17 अक्टूबर को योगी सरकार करेगी 'महर्षि वाल्मीकि जयंती' का भव्य आयोजन

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Valmiki Jayanti 2024
locationभारत
userचेतना मंच
calendar15 Oct 2024 09:18 PM
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Valmiki Jayanti 2024: वाल्मीकि जयंती का सनातन धर्म में बहुत ही खास महत्व है। ऋषि वाल्मीकि सबसे महान कवि में से एक थे। इन्होंने ही रामायण जैसे महाकाव्य की रचना की थी। वाल्मीकि जयंती का दिन वाल्मीकि जी के जन्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। वाल्मीकि जयंती के दिन जगह- जगह पर झांकी निकाली जाती है। महर्षि वाल्मीकि जयंती के दिन सभी राम भक्त मंदिर में जाकर भजन कीर्तन करते हैं। वाल्मीकि जयंती हर साल आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाती है। इस दिन मंदिर में रामायण पाठ का भी आयोजन किया जाता है। Valmiki Jayanti 2024

17 अक्टूबर को मनाई जाएगी जयंती

इस खास अवसर पर, उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने 17 अक्टूबर को महर्षि वाल्मीकि जयंती को धूमधाम से मनाने का फैसला किया है। इस दिन को विशेष रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से मनाया जाएगा। जिसमें सभी समुदायों की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी। मंदिरों में श्रीराम चरित मानस पाठ, सांस्कृतिक कार्यक्रम, भजन- कीर्तन आदि कराए जाएंगे।

चित्रकूट में विशेष कार्यक्रम

महर्षि वाल्मीकि की तपोस्थली चित्रकूट में इस साल बड़े पैमाने पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यहां पर खास पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। स्थानीय कलाकारों को अपनी कला दिखाने का मौका मिलेगा। जिससे वे अपने सांस्कृतिक विरासत को भी प्रदर्शित कर सकेंगे।

सुरक्षा और व्यवस्थाओं का ध्यान

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी आयोजन स्थलों पर सुरक्षा और व्यवस्थाओं का खास ध्यान रखने के निर्देश दिए हैं। सभी कार्यक्रम स्थलों पर साफ-सफाई, पेयजल, ध्वनि और प्रकाश की सुविधाएं सुनिश्चित करने के लिए संबंधित अधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। हर जनपद में वाल्मीकि जयंती के मौके पर दीप जलाने और रामायण पाठ का आयोजन भी किया जाएगा, जिससे धार्मिक भावनाओं को प्रकट किया जा सके।

लालापुर में होगा मुख्य समारोह

लालापुर चित्रकूट में प्रमुख कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। यहां महर्षि वाल्मीकि की मूर्ति पर माल्यार्पण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 11 बजे होगी। इस दौरान भजन, पूजन-हवन, वाल्मीकि रामायण पाठ और लवकुश प्रसंग जैसे धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भी उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी, ताकि समाज के सभी वर्गों का समावेश हो सके।

मंदिरों में कार्यक्रमों की व्यवस्था

उत्तर प्रदेश के अलग-अलग जिलों में स्थित श्रीराम और हनुमान मंदिरों में भी कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन आयोजनों में कलाकारों को मंच दिया जाएगा। जिलाधिकारियों की देख-रेख में कलाकारों का चयन होगा और संस्कृति विभाग तथा जिला पर्यटन परिषद इसका आयोजन करेंगे। योगी सरकार ने इस अवसर पर स्थानीय जनप्रतिनिधियों और जनता की भागीदारी पर खास ध्यान देने का निर्देश दिया है। इससे ना केवल कार्यक्रमों की गरिमा बढ़ेगी, बल्कि समुदाय में एकजुटता और सहयोग की भावना भी मजबूत होगी। इस प्रकार, महर्षि वाल्मीकि जयंती पर योगी सरकार ने एक भव्य और समर्पित कार्यक्रम की योजना बनाई है, जो न केवल धार्मिकता का प्रतीक है, बल्कि समाज को एक साथ लाने का भी माध्यम है। यह आयोजन सभी के लिए एक अहम अवसर होगा, जिसमें संस्कार, संस्कृति और श्रद्धा का अद्भुत मेल देखने को मिलेगा।

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फिर आ गया चुनाव, महाराष्ट्र तथा झारखंड में बजा चुनावी बिगुल

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Maharat Jharkhan Election
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 08:11 PM
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Maharat Jharkhan Election : एक बार फिर चुनाव आ गया है। चुनाव आयोग थोड़ी देर में महाराष्ट्र तथा झारखंड में चुनाव की घोषणा करने वाला है। महाराष्ट्र तथा झारखंड के विधानसभा चुनाव की घोषणा करने के लिए चुनाव आयोग ने मंगलवार (आज) को 3.30 बजे प्रेसवार्ता आयोजित की है। इसी प्रेसवार्ता में महाराष्ट्र तथा झारखंड में चुनाव की तारीख तथा मतगणना की तारीख की घोषणा कर दी जाएगी।

हरियाणा के बाद अब महाराष्ट्र तथा झारखंड में चुनाव

आपको पता ही है कि हाल ही में हरियाणा तथा जम्मू कश्मीर में विधानसभा के चुनाव हुए हैं। दोनों प्रदेशों में चुनाव समाप्त होते ही चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र तथा झारखंड में चुनाव कराने की घोषणा की सारी तैयारी कर ली है। महाराष्ट्र तथा झारखंड में विधानसभा चुनाव के साथ ही उत्तर प्रदेश तथा राजस्थान में उपचुनाव की घोषणा भी कर दी जाएगी। समाचार लिखे जाने तक चुनाव आयोग ने दिल्ली के विज्ञान भवन में प्रेस कांफ्रेंस बुलाई है।

Maharat Jharkhan Election :

इसी प्रेस-कांफ्रेंस में महाराष्ट्र विधानसभा, झारखंड विधानसभा के चुनाव तथा उत्तर प्रदेश व राजस्थान में उप चुनाव की घोषणा कर दी जाएगी। Maharat Jharkhan Election :

महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल तेज

महाराष्ट्र की बात की जाये तो यहां इस समय शिवसेना के नेतृत्व वाली एकनाथ शिंदे की सरकार है, जिन्होंने पुरानी शिवसेना से बागवत करने के बाद बीजेपी से हाथ मिलाया था और राज्य में सरकार बनाई थी। इस सरकार में एनसीपी का अजित गुट भी शामिल है। इस चुनाव में देखना दिलचस्प होगा कि क्या महाराष्ट्र के मतदाता वर्तमान (शिंदे सरकार) सरकार पर अपना भरोसा एक बार फिर जताते हैं या फिर शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद गुट) और कांग्रेस को सरकार बनाने का मौका मिलता है।

Maharat Jharkhan Election :

महाराष्ट्र में विधानसभा के 288 सदस्यों को चुनने के लिए मतदान होना है। राज्य में पिछला विधानसभा चुनाव अक्टूबर 2019 में हुआ था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए को सरकार बनाने के लिए स्पष्ट बहुमत मिला था, लेकिन आंतरिक कलह के कारण, शिवसेना ने गठबंधन (एनडीए) छोड़ दिया था और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के साथ एक नया गठबंधन बनाया था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भी एमवीए में शामिल होकर यहां राज्य सरकार बनाई थी, जिसमें उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बने थे। 2022 में महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट के बाद एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के साथ बीजेपी के साथ सरकार बनाई. जिसके बाद एकनाथ शिंदे नए मुख्यमंत्री बने थे। 2023 के राजनीतिक संकट के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का अजित पवार गुट भी सरकार में शामिल हो गया था।

झारखंड में है 81 सीट

झारखंड की बात करें तो यहां विधानसभा चुनाव राज्य की सभी 81 सीटों पर होना है। झारखंड विधानसभा का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को समाप्त होने वाला है। राज्य में पिछला विधानसभा चुनाव दिसंबर 2019 में हुआ था। झारखंड को जीतने के लिए भाजपा ने पहले से ही अभियान चला रखा है। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दल भी महाराष्ट्र  तथा झारखंड जीतना चाहते हैं। Maharat Jharkhan Election

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जाट इतिहास में हमेशा अमर रहेंगे बाबा कुशाल सिंह दहिया

जाट इतिहास में हमेशा अमर रहेंगे बाबा कुशाल सिंह दहिया
locationभारत
userचेतना मंच
calendar14 Oct 2024 10:34 PM
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Jat History : जाट समाज भारत का बहुत प्रसिद्ध समाज है। दुर्भाग्य से जाट समाज का इतिहास ठीक से नहीं लिखा गया। जाट इतिहास पर जितना कुछ लिखा गया है वह रोमांचित करने वाला है। जाट इतिहास की क्या बात करें भारत के इतिहास को भी ठीक से नहीं लिखा गया है। यदि इतिहास को ठीक ढंग से लिखा तथा पढ़ाया गया होता हो बाबा कुशाल सिंह दहिया का नाम भारत के बच्चे-बच्चे की जबान पर होना चाहिए था।

सिखों के 9वें गुरू तेग बहादुर से जुड़ा है जाट इतिहास

सिखों के साथ जाट इतिहास का गहरा सम्बंध है। जाट इतिहास ठीक-ठीक अध्ययन करने से पता चलता है कि गुरू तेग बहादुर के कटे हुए शीश की बेअदबी होने से बचाने के लिए महान जाट शूरवीर बाबा कुशाल सिंह दहिया ने अपना खुद का शीश अर्पण कर दिया था। महान जाट बलिदानी बाबा कुशाल सिंह ने अपना सिर धड़ से अलग करवा कर गुरू तेग बहादुर के शीश की बेअदबी रोकने का प्रयास किया था। जाट इतिहास में दर्ज बाबा कुशाल सिंह दहिया का पूरा विवरण हम आपके सामने रख रहे हैं।

महानता की चर्म सीमा कायम की थी जाट बाबा कुशाल सिंह दहिया ने

यह बात उस समय की है जब वर्ष-1675 में घटिया मुगल शासक औरंगजेब ने इस्लाम कबूल ना करने पर भाई सतीदास, भाई मतीदास, भाई दयाला तथा गुरू तेग बहादुर का शीश काट डाला था। यह घटना असहनीय रूप से दर्दनाक घटना थी। 22 नवंबर 1675 को गुरू तेगबहादुर का शीश कटवा दिया और उनके पवित्र पार्थिव शरीर की बेअदबी करने के लिए शरीर के चार टुकड़े कर के उसे दिल्ली के चारों बाहरी गेटों पर लटकाने का आदेश दे दिया।

लेकिन उसी समय अचानक आये अंधड़ का लाभ उठाकर एक स्थानीय व्यापारी लक्खीशाह गुरु जी का धड और भाई जैता जी गुरु जी का शीश उठाकर ले जाने में कामयाब हो गए। लक्खीशाह ने गुरु जी के धड़ को अपने घर में रखकर अपने ही घर को अग्निदाग लगा दी। इस प्रकार समझदारी और त्याग से गुरु जी के शरीर की बेअदवी होने से बचा लिया।इधर भाई जैता जी ने गुरूजी का शीश उठा लिया और उसे कपडे में लपेटकर अपने कुछ साथियों के साथ आनंदपुर साहब को चल पड़े। औरँगेजेब ने उनके पीछे अपनी सेना लगा दी और आदेश दिया कि किसी भी तरह से गुरु जी का शीश वापस दिल्ली लेकर आओ। भाई जैता जी किसी तरह बचते बचाते सोनीपत के पास बढख़ालसा गाँव में जो पंजाब जाते हुए जीटी रोड सोनीपत में स्थित है उसमें पहुंचे गए।

मुगल सेना भी उनके पीछे लगी हुई थी। वहां के स्थानीय निवासियों को जब पता चला कि - गुरु जी ने बलिदान दे दिया है और उनका शीश लेकर उनके शिष्य उनके गाँव में आये हुए हैं तो सभी गाँव वालों ने उनका स्वागत किया और शीश के दर्शन किये। गाँव के निवासी चौधरी कुशाल सिंह दहिया को जब पता चला तो वे भी वहां पहुंचे और गुरु जी के शीश के दर्शन किये और बड़ा दुख जताया।उधर अब मुगलो की सेना भी गांव के पास पहुंच चुकी थी। गांव के लोग इक_ा हुए और सोचने लगे कि क्या किया जाए? मुग़ल सैनिको की संख्या और उनके हथियारों को देखते हुए गाँव वालों द्वारा मुकाबला करना भी आसान नहीं था। सबको लग रहा था कि- मुगल सैनिक गुरु जी के शीश को आनन्दपुर साहिब तक नहीं पहुंचने देंगे।

Jat History :

तब "दादा कुशाल सिंह दहिया" ने आगे बढक़र कहा कि - सैनिको से बचने का केवल एक ही रास्ता है कि - गुरुजी का शीश मुग़ल सैनिकों को सौंप दिया जाए ! इस पर सभी लोग गुस्से से "बाबा कुशाल" को देखने लगे। लेकिन बाबा ने आगे कहा - आप लोग ध्यान से देखिये गुरु जी का शीश, मेंरे चेहरे से कितना मिलता जुलता है उनकी आयु,शक्ल और दाढ़ी गुरु तेगबहादुर से हुबहू मिल रही थी।बिना वक्त जाया करते उन्होंने कहा कि - अगर आप लोग मेरा शीश काट कर, उसे गुरु तेगबहादुर जी का शीश कहकर, मुग़ल सैनिको को सौंप देंगे तो ये मुग़ल सैनिक शीश को लेकर वापस लौट जायेंगे। तब गुरु जी का शीश बड़े आराम से आनंदपुर साहब पहुँच जाएगा और उनका सम्मान के साथ अंतिम संस्कार हो जाएगा। उनकी इस बात पर चारों तरफ सन्नाटा फ़ैल गया। सब लोग स्तब्ध रह गए कि- कैसे कोई अपना शीश काटकर दे सकता है? पर वीर कुशाल सिंह दहिया फैसला कर चुके थे, उन्होंने सबको समझाया कि - गुरु तेग बहादुर कों हिन्द की चादर कहा जाता हैं,उनके सम्मान को बचाना हिन्द का सम्मान बचाना है। इसके अलावा कोई चारा नहीं है।फिर दादा कुशाल सिंह ने अपने बड़े बेटे के हाथों से अपना सिर कटवाकर थाली में रख कर गुरु शिष्यो को दे दिया। एक बेटा धर्म रक्षा के लिए अपने बाप का सिर काटे ऐसी मिशाल देखने तो क्या सुनने को भी नहीं मिलती

Jat History :

जब मुगल सैनिक गाँव में पहुंचे तो इधर भाई जैता जी गुरु जी का शीश लेकर तेजी से आगे निकल गए और जिनके पास बाबा कुशाल सिंह दहिया का शीश था, वे जानबूझकर कुछ धीमे हो गए, मुग़ल सैनिको ने उनसे वह शीश छीन लिया और उसे गुरु तेग बहादुर जी का शीश समझकर दिल्ली लौट गए। इस तरह धर्म की खातिर बलिदान देने की भारतीय परम्परा में एक और अनोखी गाथा जुड़ गई। जहाँ दादा वीर कुशाल सिंह दहिया ने अपना बलिदान दिया था उसे "गढ़ी दहिया" तथा "गढ़ी कुशाली" भी कहते हैं। केवल कुछ पत्रकारों को छोडक़र सदियों से बाकी किसी कथित पत्तलचाट चाटुकार लेखकों, बेशर्म इतिहासकारों और सरकारों ने "शहीद वीर कुशाल सिंह दहिया" तथा इस स्थान को कोई महत्व नहीं दिया। हरियाणा वासियों ने उस स्थान पर एक म्यूजियम बनवाया है और वहां पर महाबलिदानी अमर वीर चौधरी कुशाल सिंह दहिया स्मारक को स्थापित किया है। यह स्थान सोनीपत जिले में बढख़ालसा नामक स्थान पर है जहां गुरुद्वारा बना हुआ है। वहां शहीद बाबा कुशाल सिंह की आदमकद प्रतिमा और शिलालेख चीख चीख कर इस महान बलिदान की अमर गाथा सुना रहे हैं। Jat History 

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