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Noida News: मंकी पॉक्स जानवरों से फैलने वाली बीमारी: डॉ डीके गुप्ता

Noida : नोएडा।  ब्रिटेन, स्पेन, पुर्तगाल और कनाडा के बाद अब अमेरिका में भी मंकी पॉक्स के केस सामने आए है।  विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि किसी भी देश में इस बीमारी का एक मामला भी आउटब्रेक माना जाएगा। वहीं फेलिक्स हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ डीके गुप्ता ने बताया कि स्वच्छता और सावधानी से मंकी पाक्स दूर रहेगा।  मंकी पॉक्स वायरस ऑर्थो पॉक्स वायरस के परिवार से आता है। इसमें वैरियोला वायरस भी शामिल है।

वैरियोला वायरस से स्मॉल पॉक्स या छोटी चेचक बीमारी होती है, इसी परिवार के वैक्सीनिया वायरस का इस्तेमाल स्मॉल पॉक्स की वैक्सीन में होता है। जबकि मंकी पॉक्स के लक्षण चेचक की तुलना में कम गंभीर होते हैं। मंकी पॉक्स जानवरों से फैलने वाली बीमारी है।
यह वायरस जंगलों में जानवरों के अंदर होते हैं, लेकिन घर में आने-जाने वाले जानवर मनुष्यों तक इस वायरस को लेकर आ जाते हैं। यह गिलहरी, चूहों और कई तरह के बंदरों में पाया जाता है।

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स्मॉल पॉक्स या चेचक को टीके के जरिये दुनिया भर से 1980 में खत्म कर दिया गया था पर कई मध्य अफ्रीकी और पश्चिम अफ्रीकी देश में मंकी पॉक्स के केस अब भी पाए जाते हैं। यह कोरोना वायरस की तरह ही एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे संक्रमित व्यक्ति में जा सकती है। इसके अलावा बॉडी को टच करने वाली किसी भी तरह की वस्तु से यह बीमारी दूसरों में संक्रमित हो सकती है।
इतना ही नहीं अगर संक्रमित व्यक्ति का कपड़ा कोई दूसरा व्यक्ति इस्तेमाल करता है, तो उसे भी यह बीमारी लग सकती है। अभी तक मंकी पॉक्स का कोई इलाज नहीं है। संक्रमित व्यक्ति को सेप्सिस भी हो सकता है और कॉर्निया पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो सकती है। आमतौर पर शरीर इसे ठीक कर देता है लेकिन कुछ मामलों में बीमारी काबू से बाहर हो जाती है।
मंकी पॉक्स के संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत तक आमतौर पर 6 से 13 दिनों तक होती है, लेकिन यह 5 से 21 दिनों तक हो सकती है। जो पहले स्मॉल पॉक्स की तरह ही नजर आते हैं। इसके साथ ही त्वचा का फटना आमतौर पर बुखार दिखने के 1-3 दिनों के भीतर शुरू हो जाता है। दाने गले के बजाय चेहरे और हाथ-पांव पर ज्यादा केंद्रित होते हैं। यह चेहरे और हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों को ज्यादा प्रभावित करता है।

लक्षण
– बुखार
– पीठ दर्द
– तेज सिरदर्द
– एनर्जी में कमी होन
– लिम्फ नोड्स की सूजन
– कमर दर्द, कंपकंपी छूटना
– मांसपेशियों में दर्द और एनर्जी की कमी
– त्वचा पर लाल चकत्ते और फफोले पडऩा
– दानों में असहनीय दर्द का होना, जोड़ों में सूजन
– समय के साथ लाल चकत्ते घाव  के रूप में बदलना

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