नमो भारत ट्रेन परियोजना : ग्रेटर नोएडा से गुरुग्राम तक 286 घर-दुकानों पर चलेगा बुलडोजर
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम की सामाजिक-आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना के कारण 286 परिवार सीधे तौर पर विस्थापन का सामना करेंगे। इन परिवारों से जुड़े लगभग 1255 लोगों के आशियाने और आजीविका पर असर पड़ेगा।

Greater Noida News : एनसीआर में आधुनिक और तेज परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रस्तावित नमो भारत ट्रेन परियोजना एक ओर विकास का नया अध्याय लिखने की तैयारी में है, तो दूसरी ओर यह सैकड़ों परिवारों के लिए चिंता का कारण बनती जा रही है। गुरुग्राम से फरीदाबाद और नोएडा होते हुए ग्रेटर नोएडा तक बनने वाले इस कॉरिडोर की जद में बड़ी संख्या में घर, दुकानें और धार्मिक स्थल आ रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम की सामाजिक-आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना के कारण 286 परिवार सीधे तौर पर विस्थापन का सामना करेंगे। इन परिवारों से जुड़े लगभग 1255 लोगों के आशियाने और आजीविका पर असर पड़ेगा।
घनी आबादी वाले इलाकों से गुजरेगा रूट
प्रस्तावित ट्रेन रूट गुरुग्राम के इफको चौक से शुरू होकर फरीदाबाद और नोएडा के कई घनी आबादी वाले क्षेत्रों से होते हुए ग्रेटर नोएडा तक जाएगा। सर्वे में सामने आया है कि ट्रैक निर्माण के लिए 286 मकान और दुकानें हटानी पड़ेंगी। इसके अलावा, 13 धर्मशालाएं और धार्मिक ढांचे भी इस परियोजना की सीमा में आ रहे हैं।
धार्मिक स्थलों पर भी संकट
रिपोर्ट के मुताबिक, कई प्रमुख धार्मिक स्थल प्रस्तावित रूट में बाधा बन रहे हैं। इनमें पियाली चौक स्थित जाट धर्मशाला, शहीद चौक के पास बाबा डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा, फरीदाबाद के एनआईटी क्षेत्र के पास एक धार्मिक स्थल, और नोएडा-ग्रेटर नोएडा इलाके के कई छोटे धार्मिक ढांचे शामिल हैं। प्रशासन इन सभी को हटाने की तैयारी में है।
प्रभावित लोगों की बढ़ी बेचैनी
तोड़फोड़ की आशंका सामने आने के बाद स्थानीय निवासियों और व्यापारियों में असमंजस और नाराजगी देखी जा रही है। लोगों का कहना है कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन मुआवजे और पुनर्वास को लेकर अब तक कोई ठोस और पारदर्शी योजना सामने नहीं आई है। जिन परिवारों की आजीविका दुकानों पर निर्भर है, उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि विस्थापन के बाद जीवन कैसे चलेगा।
प्रशासन का पक्ष
एनसीआरटीसी का दावा है कि नमो भारत ट्रेन परियोजना एनसीआर के समग्र विकास के लिए बेहद अहम है। निगम का कहना है कि प्रभावित परिवारों को सरकारी नियमों के अनुसार मुआवजा और पुनर्वास दिया जाएगा। हालांकि, जमीनी स्तर पर लोग अब भी लिखित आश्वासन और स्पष्ट कार्ययोजना का इंतजार कर रहे हैं। नमो भारत ट्रेन जहां एनसीआर को विश्वस्तरीय परिवहन सुविधा देने का सपना दिखा रही है, वहीं यह बहस भी तेज हो गई है कि क्या विकास की कीमत आम लोगों के घर और रोजगार से चुकाई जानी चाहिए। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस संतुलन को कैसे साधता है।
Greater Noida News : एनसीआर में आधुनिक और तेज परिवहन व्यवस्था को मजबूत करने के लिए प्रस्तावित नमो भारत ट्रेन परियोजना एक ओर विकास का नया अध्याय लिखने की तैयारी में है, तो दूसरी ओर यह सैकड़ों परिवारों के लिए चिंता का कारण बनती जा रही है। गुरुग्राम से फरीदाबाद और नोएडा होते हुए ग्रेटर नोएडा तक बनने वाले इस कॉरिडोर की जद में बड़ी संख्या में घर, दुकानें और धार्मिक स्थल आ रहे हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम की सामाजिक-आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, इस परियोजना के कारण 286 परिवार सीधे तौर पर विस्थापन का सामना करेंगे। इन परिवारों से जुड़े लगभग 1255 लोगों के आशियाने और आजीविका पर असर पड़ेगा।
घनी आबादी वाले इलाकों से गुजरेगा रूट
प्रस्तावित ट्रेन रूट गुरुग्राम के इफको चौक से शुरू होकर फरीदाबाद और नोएडा के कई घनी आबादी वाले क्षेत्रों से होते हुए ग्रेटर नोएडा तक जाएगा। सर्वे में सामने आया है कि ट्रैक निर्माण के लिए 286 मकान और दुकानें हटानी पड़ेंगी। इसके अलावा, 13 धर्मशालाएं और धार्मिक ढांचे भी इस परियोजना की सीमा में आ रहे हैं।
धार्मिक स्थलों पर भी संकट
रिपोर्ट के मुताबिक, कई प्रमुख धार्मिक स्थल प्रस्तावित रूट में बाधा बन रहे हैं। इनमें पियाली चौक स्थित जाट धर्मशाला, शहीद चौक के पास बाबा डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा, फरीदाबाद के एनआईटी क्षेत्र के पास एक धार्मिक स्थल, और नोएडा-ग्रेटर नोएडा इलाके के कई छोटे धार्मिक ढांचे शामिल हैं। प्रशासन इन सभी को हटाने की तैयारी में है।
प्रभावित लोगों की बढ़ी बेचैनी
तोड़फोड़ की आशंका सामने आने के बाद स्थानीय निवासियों और व्यापारियों में असमंजस और नाराजगी देखी जा रही है। लोगों का कहना है कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन मुआवजे और पुनर्वास को लेकर अब तक कोई ठोस और पारदर्शी योजना सामने नहीं आई है। जिन परिवारों की आजीविका दुकानों पर निर्भर है, उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि विस्थापन के बाद जीवन कैसे चलेगा।
प्रशासन का पक्ष
एनसीआरटीसी का दावा है कि नमो भारत ट्रेन परियोजना एनसीआर के समग्र विकास के लिए बेहद अहम है। निगम का कहना है कि प्रभावित परिवारों को सरकारी नियमों के अनुसार मुआवजा और पुनर्वास दिया जाएगा। हालांकि, जमीनी स्तर पर लोग अब भी लिखित आश्वासन और स्पष्ट कार्ययोजना का इंतजार कर रहे हैं। नमो भारत ट्रेन जहां एनसीआर को विश्वस्तरीय परिवहन सुविधा देने का सपना दिखा रही है, वहीं यह बहस भी तेज हो गई है कि क्या विकास की कीमत आम लोगों के घर और रोजगार से चुकाई जानी चाहिए। अब देखना यह होगा कि प्रशासन इस संतुलन को कैसे साधता है।











