साउथ एशियन यूनिवर्सिटी ने महेश वर्मा को प्रोफेसर पद पर नियुक्त किया




आज का युग सूचना का युग है। एक ऐसा समय जब हर सेकंड नई घटनाएँ दुनिया की दिशा बदल रही हैं। डिजिटल क्रांति ने खबरों तक पहुँच को इतना सहज और त्वरित बना दिया है कि अब हर नागरिक चाहता है कि वह हर बड़ी घटना से तुरंत अवगत हो। पहले लोग महंगे अखबारों और देर से आने वाले टीवी बुलेटिन पर निर्भर थे, लेकिन वह समय अब पीछे छूट चुका है। चेतना मंच आपको लाता है खबरों की दुनिया का असली अनुभव—सीधे आपके स्क्रीन पर, शुद्ध हिंदी में और वास्तविक समय में। चाहे राजनीति की हलचल हो, अर्थव्यवस्था में बदलाव, सामाजिक मुद्दे हों या अंतरराष्ट्रीय घटनाएँ, हर अपडेट आपको तुरंत, सटीक और विश्वसनीय रूप में मिलता है। International News
बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 (आईसीटी-1) ने आज सुबह 15 मौजूदा सैन्य अधिकारियों के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाया। इन सभी पर जुलाई विद्रोह के दौरान हत्या और दो लोगों को गायब करने का आरोप है। आईसीटी-1 के आदेश के बाद सभी अधिकारियों को विशेष सुरक्षा व्यवस्था के बीच जेल ले जाया गया। International News
आईसीटी-1 के सामने सुबह लगभग 7 बजे इन अधिकारियों को पेश किया गया। उन्हें हरे रंग की एसी सुविधा वाली विशेष जेल वैन में ले जाया गया। न्यायाधिकरण के मुख्यालय के आसपास बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी), रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) और पुलिस की कड़ी सुरक्षा तैनात थी। International News
मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने संवाददाताओं से कहा कि आईसीटी-1 की सुनवाई के बाद सभी 15 अधिकारियों को जेल भेजने का आदेश दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि अंतरिम सरकार जेल अधिकारियों के साथ मिलकर तय करेगी कि इन अधिकारियों को जेल में किस प्रकार की सुविधा में रखा जाएगा। International News
इन 15 अधिकारियों में शामिल हैं:
मेजर जनरल शेख मोहम्मद सरवर हुसैन
ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद जहांगीर आलम
तोफायेल मुस्तफा सरवर
मोहम्मद कमरुल हसन
मोहम्मद महबूब आलम
मोहम्मद महबूबुर रहमान सिद्दीकी
अहमद तनवीर मजहर सिद्दीकी
कर्नल अनवर लतीफ खान
ए.के.एम. आजाद
अब्दुल्ला अल मोमेन
मोहम्मद सरवर बिन कासिम
लेफ्टिनेंट कर्नल मोहम्मद मोशिउर रहमान ज्वेल
सैफुल इस्लाम सुमन
मोहम्मद रेदोवानुल इस्लाम
मेजर रफत बिन आलम मून
मुख्य अभियोजक ने बताया कि हत्या और गुमशुदगी मामलों की अगली सुनवाई क्रमशः 5 और 20 नवंबर को होगी। International News
8 अक्टूबर को आईसीटी-1 ने इन मामलों में 32 आरोपितों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे। इनमें 25 सेवारत और सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी शामिल हैं। इस मामले में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना, पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमां खान कमाल और तीन पूर्व महानिदेशक भी आरोपी हैं। गुमशुदगी मामले में हसीना और मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तारिक अहमद सिद्दीकी को आरोपी बनाया गया है। सिद्दीकी पहले अपदस्थ प्रधानमंत्री हसीना के रक्षा एवं सुरक्षा सलाहकार रह चुके हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास व्हाइट हाउस के पास मंगलवार रात एक सुरक्षा द्वार पर कार घुसाने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया। घटना से सुरक्षा अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। अमेरिकी सीक्रेट सर्विस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। यह वारदात व्हाइट हाउस के दक्षिण-पश्चिम में 17वीं और ई स्ट्रीट पर स्थित सुरक्षा द्वार पर रात लगभग 10:37 बजे हुई। सुरक्षा द्वार पर कार घुसने की जानकारी मिलते ही सीक्रेट सर्विस और मेट्रोपॉलिटन पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची। International News
अमेरिकी सीक्रेट सर्विस ने एक बयान में कहा, "अधिकारियों ने आरोपित को तुरंत गिरफ्तार किया और वाहन की जांच की। जांच में कार को सुरक्षित पाया गया। जांच पूरी होने के बाद और जानकारी साझा की जाएगी। इस घटना ने व्हाइट हाउस सुरक्षा तंत्र की सतर्कता पर ध्यान केंद्रित कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा को और भी कड़ा किया जाएगा और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
इजराइल ने कतर स्थित अंतरराष्ट्रीय टीवी चैनल अल जजीरा और आतंकवादी संगठन हमास के बीच गुप्त गठजोड़ का खुलासा किया है। आरोप है कि चैनल गाजा पट्टी में युद्ध के दौरान हमास के दुष्प्रचार का माध्यम बन गया और आतंकियों को मनोवैज्ञानिक समर्थन प्रदान किया। इजराइल ने इसे “तटस्थ पत्रकारिता” नहीं बल्कि संगठित प्रचार करार दिया।
इजराइल के मीर अमेट खुफिया और आतंकवाद सूचना केंद्र ने 20 अक्टूबर को साक्ष्यों के साथ एक वृत्तचित्र जारी किया। इसमें अल जजीरा और हमास के सहयोग के बारे में गंभीर आरोप लगाए गए। इजराइल सरकार ने इस जानकारी को 21 अक्टूबर को अपने आधिकारिक पेज पर साझा किया। International News
वृत्तचित्र में बताया गया कि 1996 में स्थापित अल जजीरा चैनल कतर के शाही परिवार के नियंत्रण में है। नेटवर्क अरब दुनिया का प्रमुख मीडिया संस्थान माना जाता है, लेकिन आरोप है कि उसने वर्षों से हमास और कट्टरपंथी सुन्नी इस्लाम के एजेंडे को बढ़ावा दिया। गाजा पट्टी में युद्ध के दौरान चैनल ने हमास के राजनीतिक और सैन्य संदेश प्रसारित किए और बंधकों की रिहाई की कवरेज करके आतंकियों को मनोवैज्ञानिक समर्थन दिया।
मीर अमेट खुफिया केंद्र का दावा है कि हमास और अल जजीरा के बीच सहयोग न तो बेतरतीब था और न ही अलग-थलग। गाजा से लाए गए दस्तावेज़ों में बताया गया कि हमास ने नेटवर्क की संपादकीय नीतियों को प्रभावित किया और सैन्य आपातकालीन संचालन कक्ष और अल जजीरा के बीच सुरक्षित टेलीफोन लाइन स्थापित की। कई पत्रकार, जो चैनल के लिए काम करते थे, हमास की सैन्य शाखा से भी जुड़े थे।
अल जजीरा ने युद्ध के दौरान इजराइली सैनिकों की कार्रवाई को गलत ठहराने की कोशिश की और हमास की गतिविधियों को व्यापक कवरेज दिया। युद्धविराम समझौते के बाद भी चैनल ने हमास के संदेशों को लगातार प्रसारित किया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चैनल के संवाददाता विशेष कवरेज सुविधाओं का लाभ उठाकर बंधकों और शवों तक पहुंच रखते थे। International News
वृत्तचित्र में यह भी खुलासा हुआ कि कतर हमास के “बाहरी नेतृत्व” का घर है और संगठन को वित्तीय सहायता, मानवीय मदद और नागरिक परियोजनाओं के लिए समर्थन प्रदान करता है। अल जजीरा का प्रयोग हमास के संदेशों के व्यापक प्रचार के लिए किया गया। International News
अल जजीरा के रिपोर्टर और एंकर फिलिस्तीनी आतंकियों को “मुजाहिदीन” या “मुकाविमिन” कहते हैं और मारे जाने पर उन्हें “शहीद” का दर्जा देते हैं। वहीं इजराइली सैनिकों को “कब्जे वाली सेना” और हमास के हमलों को “ऑपरेशन” या “अमालिया” बताया जाता है। International News
वृत्तचित्र में आरोप लगाया गया कि सात अक्टूबर, 2023 के हमास हमलों के दौरान अल जजीरा ने हमास आतंकवादियों की लाइव कवरेज की। कुछ पत्रकार स्वयं हमास की सैन्य शाखा से जुड़े थे। राजनीतिक ब्यूरो प्रमुख इस्माइल हनीयेह के साथ वरिष्ठ हमास सदस्य भी चैनल के लाइव प्रसारण देख रहे थे। International News
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस की प्रमुख तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर नए प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। यह कदम यूक्रेन पर मॉस्को के आक्रमण के जवाब में अमेरिका का सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है। ट्रंप ने कहा कि यह उनके दूसरे कार्यकाल में रूस पर लगाए गए पहले गंभीर प्रतिबंध हैं। International News
ट्रंप ने प्रतिबंधों की घोषणा बुडापेस्ट शिखर सम्मेलन रद्द होने के बाद की। उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगा कि हम उस मुकाम पर पहुंच पाएंगे जहां हमें पहुंचना था। इसलिए मैंने इसे रद्द कर दिया।" उनका कहना था कि यह रूस पर कार्रवाई का सही समय है। International News
अमेरिकी वित्तमंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा, "अब समय आ गया है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम तत्काल लागू हो।" प्रतिबंधित कंपनियों को "क्रेमलिन की युद्ध मशीन का दोहरा इंजन" बताया गया। ट्रंप प्रशासन का यह कदम रूस के तेल राजस्व को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
अटलांटिक काउंसिल के फेलो डैनियल टैनबाम ने कहा कि यह प्रतिबंध बड़ा कदम है, लेकिन इसके प्रभाव के लिए तीसरे देशों पर भी द्वितीयक प्रतिबंध या सख्त चेतावनी आवश्यक होगी। द्वितीयक प्रतिबंध उन देशों पर लागू होंगे जो रूस के साथ वित्तीय लेनदेन करते हैं।
पांच दिन पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ट्रंप से मिलने वाशिंगटन आए थे। परदे के पीछे यह मुलाकात खास नहीं रही। ट्रंप ने जेलेंस्की पर रूस को जमीन देने का दबाव डाला ताकि पुतिन की शर्तों पर युद्धविराम लागू हो सके। अगस्त में अलास्का में ट्रंप और पुतिन की मुलाकात के बाद भी ऐसे प्रयास किए गए। International News
ट्रंप प्रशासन का यह कदम रूसी तेल उद्योग पर दबाव बढ़ाने और मॉस्को को युद्ध विराम के लिए मजबूर करने की रणनीति का हिस्सा है। पूर्ववर्ती राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सहयोगियों के दबाव के बावजूद इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने से परहेज किया था, जबकि ट्रंप ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया। International News
मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने भारत को व्यापार और निवेश में मलेशिया का एक महत्वपूर्ण साझेदार करार दिया है। उन्होंने कहा कि मलेशिया भारत के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने, तथा क्षेत्र में शांति और समृद्धि बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री अनवर ने बताया कि मलेशिया और भारत के बीच प्रौद्योगिकी, शिक्षा और क्षेत्रीय सुरक्षा में भी घनिष्ठ सहयोग मौजूद है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "कल रात मुझे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोन आया। हमने द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक रणनीतिक और व्यापक स्तर पर मजबूत करने के प्रयासों पर विस्तार से चर्चा की। भारत, व्यापार और निवेश में मलेशिया का एक अहम साझेदार बना हुआ है। साथ ही, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और क्षेत्रीय सुरक्षा के क्षेत्रों में हमारा सहयोग निरंतर मजबूत हो रहा है। प्रधानमंत्री अनवर ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी को दीपावली की शुभकामनाएं भी दीं और दोनों देशों के बीच साझेदारी को और गहरा करने पर सहमति जताई।
अमेरिका में सरकारी शटडाउन 21वें दिन भी जारी है और राजनीतिक गतिरोध अब तक बरकरार है। सोमवार को सीनेट के रिपब्लिकन सदस्यों ने व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ दोपहर के भोजन पर मुलाकात की। इस दौरान रिपब्लिकन सीनेटरों ने डेमोक्रेटिक नेताओं से फंडिंग बढ़ाने के लिए फिर अपील की। International News
सीबीएस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि रिपब्लिकन किसी भी कीमत पर डेमोक्रेट्स के दबाव में नहीं झुकेंगे। चैनल का मानना है कि यह शटडाउन समाप्त होने में अभी समय लगेगा। वहीं, डेमोक्रेटिक नेताओं ने इस लंच डिप्लोमेसी को “महत्वपूर्ण मिलन” बताया और कहा कि रिपब्लिकन सीनेटरों ने स्वास्थ्य सेवा कर क्रेडिट बढ़ाने के संभावित समझौते पर बातचीत की उम्मीद में राष्ट्रपति से संपर्क किया।
सीनेट इससे पहले सोमवार को 21 नवंबर तक सरकार के वित्त पोषण के लिए सदन से पारित प्रस्ताव को आगे बढ़ाने में 11वीं बार विफल रहा। सदन के अध्यक्ष माइक जॉनसन और सीनेट के बहुमत नेता जॉन थून ने मंगलवार सुबह कहा कि अगर शटडाउन लंबा खिंचता है तो रिपब्लिकन पार्टी को 21 नवंबर की फंडिंग समय-सीमा बढ़ानी पड़ सकती है।
जॉनसन ने डेमोक्रेट्स पर समय गंवाने का आरोप भी लगाया। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, ओरेगन के डेमोक्रेटिक सीनेटर जेफ मर्कले ने सीनेट में तीन घंटे से अधिक समय तक भाषण देते हुए ट्रंप प्रशासन के विश्वविद्यालयों के लिए अनुसंधान अनुदान रोकने और पोर्टलैंड में नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती का जिक्र किया। मर्कले ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हैं कि हम ओरेगन को अराजकता और दंगों से घिरा हुआ मान लें।” International News
डेमोक्रेटिक नेताओं का यह रुख स्वास्थ्य सेवा सब्सिडी को लेकर उनका आक्रामक प्रतिरोध दर्शाता है। रिपब्लिकन प्रयासों को लगातार 11वीं बार अवरुद्ध किया गया, और गतिरोध अब चौथे सप्ताह में प्रवेश कर गया है। यह अमेरिकी इतिहास में दूसरा सबसे लंबा शटडाउन माना जा रहा है। International News
आज का युग सूचना का युग है। एक ऐसा समय जब हर सेकंड नई घटनाएँ दुनिया की दिशा बदल रही हैं। डिजिटल क्रांति ने खबरों तक पहुँच को इतना सहज और त्वरित बना दिया है कि अब हर नागरिक चाहता है कि वह हर बड़ी घटना से तुरंत अवगत हो। पहले लोग महंगे अखबारों और देर से आने वाले टीवी बुलेटिन पर निर्भर थे, लेकिन वह समय अब पीछे छूट चुका है। चेतना मंच आपको लाता है खबरों की दुनिया का असली अनुभव—सीधे आपके स्क्रीन पर, शुद्ध हिंदी में और वास्तविक समय में। चाहे राजनीति की हलचल हो, अर्थव्यवस्था में बदलाव, सामाजिक मुद्दे हों या अंतरराष्ट्रीय घटनाएँ, हर अपडेट आपको तुरंत, सटीक और विश्वसनीय रूप में मिलता है। International News
बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण-1 (आईसीटी-1) ने आज सुबह 15 मौजूदा सैन्य अधिकारियों के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाया। इन सभी पर जुलाई विद्रोह के दौरान हत्या और दो लोगों को गायब करने का आरोप है। आईसीटी-1 के आदेश के बाद सभी अधिकारियों को विशेष सुरक्षा व्यवस्था के बीच जेल ले जाया गया। International News
आईसीटी-1 के सामने सुबह लगभग 7 बजे इन अधिकारियों को पेश किया गया। उन्हें हरे रंग की एसी सुविधा वाली विशेष जेल वैन में ले जाया गया। न्यायाधिकरण के मुख्यालय के आसपास बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (बीजीबी), रैपिड एक्शन बटालियन (आरएबी) और पुलिस की कड़ी सुरक्षा तैनात थी। International News
मुख्य अभियोजक ताजुल इस्लाम ने संवाददाताओं से कहा कि आईसीटी-1 की सुनवाई के बाद सभी 15 अधिकारियों को जेल भेजने का आदेश दिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि अंतरिम सरकार जेल अधिकारियों के साथ मिलकर तय करेगी कि इन अधिकारियों को जेल में किस प्रकार की सुविधा में रखा जाएगा। International News
इन 15 अधिकारियों में शामिल हैं:
मेजर जनरल शेख मोहम्मद सरवर हुसैन
ब्रिगेडियर जनरल मोहम्मद जहांगीर आलम
तोफायेल मुस्तफा सरवर
मोहम्मद कमरुल हसन
मोहम्मद महबूब आलम
मोहम्मद महबूबुर रहमान सिद्दीकी
अहमद तनवीर मजहर सिद्दीकी
कर्नल अनवर लतीफ खान
ए.के.एम. आजाद
अब्दुल्ला अल मोमेन
मोहम्मद सरवर बिन कासिम
लेफ्टिनेंट कर्नल मोहम्मद मोशिउर रहमान ज्वेल
सैफुल इस्लाम सुमन
मोहम्मद रेदोवानुल इस्लाम
मेजर रफत बिन आलम मून
मुख्य अभियोजक ने बताया कि हत्या और गुमशुदगी मामलों की अगली सुनवाई क्रमशः 5 और 20 नवंबर को होगी। International News
8 अक्टूबर को आईसीटी-1 ने इन मामलों में 32 आरोपितों के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किए थे। इनमें 25 सेवारत और सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी शामिल हैं। इस मामले में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना, पूर्व गृहमंत्री असदुज्जमां खान कमाल और तीन पूर्व महानिदेशक भी आरोपी हैं। गुमशुदगी मामले में हसीना और मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तारिक अहमद सिद्दीकी को आरोपी बनाया गया है। सिद्दीकी पहले अपदस्थ प्रधानमंत्री हसीना के रक्षा एवं सुरक्षा सलाहकार रह चुके हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास व्हाइट हाउस के पास मंगलवार रात एक सुरक्षा द्वार पर कार घुसाने के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया। घटना से सुरक्षा अधिकारियों में हड़कंप मच गया है। अमेरिकी सीक्रेट सर्विस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है। यह वारदात व्हाइट हाउस के दक्षिण-पश्चिम में 17वीं और ई स्ट्रीट पर स्थित सुरक्षा द्वार पर रात लगभग 10:37 बजे हुई। सुरक्षा द्वार पर कार घुसने की जानकारी मिलते ही सीक्रेट सर्विस और मेट्रोपॉलिटन पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची। International News
अमेरिकी सीक्रेट सर्विस ने एक बयान में कहा, "अधिकारियों ने आरोपित को तुरंत गिरफ्तार किया और वाहन की जांच की। जांच में कार को सुरक्षित पाया गया। जांच पूरी होने के बाद और जानकारी साझा की जाएगी। इस घटना ने व्हाइट हाउस सुरक्षा तंत्र की सतर्कता पर ध्यान केंद्रित कर दिया है। अधिकारियों का कहना है कि सुरक्षा को और भी कड़ा किया जाएगा और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई की जाएगी।
इजराइल ने कतर स्थित अंतरराष्ट्रीय टीवी चैनल अल जजीरा और आतंकवादी संगठन हमास के बीच गुप्त गठजोड़ का खुलासा किया है। आरोप है कि चैनल गाजा पट्टी में युद्ध के दौरान हमास के दुष्प्रचार का माध्यम बन गया और आतंकियों को मनोवैज्ञानिक समर्थन प्रदान किया। इजराइल ने इसे “तटस्थ पत्रकारिता” नहीं बल्कि संगठित प्रचार करार दिया।
इजराइल के मीर अमेट खुफिया और आतंकवाद सूचना केंद्र ने 20 अक्टूबर को साक्ष्यों के साथ एक वृत्तचित्र जारी किया। इसमें अल जजीरा और हमास के सहयोग के बारे में गंभीर आरोप लगाए गए। इजराइल सरकार ने इस जानकारी को 21 अक्टूबर को अपने आधिकारिक पेज पर साझा किया। International News
वृत्तचित्र में बताया गया कि 1996 में स्थापित अल जजीरा चैनल कतर के शाही परिवार के नियंत्रण में है। नेटवर्क अरब दुनिया का प्रमुख मीडिया संस्थान माना जाता है, लेकिन आरोप है कि उसने वर्षों से हमास और कट्टरपंथी सुन्नी इस्लाम के एजेंडे को बढ़ावा दिया। गाजा पट्टी में युद्ध के दौरान चैनल ने हमास के राजनीतिक और सैन्य संदेश प्रसारित किए और बंधकों की रिहाई की कवरेज करके आतंकियों को मनोवैज्ञानिक समर्थन दिया।
मीर अमेट खुफिया केंद्र का दावा है कि हमास और अल जजीरा के बीच सहयोग न तो बेतरतीब था और न ही अलग-थलग। गाजा से लाए गए दस्तावेज़ों में बताया गया कि हमास ने नेटवर्क की संपादकीय नीतियों को प्रभावित किया और सैन्य आपातकालीन संचालन कक्ष और अल जजीरा के बीच सुरक्षित टेलीफोन लाइन स्थापित की। कई पत्रकार, जो चैनल के लिए काम करते थे, हमास की सैन्य शाखा से भी जुड़े थे।
अल जजीरा ने युद्ध के दौरान इजराइली सैनिकों की कार्रवाई को गलत ठहराने की कोशिश की और हमास की गतिविधियों को व्यापक कवरेज दिया। युद्धविराम समझौते के बाद भी चैनल ने हमास के संदेशों को लगातार प्रसारित किया। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि चैनल के संवाददाता विशेष कवरेज सुविधाओं का लाभ उठाकर बंधकों और शवों तक पहुंच रखते थे। International News
वृत्तचित्र में यह भी खुलासा हुआ कि कतर हमास के “बाहरी नेतृत्व” का घर है और संगठन को वित्तीय सहायता, मानवीय मदद और नागरिक परियोजनाओं के लिए समर्थन प्रदान करता है। अल जजीरा का प्रयोग हमास के संदेशों के व्यापक प्रचार के लिए किया गया। International News
अल जजीरा के रिपोर्टर और एंकर फिलिस्तीनी आतंकियों को “मुजाहिदीन” या “मुकाविमिन” कहते हैं और मारे जाने पर उन्हें “शहीद” का दर्जा देते हैं। वहीं इजराइली सैनिकों को “कब्जे वाली सेना” और हमास के हमलों को “ऑपरेशन” या “अमालिया” बताया जाता है। International News
वृत्तचित्र में आरोप लगाया गया कि सात अक्टूबर, 2023 के हमास हमलों के दौरान अल जजीरा ने हमास आतंकवादियों की लाइव कवरेज की। कुछ पत्रकार स्वयं हमास की सैन्य शाखा से जुड़े थे। राजनीतिक ब्यूरो प्रमुख इस्माइल हनीयेह के साथ वरिष्ठ हमास सदस्य भी चैनल के लाइव प्रसारण देख रहे थे। International News
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस की प्रमुख तेल कंपनियों रोसनेफ्ट और लुकोइल पर नए प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। यह कदम यूक्रेन पर मॉस्को के आक्रमण के जवाब में अमेरिका का सबसे बड़ा कदम माना जा रहा है। ट्रंप ने कहा कि यह उनके दूसरे कार्यकाल में रूस पर लगाए गए पहले गंभीर प्रतिबंध हैं। International News
ट्रंप ने प्रतिबंधों की घोषणा बुडापेस्ट शिखर सम्मेलन रद्द होने के बाद की। उन्होंने कहा, "मुझे नहीं लगा कि हम उस मुकाम पर पहुंच पाएंगे जहां हमें पहुंचना था। इसलिए मैंने इसे रद्द कर दिया।" उनका कहना था कि यह रूस पर कार्रवाई का सही समय है। International News
अमेरिकी वित्तमंत्री स्कॉट बेसेंट ने कहा, "अब समय आ गया है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्धविराम तत्काल लागू हो।" प्रतिबंधित कंपनियों को "क्रेमलिन की युद्ध मशीन का दोहरा इंजन" बताया गया। ट्रंप प्रशासन का यह कदम रूस के तेल राजस्व को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है।
अटलांटिक काउंसिल के फेलो डैनियल टैनबाम ने कहा कि यह प्रतिबंध बड़ा कदम है, लेकिन इसके प्रभाव के लिए तीसरे देशों पर भी द्वितीयक प्रतिबंध या सख्त चेतावनी आवश्यक होगी। द्वितीयक प्रतिबंध उन देशों पर लागू होंगे जो रूस के साथ वित्तीय लेनदेन करते हैं।
पांच दिन पहले यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की ट्रंप से मिलने वाशिंगटन आए थे। परदे के पीछे यह मुलाकात खास नहीं रही। ट्रंप ने जेलेंस्की पर रूस को जमीन देने का दबाव डाला ताकि पुतिन की शर्तों पर युद्धविराम लागू हो सके। अगस्त में अलास्का में ट्रंप और पुतिन की मुलाकात के बाद भी ऐसे प्रयास किए गए। International News
ट्रंप प्रशासन का यह कदम रूसी तेल उद्योग पर दबाव बढ़ाने और मॉस्को को युद्ध विराम के लिए मजबूर करने की रणनीति का हिस्सा है। पूर्ववर्ती राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सहयोगियों के दबाव के बावजूद इन कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने से परहेज किया था, जबकि ट्रंप ने इस मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया। International News
मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम ने भारत को व्यापार और निवेश में मलेशिया का एक महत्वपूर्ण साझेदार करार दिया है। उन्होंने कहा कि मलेशिया भारत के साथ अपने संबंधों को और मजबूत करने, तथा क्षेत्र में शांति और समृद्धि बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री अनवर ने बताया कि मलेशिया और भारत के बीच प्रौद्योगिकी, शिक्षा और क्षेत्रीय सुरक्षा में भी घनिष्ठ सहयोग मौजूद है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में लिखा, "कल रात मुझे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोन आया। हमने द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक रणनीतिक और व्यापक स्तर पर मजबूत करने के प्रयासों पर विस्तार से चर्चा की। भारत, व्यापार और निवेश में मलेशिया का एक अहम साझेदार बना हुआ है। साथ ही, प्रौद्योगिकी, शिक्षा और क्षेत्रीय सुरक्षा के क्षेत्रों में हमारा सहयोग निरंतर मजबूत हो रहा है। प्रधानमंत्री अनवर ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी को दीपावली की शुभकामनाएं भी दीं और दोनों देशों के बीच साझेदारी को और गहरा करने पर सहमति जताई।
अमेरिका में सरकारी शटडाउन 21वें दिन भी जारी है और राजनीतिक गतिरोध अब तक बरकरार है। सोमवार को सीनेट के रिपब्लिकन सदस्यों ने व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ दोपहर के भोजन पर मुलाकात की। इस दौरान रिपब्लिकन सीनेटरों ने डेमोक्रेटिक नेताओं से फंडिंग बढ़ाने के लिए फिर अपील की। International News
सीबीएस न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि रिपब्लिकन किसी भी कीमत पर डेमोक्रेट्स के दबाव में नहीं झुकेंगे। चैनल का मानना है कि यह शटडाउन समाप्त होने में अभी समय लगेगा। वहीं, डेमोक्रेटिक नेताओं ने इस लंच डिप्लोमेसी को “महत्वपूर्ण मिलन” बताया और कहा कि रिपब्लिकन सीनेटरों ने स्वास्थ्य सेवा कर क्रेडिट बढ़ाने के संभावित समझौते पर बातचीत की उम्मीद में राष्ट्रपति से संपर्क किया।
सीनेट इससे पहले सोमवार को 21 नवंबर तक सरकार के वित्त पोषण के लिए सदन से पारित प्रस्ताव को आगे बढ़ाने में 11वीं बार विफल रहा। सदन के अध्यक्ष माइक जॉनसन और सीनेट के बहुमत नेता जॉन थून ने मंगलवार सुबह कहा कि अगर शटडाउन लंबा खिंचता है तो रिपब्लिकन पार्टी को 21 नवंबर की फंडिंग समय-सीमा बढ़ानी पड़ सकती है।
जॉनसन ने डेमोक्रेट्स पर समय गंवाने का आरोप भी लगाया। सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, ओरेगन के डेमोक्रेटिक सीनेटर जेफ मर्कले ने सीनेट में तीन घंटे से अधिक समय तक भाषण देते हुए ट्रंप प्रशासन के विश्वविद्यालयों के लिए अनुसंधान अनुदान रोकने और पोर्टलैंड में नेशनल गार्ड सैनिकों की तैनाती का जिक्र किया। मर्कले ने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप चाहते हैं कि हम ओरेगन को अराजकता और दंगों से घिरा हुआ मान लें।” International News
डेमोक्रेटिक नेताओं का यह रुख स्वास्थ्य सेवा सब्सिडी को लेकर उनका आक्रामक प्रतिरोध दर्शाता है। रिपब्लिकन प्रयासों को लगातार 11वीं बार अवरुद्ध किया गया, और गतिरोध अब चौथे सप्ताह में प्रवेश कर गया है। यह अमेरिकी इतिहास में दूसरा सबसे लंबा शटडाउन माना जा रहा है। International News

क्या पीएम मोदी आसियान समिट में शरीक होंगे या मलेशिया में डोनाल्ड ट्रंप से उनकी मुलाकात होगी? अब इस सस्पेंस से पर्दा हट गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने सात समंदर पार एक अहम फोन कॉल करके पूरी तस्वीर साफ कर दी। जी हां, 26 अक्टूबर से कुआलालंपुर में होने वाले इस शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी शारीरिक रूप से हिस्सा नहीं लेंगे। बुधवार शाम को पीएम मोदी ने मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से फोन पर विस्तार से बात की। दोनों नेताओं ने आसियान और द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर गंभीर चर्चा की। इस वार्ता से यह स्पष्ट हो गया कि मोदी की मलेशिया यात्रा रद्द होने के चलते ट्रंप के साथ उनकी संभावित मुलाकात का खाका अब बन ही नहीं सकता। PM Modi Asean Summit
सूत्रों के अनुसार, भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर आसियान बैठकों में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। हालांकि, पीएम मोदी डिजिटल माध्यम से शिखर सम्मेलन में जुड़ने पर विचार कर सकते हैं। इस बार की घोषणा ने न केवल राजनीतिक सस्पेंस को समाप्त किया बल्कि विदेश नीति के दृष्टिकोण से भी नए संकेत दे दिए हैं। PM Modi Asean Summit
आसियान समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी शामिल होंगे। ट्रंप इस शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने की उम्मीद लगाए बैठे थे। लेकिन अब यह साफ हो गया है कि पीएम मोदी मलेशिया नहीं जा रहे, जिससे ट्रंप की मोदी से मुलाकात की संभावनाएं खत्म हो गईं। भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर समिट में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। वहीं, ट्रंप शी जिनपिंग से मिलने के लिए उत्साहित हैं, लेकिन मोदी की गैरमौजूदगी ने इस संभावित त्रिकोणीय मुलाकात को अब सिर्फ अटकलों तक सीमित कर दिया है। ऐसे में आसियान समिट में वैश्विक नेताओं के बीच नई कूटनीतिक हलचल की राह खुलती दिख रही है।
बुधवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से फोन पर लंबी और महत्वपूर्ण बातचीत की। बातचीत की शुरुआत में मोदी ने अपने पहले से तय कार्यक्रम का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि वे इस बार आसियान समिट में शामिल नहीं होंगे। दोनों नेताओं ने भारत-आसियान संबंधों की मजबूती पर जोर दिया और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, व्यापार एवं निवेश, जलवायु परिवर्तन और डिजिटल अर्थव्यवस्था सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
पीएम मोदी ने भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई, जबकि अनवर ने मलेशिया के माध्यम से आसियान-भारत साझेदारी को और गहरा करने पर सहमति जताई।द्विपक्षीय स्तर पर व्यापार घाटे को कम करने, डिजिटल अर्थव्यवस्था में सहयोग बढ़ाने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने जैसे विषयों पर भी दोनों नेताओं ने गंभीर चर्चा की, जिससे भारत-मलेशिया संबंधों में नई ऊर्जा और दिशा का संकेत मिला।
सूत्रों के अनुसार, इस बार आसियान शिखर सम्मेलन में भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। पिछले कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया है, लेकिन इस बार मोदी की गैरमौजूदगी में यह जिम्मेदारी जयशंकर संभालेंगे। मलेशिया ने इस शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ-साथ कई अन्य संवाद साझेदार देशों के नेताओं को भी आमंत्रित किया है। ट्रंप 26 अक्टूबर से दो दिवसीय यात्रा पर कुआलालंपुर आएंगे और इस दौरान वैश्विक कूटनीति में हलचल की उम्मीद है। भारत की तरफ से जयशंकर की भागीदारी इस समिट में नई दिशा और सक्रिय भूमिका का संकेत देती है। PM Modi Asean Summit
भारत और आसियान के रिश्तों की कहानी 1992 में शुरू हुई, जब क्षेत्रीय सहयोग की नींव रखी गई। दिसंबर 1995 में यह साझेदारी पूर्ण संवाद स्तर तक पहुंची और 2002 में इसे शिखर सम्मेलन स्तर की मान्यता मिली। समय के साथ इन रिश्तों ने गहराई पकड़ी और 2012 में इसे रणनीतिक साझेदारी का दर्जा दिया गया। आज भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया सहित आसियान के 10 सदस्य देशों के साथ बहुआयामी सहयोग में जुड़ा हुआ है, जो व्यापार, सुरक्षा, तकनीकी और सांस्कृतिक क्षेत्रों तक फैला हुआ है। PM Modi Asean Summit
क्या पीएम मोदी आसियान समिट में शरीक होंगे या मलेशिया में डोनाल्ड ट्रंप से उनकी मुलाकात होगी? अब इस सस्पेंस से पर्दा हट गया है। प्रधानमंत्री मोदी ने सात समंदर पार एक अहम फोन कॉल करके पूरी तस्वीर साफ कर दी। जी हां, 26 अक्टूबर से कुआलालंपुर में होने वाले इस शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी शारीरिक रूप से हिस्सा नहीं लेंगे। बुधवार शाम को पीएम मोदी ने मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से फोन पर विस्तार से बात की। दोनों नेताओं ने आसियान और द्विपक्षीय रिश्तों को लेकर गंभीर चर्चा की। इस वार्ता से यह स्पष्ट हो गया कि मोदी की मलेशिया यात्रा रद्द होने के चलते ट्रंप के साथ उनकी संभावित मुलाकात का खाका अब बन ही नहीं सकता। PM Modi Asean Summit
सूत्रों के अनुसार, भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर आसियान बैठकों में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। हालांकि, पीएम मोदी डिजिटल माध्यम से शिखर सम्मेलन में जुड़ने पर विचार कर सकते हैं। इस बार की घोषणा ने न केवल राजनीतिक सस्पेंस को समाप्त किया बल्कि विदेश नीति के दृष्टिकोण से भी नए संकेत दे दिए हैं। PM Modi Asean Summit
आसियान समिट में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी शामिल होंगे। ट्रंप इस शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने की उम्मीद लगाए बैठे थे। लेकिन अब यह साफ हो गया है कि पीएम मोदी मलेशिया नहीं जा रहे, जिससे ट्रंप की मोदी से मुलाकात की संभावनाएं खत्म हो गईं। भारत की ओर से विदेश मंत्री एस. जयशंकर समिट में देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। वहीं, ट्रंप शी जिनपिंग से मिलने के लिए उत्साहित हैं, लेकिन मोदी की गैरमौजूदगी ने इस संभावित त्रिकोणीय मुलाकात को अब सिर्फ अटकलों तक सीमित कर दिया है। ऐसे में आसियान समिट में वैश्विक नेताओं के बीच नई कूटनीतिक हलचल की राह खुलती दिख रही है।
बुधवार शाम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम से फोन पर लंबी और महत्वपूर्ण बातचीत की। बातचीत की शुरुआत में मोदी ने अपने पहले से तय कार्यक्रम का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि वे इस बार आसियान समिट में शामिल नहीं होंगे। दोनों नेताओं ने भारत-आसियान संबंधों की मजबूती पर जोर दिया और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में शांति, व्यापार एवं निवेश, जलवायु परिवर्तन और डिजिटल अर्थव्यवस्था सहयोग जैसे अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
पीएम मोदी ने भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता दोहराई, जबकि अनवर ने मलेशिया के माध्यम से आसियान-भारत साझेदारी को और गहरा करने पर सहमति जताई।द्विपक्षीय स्तर पर व्यापार घाटे को कम करने, डिजिटल अर्थव्यवस्था में सहयोग बढ़ाने और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने जैसे विषयों पर भी दोनों नेताओं ने गंभीर चर्चा की, जिससे भारत-मलेशिया संबंधों में नई ऊर्जा और दिशा का संकेत मिला।
सूत्रों के अनुसार, इस बार आसियान शिखर सम्मेलन में भारत की तरफ से विदेश मंत्री एस. जयशंकर देश का प्रतिनिधित्व करेंगे। पिछले कुछ वर्षों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आसियान-भारत और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलनों में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया है, लेकिन इस बार मोदी की गैरमौजूदगी में यह जिम्मेदारी जयशंकर संभालेंगे। मलेशिया ने इस शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ-साथ कई अन्य संवाद साझेदार देशों के नेताओं को भी आमंत्रित किया है। ट्रंप 26 अक्टूबर से दो दिवसीय यात्रा पर कुआलालंपुर आएंगे और इस दौरान वैश्विक कूटनीति में हलचल की उम्मीद है। भारत की तरफ से जयशंकर की भागीदारी इस समिट में नई दिशा और सक्रिय भूमिका का संकेत देती है। PM Modi Asean Summit
भारत और आसियान के रिश्तों की कहानी 1992 में शुरू हुई, जब क्षेत्रीय सहयोग की नींव रखी गई। दिसंबर 1995 में यह साझेदारी पूर्ण संवाद स्तर तक पहुंची और 2002 में इसे शिखर सम्मेलन स्तर की मान्यता मिली। समय के साथ इन रिश्तों ने गहराई पकड़ी और 2012 में इसे रणनीतिक साझेदारी का दर्जा दिया गया। आज भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमार और कंबोडिया सहित आसियान के 10 सदस्य देशों के साथ बहुआयामी सहयोग में जुड़ा हुआ है, जो व्यापार, सुरक्षा, तकनीकी और सांस्कृतिक क्षेत्रों तक फैला हुआ है। PM Modi Asean Summit