अंधा कानून नहीं चलेगा, न्याय की देवी की आंखों से हट गई पट्टी

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Nyay Ki Devi
locationभारत
userचेतना मंच
calendar18 Oct 2024 07:17 PM
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Nyay Ki Devi : न्याय की देवी (Nyay Ki Devi ) की आंखों पर बंधी हुई पट्टी हट गई है। न्याय की देवी की आंखें अब बंद नहीं रहेंगी। न्याय की देवी अब सब-कुछ देख सकती है। न्याय की देवी की आंखों पर से पट्टी हटाने का मतलब यह हुआ कि कानून अंधा नहीं है। भारत में काननू के मामले में चलने वाली यह अवधारणा पूरी तरह से बदल गई है कि कानून अंधा होता है। दरअसल कानून की प्रतिमा के रूप में अंग्रेजों के जमाने से न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी बांधे रखने का प्रचलन था। अंग्रेजों के जमाने वाली न्याय की देवी की उस छवि को पूरी तरह से बदल दिया गया है।

भारत के सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला लिया है। इस फैसले को भारत के सुप्रीम कोर्ट के इतिहास का सबसे बड़ा फैसला माना जा रहा है। यह फैसला भारत के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड की अगुवाई में लिया गया है। बड़ा फैसला यह है कि भारत में कानून का प्रतीक बनी न्याय की देवी की आंखों पर अब पटटी बंधी हुई नहीं रहेगी। न्याय की देवी की आंखों से पटटी हटाने के सुप्रीम कोर्ट के बड़े फैसले की खूब तारीफ हो रही है।

सुप्रीम कोर्ट के पुस्तकालय में लगी न्याय की देवी की नई मूर्ति

आपको बता दें कि भारत के सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी की नई मूर्ति लगाई गई है। इस मूर्ति की आंखो पर इस बार पट्टी नहीं बंधी हुई है। यह मूर्ति सुप्रीम कोर्ट के जजों के पुस्तकालय में लगाई गई है। इस मूर्ति की खासियत यह है कि पुरानी मूर्ति के बजाय इसके एक हाथ में तराजू है तो दूसरे हाथ में तलवार की जगह भारतीय संविधान है। न्याय की देवी की नई मूर्ति इस तरफ इशारा कर रही है कि न्याय अंधा नहीं है। वह संविधान के हिसाब से काम करता है। भारत के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने इस मूर्ति को ऑर्डर देकर बनवाया है। न्याय की देवी की नई मूर्ति की खासियत की बात करें तो पूरी की पूरी मूर्ति सफेद रंग की है। लेडी जस्टिस को भारतीय परिधान में दिखाया गया है। वह साड़ी में नजर आ रही हैं। उनके सिर पर एक मुकुट भी है। साथ ही माथे पर बिंदी और कान व गले में आभूषण भी दिखाई दे रहे हैं। मूर्ति के दाएं हाथ में तराजू रखा गया है। यह समाज में बराबरी का प्रतीक है। इतना ही नहीं यह दिखाता है कि कोर्ट किसी भी रिजल्ट पर पहुंचने से पहले दोनों तरफ की बातों को गौर से सुनते हैं और तर्कों पर ध्यान देते हैं। उसी के बाद में अपना फैसला सुनाते हैं। वहीं बाएं हाथ में तलवार की जगह संविधान की किताब रखी गई है। आंखों पर बंधी हुई पट्टी हटा दी गई है। यह मूर्ति सफेद स्क्वायर प्लेटफॉर्म पर रखी गई है। भारत के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ का मानना है कि भारत को अब ब्रिटिश काल की विरासत से आगे बढऩे का समय है। उनका भरोसा है कि कानून अंधा नहीं है और यह सभी को एक नजरिये से ही देखता है। सीजेआई ने ही न्याय की देवी की मूर्ति में बदलाव की बात रखी थी।

विनोद गोस्वामी ने बनाई है न्याय की देवी की नई मूर्ति

भारत के सुप्रीम कोर्ट में स्थापित न्याय की देवी की नई मूर्ति को मशहूर शिल्पकार विनोद गोस्वामी और उनकी टीम ने तराशा है। मशहूर मूर्तिकार विनोद गोस्वामी ने बताया कि इस मूर्ति को बनाने में तीन महीने लगे और इसमें तीन चरण थे। सबसे पहले एक ड्राइंग बनाई गई, फिर एक छोटी मूर्ति बनाई गई। जब चीफ जस्टिस को छोटी मूर्ति पसंद आई, तो 6 फीट ऊंची एक बड़ी मूर्ति बनाई गई। इस मूर्ति का वजन सवा सौ किलो है। गोस्वामी ने बताया, 'चीफ जस्टिस के मार्गदर्शन और दिशा निर्देश के अनुसार ही न्याय की देवी की नई मूर्ति बनाई गई है।' उन्होंने आगे कहा, 'चीफ जस्टिस ने कहा था कि नई प्रतिमा कुछ ऐसी हो जो हमारे देश की धरोहर, संविधान और प्रतीक से जुड़ी हुई हो।' गोस्वामी ने बताया कि इसी सोच के साथ मूर्ति को गाउन की जगह साड़ी पहनाई गई है। यह दर्शाता है कि न्याय का भारतीयकरण हो रहा है और इसे आम लोगों से जोडऩे की कोशिश की जा रही है। यह नई मूर्ति फाइबर ग्लास से बनाई गई है, जो इसे मजबूत और टिकाऊ बनाता है। पहले न्याय की देवी की मूर्ति के बाएं हाथ में तलवार रहा करती थी, जिसे हटा दिया गया है। अब तलवार की जगह संविधान रखा गया है, जिससे यह संदेश देने की कोशिश की गई है कि हर आरोपी के खिलाफ विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी। अदालत में लगी न्याय की देवी की मूर्ति ब्रिटिश काल से ही चलन में है, लेकिन अब इसमें बदलाव करके न्यायपालिका की छवि में समय के अनुरूप बदलाव की सराहनीय पहल की गई है।

करवा चौथ से पहले दर्द में डूबा एक पत्नी पीड़ित पति

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करवा चौथ से पहले दर्द में डूबा एक पत्नी पीड़ित पति

करवा चौथ
Karva Chauth 2024
locationभारत
userचेतना मंच
calendar18 Oct 2024 05:51 PM
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Karva Chauth 2024 : चारों तरफ करवा चौथ के पर्व की चर्चा हो रही है। चर्चा क्यों ना हो करवा चौथ (Karva Chauth) का पर्व है ही इतना खास। करवा चौथ का पर्व भारतीय पति-पत्नी का सबसे बड़ा पर्व होता है। करवा चौथ के पर्व पर भारतीय महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत करती हैं। अपने प्यार तथा पत्नी के प्रति समर्पण की भावना से बहुत सारे पति भी अपनी पत्नी के साथ-साथ करवा चौथ (Karva Chauth) का व्रत रखते हैं। करवा चौथ के व्रत जैसी कोई दूसरी मिशाल दुनिया में नहीं मिलती है।

पत्नी से पीड़ित पति

अक्सर पति के द्वारा पत्नी को प्रताड़ित करने की खबरें आती हैं। ऐसा कम ही होता है कि पत्नी से पीड़ित पति की कोई खबर आए। इसका अर्थ यह बिल्कुल भी नहीं है कि पति पीड़ित नहीं होते हैं। यह अलग बात है कि लोक-लाज के डर से ढ़ेर सारे पति अपनी पत्नी से पीड़ित होने के बावजूद उसका कहीं जिक्र नहीं करते है। कुछ भारतीय नागरिकों ने तो बाकायदा एक संगठन भी बना लिया है। इस संगठन का नाम "पत्नी पीड़ित मोर्चा" रखा गया है। यहां यह सवाल उठाया जा सकता है कि करवा चौथ के पावन पर्व पर पत्नी पीड़ित पति की चर्चा क्यों की जा रही है? इस प्रश्न का उत्तर बहुत ही मार्मिक उत्तर है। दरअसल करवा चौथ से पूर्व चेतना मंच ने अपने पति को लिखे गए पत्नी के कुछ प्रेम-पत्र प्रकाशित किए हैं। करवा चौथ के अवसर के लिए लिखे गए प्रेम-पत्र पढ़कर एक पति ने चेतना मंच के सम्पादक को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में करवा चौथ के बहाने पति ने अपनी पूरी वेदना का जिक्र किया है। आप भी पढ़ें करवा चौथ (Karva Chauth) पर लिखा गया एक पति का यह पत्र।

पत्र का शीर्षक है कि "हां मैं उल्लू हूं"

पत्र में लिखा गया है कि अगर मैं अपनी पत्नी को प्रेम पत्र लिखता तो क्या संबोधन लिखता प्रियतमा, प्रणेश्वरी ,मेरी जीवन नैया की खेवईया, मेरे बच्चों की मां, गृह की स्वामिनी आदि  लिखने लगूं तो हजार संबोधन लिख दूं पर इस समय मुझे उसे पत्र नहीं लिखना बल्कि आपको अपनी आपबीती बतानी है। केवल मेरी पत्नी ही नहीं तमाम स्त्रियों को लग रहा है कि करवा चौथ के मौके पर फनी, उपहास उड़ाने वाले मीम्स व वीडियो केवल पत्नियों के ही बन रहे हैं ,पर मैं तो पिछले कई सालों से हर साल करवा चौथ के पहले से सुनता आ रहा हूं कि करवा चौथ के दिन उल्लू पूजन होगा क्योंकि लक्ष्मी जी ने अपने वाहन उल्लू को ऐसा ही वरदान दिया था।  सच है! हम पुरुष लोग उल्लू ही है तो है, जिस पर सवार होकर हर महीने लक्ष्मी जी इनके घर आती हैं। जिससे इनका घर चलता है। क्या कहा! घर मेरा भी है। अरे मैं ऐसी गलतफहमी नहीं पालता। मैं कब क्या खाऊंगा, क्या पियूंगा, क्या पहनूंगा, कहां सोऊंगा यह सब तो वही तय करती हैं। वैसे भी इन स्त्रियों ने तो पहले से ही तय कर रखा है कि "घर स्त्री ही बनाती है।" घर मेरा भी होता तो एक गीला तौलिया बिस्तर पर छोड़ देने भर से ही इतना कोहराम थोड़ी मचता। इनकी पड़ोसी शर्माइन, वर्माइन ठकुराइन, मिश्राइन इस घर में आकर कितनी ही किटी पार्टी कर ले कुछ भी खाएं पिए मैं तो कभी कोई हस्तक्षेप नहीं करता, पर क्या मजाल कभी मेरे चार दोस्त आ जाएं और कुछ पीना खाना हो जाए तो मेरी तो लंका ही लग जाती है। वह कुछ बड़बड़ाने लगती हैं। मैं कहता हूं अच्छा बड़बड़ाओ तो मत साफ-साफ बताओ क्या कह रही हो। वह कहती हैं तो सुनो साफ-साफ ही कह रही हूं कोई तुमसे डरती हूं कि इन्हीं शर्माइन वर्माइन मिश्राइन को देखकर तो तुम्हारी लार टपकती है। कुत्ते की तरह दुम हिलाते उनके आगे पीछे घूमते हो। तुम्हारी सहेलियां है, कभी कोई काम बता देती है तो कर देता हूं तो कुत्ता हो गया। देखा नहीं कैसे हंस-हंस कर आभार जताती हैं। तुम्हारी तो फरमाइशें पूरी करते-करते मेरी जवानी बीती जा रही है क्या मजाल जो कभी मुस्कुरा कर धन्यवाद ही दे दो। तुम खुद को भी तो कभी आईने में देखो, कैसे शर्मा जी से ताजा फल सब्जी मंगवा लेती हो कि भाई साहब आप तो मंडी जा ही रहे हैं। सामने वाले ठाकुर साहब से कभी प्लंबर कभी कारपेंटर कभी सफाई वाला मांगा करती हो कि भाई साहब आप तो नगर निगम में है आपको क्या मुश्किल है। कैसे सबसे हंस हंस के बतिया आती हो मैं तो इसलिए नहीं बोलता तुम्हारा रोना धोना चालू हो जाएगा और बेवजह घर की शांति भंग हो जाएगी। मेरा इतना कहना था कि घर में महाभारत हो गया और देवी जी पर वास्तव में देवी चढ़ आई जिनके एक हाथ में खड्ग और दूसरे में खप्पर है और जो मेरा खून पीने को तत्पर है। मैं जो कह रहा हूं कि हाथ में तलवार है उससे भी खतरनाक बात है कि उसकी तो जिह्वा ही तलवार है। मैं डर कर घर से भाग खड़ा हुआ हूं और बाजार की ओर जाते हुए सोच रहा हूं कि

त्रिया चरित्रम पुरुषस्य भाग्यम देवौ न जानाति कुतो मनुष्यः

अब बाजारवाद से मेरा पीछा तो छूटने से रहा। उसे वक्ती तौर पर ही सही प्रसन्न करने का एक ही तरीका है कि मैं उसे हार लाकर दूं। अब इस हार में भले ही मेरी हार हो पर उसकी जीत तो पक्की है। डरता भी हूं कहीं गुस्से में उसने करवा चौथ (Karva Chauth) का व्रत नहीं किया और मेरी राम नाम सत्य हो गई तो यह माया किस काम आएगी। अतः अपनी सारी माया इस मायारुपिणी को भेंट कर देने में ही मेरी भलाई है। आशा है मेरे अनुभव से अन्य पुरुष भी सबक लेंगे और करवा चौथ (Karva Chauth) तक पत्नी से कोई पंगा नहीं लेंगे। Karva Chauth 2024 निवेदक-एक बेचारा भारतीय पति

करवा चौथ के महत्व को खुद चाँद तथा सूरज से समझा

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वह क्या है जो है तो आपका लेकिन उसका ज्यादा इस्तेमाल दूसरे करते हैं

वह क्या है जो है तो आपका लेकिन उसका ज्यादा इस्तेमाल दूसरे करते हैं
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 12:30 AM
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GK Quiz : GK अथवा जनरल नॉलेज (General knowledge) तथा सामान्य ज्ञान तीनों शब्द एक ही हैं। सामान्य ज्ञान (GK) में ज्ञान का अपार भंडार छुपा हुआ होता है। GK के सवालों का उत्तर सही देने के बाद ही IAS तथा IPS जैसे बड़े-बड़े पद प्राप्त होते हैं। जिसका GK जितना अच्छा होता है उसे उतना ही बड़ा ज्ञानवान माना जाता है। GK के बड़े भंडार में से हम आपके लिए कुछ अनोखे प्रश्न लेकर आते रहते हैं। प्रस्तुत हैं  GK के कुछ और महत्वपूर्ण प्रश्न तथा GK के प्रश्नों के उत्तर। प्रश्न नम्बर-1: वह क्या है जो है तो आपका लेकिन उसका प्रयोग दूसरे ज्यादा करते हैं। उत्तर नम्बर-1: इस प्रश्न का उत्तर है "नाम"। आपका नाम होता तो आपका है किन्तु आपके नाम का ज्यादा प्रयोग या उपयोग दूसरे लोग करते हैं। यह प्रश्न भारत की सबसे बड़ी परीक्षा UPSC की परीक्षा के इंटरव्यू में पूछा जा सकता है।
प्रश्न नम्बर-2: लिपिस्टक को उर्दू में क्या कहा जाता है?
उत्तर नम्बर-2: उर्दू भाषा में लिपिस्टक को "सुर्खी" कहा जाता है।
प्रश्न नम्बर-3: दुनिया के सबसे बड़े सर्च इंजन गूगल का नाम किस शब्द से बना है? उत्तर नम्बर-3: गूगल का नाम अंग्रेजी के शब्द गूगोल से बना है। आप इस लिंक https://chetnamanch.com/national/google-google-is-a-huge-storehouse-of-knowledge-it-has-the-answer-to-every-question-174193/को खोलकर गूगल के विषय में अधिक जान सकते हैं।
प्रश्न नम्बर-4: साली को उर्दू में क्या कहते हैं? प्रश्न नम्बर-4: दरअसल साली उर्दू का ही शब्द है। इसी कारण उर्दू तथा हिन्दी दोनों भाषाओं में साली ही कहा जाता है। GK Quiz
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