पहलगाम के जख्मों ने तोड़ी आस्था तो छोड़ दिया इस्लाम, छलका मुस्लिम शिक्षक का दर्द, बोले- "बहुत शर्मिंदा हूं"

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calendar29 Nov 2025 06:25 PM
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जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले ने देशभर को हिला कर रख दिया है। लेकिन इस हादसे का सबसे गहरा असर एक शिक्षक पर पड़ा पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना ज़िले के निवासी साबिर हुसैन पर।

साबिर हुसैन ने छोड़ा इस्लाम:

साबिर हुसैन एक विज्ञान शिक्षक हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक भावुक वीडियो साझा करते हुए बताया कि उन्होंने इस्लाम धर्म छोड़ने का फैसला किया है। उनकी आवाज़ में दर्द साफ़ झलक रहा था। उन्होंने कहा, "पहलगाम में जो हुआ, उसने मेरी आत्मा को झकझोर दिया। मजहब के नाम पर जिस तरह से मासूमों की जान ली गई, मैं बहुत शर्मिंदा हूं। मैं अब और इस पहचान के साथ नहीं जी सकता।"

धर्म से डगमगाया विश्वास

साबिर ने बताया कि वो हमेशा अपने छात्रों को इंसानियत, प्रेम और एकता का पाठ पढ़ाते आए हैं। लेकिन जब उन्होंने देखा कि कुछ लोग धर्म की आड़ में हिंसा और हत्या को सही ठहराते हैं, तो उनका विश्वास पूरी तरह डगमगा गया। साबिर हुसैन ने नम आंखों से कहा। "मैं एक शिक्षक हूं, मेरा धर्म पहले इंसानियत है। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि किसी को सिर्फ उनके धर्म की वजह से मार दिया जाएगा। इस्लाम मेरे लिए शांति और करुणा का प्रतीक था, लेकिन आज मैं खुद को उससे जोड़ नहीं पा रहा।"

मजहब अगर इंसानियत से ऊपर हो जाए, तो वह मजहब नहीं

साबिर हुसैन का यह फैसला भले ही व्यक्तिगत हो, लेकिन यह उन लाखों लोगों की भावना को आवाज़ देता है जो धर्म के नाम पर होने वाली हिंसा से आहत हैं। उनका संदेश साफ है — "मजहब अगर इंसानियत से ऊपर हो जाए, तो वह मजहब नहीं, एक जंजीर बन जाता है।" पहलगाम हमले ने न सिर्फ जानें लीं, बल्कि भरोसे भी तोड़े हैं। लेकिन साबिर जैसे लोगों की आवाज़ बताती है कि अभी भी समाज में संवेदनशीलता और सच्ची इंसानियत जिंदा है। National News : सीमा हैदर के वापसी को लेकर उठे सवाल ? वकील ने दी सफाई
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फवाद खान-वाणी कपूर की फिल्म 'अबीर गुलाल' पर पहलगाम अटैक का असर - रिलीज़ पर संकट!

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calendar30 Nov 2025 09:36 PM
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नई दिल्ली/बॉलीवुड: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले ने सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था को ही नहीं, बल्कि भारत-पाकिस्तान के बीच सांस्कृतिक रिश्तों को भी प्रभावित किया है। इस हमले के बाद एक बार फिर पाकिस्तानी कलाकारों के साथ बॉलीवुड का रिश्ता सवालों के घेरे में आ गया है। पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान और भारतीय अभिनेत्री वाणी कपूर की फिल्म ‘अबीर गुलाल’ की रिलीज़ पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। भारत में फिल्म के वितरकों और थिएटर मालिकों में फिल्म को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। कई लोग फवाद की पाकिस्तानी नागरिकता के चलते फिल्म का विरोध कर रहे हैं।

पहलगाम आतंकी हमला और भारत सरकार के फैसले:

18 अप्रैल 2025 को हुए पहलगाम आतंकी हमले में कई निर्दोष लोगों की जान गई। हमले के बाद भारत सरकार ने सुरक्षा और रणनीतिक स्तर पर कई अहम फैसले लिए हैं:

पांच प्रमुख फैसले:

सिंधु जल संधि स्थगित: जब तक पाकिस्तान आतंकवादियों का समर्थन बंद नहीं करता, सिंधु जल समझौता भारत की ओर से एकतरफा स्थगित रहेगा। राजनयिकों की संख्या में कटौती: दोनों देशों में कार्यरत एक-दूसरे के उच्चायोगों में राजनयिकों की संख्या 55 से घटाकर 30 की गई। साथ ही रक्षा सेवाओं से जुड़े अधिकारियों की तैनाती तुरंत समाप्त कर दी गई है। सीमा चौकी बंद: अटारी-वाघा सीमा चौकी को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया गया है। वीज़ा नीति में सख्ती: पाकिस्तानी नागरिकों को सांस्कृतिक या अन्य उद्देश्यों से भारत आने के वीज़ा पर रोक लगा दी गई है। जो पहले से भारत में हैं, उन्हें 48 घंटे के भीतर देश छोड़ना होगा। संस्कृति और मीडिया निगरानी: फिल्म और टीवी इंडस्ट्री में पाकिस्तान से जुड़े कलाकारों पर नए दिशानिर्देशों के तहत कड़ी निगरानी रखी जा रही है।

फिल्म इंडस्ट्री पर भी पहलगाम आतंकी हमले का असर:

‘अबीर गुलाल’ जैसी फिल्में जहां दो देशों के कलाकारों के बीच सांस्कृतिक पुल का कार्य करती हैं, वहीं ऐसे हमले और उसके बाद की सख्त नीतियां इन संबंधों को बाधित करती हैं। पहले भी माहिरा खान, आतिफ असलम और फवाद जैसे कलाकारों की फिल्मों को भारत में रिलीज़ करने पर विवाद हो चुका है। अब इस आतंकी हमले के बाद फवाद खान और वाणी कपूर की फिल्म 'अबीर गुलाल' पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। पाकिस्तान बौखलाया- दी धमकी, पानी रोका तो युद्ध माना जाएगा
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नमक ने बचा ली जान: पहलगाम आतंकी हमले में बाल-बाल बचा परिवार

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calendar30 Nov 2025 06:57 PM
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नई दिल्ली | 24 अप्रैल 2025: कभी-कभी जिंदगी की सबसे छोटी घटनाएं भी बड़े चमत्कार साबित हो सकती हैं। केरल से जम्मू-कश्मीर घूमने आए एक परिवार के साथ ऐसा ही हुआ जब एक ज्यादा नमकीन डिश पहलगाम में हुए आतंकी हमले में जान बचाने वाली वजह बन गई। कोच्चि की लावण्या अपने 10 अन्य परिजनों के साथ कश्मीर की सैर पर थीं। 23 अप्रैल को वे पहलगाम की ओर रवाना होने वाले थे, लेकिन इससे पहले श्रीनगर के एक रेस्टोरेंट में उन्होंने दोपहर का भोजन किया। भोजन जरूरत से ज्यादा नमकीन होने की वजह से उन्होंने उसे वापस करने की मांग की, जिस पर रेस्टोरेंट स्टाफ ने पूरा खाना दोबारा परोसने की पेशकश की। इसी प्रक्रिया में करीब डेढ़ घंटे की देरी हो गई। इसी दौरान, पहलगाम में एक भीषण आतंकी हमला हुआ, जिसमें लगभग 26 पर्यटकों की जान चली गई और कई घायल हो गए। यह हमला लावण्या के परिवार की नियोजित यात्रा से महज 2 किलोमीटर दूर हुआ। अगर भोजन में हुई वह 'गड़बड़ी' न होती, तो शायद यह परिवार भी इस हमले की चपेट में आ सकता था। लावण्या बताती हैं, "हमने देखा कि सड़क पर घोड़े भाग रहे थे और गाड़ियाँ बेतहाशा दौड़ रही थीं। तभी हमें पता चला कि कुछ बहुत गंभीर हुआ है। जब बाद में हमनें खबरें देखीं, तो रोंगटे खड़े हो गए।" घटना के बाद यह परिवार फिलहाल श्रीनगर में सुरक्षित है और 25 अप्रैल को केरल लौटने की तैयारी में है। इस हादसे में मारे गए पर्यटकों के परिवारों के प्रति उन्होंने अपनी संवेदनाएं भी व्यक्त की हैं। यह घटना हमें याद दिलाती है कि किस्मत, संयोग और छोटी-छोटी बातें कभी-कभी हमारे जीवन की दिशा ही बदल देती हैं। Pahalgam Attack : तनाव के साए में पाकिस्तान का मिसाइल प्लान उजागर