Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा शहर के पास जेवर एयरपोर्ट स्थापित हो चुका है। जेवर एयरपोर्ट को जून 2025 तक चालू करने की योजना है। इसी जेवर एयरपोर्ट के परिसर में दूसरे चरण के तहत एक अनोखा सेंटर खोलने की योजना आगे बढ़ रही है। जेवर एयरपोर्ट के परिसर में खुलने वाले अनोखे सेंटर में लडाकू विमानों के रखरखाव यानि कि रिपेयर का काम किया जाएगा। साथ ही 10वीं तथा 12वीं पास छात्रों को ट्रेनिंग देकर लडाकू विमानों का रख-रखाव करना सिखाया जाएगा। Greater Noida News
जेवर एयरपोर्ट परिसर में होगी राफेल तथा मिराज जैसे लड़ाकू विमानों की रिपेयर
जेवर एयरपोर्ट के निर्माण की जिम्मेदारी का सबसे बड़ा काम यमुना औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यीडा) के CEO डॉ. अरूणवीर सिंह के हाथों में है। यीडा के सीईओ डॉ. अरूणवीर सिंह ने बताया कि जेवर एयरपोर्ट के परिसर में एक खास प्रकार का सेंटर स्थापित किया जाएगा। फ्रांस की विमान निर्माता कंपनी डसॉल्ट के द्वारा जेवर एयरपोर्ट के परिसर में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तथा एक यूनिवर्सिटी की स्थापना करेगी। जेवर एयरपोर्ट के परिसर में स्थापित होने वाले सेंटर ऑफ एक्सीलेंस तथा यूनिवसिर्टी में विमानन क्षेत्र से संबंधित पाठ्यक्रम और अप्रेंटिसशिप (प्रशिक्षण) प्रदान किए जाएंगे। इस सेंटर से जेवर क्षेत्र में कौशल विकास को बढ़ावा मिलेगा। योजना के अनुसार, हाई स्कूल और पॉलिटेक्निक स्तर पर एयरोनॉटिकल पाठ्यक्रम शुरू होंगे। दसवीं पास छात्र तीन साल का डिप्लोमा कोर्स और एक साल का एमआरओ अप्रेंटिसशिप कर सकेंगे। बारहवीं पास छात्रों के लिए एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस, वेक्टर और एवियोनिक्स एयरक्राफ्ट्स में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री दी जाएगी। इसके अलावा 10वीं पास छात्रों के लिए एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस का छह महीने का शॉर्ट टर्म प्रशिक्षण पाठ्यक्रम भी कराया जाना प्रस्तावित है। Greater Noida News
जेवर एयरपोर्ट के दूसरे चरण में विकसित होगा खास सेंटर
जेवर एयरपोर्ट के दूसरे चरण में एमआरओ हब (रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल सुविधा केंद्र) विकसित होगा। इसके लिए डसॉल्ट कंपनी को 1365 हेक्टेयर जमीन देने की तैयारी है। यीडा के CEO डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि फ्रांस की डसॉल्ट कंपनी ने सबसे पहले भारत सरकार के कौशल विकास विभाग से बातचीत शुरू की थी। इसके बाद रक्षा मंत्रालय और अंतत: उत्तर प्रदेश सरकार इसमें शामिल हुई। कंपनी को यीडा क्षेत्र में भूमि देने पर सहमति बन गई है। यहां पहले से ही 40 एकड़ में एमआरओ प्रस्तावित है, जिसमें यात्री विमानों की मरम्मत का कार्य होगा। हालांकि, अब डसॉल्ट के आने के बाद एक और एमआरओ हब वहीं पर बनेगा, जिसमें लड़ाकू विमानों के रखरखाव और मेंटेनेंस का कार्य किया जाएगा। अगले छह महीने में इसके परिचालन की उम्मीद है। कंपनी धीरे-धीरे अपनी गतिविधियों का विस्तार करेगी।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि फ्रांस की कंपनी पहले तमिलनाडु जा रही थी। इसके बाद कंपनी को उत्तर प्रदेश में निवेश का प्रस्ताव दिया गया। वार्ता के बाद कंपनी यूपी में निवेश करने को सहमत हुई। भारत में एमआरओ उद्योग वर्ष 2021 में 1.7 बिलियन डॉलर का था, जो 2030 तक सात बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है। साथ ही कंपनी को यहां निवेश करने पर एफडीआई पॉलिसी के तहत 12 करोड़ रुपये की सब्सिडी मिलेगी। जेवर एयरपोर्ट के परिसर में खास सेंंटर स्थापित होने के कारण जेवर एयरपोर्ट दुनिया का सबसे अनोखा एयरपोर्ट बन जाएगा। Greater Noida News
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