क्या होता है पितृ दोष, इससे क्या-क्या परेशानियां हो सकती हैं? यहां जानिए उपाय

Pitradosh
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 03:33 PM
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पितृ दोष (Pitrdosha) के बारे में आपने कई बार सुना होगा लेकिन बहुत कम लोग इस दोष और इससे मिलने वाले कष्टों को जानते हैं। पितृदोष (Pitrdosha) कुंडली में होना बहुत ही कष्टकारी होता है। पितृदोष (Pitrdosha) किसी जातक की कुंडली में तब होता है जब सूर्य नीच राशिगत, शत्रुक्षेत्रीय या राहु केतु के साथ होता है। साथ ही बारहवें भाव में सूर्य और राहु का योग होने पर या राहु-शनि के साथ होने पर भी पितृ दोष लगता है। यदि किसी की कुंडली में पितृ दोष हो तो उस जातक को मानसिक तनाव, धन हानि, हर कार्य में असफलता, पूजा-पाठ में ध्यान न लगना, शारीरिक समस्याएं, रोजगार में दिक्क्त, दाम्पत्य जीवन में कष्ट, संतान कष्ट, समाज में प्रतिष्ठा का कम होना जैसी समस्याओं से दो चार होना पड़ता है। जानें, क्यों होता है पितृ दोष? पितृदोष जरूरी नहीं कि जातक के इसी जन्म के कर्मो से हो बल्कि जातक के पूर्व जन्म या पूर्वजों के बुरे कर्म के कारण भी मिलते हैं। यदि जातक भूल और अज्ञानता वश भी अपने पूर्वजों को कष्ट देता है अथवा उनका अपमान करता है तो उसे पितृ दोष लगता है। पितृ दोष दूर करने के विशेष उपाय यदि आपकी कुंडली में पितृ दोष हो तो आपको अपने पूर्वजों को कभी उपेक्षित नहीं करना चाहिए। इसके लिए आप अपनी घर के दक्षिणी दीवार पर उनकी तस्वीर लगाएं और माला चढ़ाएं। साथ ही पितृपक्ष में उनके लिए श्राद्ध करें और उनकी मृत्यु तिथि पर ब्राह्मणों को भोजन, वस्त्र एवं दक्षिणा आदि जरूर दें। जिस किसी की कुंडली में पितृ दोष हो उसे अपने माता-पिता की खूब सेवा करनी चाहिए और अपने बड़े भाई-बहनों का आशीर्वाद लेना चाहिए और उनसे अपने संबंध मधुर रखने चाहिए। पितृदोष निवारण के लिए हर महीने की अमावस्या को अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल पर दही, गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल और फूल आदि चढ़ाना चाहिए। साथ ही “ॐ पितृभ्यः नमः” मंत्र का जाप करना चाहिए और पितृ सूक्त का पाठ करें। हर अमावस्या पर दक्षिणी की ओर मुख कर आपको दिवंगत पितरों को तर्पण देना चाहिए और अमावस्या को पितृ स्तोत्र या पितृ सूक्त का पाठ जरूर करना चाहिए। साथ ही त्रयोदशी के दिन नीलकंठ स्तोत्र का पाठ करें। पूर्णिमा के दिन श्री नारायण कवच का पाठ करके ब्राह्मणों को मीठा खिलाएं और दान दें। हर संक्रांति, अमावस्या और रविवार को सूर्यदेव को तांबे के लोटे में लाल चन्दन, गंगाजल, शुद्ध जल डालकर बीज मंत्र पढ़ते हुए तीन बार अर्घ्य दें। अर्घ्य देते हुए इस मंत्र का जाप करें : “एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते । अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर II” यदि पितृदोष मुक्ति के लिए आप बहुत कुछ न भी कर पाएं तो जब हो सके तब गाय, कौए, कुत्ते और भूखों को खाना खिलाएं। सोमवार के दिन आक के 21 पुष्पों, दही, बेलपत्र के साथ शिव जी की पूजा करें। पितृ दोष कष्ट दूर होगा। पितृदोष मुक्ति के लिए कुल देवता और इष्ट देव की सदैव पूजा करते रहें। किसी गरीब कन्या के विवाह में मदद करें या किसी की बिमारी में सहायता करें। पितृदोष के निवारण के लिए जातक को खुद प्रयास करना होगा, किसी और के किए प्रयास से कष्ट दूर नहीं होगा। यशराज कनिया कुमार, वैदिक ज्योतिषी
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आने वाली है शनिश्चरी अमावस्या, इस दिन इन उपायों से मिलता है बड़ा फायदा

Shanidev
locationभारत
userचेतना मंच
calendar23 Nov 2021 06:57 AM
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हिन्दू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म में कैलेण्डर व हिन्दू पंचाग के तिथि में चन्द्रमा के अनुसार ही बदलती है। अमावस्या (Amavasya) क्या होता है? यह वह रात होती है जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से नहीं दिखाई देता है। अमावस्या (Amavasya) की रात हर 30 दिन बाद आती है यह ऐसा कहा जा सकता है कि अमावस्या (Amavasya) एक महीने में एक बार आती है। चन्द्रमा के घटते और बढते हुए को पक्ष कहा जाता है दो प्रकार के होते है शुक्ल पक्ष और कृष्णपक्ष। शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि या शनिश्चरी अमावस्या (Shani Amavasya) कहते हैं।

शनि अमावस्या

4 दिसंबर 2021 दिन शनिवार अमावस्या प्रारंभ: 03 दिसंबर 2021 शाम 04:56 बजे अमावस्या समाप्ति : 04 दिसंबर 2021 दोपहर 01:13 बजे

शनि अमावस्या के 10 सरल उपाय

1. तर्पण : शास्त्रों के अनुसार अमावस्या की तिथि को पितर देवताओं की तिथि मानी जाती है। इस तिथि पर सुबह-सुबह गंगा स्नान कर पितरों को तर्पण दिया जाता है। इससे पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है और परिवार में सुख समृद्धि बढ़ती है।

2. दान : अमावस्या पर गरीबों को दान दिया जाता है। पंचांग में अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन दान करने से विशेष पुण्य लाभ मिलता है। असाध्य रोगों से ग्रस्त व्यक्ति को काला छाता, चमडे के जूते चप्पल पहनाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।

3. व्रत : शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं। मान्यता अनुसार इस दिन व्रत रखने से शनि के दोष दूर हो जाते हैं। मान्यता अनुसार शनि दोष, साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ित जातक यदि इस दिन व्रत रखकर शनि देव की पूजा करते हो तो शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

4. नौकरी : मान्यता अनुसार इस दिन लोग नौकरी संबंधी परेशानी से मुक्ति पाने के लिए उपाय करते हैं।

5. पीपल पूजा : मान्यता अनुसार शनि देव के दुष्प्रभाव से बचने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से शनिदोष खत्म होता है।

6. शमी पूजा : मान्यता अनुसार शनि दोष से छुटकारा पाने के लिए शमी के वृक्ष की पूजा का भी प्रचलन है। शनिवार के दिन शाम को शमी के पेड़ के पास दीपक जलाने से लाभ मिलता।

7. छाया दान : इस दिन स्टील या लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें अपना चेहरा देखें और उसे शाम को शनि मंदिर में कटोरी सहित दान कर दें। शनिवार को तेल मालिश कर नहाना चाहिए।

8. गरीबों की सेवा : शनि को दरिद्रों के नारायण भी कहते हैं इसलिए दरिद्रों की सेवा से भी शनि प्रसन्न होते हैं। शनि देव को वृद्धावस्था का स्वामी कहा गया है, जिस घर में माता पिता व वृद्धजनों का सम्मान होता है उस घर से शनि देव बहुत प्रसन्न होते हैं तथा जिस घर में वृद्ध का अपमान होता है उस घर से खुशहाली दूर भागती है।

9. हनुमान पूजा : शनि से उत्पन्न भीषण समस्या के लिए भगवान भोलेनाथ व हनुमान जी की पूजा एक साथ करनी चाहिए।

10. शनि जाप : शनि मंदिर में बैठकर 'ॐ शं शनिश्चराय नम:' का जाप करना चाहिए या शनि चालीसा का पाठ करें।

यशराज कनिया कुमार, वैदिक एवं अंक ज्योतिषी

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आने वाली है शनिश्चरी अमावस्या, इस दिन इन उपायों से मिलता है बड़ा फायदा

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हिन्दू धर्म में अमावस्या का विशेष महत्व है। हिन्दू धर्म में कैलेण्डर व हिन्दू पंचाग के तिथि में चन्द्रमा के अनुसार ही बदलती है। अमावस्या (Amavasya) क्या होता है? यह वह रात होती है जब चन्द्रमा पूर्ण रूप से नहीं दिखाई देता है। अमावस्या (Amavasya) की रात हर 30 दिन बाद आती है यह ऐसा कहा जा सकता है कि अमावस्या (Amavasya) एक महीने में एक बार आती है। चन्द्रमा के घटते और बढते हुए को पक्ष कहा जाता है दो प्रकार के होते है शुक्ल पक्ष और कृष्णपक्ष। शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि या शनिश्चरी अमावस्या (Shani Amavasya) कहते हैं।

शनि अमावस्या

4 दिसंबर 2021 दिन शनिवार अमावस्या प्रारंभ: 03 दिसंबर 2021 शाम 04:56 बजे अमावस्या समाप्ति : 04 दिसंबर 2021 दोपहर 01:13 बजे

शनि अमावस्या के 10 सरल उपाय

1. तर्पण : शास्त्रों के अनुसार अमावस्या की तिथि को पितर देवताओं की तिथि मानी जाती है। इस तिथि पर सुबह-सुबह गंगा स्नान कर पितरों को तर्पण दिया जाता है। इससे पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है और परिवार में सुख समृद्धि बढ़ती है।

2. दान : अमावस्या पर गरीबों को दान दिया जाता है। पंचांग में अमावस्या की तिथि का विशेष महत्व है। इस दिन दान करने से विशेष पुण्य लाभ मिलता है। असाध्य रोगों से ग्रस्त व्यक्ति को काला छाता, चमडे के जूते चप्पल पहनाने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।

3. व्रत : शनिवार के दिन आने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं। मान्यता अनुसार इस दिन व्रत रखने से शनि के दोष दूर हो जाते हैं। मान्यता अनुसार शनि दोष, साढ़ेसाती या ढैय्या से पीड़ित जातक यदि इस दिन व्रत रखकर शनि देव की पूजा करते हो तो शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

4. नौकरी : मान्यता अनुसार इस दिन लोग नौकरी संबंधी परेशानी से मुक्ति पाने के लिए उपाय करते हैं।

5. पीपल पूजा : मान्यता अनुसार शनि देव के दुष्प्रभाव से बचने के लिए शनिवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से शनिदोष खत्म होता है।

6. शमी पूजा : मान्यता अनुसार शनि दोष से छुटकारा पाने के लिए शमी के वृक्ष की पूजा का भी प्रचलन है। शनिवार के दिन शाम को शमी के पेड़ के पास दीपक जलाने से लाभ मिलता।

7. छाया दान : इस दिन स्टील या लोहे की कटोरी में सरसों का तेल भरकर उसमें अपना चेहरा देखें और उसे शाम को शनि मंदिर में कटोरी सहित दान कर दें। शनिवार को तेल मालिश कर नहाना चाहिए।

8. गरीबों की सेवा : शनि को दरिद्रों के नारायण भी कहते हैं इसलिए दरिद्रों की सेवा से भी शनि प्रसन्न होते हैं। शनि देव को वृद्धावस्था का स्वामी कहा गया है, जिस घर में माता पिता व वृद्धजनों का सम्मान होता है उस घर से शनि देव बहुत प्रसन्न होते हैं तथा जिस घर में वृद्ध का अपमान होता है उस घर से खुशहाली दूर भागती है।

9. हनुमान पूजा : शनि से उत्पन्न भीषण समस्या के लिए भगवान भोलेनाथ व हनुमान जी की पूजा एक साथ करनी चाहिए।

10. शनि जाप : शनि मंदिर में बैठकर 'ॐ शं शनिश्चराय नम:' का जाप करना चाहिए या शनि चालीसा का पाठ करें।

यशराज कनिया कुमार, वैदिक एवं अंक ज्योतिषी