Ganesh Jayanti- इस गणेश जयंती बन रहा बेहद शुभ योग, गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय

Ganesh Jayanti- इस गणेश जयंती बन रहा बेहद शुभ योग, गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय
locationभारत
userचेतना मंच
calendar04 Feb 2022 04:59 PM
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Ganesh Jayanti- हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रतिवर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती का पर्व मनाया जाता है। माघी गणेश चतुर्थी को गणेश जयंती, माघ विनायक चतुर्थी या तिलकुंड चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। साल 2022 में गणेश जयंती का यह पर्व आज यानी 4 फरवरी, शुक्रवार के दिन पड़ रहा है। वैसे तो गणेश जयंती का यह पर्व धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है लेकिन इस बार इस पर्व पर बहुत ही खास योग भी बन रहे हैं जिससे इस दिन की धार्मिक मान्यता और भी बढ़ गई है। दरअसल इस बार की गणेश जयंती (Ganesh Jayanti) के पर्व पर दो खास योग बन रहे हैं रवि योग एवं शिव योग। इस वर्ष यह पर्व दो खास शुभ योग के बीच मनाया जायेगा, जिससे यह धार्मिक दृष्टि से और भी अधिक खास हो गया है।

क्या है गणेश जयंती के मौके पर पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि-

इस वर्ष गणेश जयंती (Ganesh Jayanti) के मौके पर दो शुभ योग रवि योग एवं शिव योग बन रहा है। इन दो शुभ योगों के बीच गणेश जयंती का पर्व मनाया जाएगा। 4 फरवरी को सुबह से लेकर शाम को 7:10 तक शिव योग बन रहा है वही सुबह 7:08 से दोपहर 3:58 तक रवि योग बन रहा। इस शुभ मुहूर्त में गणेश जी की पूजा एवं अर्चना करने से शुभ लाभ की प्राप्ति होगी। गणेश जयंती के मौके पर व्रत करने एवं गणेश जन्म कथा को सुनने से मनवांछित मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

क्या है इस खास मौके पर पूजन विधि-

गणेश जयंती के मौके पर प्रातःकाल उठकर सर्वप्रथम गणेश जी को स्मरण कर दिन की शुरुआत करनी चाहिए। नित्य क्रिया को पूर्ण कर, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। यदि संभव हो तो आज के दिन पीला वस्त्र धारण करे। पूजा स्थल को भलीभांति स्वच्छ कर फूलों से सुसज्जित करना चाहिए। इसके बाद पूजा प्रारंभ करनी चाहिए। पूजा को प्रारंभ करने के लिए सर्वप्रथम आज मन कर स्वयं को शुद्ध करना चाहिए। इसके बाद सच्चे मन से व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

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किसी चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर उस पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए। गंगाजल से स्नान कराने के बाद गणेश जी को सिंदूर अर्पित करें और मंत्रोच्चार करते हुए धूप दीप जलाएं। इसके बाद फूल व दुर्वा अर्पित करें। तत्पश्चात फल एवं मोदक से भोग लगाएं। इसके पश्चात गणेश जी की जन्म कथा श्रवण करें एवं चालीसा पाठ करने के उपरांत गणेश जी की आरती करें। पूजा के संपन्न होने के बाद प्रसाद को ब्राह्मणों एवं गरीबों में वितरित करें। दिन भर विधि विधान से व्रत रखें। सायं काल के समय दोबारा स्नान करने के बाद गणेश जी की पूजा अर्चना करें। तत्पश्चात फलहार ग्रहण करें। अगले दिन पूजा करने के बाद, व्रत खोले। इस प्रकार विधि विधान से व्रत व पूजा करने से गणेश जी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और विघ्न को हरते हैं।
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Ganesh Jayanti- इस गणेश जयंती बन रहा बेहद शुभ योग, गणेश जी को प्रसन्न करने के लिए करें ये उपाय

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calendar04 Feb 2022 04:59 PM
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Ganesh Jayanti- हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार प्रतिवर्ष माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश जयंती का पर्व मनाया जाता है। माघी गणेश चतुर्थी को गणेश जयंती, माघ विनायक चतुर्थी या तिलकुंड चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। साल 2022 में गणेश जयंती का यह पर्व आज यानी 4 फरवरी, शुक्रवार के दिन पड़ रहा है। वैसे तो गणेश जयंती का यह पर्व धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है लेकिन इस बार इस पर्व पर बहुत ही खास योग भी बन रहे हैं जिससे इस दिन की धार्मिक मान्यता और भी बढ़ गई है। दरअसल इस बार की गणेश जयंती (Ganesh Jayanti) के पर्व पर दो खास योग बन रहे हैं रवि योग एवं शिव योग। इस वर्ष यह पर्व दो खास शुभ योग के बीच मनाया जायेगा, जिससे यह धार्मिक दृष्टि से और भी अधिक खास हो गया है।

क्या है गणेश जयंती के मौके पर पूजा का शुभ मुहूर्त और पूजा की विधि-

इस वर्ष गणेश जयंती (Ganesh Jayanti) के मौके पर दो शुभ योग रवि योग एवं शिव योग बन रहा है। इन दो शुभ योगों के बीच गणेश जयंती का पर्व मनाया जाएगा। 4 फरवरी को सुबह से लेकर शाम को 7:10 तक शिव योग बन रहा है वही सुबह 7:08 से दोपहर 3:58 तक रवि योग बन रहा। इस शुभ मुहूर्त में गणेश जी की पूजा एवं अर्चना करने से शुभ लाभ की प्राप्ति होगी। गणेश जयंती के मौके पर व्रत करने एवं गणेश जन्म कथा को सुनने से मनवांछित मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

क्या है इस खास मौके पर पूजन विधि-

गणेश जयंती के मौके पर प्रातःकाल उठकर सर्वप्रथम गणेश जी को स्मरण कर दिन की शुरुआत करनी चाहिए। नित्य क्रिया को पूर्ण कर, स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। यदि संभव हो तो आज के दिन पीला वस्त्र धारण करे। पूजा स्थल को भलीभांति स्वच्छ कर फूलों से सुसज्जित करना चाहिए। इसके बाद पूजा प्रारंभ करनी चाहिए। पूजा को प्रारंभ करने के लिए सर्वप्रथम आज मन कर स्वयं को शुद्ध करना चाहिए। इसके बाद सच्चे मन से व्रत का संकल्प लेना चाहिए।

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Basant Panchami 2022 बसंत पंचमी 5 फरवरी को, कामना पूर्ति के लिए करें ये काम

Ma saraswati 1642781000
Basant Panchami 2022
locationभारत
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calendar02 Dec 2025 04:33 AM
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Basant Panchami 2022 : बसंत पंचमी का पर्व बसंत ऋतु (Basant Panchami 2022) के आगमन का प्रथम दिवस है। पुरानी कहावत है कि] आया बसंत-जाड़ा उड़ंत। यह दिन ऋतु परिवर्तन का परिचायक भी है। भगवान कृष्ण इस उत्सव के अधिदेवता भी हैं। पक्षियों में कलरव, भौरों की गुंजन, पुष्पों की मादकता से युक्त वातावरण बसंत ऋतु की विशेषता है। पशु-पक्षियों तक में कामक्रीड़ा की अनुभूति होने लगती है। वस्तुतः यह मदनोत्सव का आरंभ है। इसी दिन, कामदेव के साथ साथ रति व सरस्वती का पूजन भी होता है। होली का प्रारंभ भी इस दिन से होता है और समापन फाल्गुन की पूर्णिमा पर होलिका दहन पर होता है। जैसे सावन में सब हरा हरा दिखता है, बसंत (Basant Panchami 2022) पर हर जगह पीला रंग दिखता है। पीली सरसों, पीले परिधान, पीली पतंगे, पीले मिष्ठान, वातावरण वासंती हो जाता है।

बसंत पंचमी पर विवाह के मुहूर्त इस वर्ष मार्च माह में विवाह के मुहूर्त नहीं हैं। हालांकि फरवरी में विवाह के कई मुहूर्त हैं, परंतु बसंत का दिन विवाह की दृष्टि से बहुत शुभ माना जाता है। इस दिन कई सामाजिक संस्थाएं सामूहिक विवाहों का आयोजन भी कर रही हैं। हिंदू पंचांगानुसार, माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन बसंत पंचमी आती है जो इस बार 5 फरवरी को पड़ रही है। पूजा का शुभ समय शनिवार की प्रातः 4 बजे आरंभ हुई बसंत की पंचमी तिथि, रविवार की सुबह 4 बजे तक रहेगी। सरस्वती पूजा का मुहूर्तः सुबह 6 बजे से 9 बजे तक तथा दोपहर- 10ः30 से 12ः30 तक रहेगा।

क्या है पीले रंग का महत्व ? Basant Panchami 2022 पीला रंग ज्योतिष में गुरु ग्रह से जुड़ा हुआ है जो ज्ञान, विद्या, अध्ययन, विद्वता, बौद्धिक उन्नति आदि का प्रतीक है। इसलिए ज्ञान की देवी माता सास्वती की आराधना भी इसी दिन की जाती है। विज्ञान की बात करें तो पीला रंग के उपयोग से हमारे रक्त में हीमोग्लोबिन बढ़ता है। पीले रंग के परिधान सूर्य की उर्जा से मिलकर हमारे हमारे मस्तिष्क को और एक्टिव बनाते हैं। हमारे देश में ऋषि मुनि पीले रंग के परिधानों का उपयोग करते रहे हैं। यही नहीं पीले रंग के खाद्य पदार्थों के सेवन से भी शरीर अधिक हृष्ट पुष्ट रहता है, चाहे वह वासंती हलवा हो या स्वर्ण भस्म हो।

क्या क्या कर सकते हैं बसंत पंचमी पर ? Basant Panchami 2022 सगाई या विवाह कर सकते हैं। नया कारोबार आरंभ कर सकते हैं। गृह प्रवेश, मकान की नींव डाल सकते हैं। नया वाहन, बर्तन, सोना, घर, नए वस्त्र, आभूषण, म्युजिक सिस्टम आदि खरीदने का शुभ दिन है। किसी नए कोर्स में एडमिशन, विदेश जाने के लिए आवेदन या संबंधित परीक्षा। लॉंग अर्म इन्वेस्टमेंट, बीमा पालिसी, बैंक खाता आदि। कोई नवीन कार्य आरंभ करें, शिक्षा या संगीत से संबंधित।

क्यों खास है बसंत पंचमी ? Basant Panchami 2022

बसंत पंचमी के दिन को माता पिता अपने बच्चों की शिक्षा-दीक्षा की शुरुआत के लिए शुभ मानते हैं। इस दिन बच्चे की जिह्वा पर शहद से ए बनाना चाहिए इससे बच्चा ज्ञानवान होता है और शिक्षा जल्दी ग्रहण करने लगता है। बच्चों को उच्चारण सिखाने के लिहाज से भी यह दिन बहुत शुभ माना जाता है। 6 माह पूरे कर चुके बच्चों को अन्न का पहला निवाला भी इसी दिन खिलाया जाता है। चूंकि बसंत ऋतु प्रेम की रुत मानी जाती है और कामदेव अपने बाण इस ऋतु में चलाते हैं, इस लिहाज से अपने परिवार के विस्तार के लिए भी यह ऋतु बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसलिए बसंत पंचमी को परिणय सूत्र में बंधने के लिए भी बहुत सौभाग्यशाली माना जाता है। बहुत से युगल इस दिन अपने दांपत्य जीवन की शुरुआत करते हैं।

गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी इस दिन को शुभ माना जाता है। इस दिन कई लोग पीले वस्त्र धारण कर पतंगबाजी भी करते हैं। बसंत पंचमी के दिन पेन, काॅपी, किताबों की भी पूजा की जाती है। ऐसा करने से देवी सरस्वती वरदान प्रदान करती हैं। भारत देश के सरस्वती, विष्णु और शिव मंदिरों में इस त्योहार का उत्साह सर्वाधिक होता है। अधिकांश स्थानों पर मेले आयोजित किए जाते हैं, जो मुख्यतः संबंधित देवी-देवता को ही समर्पित होते हैं।

कैसे करें बसंत पंचमी पूजा ? Basant Panchami 2022 बसंत पंचमी का पर्व भगवान विष्णु व सरस्वती जी की आराधना का पावन दिवस है। प्रातःकाल स्नान के बाद पीले वस्त्र पहन कर धूप दीप, नैवेद्य व लाल रोली से दोनों की पूजा अर्चना की जानी चाहिए, परंतु इससे पूर्व गणेश जी का पूजन अवश्य करना चाहिए। पीले व मीठे चावलों का भोग लगाना चाहिए। वाणी, शिक्षा एवं अन्य कलाओं की अधिष्ठात्री देवी मां की आराधना छात्रों को अवश्य करनी चाहिए। इस दिन सरस्वती सिद्ध करके मंत्र साधना में सिद्धि प्राप्त करनी चाहिए। कण्ठ में सरस्वती को स्थापित किया जाता है। स्वर, संगीत, ललित कला, गायन, वादन, लेखन आदि इस दिन आरंभ किया जाए तो जीवन में सफलता अवश्य मिलती है।

कौन सा करें पाठ या मंत्र ? Basant Panchami 2022

यह मंत्र कमजोर विद्यार्थी या उनके अभिभावक भी मां सरस्वती के चित्र को सम्मुख रख के 5 या 11 माला कर सकते हैं। ओम् ऐं सरस्वत्यै नमः

वाक सिद्धि हेतु ,यह मंत्र जाप करें- ओम् हृीं ऐं हृीं ओम् सरस्वत्यै नमः

आत्म ज्ञान प्राप्ति के लिए- ओम् ऐं वाग्देव्यै विझहे धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्!!

रोजगार प्राप्ति व प्रमोशन के लिए- ओम् वद वद वाग्वादिनी स्वाहा !

परीक्षा में सफलता के लिए आज से ही इस मंत्र का जाप मां सरस्वती के चित्र के सम्मुख करते रहें- ओम् एकदंत महा बुद्धि, सर्व सौभाग्य दायक:! सर्व सिद्धि करो देव गौरी पुत्रों विनायकः !!

राशियों पर असर : क्या करें खास

1. मेष राशि : बसंत पंचमी के दिन सरस्वती मां की पूजा के दौरान सरस्वती कवच पाठ जरूर करें। ऐसा करने से बुद्धि की प्राप्ति होगी। इसके अलावा एकाग्रता की कमी भी ठीक हो जाएगी।

2. वृषभ राशि : मां सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए उनको सफेद चंदन का तिलक लगाएं और फूल अर्पित करें। ऐसा करने से ज्ञान में बढ़ोतरी होने के साथ ही जो भी समस्याएं हैं, उनसे निजात मिलेगी।

3. मिथुन राशि : मां सरस्वती को हरे रंग का पेन (कलम) अर्पित करें और उससे ही अपनी सभी कार्यों को पूरा करें। ये कार्य आपकी लिखने संबंधी समस्याएं को समाप्त करने में मददगार होगा।

4. कर्क राशि : मां सरस्वती को खीर का भोग लगाना चाहिए। संगीत क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले छात्रों को ऐसा करने से बहुत अधिक फायदा होगा।

5. सिंह राशि : मां सरस्वती की पूजा के दौरान गायत्री मंत्र का जाप जरूर करें। ऐसा करने से विदेश में रहकर पढ़ाई करने वाले छात्रों की इच्छा पूरी हो जाएगी।

6. कन्या राशि : गरीब बच्चों में पढ़ने की सामाग्री बांटे, जिसमें पेन, पेंसिल किताबें आदि शामिल हों। अगर आप ऐसा करते हैं तो पढ़ाई में आ रही आपकी परेशानी को दूर किया जा सकता है।

7. तुला राशि : किसी ब्राह्मण को सफेद कपड़ें दान में दें। यदि छात्र ऐसा करते हैं तो उन्हें वाणी से जुड़ी किसी परेशानी से निजात मिल सकती है और आपकी वाणी में मधुरता आएगी।

8. वृश्चिक राशि : अगर याद्दाश्त से संबंधित कोई परेशानी है तो इसे आप मां सरस्वती की आराधना करके इसे दूर कर सकते हैं। मां सरस्वती की पूजा के बाद लाल रंग का पेन उन्हें अर्पित करें।

9. धनु राशि : पीले रंग की कोई मिठाई अर्पित करें। इससे आपकी निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाएगी। साथ ही आपकी उच्च शिक्षा की इच्छा भी मां सरस्वती अवश्य पूरी करेंगी।

10. मकर राशि : निर्धन व्यक्तियों को सफेद रंग का अनाज दान करें। ऐसा करने से मां सरस्वती आपके बुद्धिबल में विकास होगा।

11. कुंभ राशि : गरीब बच्चों में स्कूल बैग और दूसरी जरूरी चीजें दान करें। मां सरस्वती की कृपा आप पर बनी रहेगी और आपका आत्म विश्वास भी बढ़ेगा।

12. मीन राशि : छोटी कन्याओं में पीले रंग के कपड़े दान करें। इससे आपके करियर में आने वाली समस्याओं का निवारण होगा। आपके ऊपर मां सरस्वती का आशीर्वाद बना रहेगा।

ज्योतिषाचार्य मदन गुप्ता सपाटू, चंडीगढ़