पूरा प्रबंध किया गया है।

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अरुण जेटली की जयंती पर पटना के कंकड़बाग स्थित एक पार्क में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय मंत्री की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने के बाद पत्रकारों से मुखातिब नीतीश ने कहा कि बिहार में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले शून्य हो गए थे। बाहर से जो लोग आ रहे हैं, उन सभी की जांच का पूरा प्रबंध किया गया है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि हम लोग शुरू से ही कोरोना जांच और टीकाकरण पर जोर दे रहे हैं। राज्य में रोजाना लगभग 40 से 50 हजार लोगों की कोरोना जांच की जा रही है। इसके अलावा, प्रतिदिन औसतन चार से पांच हजार लोगों का टीकाकरण भी किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 को लेकर सभी को सतर्क रहने की जरूरत है। किसी को अगर कोई परेशानी होती है तो उसके इलाज के लिए अस्पतालों में पूरा प्रबंध किया गया है। बिहार के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले सप्ताहांत से प्रदेश में कोविड-19 के सक्रिय मामलों की संख्या में 10 गुना से अधिक की वृद्धि देखी गई है। राज्य में रविवार तक जहां सक्रिय मामलों की संख्या शून्य थी, वहीं मंगलवार को यह बढ़कर 14 हो गई, जिसमें 12 गया जिले के मामले शामिल हैं।

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उल्लेखनीय है कि गया जिला के बोधगया में तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा के प्रवचनों में हिस्सा लेने के लिए विदेश से तीर्थयात्रियों का आना जारी है। दलाई लामा दो साल के अंतराल के बाद बिहार में हैं। सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बौद्ध तीर्थस्थल केंद्र ने कोविड-19 के पांच मामले मिलने की सूचना दी थी, जिनमें से सभी विदेशी नागरिक थे। इसके अलावा, दरभंगा और पटना में एक-एक व्यक्ति में कोरोना वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है।

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इस बीच, एम्स पटना के कार्यकारी निदेशक डॉ. गोपाल कृष्ण पाल ने एक बयान में कहा कि आसन्न चौथी लहर की अफवाहों से घबराने की जरूरत नहीं है। हालांकि, समझदारी इसी में होगी कि लोग भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें, मास्क पहनें और सामाजिक दूरी का पालन करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि एम्स पटना कोविड-19 की संभावित लहर से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। डॉ. पाल ने बताया कि मंगलवार को एक राष्ट्रव्यापी अभ्यास के हिस्से के रूप में पटना एम्स में आयोजित मॉक ड्रिल में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कॉन्सेंट्रेटर ठीक तरह से काम कर रहे थे।
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Maharashtra News : महाराष्ट्र में 10 महीने में लंपी रोग से 11,547 मवेशियों की मौत

Cow 1
11,547 cattle died of lumpy disease in Maharashtra in 10 months
locationभारत
userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 10:12 PM
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नागपुर। महाराष्ट्र में इस साल कम से कम 1,78,072 मवेशी लंपी त्वचा रोग से संक्रमित हुए और अक्टूबर तक उनमें से 11,547 मवेशियों की मौत हो गई। राज्य सरकार ने विधान परिषद में यह जानकारी दी।

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महाराष्ट्र के राजस्व मंत्री राधाकृष्ण विखे-पाटिल ने विधान परिषद में कहा कि राज्य के कुल 36 जिलों में से 33 जिलों की 291 तहसीलों में लंपी त्वचा रोग के कारण मवेशियों की मौत के मामले सामने आए। विधान परिषद में डॉ. मनीषा कयांडे, महादेव जानकर, एकनाथ खड‍़से और अन्य सदस्यों ने इस संबंध में सवाल उठाया था।

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राजस्व मंत्री ने कहा कि इस बीमारी से बचाव के लिए लगभग 1.39 करोड़ मवेशियों को 'गोट पॉक्स-वायरस' का टीका दिया गया। विखे-पाटिल ने बताया कि महाराष्ट्र में 1,39,92,304 मवेशियों में से 2.71 प्रतिशत मवेशी लंपी त्वचा रोग से संक्रमित हुए थे।

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उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन के दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रति मृत गाय के लिए 30,000 रुपये, मृत बैल के लिए 25,000 रुपये और मृत बछड़े के लिए 16,000 रुपये का मुआवजा दिया गया है।

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लंपी त्वचा रोग एक संक्रामक बीमारी है, जिसमें मवेशियों में बुखार, त्वचा पर चकत्ते पड़ने और दूध उत्पादन में कमी आने जैसे लक्षण उभरते हैं।