LP G Cylinder: रसोई गैस पर सब्सिडी बंद कर सरकार ने बचाए 11,654 करोड़ रुपये

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calendar01 Dec 2025 07:35 PM
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New Delhi नई दिल्ली। उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन देने वाली सरकार ने अब रसोई गैस के दाम दोगुने से भी अधिक कर दिया। इतना ही नहीं रसोई गैस सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी भी सरकार धीरे-धीरे खत्म कर रही है। सब्सिडी बंद करके सरकार ने अपने खजाने में करोड़ों रुपये जमा किए हैं। 2020-21 में केंद्र सरकार ने एलपीजी सब्सिडी के रूप में 11,896 करोड़ रुपये खर्च किए थे, वहीं 2021-22 में यह खर्च घटकर महज 242 करोड़ रुपये रह गया है। इस तरह सब्सिडी को खत्म कर सरकार ने सिर्फ एक वित्त वर्ष में ही 11,654 करोड़ रुपये बचा लिए। पेट्रोलियम मंत्रालय के अनुसार, वित्त वर्ष 2017-18 में एलपीजी सब्सिडी पर 23,464 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जो वित्त वर्ष 2018-19 में 37,209 करोड़ रुपये पहुंच गया। इसके बाद सरकार ने लोगों से सब्सिडी छोड़ने की अपील की और करोड़ों ग्राहकों ने इस अपील पर सब्सिडी छोड़ दी, जिससे वित्त वर्ष 2019-20 में सरकार का खर्च घटकर 24,172 करोड़ पर आ गया। 2020-21 में इसमें करीब 50 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई और सब्सिडी का खर्च घटकर 11,896 करोड़ रुपये रह गया। इसके बाद 2021-22 में यह खर्च घटकर महज 242 करोड़ रुपये रह गया है। जून 2020 में सरकार ने फैसला किया था कि गैस सिलेंडर पर सब्सिडी सिर्फ प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के लाभार्थियों को ही दी जाएगी। इससे सब्सिडी पाने वाले लोगों की संख्या में भरी कमी आई है। सरकार ने लाभार्थियों के लिए एक साल में 12 रीफिल तक के लिए 200 रुपये प्रति सिलेंडर की सब्सिडी शुरू की है। सिलेंडर पर सब्सिडी लाभार्थी के बैंक खाते में जमा की जाती है। दिल्ली में 23 जुलाई 2021 को घरेलू गैस सिलेंडर की कीमत 834.50 रुपये थी, जो अब 1053 रुपये पर पहुंच गई है। यानी बीते एक साल में घरेलू गैस सिलेंडर कीमत 218.50 रुपये बढ़ी है। इस पर मिलने वाली सब्सिडी भी खत्म कर दी गई है।
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फर्जी लाइसेंस पर गोवा में बार चला रही है स्मृति ईरानी की बेटी: कांग्रेस

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userचेतना मंच
calendar23 Jul 2022 07:35 PM
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New Delhi: नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की बेटी ने गोवा में अपने रेस्टोरेंट में शराब परोसने के लिए फर्जी लाइसेंस जारी करवाया है। यह आरोप कांग्रेस ने लगाया है। शनिवार को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस  में कांग्रेस नेताओं ने कहा कि केंद्रीय मंत्री स्मृति जूबिन ईरानी की बेटी जोइश ईरानी ने अपने ‘सिली सोल्स कैफे एंड बार’ के लिए फर्जी दस्तावेज देकर बार लाइसेंस जारी करवाए। कांग्रेस नेताओं ने आरटीआई के जरिए इस बात के खुलासे का दावा किया है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 22 जून 2022 को लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए जिस एंथनी डीगामा के नाम से आवेदन किया गया, उनकी पिछले साल मई में ही मौत हो चुकी है। एंथनी के आधार कार्ड से पता चला है कि वे मुंबई के विले पार्ले के निवासी थे। आरटीआई लगाने वाले वकील को इनका मृत्यु प्रमाण पत्र भी मिला है। विषय चूंकि केंद्रीय मंत्री से संबंधित है, इसलिए इस मामले में तमाम नियम कानून भी ताक पर रख दिए गए। गोवा की आबकारी नीति के मुताबिक राज्य में केवल मौजूदा रेस्टोरेंट को ही बार लाइसेंस मिल सकता है, वो भी एक रेस्टोरेंट को एक बार में एक। लेकिन, पिछले साल फरवरी में स्मृति ईरानी के पारिवारिक रेस्टोरेंट को विदेशी शराब की खुदरा बिक्री के साथ ही भारत में निर्मित विदेशी और देशी शराब की खुदरा बिक्री के लिए भी लाइसेंस जारी कर दिए गए। दस्तावेजों से ये भी पता चला है कि बार लाइसेंस के लिए आवश्यक रेस्तरां लाइसेंस के बिना ही बार लाइसेंस जारी किए गए। कांग्रेस नेता ने कहा कि फर्जीवाड़े के खुलासे के कुछ ही घंटे बाद बाद कल शाम भाजपा सरकार ने एक्साइज कमिश्नर नारायण गड को परेशान करने का खेल शुरू कर दिया। जिन्होंने उत्तर गोवा के असगाओ में केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी के परिवार द्वारा चलाए जा रहे इस अवैध बार और रेस्तरां को कारण बताओ नोटिस भेजा था। कांग्रेस का कहना है कि ये सारे तथ्य दिखाते हैं कैसे हर स्तर पर भ्रष्टाचार हुआ है और तथ्यों को छिपाने की कोशिश की जा रही है। चूंकि ये मामला केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से जुड़ा हुआ है, इसलिए और भी ज्यादा गंभीर हो जाता है। कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री से कुछ सवालों के जवाब पूछे कि ये धांधली किसके इशारे पर हो रही है? अवैध कार्यों को अंजाम देने के पीछे कौन है? जो स्मृति ईरानी कल तक राहुल गांधी और सोनिया गांधी को लेकर तरह-तरह के सवाल पूछ रही थीं, वो आज अपने पारिवारिक भ्रष्टाचार पर चुप क्यों है? सत्ता बल के द्वारा इस फर्जीवाड़े को छुपाने का खेल क्यों चल रहा है?
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गलत एजेंडा चलाना लोकतंत्र के लिए हानिकारक: एनवी रमना

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userचेतना मंच
calendar30 Nov 2025 06:44 PM
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Supreme Court:  सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने शनिवार को झारखंड में आयोजित एक कार्यक्रम में मीडिया को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि हम देख रहे हैं कि मीडिया कंगारू कोर्ट चला रहे हैं। इसके चलते कई बार तो अनुभवी न्यायाधीशों को भी सही और गलत का फैसला करना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा कि कई न्यायिक मुद्दों पर गलत सूचना और एजेंडा चलाना लोकतंत्र के लिए हानिकारक साबित हो रहा है। सीजेआई ने कहा कि हम अपनी जिम्मेदारियों से भाग नहीं सकते। यह प्रवृत्ति हमें दो कदम पीछे ले जा रही है। प्रिंट मीडिया में अब भी कुछ हद तक जवाबदेही है, लेकिन इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की कोई जवाबदेही नहीं बची है। वर्तमान समय की न्यायपालिका के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक निर्णय के लिए मामलों को प्राथमिकता देना है। सीजेआई रमना ने कहा कि न्यायाधीश सामाजिक वास्तविकताओं से आंखे नहीं मूंद सकते हैं। न्यायाधीशों को समाज को बचाने और संघर्षों को टालने के लिए ज्यादा दबाव वाले मामलों को प्राथमिकता देना होगा। मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि लोग अक्सर भारतीय न्यायिक प्रक्रिया में लंबे समय से लंबित मामलों की शिकायत करते हैं। कई मौकों पर खुद मैंने लंबित मामलों के मुद्दों को उजागर किया है। मैं न्यायाधीशों को उनकी पूरी क्षमता से कार्य करने में सक्षम बनाने के लिए भौतिक और व्यक्तिगत दोनों तरह के बुनियादी ढांचे को सुधारने की आवश्यकता की पुरजोर वकालत करता हूं। उन्होंने कहा, लोगों ने एक गलत धारणा बना ली है कि न्यायाधीशों का जीवन बहुत आसान है। इस बात को निगलना काफी मुश्किल है।