Uttarakhand News: जोशीमठ में जमीन धंसने की घटनाओं का 2021 में जताया था पूर्वानुमान

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Uttarakhand News
locationभारत
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calendar28 Nov 2025 01:34 AM
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Uttarakhand News: चंडीगढ़। जोशीमठ में जमीन घंसने के संकट के बीच पंजाब में आईआईटी-रोपड़ ने सोमवार को दावा किया कि उसके शोधकर्ताओं ने 2021 में दो साल के अंदर उत्तराखंड के इस शहर में बड़े पैमाने पर जमीन खिसकने के संबंध में पूर्वानुमान जताया था।

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भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-रोपड़ ने एक विज्ञप्ति में कहा, संस्थान के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ रीत कमल तिवारी के नेतृत्व में शोधकर्ताओं की एक टीम ने मार्च 2021 की शुरुआत में 2021 जोशीमठ बाढ़ परिदृश्य के लिए हिमनद खिसकने का मानचित्रण किया था। विज्ञप्ति में कहा गया, अध्ययन के दौरान डॉ तिवारी और उनके तत्कालीन पीएचडी छात्र तथा अब आईआईटी-पटना में सिविल और पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर डॉ अक्षर त्रिपाठी ने पूर्वानुमान जताया था कि दो वर्षों में जोशीमठ में बड़े पैमाने पर जमीन धंसने की घटनाएं होंगी। संस्थान ने कहा, उन्होंने अध्ययन के लिए सेंटिनल-1 उपग्रह डेटा का उपयोग करते हुए परसिस्टेंट स्कैटरर एसएआर इंटरफेरोमेट्री (पीएसआईएनएसएआर) तकनीक का इस्तेमाल किया था। जोशीमठ शहर में इमारतों के 7.5 सेमी से 10 सेमी तक धंसने का पूर्वानुमान जताया गया था जो इमारतों में बड़े पैमाने पर दरारें पैदा करने के लिए पर्याप्त है। पिछले कुछ दिनों के परिदृश्य से ऐसा होता दिखा है। अध्ययन को 16 अप्रैल, 2021 को लखनऊ में आयोजित एक सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया, जिसके लिए त्रिपाठी को ‘बेस्ट पेपर अवार्ड’ से सम्मानित किया गया। विज्ञप्ति में कहा गया, हालांकि, अध्ययन को क्षेत्र के कई विशेषज्ञों ने महज कयास और डर पैदा करने वाला बताया था। जोशीमठ शहर अभी जिस स्थिति का सामना कर रहा है और पूर्वानुमान के सच होने के मद्देनजर डॉ तिवारी ने अपनी दीर्घकालिक मांग को दोहराया है कि हिमालयी क्षेत्र की आपदाओं को लेकर एक अंतर-आईआईटी उत्कृष्टता संस्थान स्थापित करना समय की मांग है। विज्ञप्ति के अनुसार, डॉ तिवारी इसे हिमालय क्षेत्र की आपदाओं पर अपनी तरह का पहला सफल अंतर-संस्थागत सहयोग भी कहते हैं। डॉ अक्षर त्रिपाठी ने अंतर-विषयक और अंतर-आईआईटी संस्थान स्थापित करने की मांग का समर्थन किया है और हिमालय को ‘‘भौतिक और जलवायु रक्षक कहा है जिसे संरक्षित करने की आवश्यकता है।’’ विज्ञप्ति में कहा गया है कि डॉ तिवारी और डॉ त्रिपाठी दोनों ने यह भी मांग की है कि आपदाओं का पूर्वानुमान जताने वाले ऐसे किसी भी अध्ययन को गंभीरता से लिया जाना चाहिए ताकि जन धन के नुकसान को बचाने के लिए उचित निवारक उपाय पहले से ही किए जा सकें।

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Joshimath Trouble : बार-बार की चेतावनियों पर सरकार की उदासीनता जोशीमठ संकट की जड़: चंडी प्रसाद भट्ट

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locationभारत
userचेतना मंच
calendar28 Nov 2025 12:39 AM
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Joshimath Trouble : गोपेश्वर (उत्तराखंड)। पर्यावरणविद चंडी प्रसाद भट्ट ने सोमवार को कहा कि भूगर्भीय कारकों के अलावा, जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों में संभावित खतरों के बारे में विशेषज्ञों द्वारा दी गई चेतावनियों पर कार्रवाई करने में क्रमिक सरकारों की विफलता भूमि धॅंसने के संकट का एक प्रमुख कारण है।

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‘चिपको आंदोलन’ से संबद्ध रहे भट्ट ने कहा कि दरकते शहर में संकट से जुड़ी स्थिति की उपग्रह तस्वीरों की मदद से वैज्ञानिक अध्ययन के लिए राज्य सरकार द्वारा एक और प्रयास किया गया है।

उन्होंने कहा कि हालांकि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में हिमालय के एक विस्तृत क्षेत्र मानचित्रण और जोशीमठ में गुप्त खतरों की चेतावनी दो दशक पहले राज्य सरकार को दी गई थी।

भट्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुदूर संवेदन एजेंसी (NRSA) सहित देश के लगभग बारह प्रमुख वैज्ञानिक संगठनों द्वारा सुदूर संवेदन और भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) का उपयोग करके किए गए अध्ययन को 2001 में राज्य सरकार को प्रस्तुत किया गया था।

जोशीमठ सहित पूरे चार धाम और मानसरोवर यात्रा मार्गों को कवर करने वाले क्षेत्र का मानचित्रण उस समय देहरादून, टिहरी, उत्तरकाशी, पौड़ी, रुद्रप्रयाग, पिथौरागढ़, नैनीताल और चमोली के जिला प्रशासन को भी प्रस्तुत किया गया था।

भट्ट ने कहा कि इस क्षेत्र मानचित्रण रिपोर्ट में जोशीमठ के 124.54 वर्ग किमी क्षेत्र को भूस्खलन की संवेदनशीलता के अनुसार छह भागों में विभाजित किया गया था। उन्होंने कहा कि मानचित्रित क्षेत्र के 99 प्रतिशत से अधिक हिस्से को अलग-अलग श्रेणी में भूस्खलन-संभावित क्षेत्र के रूप में दिखाया गया था।

भट्ट ने बताया कि 39 प्रतिशत क्षेत्र को उच्च जोखिम वाले क्षेत्र के रूप में, 28 प्रतिशत को मध्यम-जोखिम वाले क्षेत्र के रूप में, 29 प्रतिशत को कम जोखिम वाले क्षेत्र के रूप में और शेष क्षेत्र को सबसे कम जोखिम वाले क्षेत्र के रूप में दिखाया गया था।

उन्होंने कहा कि तत्पश्चात् अध्ययन को लेकर देहरादून में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों, विशेषज्ञों, जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक दिवसीय बैठक भी हुई जिसमें संबंधित जिलाधिकारियों ने अध्ययन के आलोक में आवश्यक सुरक्षा उपाय करने पर सहमति व्यक्त की।

रेमन मैग्सेसे, पद्म भूषण और गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित भट्ट ने कहा कि हालांकि कुछ भी नहीं किया गया और चार हजार से अधिक लोगों की जान लेने वाली 2013 केदारनाथ आपदा- 'हिमालयी सुनामी' के मद्देनजर अध्ययन पर कार्रवाई नहीं करने के चलते राज्य सरकार को बहुत अधिक आलोचना का सामना करना पड़ा।

उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की चेतावनियों पर कार्रवाई करने में क्रमिक सरकारों की विफलता जोशीमठ संकट की जड़ प्रतीत होती है। भट्ट ने कहा कि एक के बाद एक अध्ययन तब तक मदद नहीं करेगा जब तक कि सरकारें सुझावों पर कार्रवाई शुरू नहीं करती।

आपदाओं के प्रति क्षेत्र की संवेदनशीलता पर सलाहकार के रूप में सरकार के साथ हुई विभिन्न चर्चाओं का हिस्सा रहे भट्ट ने कहा कि अध्ययन के नाम पर एक बार फिर समस्या की अनदेखी की जा रही है।

उन्होंने कहा कि 2001 में प्रस्तुत एनआरएसए की भूस्खलन जोखिम क्षेत्र मानचित्रण और मिश्रा समिति की 1976 की रिपोर्ट, जिसमें मैं भी शामिल था, में जोशीमठ जैसे शहरों और उनके निवासियों को बचाने के लिए अपनाए जाने वाले सुरक्षा उपायों के बारे में पर्याप्त सुझाव शामिल हैं। भट्ट ने कहा कि कार्रवाई की जरूरत है, सिर्फ एक और अध्ययन की नहीं।

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Uttarakhand News : जोशीमठ संकट : 11 और परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया

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Joshimath crisis: 11 more families shifted to safer places
locationभारत
userचेतना मंच
calendar29 Nov 2025 07:55 PM
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गोपेश्वर (उत्तराखंड)। जोशीमठ में 11 और परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया। शहर में दरार से प्रभावित घरों की संख्या बढ़कर 603 हो गई है। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

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चमोली के जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी एनके जोशी ने कहा कि दरार के कारण 11 और घरों में रहने वाले परिवारों को अस्थायी राहत शिविरों में स्थानांतरित किया गया है।

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लगभग 600 प्रभावित परिवारों को तत्काल सुरक्षित स्थानों पर भेजे जाने का निर्देश देने के एक दिन बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जमीनी स्थिति का जायजा लेने के लिए जोशीमठ का दौरा किया।

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मुख्यमंत्री ने उन घरों का भी दौरा किया, जिनकी दीवारों और छत में चौड़ी दरारें आ गई हैं।