Gujrat Election: कुटियाना सीट से समाजवादी पार्टी की जीत

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calendar08 Dec 2022 09:21 PM
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Gujrat Election:  गुजरात। कुटियाना सीट से समाजवादी पार्टी के लिए खुशखबरी। सपा प्रत्याशी कांधल जडेजा ने बीजेपी के ढलीबेन मालदेबाई ओडेदरा को 23,745 वोटों से हराया। इस नतीजे के बाद सभी इस आश्चर्य में हैं कि सपा ने गुजरात में सीट निकाल ली। कांधला वहां की लेडी डॉन संतोकबेन जडेजा के बेटे हैं। वह दो बार के विधायक भी हैं।

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गुजरात विधानसभा चुनाव में पोरबंदर की कुटियाना सीट की बात न हो और संतोकबेन जडेजा का जिक्र न आए, ऐसा नहीं हो सकता। गुजरात के चुनावों में कुटियाना सीट हमेशा चर्चा में रही है। यहां से सपा के चुनाव जीतने की बात वाकई हैरान करने वाली है। कांधल जडेजा ने 2012 और 2017 के चुनाव में शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी के टिकट पर जीत हासिल की थी। लेकिन एनसीपी कांग्रेस के विलय के बाद इस बार उनको टिकट नहीं दिया, इसके बाद नाराज होकर उन्होंने पाला बदल लिया और अखिलेश की पार्टी समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए। कौन हैं कांधल और उनकी मां संतोकबेन गुजरात की कुटियाना सीट पर संतोकबेन जडेजा का दबदबा हमेशा से रहा है। वह खुद इस सीट से विधायक रहीं और उनके बेटे कांधल जडेजा भी अब इस सीट पर कई बार विधायक चुने गए हैं। संतोकबेन इलाके में लेडी डॉन के नाम से मशहूर हैं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक उनपर 500 से ज्यादा मामले दर्ज हैं। इतना ही नहीं संतोकबेन जडेजा पर एक फिल्म भी बनी है। हालांकि मामले दर्ज होने में कांधल जडेजा भी पीछे नहीं हैं। कई मुकदमे दर्ज होने के बावजूद कांधल का इस इलाके में अच्छा प्रभाव है। भाजपा ने यहां से ढेलीबेन आढेदरा को मैदान में उतारा है।

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Politics: कांग्रेस विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाना होगा, भाजपा कुछ भी कर सकती है : बघेल

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calendar08 Dec 2022 08:44 PM
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Politics: हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव की मतगणना में कांग्रेस की जीत के संकेत मिलने के बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बृहस्पतिवार को कहा कि पार्टी को अपने विधायकों को खरीद-फरोख्त से बचाना होगा, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी कुछ भी कर सकती है।

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कांग्रेस पार्टी ने बघेल को हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। उन्होंने इन अटकलों को खारिज किया कि हिमाचल प्रदेश से पार्टी के नवनिर्वाचित विधायकों को छत्तीसगढ़ स्थानांतरित किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने रायपुर में संवाददाताओं से कहा, “मतगणना अभी भी जारी है और हमें अंतिम नतीजों की प्रतीक्षा करनी चाहिए। हमें विश्वास था कि हम हिमाचल प्रदेश में सरकार बनाएंगे और रुझान बताते हैं कि हम वहां जीत की ओर बढ़ रहे हैं।” बघेल ने कहा कि वह बृहस्पतिवार को हिमाचल प्रदेश जाएंगे।

मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से जारी कार्यक्रम के अनुसार, बघेल दोपहर 2.45 बजे के बाद चंडीगढ़ के लिए रवाना होंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या खरीद-फरोख्त की संभावनाओं के बीच हिमाचल के नवनिर्वाचित कांग्रेस विधायकों को रायपुर भेजा जाएगा, मुख्यमंत्री ने कहा, “उन्हें (नवनिर्वाचित विधायकों को) यहां तो नहीं लाया जाएगा। लेकिन हमें अपने साथियों को संभालकर रखना होगा। भाजपा कुछ भी कर सकती है।”

बघेल ने आम आदमी पार्टी (आप) को भाजपा की ‘बी टीम’ करार दिया। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले की भानुप्रतापपुर सीट पर हुए उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार सावित्री मंडावी को मिली बढ़त पर बघेल ने कहा, “यह दिखाता है कि सरकार में लोगों का विश्वास कायम है और उन्होंने पार्टी के दिवंगत विधायक मनोज मंडावी द्वारा किए गए कार्यों पर अपनी मुहर लगा दी है।”

कांग्रेस विधायक और विधानसभा उपाध्यक्ष मनोज सिंह मंडावी का इस साल अक्टूबर में निधन हो गया था, जिसके चलते भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव कराना पड़ा। कांग्रेस ने मंडावी की पत्नी को उपचुनाव में अपना उम्मीदवार बनाया था।

Political News: मोदी के लिए आसान नहीं है 2024 की राह

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Political News: मोदी के लिए आसान नहीं है 2024 की राह

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calendar30 Nov 2025 03:57 PM
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Rajkumar Chaudhary: Political News

Political News: नई दिल्ली। गुजरात की जीत के साथ ही साथ हिमाचल प्रदेश व यूपी के उपचुनाव में हार भारतीय जनता पार्टी के लिए मंथन का कारण बनती दिख रही है। 2 साल बाद 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव मोदी जी के लिए कितने आसान होंगे ये अभी भविष्य के गर्भ में छिपा है, लेकिन एक बात तय है कि हिमाचल व यूपी उपचुनाव मे हार  ने  भाजपा के रणनीतिकारों की पेशानी पर बल डाल दिए है।

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इतिहास के पन्नों को पलटिए तो पता चलता है कि 16 मई 2014 को हुए आम चुनावों के परिणाम देश में नई इबादत लिख रहे थे। 20 मई को प्रधानमंत्री पद के लिए नरेंद्र मोदी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया गया। 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 282 सीटें जीती थीं। 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने पूरी दुनिया में देश का डंका बजाया। खास बात यह है कि 2014 के शपथ ग्रहण समारोह में सार्क देशों के प्रतिनिधियों को शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किया गया था। उस समय अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति हामिद करजई, बांग्लादेश की तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना, भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे, मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल कयूम, मॉरीशस के प्रधानमंत्री नवीनचंद्र रामगुलाम और नेपाल के प्रधानमंत्री सुशील कोइराला के अलावा पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ शपथ ग्रहण में आमंत्रित किया गया था। यह अपनी तरह का अलग फैसला था। इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदुस्तान की नई छवि के प्रणेता के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्थापित हुए थे।

2019 मे फिर हुए आम चुनाव में फिर से देश की जनता ने नरेंद्र भाई दामोदर दास मोदी और उनकी टीम पर भरोसा कर प्रचंड बहुमत दिया। वे दूसरी बार प्रधानमंत्री बने।

अब गुजरात और हिमाचल प्रदेश में हुए विधानसभा चुनावों को 2024 के सेमी फ़ाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषक इसे लेकर तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। गुजरात को तो भारतीय जनता पार्टी ने 157 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत से जीत लिया है। यहां 60 सीटों के नुकसान के साथ कांग्रेस 17 सीटों पर टिक गई। गुजरात को लेकर बड़े बड़े दावे करने वाली आम आदमी पार्टी को मात्र 5 सीटों पर जनता ने अपना जनादेश देने के संकेत दिए हैं। इस प्रचंड जीत का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी टीम को दिया जा रहा है। गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेश पटेल और प्रदेश अध्यक्ष आर सी पाटिल ने इस जीत का श्रेय प्रधानमंत्री की झोली में डाला है।

जबकि हिमाचल की 68 सीटों में से भारतीय जनता पार्टी 25 सीटों पर सिमट गई है। यहां पार्टी को 19 सीटों का सीधा नुकसान हुआ है। कांग्रेस 40 सीटों के साथ अपनी सरकार बनाने की ओर अग्रसर है। इस जीत को लेकर कांग्रेस के रणनीतिकार गदगद हैं। यमुना प्राधिकरण Global Investors Summit 2023 के लिए सियोल, दक्षिण कोरिया और टोकियो में करेगी रोड शो

खास बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा हिमाचल के बिलासपुर जनपद के मूल निवासी हैं। वहीं केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री और भाजपा के युवा नेता अनुराग ठाकुर भी हिमाचल से ही ताल्लुक रखते हैं। इस चुनाव प्रचार के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने अपनी तमाम ताकत गुजरात के साथ ही हिमाचल में भी झोंकी थी। आधा दर्जन से अधिक दौरे प्रधानमंत्री के हुए वहीं गृहमंत्री ने भी प्रचार में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी, लेकिन कांग्रेस ने यहां अपनी जीत दर्ज कराई है। कांग्रेस के मेनिफेस्टो में बेरोजगारी गरीबी और सरकारी कर्मचारियों को पेंशन बहाली मुख्य मुद्दा था।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद देश में राजनीतिक परिस्थितियां तेजी से बदली है। उस समय भारतीय जनता पार्टी के पास राम मंदिर निर्माण एक मुख्य मुद्दा था। ये मुद्दा हिंदू वोटरों को अपनी तरफ आकर्षित करने में अहम भूमिका अदा करता था। राम मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ हो चुका है, इसलिए अब यह मुद्दा हिंदू वोटरों को अपनी और उस चुंबकीय शक्ति से आकर्षित नहीं कर सकता जो 2014 और 2019 में था।

2022 के गुजरात और हिमाचल विधानसभा के चुनाव परिणाम भारतीय जनता पार्टी के रणनीतिकारों को मंथन के लिए मजबूर अवश्य कर रहे हैं क्योंकि इन दिनों कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी भी पदयात्रा पर हैं। उनकी पदयात्रा के बाद कांग्रेस 2024 के चुनाव की क्या रणनीति बनाती है, यह भी देखना दिलचस्प होगा। लेकिन वर्तमान चुनाव नतीजों ने एक बात तय कर दी है कि 2024 का लोकसभा का आम चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए उतना आसान रहने वाला नहीं है।

यूपी में भी जलवा फीका

मैनपुरी संसदीय सीट और खतौली सीट पर हुए उपचुनाव के रुझान योगी जी की चमक को फीकी करते दिख रहे हैं। तमाम आरोप-प्रत्यारोप के बीच मैनपुरी संसदीय सीट पर डिंपल यादव साइकिल को रफ्तार देने में कामयाब रही है। उन्होंने प्रचंड बहुमत के साथ इस सीट को जीता है।

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