Air Pollution : दिल्ली की जहरीली हवा सर्दियों में और भी खराब हो जाती है। दिल्ली इन दिनों गंभीर प्रदूषण के दबाव में है और यह कहर ढा रही है। इससे लोगों को तमाम तरह की दिक्कतें होती हैं। बुजुर्गों, बच्चों और बीमारों के लिए यह बेहद घातक साबित हो सकती है। लेकिन, कुछ सरल तकनीकें इसे कम करने में बहुत मदद कर सकती हैं। इसमें जलनेति तकनीक बेहद कारगर साबित होती है।
Air Pollution :
जलनेति में नमकीन जल का प्रयोग करने से नाक के अंदर झिल्ली में रक्तप्रवाह बढ़ता है। जलनेति में पानी से नाक की सफाई की जाती है, जिससे किसी को साइनस, खांसी, जुकाम, प्रदूषण से बचाया जा सकता है। इसे करने के लिए नमकीन गुनगुने पानी का इस्तेमाल किया जाता है। इस क्रिया में पानी को नेति पात्र की मदद से नाक के एक छिद्र से डाला जाता है और दूसरे से निकाला जाता है। फिर इसी क्रिया को दूसरे नॉस्ट्रिल से किया जाता है। जलनेति दिन में किसी भी समय की जा सकती है। यदि किसी को जुकाम हो तो इसे दिन में कई बार कर सकते हैं। इसके लगातार अभ्यास से यह नासिका क्षेत्र में कीटाणुओं को पनपने नहीं देती।
आधे लीटर गुनगुने पानी में आधा चम्मच नमक मिलाएं और नेति के बर्तन में इस पानी को भर लें। अब आप कागासन में बैठें। पैरों के बीच डेढ़ से दो फीट की दूरी रखें। कमर से आगे की ओर झुकें। नाक का जो छिद्र उस समय अधिक सक्रिय हो, सिर को उसकी विपरीत दिशा में झुकाएं।
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अब नाक के एक छेद में नेति पात्र की नली से पानी डालें। पानी धीरे-धीरे डालें। इस दौरान मुंह खुला रखें और लंबी सांस न लें। यह पानी नाक के दूसरे छेद से निकलना चाहिए। इसी प्रक्रिया को नाक के दूसरे छेद से करें। दोनों छेद से यह प्रक्रिया करने के बाद सीधे खड़े हो जाएं और नीचे सुझाए गए जलनेति क्रिया के पश्चात करने वाले यौगिक अभ्यास को करें। इससे नाक के अंदर का सारा पानी, बैक्टीरिया और म्यूकस बाहर आ जाता है।
इस तकनीक से नाक की सफाई होती है, जिससे सांस नली सम्बन्धी परेशानी, पुरानी सर्दी, दमा, सांस लेने में होने वाली समस्या को दूर करती है। इससे आंखों में पानी आना और आंख में जलन की समस्या कम होती है। कान, और गले को बीमारियों से बचाती है। सिरदर्द, अनिद्रा, सुस्ती में जलनेति करना फायदेमंद है।
यह सुनिश्चित करना जरूरी है की जलनेति क्रिया के बाद नाक के छिद्रों में पानी बचा न रहे, क्योंकि इससे सर्दी हो सकती है।
कई बार नथुने बंद हो जाते हैं या सांस लेने में तकलीफ होती है। इससे संक्रमण तथा शरीर के तापमान आदि में वृद्धि हो सकती है। इसलिए जलनेति क्रिया के बाद एक नथुने को बंद करके दूसरे नथुने से, फिर दूसरे नथुने को बंद करके पहले नथुने से धीरे-धीरे हवा बाहर फेंके।
शुरुआत में यह क्रिया किसी विशेषज्ञ की मौजूदगी में करना चाहिए। जलनेति के बाद नाक को सुखाने के लिए कपालभाति, प्राणायाम करना लाभकारी है। जलनेति करने के तुरंत बाद सोना नहीं चाहिए। इससे पानी श्वास नलिका के मार्ग से होकर फेफड़ों तक पहुंचता है। फेफड़ों में संक्रमण हो सकता है।
यदि इस क्रिया के दौरान आपको आपको जलन महसूस हो तो आप पानी की मात्रा बढ़ा सकते हैं और नमक की मात्रा थोड़ी कम कर सकते हैं। साथ ही इस क्रिया को सूर्य निकलने के बाद ही करें, क्योंकि उस समय प्रदूषण थोड़ा कम होता है। इसके लिए एक और सावधानी जरूरी है कि इसे खुले में यानि किसी मैदान या पार्क में न करें।
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फेफड़ों को मजबूत करने और जहरीली हवा से लड़ने के लिए भी आप ये आसन कर सकते हैं
पादहस्तासन:
मत्स्यासन:
भुजंगासन
मार्जरी आसन