मुनीर की मंशा, ट्रंप का भ्रमण या बस एक और शिगूफा? पाकिस्तान की सियासत में फिर गूंजा आश्चर्य

18 सितंबर या अफवाह की नई तारीख?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप के पाकिस्तान आगमन की 18 सितंबर की तारीख सामने आ रही है। लेकिन यहीं से संदेह की शुरुआत होती है क्योंकि इसी तारीख को उनका ब्रिटेन दौरा भी प्रस्तावित है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या ट्रंप वास्तव में एक ही दिन दो महाद्वीपों की राजनीति साध सकते हैं? इस अफवाह के पीछे एक और दिलचस्प पहलू यह है कि ट्रंप इस समय अमेरिका में राष्ट्रपति पद की दावेदारी को लेकर व्यस्त हैं और कई कानूनी मामलों से भी जूझ रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान यात्रा की बात बेमेल सी प्रतीत होती है।मुनीर को लेकर खलबली, इस्तीफा, इनकार और इशारे
इधर पाकिस्तान के भीतर जनरल असीम मुनीर को लेकर चचार्ओं ने तूल पकड़ लिया है। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी जल्द ही इस्तीफा दे सकते हैं और इस रिक्त पद पर जनरल मुनीर का नाम सामने आ सकता है। इस संभावना को बल तब मिला जब रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी जरदारी के इस्तीफे की बात खुले मंच पर कह दी। हालांकि उन्होंने उत्तराधिकारी का नाम नहीं लिया, पर संकेत बेहद स्पष्ट था। इस बीच, पाकिस्तानी सियासी गलियारों में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, जरदारी, और जनरल मुनीर के बीच लगातार बैठकें हो रही हैं।अमेरिका की चुप्पी और मुनीर को सम्मान?
जनरल मुनीर हाल ही में अमेरिका की यात्रा से लौटे हैं और यह भी कहा जा रहा है कि उन्हें वहां "बेहद गर्मजोशी" से लिया गया। इस मुलाकात के बाद पाकिस्तान में ट्रंप की संभावित यात्रा की बात ने एक बार फिर कयासों को हवा दी है। कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि ट्रंप, मुनीर को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने की पैरवी कर सकते हैं। एक ऐसा कदम जो पाकिस्तान की सैन्य प्रतिष्ठा के लिए बड़ी वैश्विक वैधता की ओर इशारा करता है।बलूचिस्तान की 'शांति' में अमेरिका की दिलचस्पी?
बलूचिस्तान में शांति की कोशिश और वहां अमेरिका को संभावित रणनीतिक पहुंच देना भी इस घटनाक्रम का एक महत्वपूर्ण पहलू बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि खनिज संसाधनों से भरपूर इस क्षेत्र में अमेरिका की दिलचस्पी ट्रंप की संभावित यात्रा की एक बड़ी वजह हो सकती है। साथ ही, ट्रंप के व्यावसायिक हित, पाकिस्तान में संभावित निवेश डील और इस्लामाबाद पर उनका अपेक्षाकृत "नरम रुख" भी अटकलों को बल देता है।लेकिन असली सवाल यही है : यह हकीकत है या सिर्फ शिगूफा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस समय पाकिस्तान में सत्तांतरण की संभावनाएं वास्तविक हैं, लेकिन ट्रंप की यात्रा की खबर फिलहाल ज्यादा मीडिया कल्पना और कम कूटनीतिक सच्चाई लग रही है। जब तक व्हाइट हाउस की ओर से कोई स्पष्ट वक्तव्य नहीं आता, तब तक यह खबर एक और पाकिस्तानी सियासी कथा के रूप में ही देखी जानी चाहिए। जिसमें शोर बहुत होता है, लेकिन सच्चाई अक्सर धुंधली रहती है।अगली खबर पढ़ें
18 सितंबर या अफवाह की नई तारीख?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, ट्रंप के पाकिस्तान आगमन की 18 सितंबर की तारीख सामने आ रही है। लेकिन यहीं से संदेह की शुरुआत होती है क्योंकि इसी तारीख को उनका ब्रिटेन दौरा भी प्रस्तावित है। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि क्या ट्रंप वास्तव में एक ही दिन दो महाद्वीपों की राजनीति साध सकते हैं? इस अफवाह के पीछे एक और दिलचस्प पहलू यह है कि ट्रंप इस समय अमेरिका में राष्ट्रपति पद की दावेदारी को लेकर व्यस्त हैं और कई कानूनी मामलों से भी जूझ रहे हैं। ऐसे में पाकिस्तान यात्रा की बात बेमेल सी प्रतीत होती है।मुनीर को लेकर खलबली, इस्तीफा, इनकार और इशारे
इधर पाकिस्तान के भीतर जनरल असीम मुनीर को लेकर चचार्ओं ने तूल पकड़ लिया है। सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी जल्द ही इस्तीफा दे सकते हैं और इस रिक्त पद पर जनरल मुनीर का नाम सामने आ सकता है। इस संभावना को बल तब मिला जब रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भी जरदारी के इस्तीफे की बात खुले मंच पर कह दी। हालांकि उन्होंने उत्तराधिकारी का नाम नहीं लिया, पर संकेत बेहद स्पष्ट था। इस बीच, पाकिस्तानी सियासी गलियारों में प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, जरदारी, और जनरल मुनीर के बीच लगातार बैठकें हो रही हैं।अमेरिका की चुप्पी और मुनीर को सम्मान?
जनरल मुनीर हाल ही में अमेरिका की यात्रा से लौटे हैं और यह भी कहा जा रहा है कि उन्हें वहां "बेहद गर्मजोशी" से लिया गया। इस मुलाकात के बाद पाकिस्तान में ट्रंप की संभावित यात्रा की बात ने एक बार फिर कयासों को हवा दी है। कुछ जानकारों का यह भी कहना है कि ट्रंप, मुनीर को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करने की पैरवी कर सकते हैं। एक ऐसा कदम जो पाकिस्तान की सैन्य प्रतिष्ठा के लिए बड़ी वैश्विक वैधता की ओर इशारा करता है।बलूचिस्तान की 'शांति' में अमेरिका की दिलचस्पी?
बलूचिस्तान में शांति की कोशिश और वहां अमेरिका को संभावित रणनीतिक पहुंच देना भी इस घटनाक्रम का एक महत्वपूर्ण पहलू बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि खनिज संसाधनों से भरपूर इस क्षेत्र में अमेरिका की दिलचस्पी ट्रंप की संभावित यात्रा की एक बड़ी वजह हो सकती है। साथ ही, ट्रंप के व्यावसायिक हित, पाकिस्तान में संभावित निवेश डील और इस्लामाबाद पर उनका अपेक्षाकृत "नरम रुख" भी अटकलों को बल देता है।लेकिन असली सवाल यही है : यह हकीकत है या सिर्फ शिगूफा?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस समय पाकिस्तान में सत्तांतरण की संभावनाएं वास्तविक हैं, लेकिन ट्रंप की यात्रा की खबर फिलहाल ज्यादा मीडिया कल्पना और कम कूटनीतिक सच्चाई लग रही है। जब तक व्हाइट हाउस की ओर से कोई स्पष्ट वक्तव्य नहीं आता, तब तक यह खबर एक और पाकिस्तानी सियासी कथा के रूप में ही देखी जानी चाहिए। जिसमें शोर बहुत होता है, लेकिन सच्चाई अक्सर धुंधली रहती है।संबंधित खबरें
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