Law Of Suicide Incitement : 34 वर्षीय इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने लोगों को झकझोर दिया है। उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों की प्रताड़ना से तंग आकर जान दे दी। आत्महत्या से पहले अतुल ने डेढ़ घंटे का एक वीडियो और 24 पन्नों का सुसाइड नोट छोड़ा। इसमें उन्होंने अपने दर्द और उत्पीड़न के बारे में विस्तार से लिखा। लेकिन क्या आप जानते हैं कि किसी को आत्महत्या के लिए उकसाने की सजा भी हो सकती हैं?
आत्महत्या के आरोपियों पर मामला दर्ज
अतुल के भाई ने बेंगलुरु पुलिस में उनकी पत्नी और ससुराल वालों पर आत्महत्या के लिए उकसाने का मामला दर्ज करवाया। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 108 (आत्महत्या के लिए उकसाना) और अन्य संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।
आत्महत्या के लिए उकसाने का कानून
अगर कोई व्यक्ति सुसाइड नोट में किसी का नाम लिखकर आत्महत्या करता है, तो आरोपी पर IPC की धारा 108 के तहत मामला दर्ज किया जा सकता है। दोषी पाए जाने पर 10 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। पुलिस बिना वारंट के आरोपी को गिरफ्तार कर सकती है। यह गैर-जमानती अपराध है।
सुसाइड नोट के महत्व और जांच प्रक्रिया
सुसाइड नोट को प्राथमिक साक्ष्य माना जाता है, लेकिन केवल इसके आधार पर किसी को दंडित नहीं किया जा सकता।
- सुसाइड नोट की प्रामाणिकता की जांच- यह जांचा जाता है कि सुसाइड नोट लिखने वाला वास्तव में पीड़ित ही था। हैंडराइटिंग एनालिसिस, स्याही और कागज की जांच की जाती है।
- आरोपों की तथ्यात्मक जांच- सुसाइड नोट में लगाए गए आरोपों की गहराई से पड़ताल की जाती है। इसमें शामिल घटनाओं और परिस्थितियों के सबूत जुटाए जाते हैं।
कानूनी कार्यवाही का अगला चरण
सुसाइड नोट की प्रमाणिकता और आरोपों की पुष्टि के बाद पुलिस एफआईआर दर्ज करती है। इसके बाद और सबूत जुटाए जाते हैं। आरोपी के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा चलाया जाता है। अंतिम फैसला अदालत द्वारा सुनाया जाता है। सुसाइड नोट महत्वपूर्ण साक्ष्य होता है, लेकिन कानून के तहत आरोपी को दोषी ठहराने के लिए ठोस सबूत और सही प्रक्रिया का पालन किया जाता है।
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