Tuesday, 16 April 2024

Dadri Land Scam- चिटहेरा भूमि घोटाले में जारी है खेला

दादरी/नोएडा। चिटहेरा गांव में हुए उप्र के सबसे बड़े भूमि घोटाले (Dadri Land Scam) में अभी भी खेला चल रहा…

Dadri Land Scam- चिटहेरा भूमि घोटाले में जारी है खेला

दादरी/नोएडा। चिटहेरा गांव में हुए उप्र के सबसे बड़े भूमि घोटाले (Dadri Land Scam) में अभी भी खेला चल रहा है। इस घोटाले में शामिल अफसरों, राजनेताओं, गांव के तथाकथित समाजसेवकों व ग्राम सेवकों को कानून के फंदे से बचाने के सारे हथकंडे अपनाए जा रहे हैं।

दादरी तहसील मुख्यालय से मात्र तीन किलोमीटर दूर स्थित चिटहेरा गांव की कम से कम 300 करोड़ रूपए मूल्य की जमीन को हड़प लिया गया। जमीन हड़पकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण (Greater Noida authority) से उसका मुआवजा लूटकर भू-माफियाओं ने आपस में बांट लिया। इस प्रकरण में कुख्यात भूमाफिया यशपाल तोमर (Yashpal Tomar) का नाम जग जाहिर हो चुका हैं। यह माफिया एक दूसरे घोटाले में इस समय उत्तराखंड की जेल में बंद है। ‘चेतना मंच (Chetna Manch) लगातार खुलासा कर रहा है कि जमीन व मुआवजे की इस लूट में एक दर्जन सरकारी अधिकारी व कर्मचारी, एक बड़ा नेता तथा चिटहेरा गांव के ही रहने वाले तथाकथित समाजसेवी व ग्राम सेवक शामिल हैं।

पिछले दो दिनों में इस प्रकरण में दादरी थाने (Dadri Police station) में दो एफआईआर (रिपोर्ट) दर्ज कराई गई हैं। एफआईआर 21 मई को गांव के लेखपाल शीतला प्रसाद ने दर्ज कराई है। शीतला प्रसाद पिछले 9 वर्षों से चिटहेरा गांव के लेखपाल के तौर पर तैनात था। एफआईआर (रिपोर्ट) दर्ज कराने के चंद घंटे बाद ही इस लेखपाल को निलंबित कर दिया गया। इस निलंबन को लेकर दादरी तहसील व दूसरे प्रशासनिक हल्कों में तरह-तरह की चर्चाएं व्याप्त हैं। इस एफआईआर की तहरीर में जान-बूझकर अनेक विषय में 9 लोगों, यशपाल तोमर उसके नौकर नरेन्द्र कुमार, कर्मवीर, बैलू, कृष्णपाल, एम. भाष्करण, खचेरमल, गिरीश वर्मा एवं श्रीमती सरस्वती देवी को नामजद किया गया है।

दूसरी रिपोर्ट कल यानि 22 मई को दर्ज करायी गयी है। यह रिपोर्ट तहसील के कानूनगो (राजस्व निरीक्षक) पंकज निर्वाल की तरफ से दर्ज करायी गयी है। इस रिपोर्ट में पूरे घोटाले की कहानी का सिलसिलेवार जिक्र किया गया है। कहानी वर्ष-1997 में गांव में किए गए भूमि के 282 अवैध पटटों से शुरू होकर ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से मुआवजा उठाने तक जाती है। मजेदार बात यह है कि इस रिपेार्ट में भी यशपाल तोमर व उसके 8 नौकरों व सहयोगियों को ही नामजद किया गया है।

कानून के जानकारों का दावा है कि अभी भी इस गंभीर प्रकरण में ‘खेला चल रहा है। जिन सरकारी अफसरों ने इस पूरे ‘कांड को अंजाम दिया है, उन्हें साफ-साफ बचाने का प्रयास किया जा रहा है। साथ ही इस मामले में पूरी तरह लिप्त नेताओं व गांव के सफेदपोशों को बचाया जा रहा है। कानूनविद सवाल पूछ रहे हैं कि जब प्रशासनिक अफसरों को यह पता है कि वर्ष 1997 से अब तक कौन-कौन से अधिकारियों ने इस प्रकरण में ‘करामात.(गडबड़ी) की है, तो फिर उनके नाम स्पष्ट तौर पर एफआईआर में क्यों नहीं लिखे गए हैं। साथ ही जिन नेताओं व ग्रामवासियों (पूर्व प्रधानों तथा पूर्व ब्लॉक प्रमुखों) के नाम गांव के बच्चे-बच्चे को पता है, उनके नाम एफआईआर में क्यों दर्ज नहीं किए हैं। प्रशासन ने पूरी जिम्मेदारी रिपोर्ट (एफआईआर) की जांच करने वाले (आईओ) मात्र एक सब इंस्पैक्टर के ऊपर डाल दी है। वह भी एक ऐसी तहरीर के जरिए जिसमें 9 लोगों के नाम लिखकर साफ-साफ लिखा गया है कि इन अभियुक्तों के विरूद्ध रिपोर्ट लिखकर कार्यवाही की जाए। पुलिस ने तहरीर के आधार पर भारतीय दंड संहिता (1860) की गंभीर धाराओं- 467, 420, 468 एवं 471 के तहत मामला दर्ज करके प्रकरण की जांच ‘रूटीन में सब इंस्पैक्टर अनूप कुमार दीक्षित को दे दी है। इस प्रकार असली गुनाहगारों को बचाने का पूरा ‘खेला चल रहा है।

एडीएम की अपील!

इस प्रकरण की विस्तृत जांच कर रही गौतमबुद्धनगर जिले की अपर जिलाधिकारी (एडीएम) सुश्री वंदिता श्रीवास्तव (Gautam Buddha Nagar ADM Vandita Srivastava) ने इस मामले में एक बार फिर अपील की है। उन्होंने कहा है कि किसी भी व्यक्ति या संगठन के पास यदि इस भूमि घोटाले (Dadri Land Scam) से संबंधित कोई तथ्य अथवा ठोस जानकारी हो तो किसी भी समय कलेक्ट्रेट में उनसे मिलकर उन्हें दी जा सकती है। साथ ही जिलाधिकारी सुहास एल.वाई. (DM Suhas L.Y.) को भी जानकारी दी जा सकती है। जानकारी देने वाले का नाम गोपनीय रखा जाएगा।

आजीवन कारावास तक हो सकता है

इस प्रकरण में दादरी थाने में दर्ज कराई गई रिपोर्ट (एफआईआर) में धारा-420, 467, 468 व 471 लगाई गयी है। धारा-467 में आजीवन कारावास तक का प्रावधान है। बाकी तीनों धाराएं भी गैर जमानती हैं और 7 वर्ष तक की सजा के प्रावधान वाली धाराएं हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि यह प्रकरण इतना गंभीर है कि आजीवन कारावास जैसी सजा वाला जुर्म है। फिर भी ना जाने क्यों मामले की रिपोर्ट दर्ज करनेसे लेकर कार्यवाही तक में गंभीरता क्यों नहीं दिखाई दे रही है।

Dadri Land Scam Exclusive-सरकारी जमीन को लूटकर सैकड़ों करोड़ डकारने वाले बेखौफ ले रहे हैं मजे

यह है पूरा ‘खेला-

कानूनविद सवाल पूछ रहे हैं कि जब प्रशासनिक अफसरों को यह पता है कि वर्ष 1997 से अब तक कौन-कौन से अधिकारियों ने इस प्रकरण में ‘करामात (गडबड़ी) की है तो फिर उनके नाम स्पष्ट तौर पर एफआईआर में क्यों नहीं लिखे गए हैं। साथ ही जिन नेताओं व ग्रामवासियों (पूर्व प्रधानों तथा पूर्व ब्लॉक प्रमुखों) के नाम गांव के बच्चे-बच्चे को पता है उनके नाम एफआईआर में क्यों दर्ज नहीं किए हैं। प्रशासन ने पूरी जिम्मेदारी रिपोर्ट (एफआईआर) की जांच करने वाले (आईओ) मात्र एक सब इंस्पैक्टर के ऊपर डाल दी है। वह भी एक ऐसी तहरीर के जरिए जिसमें 9 लोगों के नाम लिखकर साफ-साफ लिखा गया है कि इन अभियुक्तों के विरूद्ध रिपोर्ट लिखकर कार्यवाही की जाए। पुलिस ने तहरीर के आधार पर भारतीय दंड संहिता (1860) की गंभीर धाराओं- 467, 420, 468 एवं 471 के तहत मामला दर्ज करके प्रकरण की जांच ‘रूटीन में सब इंस्पैक्टर अनूप कुमार दीक्षित को दे दी है। इस प्रकार असली गुनाहगारों को बचाने का पूरा खेला चल रहा है।

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