Political : पायलट का अपनी ही पार्टी की सरकार को 15 दिन का अल्टीमेटम

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Pilot's ultimatum of 15 days to his own party's government
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 03:18 AM
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जयपुर। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने सोमवार को राजस्‍थान में अपनी ही पार्टी की सरकार को अल्टीमेटम दे दिया। उन्होंने कहा कि अगर उसने पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार के मामलों की जांच सहित तीन मांगें नहीं मानी तो वह पूरे राज्‍य में आंदोलन करेंगे। पायलट ने इसके लिए राज्‍य की कांग्रेस सरकार को इस महीने के आखिर तक यानी 15 दिन का समय दिया है।

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घोर विरोधी भी उंगली नहीं उठा सकते सचिन पायलट ने कहा कि उनकी ईमानदारी एवं निष्ठा पर उनके घोर विरोधी भी उंगली नहीं उठा सकते। उन्‍होंने कहा क‍ि वह कि‍सी पद पर रहें या न रहें, लेकिन आखिरी सांस तक राजस्‍थान के जनता की सेवा करते रहेंगे। पायलट ने यहां जयपुर में अपनी पांच दिन की जनसंघर्ष पद यात्रा के समापन के अवसर पर आयोजित जनसभा को संबोधित करते हुए यह घोषणा की। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा क‍ि उनकी पहली मांग है कि राज्‍य सरकार राजस्‍थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) को बंद कर, पूरे तंत्र का पुनर्गठन करें, नए कानून मापदंड बनें और पारदर्शिता से लोगों का चयन हो। उन्‍होंने कहा कि मेरी दूसरी मांग है कि पेपर लीक से प्रभावित प्रत्येक नौजवान को उचित आर्थिक मुआवजा दिया जाना चाहिए। तीसरी मांग है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ लगे आरोपों की उच्‍च स्‍तरीय जांच कराई जाए। नौजवानों के हित में और भ्रष्टाचार के खिलाफ, इस महीने के आखिर तक अगर ये तीनों मांगें नहीं मानी गईं तो मैं आप लोगों को बताना चाहता हूं क‍ि अभी मैंने गांधीवादी तरीके से एक दिवसीय अनशन किया, जनसंघर्ष यात्रा निकाली है। महीने के आखिर तक अगर कार्रवाई नहीं होती है तो मैं पूरे प्रदेश में आंदोलन करूंगा आप लोगों के साथ। जनता के साथ रहेंगे। गांव, ढाणी, शहरों में हम पैदल चलेंगे। जनता को साथ लेकर चलेंगे, न्‍याय करवाएंगे। आपकी बात को रखते रहेंगे।

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दीमक की तरह समाज को खा रहा है भ्रष्टाचार सचिन पायलट ने कहा कि भ्रष्टाचार ऐसा मुद्दा है, जो समाज को दीमक की तरह खा रहा है। पेपर लीक के कारण नौजवानों का भविष्य अंधकारमय है। हम लोगों को करारा प्रहार करना पड़ेगा। भ्रष्टाचार को समाप्‍त करना पड़ेगा और जो धारणा बनी हुई क‍ि पांच साल भाजपा, पांच साल कांग्रेस, इस धारणा को तोड़ने के लिए हमें दुनिया को दिखाना पड़ेगा क‍ि हम जो कहते हैं वह करके दिखाते हैं। पायलट ने कहा क‍ि भ्रष्टाचार का मुद्दा नौजवानों के जीवन को अंधकार में धकेल रहा है। इस जनसंघर्ष पद यात्रा का संकल्‍प भाजपा के शासन में हुए भ्रष्‍टाचार की जांच करवाना था। इस यात्रा का उद्देश्‍य नौजवानों के साथ जो धोखा होता है जो भ्रष्‍टाचार होता है उसको समाप्‍त करने का हमारा उद्देश्‍य था। हमारा जनसंघर्ष क‍िसी नेता के खिलाफ नहीं आरपीएससी के अध्यक्ष और सदस्यों की चयन प्रणाली पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि यह आम धारणा है कि यहां जुगाड़ काम करता है और नियुक्तियां राजनीतिक होती हैं। नियुक्तियों को पारदर्शी तरीके से करने की आवश्यकता है, और वैज्ञानिक या व्याख्याता जैसे लोगों को चुनने की आवश्यकता है। हमारा जनसंघर्ष क‍िसी नेता के खिलाफ नहीं। हमारी यात्रा क‍िसी के विरोध में नहीं है। हमारी यात्रा भ्रष्‍टाचार के खिलाफ है। हमारी यात्रा नौजवानों के भविष्‍य को बेहतर बनाने के पक्ष में है और हम इसमें रुकने वाले नहीं हैं। उन्‍होंने कहा कि यह जनसंघर्ष यात्रा नौजवानों के कलेजे में आग लगाने के लिए है। उनको विश्‍वास दिलाने के लिए है। हमें हताश होने की जरूरत नहीं। रास्‍ते निकलेंगे भविष्‍य बेहतर होगा। इसके साथ ही पायलट ने कहा क‍ि उनकी निष्ठा और ईमानदारी पर उनके घोर विरोधी भी उंगली नहीं उठा सकते। उन्‍होंने कहा कि यह प्रदेश व देश की जनता जानती है मेरी न‍िष्‍ठा, मेरी इमानदारी और हम लोगों के काम करने के तरीके पर मेरा सबसे घोर विरोधी भी उंगली नहीं उठा सकता। यह हमारी कमाई है यह जनता का विश्‍वास है।

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आखिरी सांस तक करता रहूंगा जनता की सेवा उन्‍होंने कहा कि मैं आप सब को आश्‍वस्‍त करना चाहता हूं और वादा करना चाहता हूं आप सबके सामने मैं कि‍सी पद पर रहूं या ना रहूं मैं राजस्‍थान की जनता व नौजवानों की सेवा अपनी आखिरी सांस करता रहूंगा। और मैं डरने वाला नहीं हूं मैं दबने वाला नहीं। मैं आपके लिए लड़ा हूं और लड़ता रहूंगा। पायलट ने कहा कि जो भी कांग्रेसी गुटबाजी व पार्टी में अनुशासन की बात करेंगे, उन्हें 25 सितंबर की घटना के बारे में सोचना चाहिए। 25 सितंबर को जो विश्‍वासघात किया गया सोनिया गांधी के साथ, 25 सितंबर को जो पार्टी को बेइज्‍जत करने काम किया गया, जिसने पार्टी के अनुशासन को तोड़ने का काम किया, उन लोगों को अपने गिरेबां में झांककर देखना पड़ेगा क‍ि अनुशासन हमने तोड़ा या क‍िसी और ने तोड़ा। गहलोत समर्थक विधायकों ने 25 सितंबर को विधायक दल की बैठक में न आकर मंत्री शांति धारीवाल के घर समानांतर बैठक की। इन विधायकों ने बाद में, पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया। इन विधायकों का कहना था कि अगर विधायक दल का नया नेता चुनना है तो वह उन 102 विधायकों में से हो, जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान गहलोत सरकार का समर्थन किया था।

Tribute : सच्चे अर्थों में किसानों के मसीहा थे चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत, उनके सामने कांपती थी सत्ता

नेताओं को बदनाम करना कहां की नीति है? मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान सरकार बचाने के लिए भाजपा नेता वसुंधरा राजे और कैलाश मेघवाल की प्रशंसा क‍िए जाने पर उन्होंने कहा कि यह कहां की नीति है क‍ि अपनी पा‍र्टी के नेताओं को बदनाम करो और भाजपा के नेताओं का गुणगान करो, यह चलने वाला नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि चुन चुनकर मुझे भला बुरा कहा गया। मुझे कोई चिंता नहीं। आप मुझे गाली दो, अपमानित करो, आरोप लगाओ, मुझे व मेरे साथियों पर इससे भी न‍िचले स्‍तर के आरोप लगाओ हमें कोई चिंता नहीं है। लेकिन, इस लोकतंत्र में जनता ही गणेश जनार्दन है। क‍िसी को गलतफहमी नहीं होनी चाहिए। 15 विधायक और मंत्री थे मंच पर मौजूद उल्‍लेखनीय है कि पायलट ने पांच द‍िन की अपनी इस पदयात्रा की शुरुआत बृहस्‍पतिवार को अजमेर से की। इसे राजस्‍थान में इस चुनावी साल में, मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस आलाकमान पर दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। राज्‍य में इस साल के आखिर में विधानसभा चुनाव होने हैं और कांग्रेस यहां अपनी सरकार दोबारा बनने की उम्‍मीद कर रही है। जनसभा में बड़ी संख्‍या में लोग मौजूद थे। मंच पर पायलट समेत कांग्रेस के 15 विधायक थे। इसमें राज्‍य सरकार के सैन‍िक कल्‍याण मंत्री राजेंद्र गुढ़ा व वन मंत्री हेमाराम चौधरी, एससीएसटी आयोग के अध्‍यक्ष खिलाड़ीलाल बैरवा, विधायक जीआर खटाना, वेदप्रकाश सोलंकी, सुरेश मोदी, वीरेंद्र चौधरी, राकेश पारीक, हरीश मीणा, गिर्राज मलिंगा, दीपेंद्र सिंह शेखावत, मुकेश भाकर, इंद्राज गुर्जर और रामनिवास गावड़िया भी शामिल हुए। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Tribute : सच्चे अर्थों में किसानों के मसीहा थे चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत, उनके सामने कांपती थी सत्ता

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Chaudhary Mahendra Singh Tikait was the messiah of farmers in true sense, power used to tremble in front of him
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userचेतना मंच
calendar15 May 2023 10:10 PM
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न्यूज डेस्क, चेतना मंच, नोएडा। Published by : R.P. Raghuvanshi ‘‘तुम्हारी शख्सियत से सबक लेंगी नई नस्लें मंजिल तक वही पहुंचा है जो अपने पांव चलता है। मिटा देता है कोई नाम खानदानों के किसी के नाम से मशहूर होकर गांव चलता है।’’ प्रसिद्ध शायर मासूम गाजियाबादी द्वारा रचित उक्त पंक्तियां स्व. महेन्द्र सिंह टिकैत के ऊपर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। भारत के सबसे बड़े प्रदेश उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के सिसौली गांव में जन्मे महेन्द्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि 15 मई को आती है। आज वर्ष-2023 की 15 मई को पूरी दुनिया के किसान अपने उस महान नेता को याद कर रहे हैं। 6 अक्टूबर 1935 को सिसौली में जन्मे महेन्द्र सिंह टिकैत का दु:खद निधन 75 वर्ष की उम्र में 15 मई 2011 को हो गया था। उनकी जीवन पर अनेक पुस्तकें लिखी गई हैं। उनके जीवन के विभिन्न पहलु दर्शाने वाली अनेक वीडियो एवं आलेख भी सोशल मीडिया पर मौजूद हैं। आज के इस आलेख में हम आपको उनके संघर्षपूर्ण जीवन के कुछ खास पलों से परिचित करा रहे हैं।

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महेन्द्र सिंह टिकैत का बचपन

दरअसल, महेन्द्र सिंह टिकैत का बचपन बेहद अभावग्रस्त परिस्थितियों में व्यतीत हुआ था। जब वे मात्र 8 वर्ष के थे तो उनके पिता चौ. चौहल सिंह का निधन हो गया था। उनकी माताजी श्रीमती मुख्तयारी देवी व उनके चाचा जी ने उनका पालन पोषण किया था। अपनी खेती व किसानी संभालने के कारण वे केवल 7वीं कक्षा तक ही पढ़ाई कर पाए थे। पूरे देश में चलने वाली खाप व्यवस्था के तहत 8 वर्ष की अल्प आयुु में ही उन्हें उनके पिता चौहल सिंह के स्थान पर बालियान खाप का मुखिया (चौधरी) बना दिया गया था। बालियान खाप जाट समाज की सबसे बड़ी खाप में गिनी जाती है। इस खाप के कुल 84 गांव हैं। बचपन से ही इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिलने के कारण चौ. टिकैत का पूरा जीवन देश व समाज के लिए समर्पित हो गया था।

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किसानों की पहली सक्रिय यूनियन

वर्ष-1985 में चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत ने अपने निकट सहयोगी मास्टर हरपाल सिंह की सलाह व सहयोग से भारतीय किसान यूनियन (BKU) का गठन किया था। यह संगठन उत्तर भारत के किसानों का सबसे पहला सक्रिय संगठन था। इसी संगठन के जरिए श्री टिकैत ने पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश तथा फिर पूरे देश के किसानों को सरकारी तंत्र से लड़ना सिखाया था। शुरू में आम जनता व पत्रकारों ने उनके संगठन (BKU) को गंभीरता से नहीं लिया था, किन्तु एक दिन वह समय भी आया, जब पूरे देश ने देखा कि महेन्द्र सिंह टिकैत व (BKU) के सामने सरकार व सत्ता प्रतिष्ठान थर-थर कांपते थे। किसानों को अपने हक के लिए लड़ना सिखाने वाले चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत के एक इशारे पर लाखों किसान जमा हो जाते थे। किसानों की मांगें पूरी कराने के लिए वह सरकारों के पास नहीं जाते थे, बल्कि उनका व्यक्तित्व इतना प्रभावशाली था कि सरकारें उनके दरवाजे पर आती थीं।

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पूरी दुनिया में हुए प्रसिद्ध

चौधरी टिकैत के जीवन का सफर कांटों भरा था। 1935 में मुजफ्फरनगर के सिसौली गांव में जन्मे चौधरी महेंद्र सिंह टिकैत का पूरा जीवन ग्रामीणों को संगठित करने में बीता। भारतीय किसान यूनियन के गठन के साथ ही 1986 से उनका लगातार प्रयास रहा कि यह अराजनीतिक संगठन बना रहे। 27 जनवरी, 1987 को करमूखेड़ी बिजलीघर से बिजली के स्थानीय मुद्दे पर चला आंदोलन किसानों की संगठन शक्ति के नाते पूरे देश में चर्चा में आ गया, लेकिन मेरठ की कमिश्नरी पर 24 दिनों के घेराव ने चौधरी महेन्द्र सिंह टिकैत को विश्व पटल पर ला खड़ा किया। इस आंदोलन ने पूरी दुनिया में सुर्खियां बटोरीं थीं।

सबसे बड़ा धरना

बाबा टिकैत के नाम से प्रसिद्ध महेन्द्र सिंह टिकैत के नेतृत्व में कई आंदोलन हुए, लेकिन एक आंदोलन ऐसा भी था, जिसे देखकर तत्कालीन केंद्र सरकार तक कांप गई थी। 1988 के दौर की बात है नई दिल्ली के वोट क्लब पर 25 अक्तूबर, 1988 को बड़ी किसान पंचायत हुई थी। इस पंचायत में 14 राज्यों के किसान आए थे। करीब पांच लाख किसानों ने विजय चौक से लेकर इंडिया गेट तक कब्जा कर लिया था। सात दिनों तक चले किसानों के धरने का इतना व्यापक प्रभाव था कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार दबाव में आ गई थी। आखिरकार तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को पहल करनी पड़ी, तब जाकर किसानों ने अपना धरना खत्म किया था। इस आंदोलन से चौधरी टिकैत ने वह कद हासिल कर लिया था कि प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री भी उनके आगे झुकने लगे थे।

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जब प्रधानमंत्री से पूछा कि रिश्वत ली है?

वर्ष 1980 में हुए हर्षद मेहता कांड को लेकर राजनीतिक गलियारे में तूफान था, इसी बीच किसानों की समस्या को लेकर महेंद्र सिंह टिकैत उस वक्त के प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव से मिले, तो उन्होंने पीएम से सीधे पूछ लिया कि क्या आपने एक करोड़ रुपये की रिश्वत ली थी? कोई प्रधानमंत्री से ऐसा सवाल सीधे कैसे पूछ सकता है? लेकिन, उन्होंने बिना किसी हिचक के बड़ी ही बेबाकी से सवाल पूछ लिया था। उन्होंने हर्षद मेहता का नाम लेकर प्रधानमंत्री से यह भी पूछ लिया कि वह आदमी तो पांच हजार करोड़ का घपला करके बैठा है, कई मंत्री घपला किए बैठे हैं और सरकार उनसे वसूली नहीं कर पा रही है, लेकिन किसानों को 200 रुपये की वसूली के लिए जेल क्यों भेजा जा रहा है?

मुख्यमंत्री को आना पड़ा था

बाबा टिकैत के नेतृत्व में वर्ष 1986 में भी बिजली की बढ़ी दरों को लेकर किसान लामबंद हुए थे। महेंद्र सिंह टिकैत भारतीय किसान यूनियन के झंडे तले आंदोलन का नेतृत्व कर रहे थे। आंदोलन का ऐसा असर था कि उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह को सिसौली (टिकैत के गांव) पहुंचकर किसानों से वार्ता करनी पड़ी थी। 11 अगस्त 1987 को सिसौली में एक महापंचायत की गई, जिसमें बिजली दरों के अलावा फसलों के उचित मूल्य, गन्ने के बकाया भुगतान के साथ सामाजिक बुराइयों जैसे दहेज प्रथा, मृत्यु भोज, दिखावा, नशाबंदी, भू्रण हत्या आदि कुरीतियों के विरुद्ध भी जन आंदोलन छेड़ने का निर्णय लिया गया था। ऐसे अनेक किस्से हैं जो चौधरी टिकैत के जीवन से जुड़े हुए हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि 5-5 लाख की भीड़ को संबोधित करने तथा तमाम सरकारों को झुकाने के बाद भी बाबा टिकैत गांव में रहकर अपने हाथों से अपनी खेती का काम संभालते थे। किसी भी प्रकार की बनावट दिखावा अथवा घमंड उनमें दूर-दूर तक नहीं था। किसानों के दु:ख-दर्द व शादी-विवाह में वे ऐसे शामिल होते थे कि जैसे कोई अपने खुद के परिवार में शामिल होता है। वे पूरे देश के किसानों को अपना परिवार मानते थे।

राजनीति करने के खिलाफ थे

महेन्द्र सिंह टिकैत जब भी चाहते विधायक, सांसद अथवा मंत्री बन सकते थे। यही नहीं, उनके अनेक समर्थक तो आज भी कहते हैं कि वे यदि राजनीति करते तो देश के प्रधानमंत्री तक बन सकते थे। किन्तु, बाबा टिकैत को राजनीति करने से परहेज था। यूं तो वे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह के कटटर समर्थक थे। उनकी विचारधारा को मानते तथा उनकी पार्टी की मदद भी करते थे। केवल खुद राजनीति के खिलाफ थे। उनका कहना था कि किसानों की असली लड़ाई गैर राजनीतिक रहकर ही लड़ी जा सकती है। राजनीति में शामिल होने के बाद किसानों की एकता कमजोर हो जाएगी। किसान भी दलों में बंट जाएंगे। इसी कारण वे सक्रिय राजनीति से हमेशा दूर रहे और अपने संगठन भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू.....) को भी राजनीति से दूर ही रखा। इसी प्रकार उनके जीवन के अनेक दृष्टिकोण आज भी किसानों के बीच खूब शिददत के साथ सुने व सुनाए जाते हैं।

नेताओं की समाधि उखाड़ने की दी थी चेतावनी

एक बार चौधरी महेद्र सिंह टिकैत ने देश की राजधानी दिल्ली में स्थापित राजनेताओं की समाधि खोदकर उखाड़ने की चेतावनी दे डाली थी। दरअसल, हुआ यह था कि 29 मई 1987 को पूर्व प्रधानमंत्री व प्रसिद्ध किसान नेता चौ. चरण सिंह का निधन हो गया था। समर्थक उनका अंतिम संस्कार देश की राजधानी दिल्ली में ही करना चाहते थे। भारत सरकार दिल्ली में अंतिम संस्कार के लिए स्थान नहीं दे रही थी। उस समय चौ. महेन्द्र सिंह टिकैत ने अपने गांव सिसौली से घोषणा कर दी थी कि हमारे दिल्ली पहुंचने तक चौ. साहब के अंतिम संस्कार के लिए दिल्ली में स्थान नहीं दिया गया तो दिल्ली में मौजूद सभी नेताओं की समाधि खोद-खोदकर उखाड़ दी जाएगी। श्री टिकैत के घोषणा करते ही केन्द्र सरकार ने चौ. चरण सिंह के अंतिम संस्कार के लिए राजघाट के ठीक बगल में स्थान दे दिया था। उसी स्थान पर आज किसान घाट के नाम से स्व. चौ. चरण सिंह की समाधि बनी हुई है। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Jammu and Kashmir : जम्मू में ‘द केरल स्टोरी’ फिल्म को लेकर मारपीट, मेडिकल छात्र घायल

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Clash over film 'The Kerala Story' in Jammu, medical student injured
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:12 AM
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जम्मू। शहर में एक छात्रावास में ‘द केरल स्टोरी’ फिल्म को लेकर दो समूहों के बीच हुई मारपीट में मेडिकल का एक छात्र घायल हो गया। इस घटना के बाद सरकारी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई।

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ग्रुप में फिल्म का लिंक शेयर करने पर हुआ विवाद जम्मू के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) चंदन कोहली ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि जीएमसी हॉस्टल जम्मू में कुछ छात्रों और बाहरी लोगों के बीच हाथापाई की घटना सामने आई है। मामले का संज्ञान लिया गया और जांच जारी है। दर्शनकारी छात्रों ने कहा कि रविवार देर रात हाथापाई तब शुरू हुई, जब एक छात्र ने प्रथम वर्ष के छात्रों के एक आधिकारिक सोशल मीडिया ग्रुप में फिल्म का लिंक साझा किया, जिस पर उसके एक सहपाठी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि ग्रुप केवल शैक्षणिक कार्यों के लिए है। मारपीट करने बाहर से आए लोग आपत्ति जताने वाले छात्र के साथ छात्रावास के अंदर मारपीट की गई। उसके बाद बाहर के कुछ लोगों के साथ अन्य छात्रों ने हंगामा किया। छात्रों ने आरोप लगाया कि एक दक्षिणपंथी समूह के सदस्यों को बाहर से छात्रावास में लाया गया, जिन्होंने धार्मिक नारे लगाए और एक छात्र पर धारदार वस्तु से हमला किया, जिससे उसके सिर में चोट लग गई। पुलिस के मौके पर पहुंचने के बाद बाहर से आए लोग वहां से भाग गए। इसके बाद छात्रों के एक समूह ने कक्षाओं का बहिष्कार किया और आज सुबह जीएमसी अस्पताल के बाहर इकट्ठा होकर मामले की जांच तथा दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की मांग की।

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Bulandshahr : विजयी वार्ड मेंबर प्रत्याशी और समर्थकों पर हमला करने वाले तीन गिरफ्तार

जान-बूझकर माहौल बिगाड़ने की कोशिश एक छात्र ने कहा कि यह शांतिपूर्ण माहौल को बिगाड़ने का जान—बूझकर किया गया प्रयास था। ‘द केरल स्टोरी’ फिल्म कोई पवित्र गाथा नहीं है। विवादास्पद फिल्म को लेकर लोगों की अलग-अलग राय है। उन्होंने कहा कि दोषियों को पकड़ने के लिए सीसीटीवी कैमरे की फुटेज मौजूद है। जीएमसी प्रधानाचार्य शशि सुधन शर्मा ने प्रदर्शन कर रहे छात्रों से मुलाकात की और कानून के तहत उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया। देश विदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।