Greter Noida News : गौतमबुद्ध विश्वविद्यालय (जीबीयू) के तीन स्टार्टअप को यूपी सरकार ने पांच-पांच लाख का फंड दिया है। इन स्टार्टअप में ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर बनाने की पहल की जा रही है। स्टार्टअप मूल्यांकन कमेटी को इनका आइडिया पसंद आया है। अब इन्हें आगे काम करने के लिए चुना गया है। गौरतलब है कि फरवरी में 10 स्टार्टअप फंडिंग के लिए चुने गए थे। इनमें से तीन जीबीयू के शामिल हैं। तीनों स्टार्टअप अलग-अलग क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
ग्रामीणों को सस्ती बिजली मुहैया कराने पर काम किया जा रहा
विवि के कुलसचिव डॉ. विश्वास त्रिपाठी ने बताया कि जीबीयू के इनोवेशन केंद्र में कई स्टार्टअप अलग-अलग समस्याओं को हल करने के लिए काम किए जा रहे हैं। विश्वविद्यालय उन्हें सुविधाएं उपलब्ध कराता है। सौर्य उज्ज्वला प्रा.लि. के प्रोपो टाइप के लिए शासन से फंडिंग मिली है। इसमें ग्रामीणों को सस्ती बिजली मुहैया कराने पर काम किया जा रहा है। वीर कनेक्ट इंडिया एनवायरनमेंट टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है। वाल्स्को टेक्नोलॉजी प्रा.लि. कानूनी दांवपेच में फंसे लोगों की मदद के लिए प्रोपो टाइप तैयार कर रही है।
आत्मनिर्भरता की ओर ले जाना लक्ष्य
प्रोफेसर भीम सिंह ने बताया कि बताया कि हमारा लक्ष्य गांव के लोगों को आत्मनिर्भरता की ओर ले जाना है। यह सौर्य उज्ज्वला बिजली को डीसी में बदलता है, जिससे बिजली का नुकसान कम होता है। ग्रिड से जुड़े सिस्टम बिजली कटौती के दौरान काम नहीं करते, जिससे सौर ऊर्जा बर्बाद होती है। इसके अलावा गांवों में खाना पकाने के लिए लकड़ी, गोबर और बायोमास का उपयोग किया जाता है, जिससे धुएं और प्रदूषण से सेहत पर बुरा असर पड़ता है। ई-रिक्शा के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी के कारण ग्रामीण इलाकों में इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग सीमित है।
घर की ऊर्जा खपत 40 प्रतिशत होगी कम
आईआईटी दिल्ली के इलेक्ट्रिकल इंजीनियर अरुण कुमार ने बताया कि उन्होंने एक प्लग एंड प्ले सौर ऊर्जा प्रणाली विकसित की है, जो डीसी-एसी-डीसी ऊर्जा नुकसान को खत्मकर सौर कुकर, पंखे, एलईडी बल्ब, पानी के पंप और ई-रिक्शा चार्जिंग को कुशलता से संचालित कर सकती है। इससे घर की ऊर्जा खपत 25-40 प्रतिशत तक कम होती है। सौर डीसी इंडक्शन कुकिंग, एलपीजी, लकड़ी और बायोमास से छुटकारा दिलाने वाला स्वच्छ और प्रदूषण-मुक्त विकल्प है। अब महंगे गैस सिलिंडर की जरूरत नहीं रहेगी, जिससे ग्रामीण परिवारों को सीधे फायदा मिलेगा। इसके साथ ही ग्रामीण सौर ईवी चार्जिंग और बैटरी स्वैपिंग से ई-रिक्शा की लागत 40 प्रतिशत कम हो जाएगी, जिससे इलेक्ट्रिक वाहनों को अपनाने में तेजी आएगी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
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